निवेश क्या है

रियल एस्टेट में निवेश का लाभ
जब सोने या इक्विटी में निवेश की तुलना में, क्या अचल संपत्ति एक सुरक्षित शर्त है? इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए, यह समझना महत्वपूर्ण है कि एक रियल एस्टेट निवेश क्या है रियल एस्टेट एक ठोस संपत्ति है निवेशक अचल संपत्ति चुनते हैं क्योंकि वे संपत्ति को छू सकते हैं और महसूस कर सकते हैं, और समय के साथ इसकी सराहना कर सकते हैं। अब यह अचल संपत्ति खरीदना आसान है क्योंकि कई बैंक भुगतान के नीचे 20 फीसदी ऋण प्रदान करते हैं। इससे लोगों को न सिर्फ अपने घर खरीदना पड़ता है, बल्कि कई अचल संपत्ति सम्पत्तियां जो वर्षों में मूल्य में वृद्धि होती है। शेयर बाजार को एक बेंचमार्क माना जाता है जिसके अनुसार किसी देश के विकास का न्याय किया जाता है। कई आईटी, फार्मा, बैंकिंग, रियल एस्टेट, तेल और विनिर्माण कंपनियां शेयर बाजार में सूचीबद्ध हैं शेयर बाजार का प्रदर्शन एक देश के विकास से काफी निकट है शेयर बाजार की परिसंपत्ति वर्ग के रूप में, सेंसेक्स पर अचल संपत्ति सूचकांक रियल एस्टेट डेवलपर्स की परिसंपत्तियों के प्रदर्शन का सूचक है। रियल एस्टेट और इक्विटी मार्केट दोनों में अपने पेशेवर और विपक्ष हैं, और इनमें से किसी एक में निवेश निवेश स्तर पर निर्भर करता है जो एक को तैयार करता है। स्टॉक मार्केट को हालांकि, हाथ या नकदी में नकदी की आवश्यकता होती है। जब बाजार की स्थिति अनुकूल होती है, तो आप शेयर बाजार में निवेश करने से लाभान्वित हो सकते हैं। लेकिन जब बाजार की स्थिति खराब हो, तो आप अपना पैसा खो सकते हैं यह निश्चित रूप से, आपके द्वारा निवेश किए गए शेयरों के मूल्य पर निर्भर करता है। इक्विटी के विपरीत, रियल एस्टेट की कीमत नियमित रूप से प्रकाशित नहीं होती है। इसलिए, अचल संपत्ति की कीमतों में गिरावट खुले तौर पर दिखाई नहीं दे रही है। तो, आप आतंक बिक्री नहीं देखते हैं अनिवार्यता के कारण, निवेशकों को समय से पहले (जब कीमतें बढ़ जाती हैं) इक्विटी के मामले में लाभ मुनाफा नहीं मिलता है। निवेश करने के लिए रियल एस्टेट सबसे अच्छा परिसंपत्ति वर्ग है। यदि आप पैसे खोना चाहते हैं, तो रियल एस्टेट आपके धन को खोने के लिए एक महान परिसंपत्ति वर्ग है। इन बयानों का विरोधाभासी है, लेकिन सच है। अंत में, रियल एस्टेट निवेश अलग-अलग निवेशकों के लिए अलग-अलग चीज़ों का मतलब है, और एक ही समय में महत्वपूर्ण फायदे और नुकसान हैं अचल संपत्ति में निवेश के क्या लाभ हैं? कई संपत्तियों में निवेश करके, आप एक परिसंपत्ति बैंक का निर्माण कर सकते हैं और अपने निवल मूल्य बढ़ा सकते हैं रियल एस्टेट निवेश को अक्सर स्टॉक मार्केट में अस्थिर निवेश के बचाव के लिए एक उपकरण के रूप में देखा जाता है अचल संपत्ति में निवेश का लाभ यह है कि यह किराये पर कमाने का अवसर प्रदान करता है आय किराया दरों में वृद्धि जब भी पट्टे की अवधि समाप्त हो जाती है, और नवीनीकृत किया जाता है अपने गुणों को किराए पर लेने से लाभ के अलावा, आप मूल्य में इसके क्रमिक वृद्धि से भी लाभ प्राप्त कर रहे हैं रियल एस्टेट भी एक अत्यंत कर-कुशल निवेश है आपकी परिसंपत्तियों की मूल्यह्रास आपके किसी भी या सभी लाभों को रद्द कर सकती है, जिसके कारण आप उचित कर दर पर किराये की आय एकत्र कर सकते हैं रियल एस्टेट एक दीर्घकालिक निवेश है, क्योंकि लोग थोड़ी देर के लिए इसे पकड़ते हैं। अचल संपत्ति बेचना समय लगता है किसी निवेशक या खरीदार के पास अन्य प्रकार के निवेशों की तुलना में अचल संपत्ति निवेश के प्रदर्शन पर बहुत अधिक नियंत्रण है। उदाहरण के लिए, एक खरीदार अपने मूल्य को बढ़ाने के लिए एक संपत्ति के लिए चीजें कर सकता है। रियल एस्टेट रिटर्न में अन्य परिसंपत्ति वर्गों (जैसे स्टॉक और बॉन्ड) के प्रदर्शन के साथ उच्च संबंध नहीं है। इससे खरीदार के निवेश के निर्णय में अधिक विविधीकरण होता है गलतियों से बचने के बाद, अचल संपत्ति में निवेश करने के लिए अपना मन बना लेने के बाद, निर्माणाधीन फ्लैट्स में खरीद या निवेश से बचने के लिए बेहतर है। खरीदार वास्तव में एक डेवलपर को पैसा उधार दे रहा है, जिससे वह उम्मीद निवेश क्या है कर सकता है कि वह भविष्य में इतने दूर के भविष्य में एक फ्लैट वितरित करेगा एक खरीदार एक अच्छा रिटर्न बनाता है जब वे एक अंडर-बिल्डिंग फ्लैट खरीदते हैं लेकिन उच्च रिटर्न अधिक जोखिम का मतलब है। भारतीय संदर्भ में, एक निर्माणाधीन फ्लैट खरीदने के जोखिम इतने अधिक हैं कि रीयल एस्टेट डेवलपर्स को खरीदार को अच्छा रिटर्न देने के लिए पर्याप्त कीमतें कम करना पड़ता है। जब तक आप इसमें शामिल जोखिम को समझते हैं, उच्च रिटर्न के लिए निर्माणाधीन फ्लैट्स खरीदने में कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन ज्यादातर लोगों को जोखिम अच्छी तरह से समझ में नहीं आ रहा है सभी को अचल संपत्ति में निवेश करना चाहिए। अपना खुद का घर खरीदने में देरी न करें समझे कि जब आप एक अंडर-मैनेजमेंट फ्लैट खरीदते हैं तो क्या हो रहा है
वित्तीय उत्पाद विदेशी निवेश वित्त कार्यक्रम
हम बीते तीन दशकों से अधिक समय से देश में निर्यात अवसर बढ़ा रहे हैं और देश की आर्थिक तरक्की में हमारा अहम योगदान रहा है| हमने विदेश व्यापार और निवेश अवसरों को जोड़ने का प्रयास किया है, निवेश क्या है ताकि लंबी अवधि में उसके बेहतर परिणाम मिलें| ऐसे समय में जब भारत वैश्विक फलक पर विनिर्माण केंद्र के रूप में छाप छोड़ने को तैयार है, हम भारतीय कंपनियों को विदेशों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और उनका रास्ता सुगम बनाते हैं|
प्रमुख विशेषताएं
हम निम्नलिखित के जरिए विदेशी बाजारों तक आपकी पहुंच आसान बना सकते हैं:
भारतीय कंपनियों को मियादी ऋण देकरः
भारतीय कंपनियों के विदेशी संयुक्त उपक्रमों / पूर्ण स्वाधिकार वाली सहायक संस्थाओं में इक्विटी निवेश|
भारतीय कंपनियों के संयुक्त उपक्रमों / पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगियों को ऋण|
भारतीय कंपनियों के विदेशी संयुक्त उपक्रमों / पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगियों को आंशिक वित्तपोषण के लिए मियादी ऋणः
आस्तियों के अधिग्रहण के लिए किया गया पूंजी खर्च
कार्यशील पूंजी जरूरतें
दूसरी कंपनी में इक्विटी निवेश
ब्रांड /पेटेंट /अधिकार/ अन्य बौद्धिक संपदा अधिकारों का अधिग्रहण
किसी दूसरी कंपनी का अधिग्रहण
कोई अन्य गतिविधि जिसके लिए वह कंपनी तब एक्ज़िम बैंक से वित्तपोषण हासिल करने के लिए पात्र होती जब वह भारतीय होती
विदेशी संयुक्त उपक्रमों/ पूर्ण स्वामित्व वाली सहयोगी संस्थाओं को मियादी ऋण / कार्यशील पूंजी जुटाने के लिए गारंटी की सुविधा|
पात्रता
हम भारतीय प्रमोटर कंपनी को निधिक/ गैर-निधिक सहायता प्रदान करते हैं|
हमारा वित्तपोषण भारतीयों के लिए भारतीय रुपए में और विदेशी इकाई के लिए विदेशी मुद्रा में उपलब्ध है| (भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार)
मियादी वित्तपोषण पर वाणिज्यिक ब्याज दरें लागू होती हैं|
हमारे ऋण की अवधि सुविधानुसार आम तौर पर 5-7 साल तक होती है|
सिक्योरिटी में विदेशी इकाई की आस्तियों पर समुचित प्रभार, भारतीय प्रमोटर की कॉर्पोरेट गारंटी, जोखिम कवर और विदेशी उपक्रम में भारतीय प्रमोटर की हिस्सेदारी की गिरवी शामिल हैं|
एक्ज़िम से
फायदे
निर्यातकों की जरूरतों की जानकारी|
विशाल अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का लाभ उठाने की क्षमता|
भारतीय रुपए और विदेशी मुद्रा दोनों में ऋण सुविधा|
प्रतिस्पर्द्धी ब्याज दरें और चुकौती में लचीलापन|
Project Exports
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निवेश क्या है
हालांकि, निवेश करते समय हम इन बातों को नजरअंदाज कर देते हैं।
तुरंत पैसे कमाने की चाहत, वह भी भारी-भरकम जोखिम उठाते हुए, अक्सर काफी दुख पहुंचाता है। शेयर बाजारों में निवेश करने के यूं तो कई सिध्दांत हैं लेकिन खुदरा निवेशकों के लिए सबसे बेहतर यह है कि वे नियमित रूप से निवेश करते रहें।
बाजार में निवेश करने के विभिन्न मंत्रों में उचित समय पर निवेश करने का सिध्दांत सबसे अधिक प्रचलित है। इसके तहत निवेशक बाजार में प्रवेश करने, मुनाफावसूली करने और निवेश से बाहर होने के लिए उचित अवसर ढूंढते हैं। शेयरों की खरीदारी कर उसमें निवेश बनाए रखने में भी कई निवेशक इसी आधार पर भरोसा करते हैं।
साथ ही कई विश्लेषक यह भी कहेंगे कि विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों जैसे इक्विटी और ऋण का पुनर्संतुलन करना जरूरी है। उनका मानना होता है कि बाजार में उचित समय का नियमित रूप से निर्धारण संभव नहीं है और इस नीति को अपनाने का कोई तर्क नहीं है। दूसरी तरफ कुछ लोग निवेश की लागत को औसत बनाने के सिध्दांत के आधार पर निवेश करते हैं। इसे योजनाबध्द निवेश योजना (सिप) के तौर पर जाना जाता है।
अब सवाल उठता है कि कौन सी नीति सबसे अधिक बेहतर है? इसका जवाब ढूंढने के लिए बेहतर है कि वित्तीय संकट की शुरुआत के समय से इन नीतियों के तहत निवेश करने का क्या परिणाम निकला है, उस पर गौर फरमाएं।
हमने चार तरीके अपनाए और प्रत्येक के अनुसार एक लाख रुपये का निवेश किया। प्रत्येक निवेश की शुरुआत 1 सितंबर 2008 को की गई जब सेंसेक्स 14,498.51 अंक के स्तर पर था। हमने यह तारीख इसलिए चुनी क्योंकि इसी महीने लीमन ब्रदर्स धराशायी हुआ था। इस घटना के बाद से वैश्विक बाजार में गिरावट आने लगी थी।
शेयर खरीद कर उसमें निवेश बनाए रखने की नीति (एकमुश्त निवेश)
बाजार में निवेश के सही समय के निर्धारण के तहत 1 सितंबर को 50 प्रतिशत, 30 प्रतिशत जब सेंसेक्स 10,000 के स्तर पर था (11 सिंतबर 2008) और 20 प्रतिशत का निवेश तब किया गया जब बाजार 8,000 अंक के स्तर पर था।
प्रत्येक तिमाही पोर्टफोलियो का पुनर्संतुलन ताकि इक्विटी में 60 प्रतिशत और ऋण में 40 प्रतिशत का निवेश बरकरार रहे। ऋण से कर-बाद 6 प्रतिशत का रिटर्न मिल रहा था। हमने विश्लेषण के लिए तिमाही पुनर्संतुलन को आधार बनाया।
सिप के तहत पांच महीने तक प्रत्येक महीने 20,000 रुपये का निवेश या 10 महीने तक 10,000 रुपये का निवेश। यह भी खरीदारी कर निवेश बनाए रखने जैसी नीति थी लेकिन यहां निवेश समयावधि में विभाजित था।
शेयरों की खरीदारी कर उसमें निवेश बनाए रखने की नीति से हमें 55.61 प्रतिशत का प्रतिफल प्राप्त हुआ। हालांकि, यह कम ही संभव है कि बाजार के उचित समय का निर्धारण करने वालों ने 10,000 और 8,200 के स्तर पर निवेश किया हो क्योंकि उस समय निराशावादिता कुछ इस कदर फैली थी कि कुछ विश्लेषक भी उसके बाद बाजार में आई तेजी का लाभ उठाने से तब तक चूक गए तब तक कि सेंसेक्स वापस 15,000 के स्तर तक नहीं पहुंच गया।
कुछ विशेषज्ञ तो 15,000 के स्तर पर भी लाभ उठाने से वंचित रह गए क्योंकि उनका मानना था कि बाजार में मूल्य काफी बढ़े चढ़े हैं और इसमें गिरावट आनी चाहिए। यही नहीं अधिकांश स्मार्ट निवेशकों ने 12,000 के स्तर पर बिकवाली करने के बाद 10,000 और 8,000 के स्तर पर भी बिकवाली ही की। इसलिए, पूरे भरोसे के साथ कहा जा सकता है कि खरीदारी के बाद निवेश बनाए रखने की तुलना में बाजार में उचित समय का निर्धारण करने वालों का प्रदर्शन काफी बुरा रहा।
अब बात करते हैं पोर्टफोलियो पुनर्संतुलन की। इस नीति के तहत 60,000 रुपये शेयर में आवंटित किए गए और 40,000 रुपये का निवेश ऋण में किया गया। उसके बाद प्रत्येक तिमाही उसका पुनर्संतुलन किया गया और 31 दिदसंबर 2009 को उसका मूल्य 1.27 लाख रुपये रहा। इस प्रकार शुध्द प्रतिफल 27.47 प्रतिशत का रहा।
अब खबर लेते हैं कि सिप के माध्यम से किए गए निवेश का प्रतिफल कैसा रहा। आपको जान कर आश्चर्य होगा कि 31 सितंबर 2009 को कुल निवेश का मूल्य 1,74,473.45 रुपये था। मतलब 74.47 प्रतिशत का शुद्ध प्रतिफल!
अगर किसी निवेशक ने प्रति महीने 10,000 रुपये का सिप 10 महीने तक किया हो तो उसके निवेश का कुल मूल्य 31 दिसंबर 2009 को 1,64,169.21 रुपये रहा। मतलब उसे 74.47 प्रतिशत का प्रतिफल मिला। इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि प्रचलित बाजार के सही समय निर्धारण के सिध्दांत की तुलना में सिप का प्रदर्शन बेहतर रहता है।
एक बात ध्यान रखने की है कि अगर बाजार लगातार ऊपर चढ़ रहा हो तो एकमुश्त निवेश कर निवेशित रहना सबसे अधिक लाभ दे सकता है। अगर बाजार रिकॉर्ड निचले स्तर पर हो तब भी एकमुश्त निवेश का रास्ता अन्य सिध्दांतों की तुलना में बेहतर प्रतिफल दे सकता है।
बचत तथा निवेश में क्या अंतर है और इनमें से कौन अधिक महत्वपूर्ण?
हम समझते हैं कि बचत और निवेश एक ही बात है। जरूरी नहीं कि हकीकत में एेसा हो।। दोनों तरीके आपके वित्तीय लक्ष्य हासिल करने में निर्णायक हैं। दोनों में आपको अपना पैसा अलग निकालकर रखना होता है पर उद्देश्य भिन्न होते हैं। बचत उसे कहते हैं जिसमें आप थोड़ा-थोड़ा पैसा जोड़कर बड़ा निवेश क्या है फंड बनाते हैं ताकि अल्पकालिक जरूरतें पूरी की जा सकें। जैसे हम बचपन में कॉमिक बुक खरीदने के लिए पिगी बैंक में पैसा रखते थे। यह एकदम सही उदाहरण है। यदि आपके ध्यान में आया हो तो हमने कभी उस पर कमाई जाने वाली ब्याज दर अथवा उस पैसे पर मिलने वाले रिटर्न पर गौर नहीं किया। इसमें एक ही उद्देश्य यही होता है कि जब पैसे की जरूरत पड़े तो वह आसानी से उपलब्ध रहे। कैश, सेविंग उकाउंट अथवा करंट अकाउंट में रखा पैसा बचत कहलाता है। दूसरी तरफ निवेश में किसी वित्तीय फायदे अथवा किसी निश्चित अवधि में पैसा बढ़ने की उम्मीद से किसी निवेश माध्यम में पैसा लगाने की वचनबद्धता होती है। इसमें एक निश्चित अवधि में तय राशि जमा करनी होती है। इस तरह म्युचुअल फंड, शेयर और सोने में पैसा लगाना, जहां रिटर्न निश्चित नहीं होता, निवेश कहलाता है। रिटर्न कंपनी के प्रदर्शन, मार्केट की स्थिति और आम आर्थिक मनोभाव पर निर्भर होता है। हम यदि निवेश करते हैं तो इन सारी बातों पर विचार करते हैं और इसके साथ अपने लक्ष्य को भी ध्यान में रखते हैं कि हमें वांछित राशि कितनी अवधि में प्राप्त हो जाएगी।
इस तरह आपके ध्यान में यह बात आई होगी कि बचत वर्तमान और निवेश भविष्य के लिए होता है। एेसे में पहली बात तो अपने उद्देश्य की पहचान है। आप अपने पैसे का निवेश या उसकी बचत क्यों करना चाहते हैं? गौर करें कि आपके लक्ष्य कैसे हैं- अल्पकालिक, मध्यम या दीर्घावधि हैं? अल्पावधि लक्ष्यों, आपातकालीन परिस्थतियों और अचानक आने वाले खर्च के लिए बचत करना बुद्धिमानी है, क्योंकि तब यह पैसा तत्काल उपलब्ध रहता है। इससे छोटे लक्ष्य प्राप्त करना आसान हो जाता है। लेकिन, दीर्घावधि में अपनी बदलती प्राथमिकताओं और मुद्रास्फीति को देखते हुए बचत, रिटायरमेंट अथवा बच्चे की शिक्षा जैसे लक्ष्यों के लिए कम पड़ सकती है, क्योंकि उसके लिए बचत का पैसा बढ़ना जरूरी है।
रणनीति बहुत आसान है : एक, वित्तीय कुशन बनाकर खुद को अनपेक्षित लागत और अल्पकालिक जरूरतों के खिलाफ संरक्षित कीजिए। इससे जहां आपका पैसा ऐसी जगह सुरक्षित है, जहां आप कभी भी पहुंच सकते हैं और वहां मामूली ब्याज भी मिल रहा है। एक बार यह वित्तीय सुरक्षा हो जाए तो फिर भविष्य के लिए निवेश करना शुरू करें। याद रहे, कोई भी पैसा जो आप बाजार में निवेश करते निवेश क्या है हैं, वह वहां कम से कम तीन साल तक रहे। इस तरह कोई भी निर्णय लेने के पहले ये सारी बातें और विकल्प को ध्यान में रखें।