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घोटाले के दलालों से बचना

घोटाले के दलालों से बचना
बिटकॉइन धन घोटाले को मैक्स कार्नी द्वारा जानबूझकर बनाया गया था। कुछ शोध करने के बाद, मैंने उसी व्यक्ति को क्रिप्टो वेल्थ नामक एक समान क्रिप्टोक्यूरेंसी स्कैम सिस्टम का निर्माता पाया। दोनों सिस्टम के रचनाकारों के समान नाम होने के अलावा, वे डिजाइन में काफी समान हैं।

व्यापमं घोटाला : एक अपराध. तीन अपराधी. तीन तरह का रवैया, यह कैसी जांच?

एक ही अपराध, तीन आरोपी और एसटीएफ का तीन तरह का रवैया. एक लड़की, जिसने अपराध के कुछ महीनों पहले ही नाबालिगी की दहलीज पार की थी। दूसरा एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी साला और रिटायर आईजी का बेटा, और तीसरा भी एक रसूखदार रहा शख्स. । जांच के इसी रवैये की पड़ताल करती खबर। साथ ही उन छात्रों के भविष्य का रास्ता तलाशने की कोशिश भी जो चाहे-अनचाहे ध्वस्त हो चुकी व्यवस्था और व्यापमं गैंग के कुचक्र में फंसकर, अपराधी बन भविष्य तबाह कर चुके हैं।

इंदौर. अब सीबीआई उन मामलों की फिर से समीक्षा करने की बात कर रही है, जिनकी जांच कर एसटीएफ चालान पेश कर चुकी है। ऐसे में एक बार फिर आस बंधी है कि एक ओर जहां उन छात्रों को राहत मिलेगी, जो अपने अभिभावकों की करतूतों के चलते अपराधी होने का दंश झेल रहे हैं। दूसरी ओर उन चेहरों के सामने आने की भी उम्मीद है जो अपने रसूख के चलते अपराधियों की सूची से बाहर हो गए।


400 से ज्यादा छात्र झेल रहे अपराधी होने का दंश
जेल की दीवारें जितनी ऊंची नहीं उससे कहीं ज्यादा गहरे में बैठी दहशत, अनिश्चित भविष्य और अपराधी कहलाने को अभिशप्त रवीना ऐसी अकेली लड़की नहीं है। यह कहानी लगभग चार सौ उन छात्र-छात्राओं की है जो 18 से 20 साल की उम्र के हैं। जो अपने मन से किसी को अपने मन से 18 -20 रुपए भी नहीं दे सकते लेकिन व्यापमं के दलालों के कुचक्र फंसे अभिभावकों की गलती और एसटीएफ की हठधर्मिता का दंश झेल रहे हैं। रवीना तो फिर भी 14 दिन में बाहर आ गई लेकिन ऐसे छात्रों की फहरिस्त बहुत लंबी है जिन्हें तीन से लेकर छह महीने सलाखों के पीछे गुजारना पड़े। कई लड़कियों को तो 18-19 जून 14 की दरम्यान रात प्रदेशभर में एक साथ छापा मारकर उठाया गया।


मानसिक दबाव आत्महत्या का कारण : कई आरोपियों ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया या हृदय गति रुक जाने से मौत के गाल में समा गए। 40 से ज्यादा हुई मौतों का पूरा सच सीबीआई जांच के सामने ही सामने आएगा। लेकिन मनोचिकित्सक कहते हैं कि कम उम्र के लड़के अकसर पुलिस और जेल जाने का मानसिक दबाव सह नहीं पाते जिसकी परिणिती कई बार हार्टअटैक या हार्टफेल हो जाने के रूप में सामने आती है।

रवीना असरानी : 18 साल की उम्र, 14 दिनों तक जेल की चाहरदीवारी में रही कैद
यह जो चेहरा देख रहे हैं अब धीरे-धीरे अब इसकी आंखों के नीचे गहराए काले धब्बे गायब हो रहे हैं, लेकिन मुस्कराहट के लिखी दहशत घोटाले के दलालों से बचना की इबारत सालभर बाद भी साथ पढ़ी जा सकती है। जबलपुर मेडिकल कॉलेज से निष्कासित हो चुकी रवीना असरानी वह पहली लड़की है जो व्यापमं घोटाले के चलते सलाखों के पीछे पहुंचाई गई थी। एसटीएफ द्वारा निचली अदालत में जमानत के सख्त विरोध के बाद अंतत: वह जेल की दीवारों के बाहर तब आ पाई जब 14 दिन बाद हाईकोर्ट ने उसे जमानत दी। रवीना और उसके पिता पर पीएमटी 2013 की तर्ज पर हुए पीएमटी 2012 घोटाले में व्यापमं घोटाले के दलाल तरंग शर्मा को 17 लाख देकर पीएमटी पास करने का आरोप है। जून 2014 में एक दिन पिता के साथ भोपाल बुलाया गया। दिनभर चली घोटाले के दलालों से बचना पूछताछ के बाद उसे बचने का एक ही रास्ता बताया गया कि वह अपने पिता के खिलाफ बयान दे दें। वह कैसे दे देती नतीजा रात भर थाने की सलाखों के पीछे और दूसरे दिन जेल।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का बेटा तो दूसरे अधिकारी का साला, सत्ता और संगठन का करीबी राघवेंद्र तोमर का नाम प्री.प्री.जी. 2012 की एफआई में दर्ज है। लेकिन जांच का सिलसिला ऐसा चला कि गिरफ्तार होना तो दूर एक शपथ पत्र और एग्रीमेंट के आधार पर वह सरकारी गवाह बना दिया गया। दरअसल प्रीप्रीजी घोटाले के प्रमुख आरोपी व्यापमं के चीफ सिस्टम एनालिस्ट नितिन महिंद्रा और एक्जाम कंट्रोलर पंकज त्रिवेदी से हुई घोटाले के दलालों से बचना पूछताछ में यह खुलासा हुआ कि जिन आठ छात्रों से 60 से 70 लाख लेकर परीक्षा के एक दिन ‘माडल आंसर की’ उपलब्ध कराई गई थी उन सभी छात्रों के रुकने का इंतजाम राघवेंद्र तोमर ने एक और पुलिस अधिकारी के भाई भरत मिश्रा के साथ मिलकर मंडीद्वीप स्थित एक प्राइवेट लिमिटेड फैक्टरी में किया था। इसकी एवज में भरत मिश्रा को 40 और राघवेंद्र तोमर को 30 लाख मिले थे।

तोमर ने एसटीएफ को एक शपथ पत्र देकर बताया कि उसने यह फैक्टरी दो साल पहले 50 हजार रुपए प्रतिमाह किराए पर भिंड निवासी राविन सिंह सेंगर को किराए पर दे दी थी और छात्रों के रुकने का इंतजाम उसी ने किया था। और तोमर सरकारी गवाह बना लिए गए। अब यह सीबीआई की जांच का विषय हो सकता है कि जो एसटीएफ 18 साल की रवीना जेल भेजने के लिए इतना तत्पर था कि उसका रुख इतना नरम कैसे हो गया। उसने यह जांच करने की जहमत भी नहीं उठाई कि किराए पर देने की सूचना रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी को दी गई है या अनुबंध पत्र पर लगा स्टाम्प कब का है। या कंपनी की बैलेंस शीट क्या कहती है।

प्रेम प्रसाद पर भी रवीना असरानी के पिता की तरह पीएमटी 2012 में अपनी बेटी का अवैध तरीके से चयन करवाने का आरोप था। हालांकि कांग्रेसी नेता इन पर और भी कई नौकरियां लगवाने में अपने रसूख के बेजा इस्तेमाल का आरोप लगाते रहे हैं। लेकिन इनकी गिरफ्तारी तो दूर एसटीएफ में भोपाल की कोर्ट में इनकी अग्रिम जमानत तक का भी ढंग से विरोध नहीं किया। नतीजा 22 जून 2014 को इन्हें और इनकी बेटी को अग्रिम जमानत मिल गई। अब जब सीबीआई रसूखदारों को फिर से जांच के दायरे में लाने का दांवा कर रही है। यह देखने लायक बात होगी कि वह प्रेमप्रसाद के मामले में क्या रुख अपनाती है।

> अभिभावकों और छात्र-छात्राओं को चालान पेश हो जाने के बाद भी सरकारी गवाह बनाया जा सकता है। एसटीएफ के द्वारा पेश किए जा चुके चालान में फिलहाल परिस्थितिजन्य साक्ष्य ज्यादा हैं। अभिभावकों, छात्राओं की गवाही उसे सीधे साक्ष्य देगी। जिससे मूल अपराधियों की सजा सुनिश्चित होगी।’ - नरेंद्र जैन, पूर्व न्यायाधीश एवं अधिवक्ता, इंदौर


> राघवेंद्र तोमर को गवाह बनाना कानून का दुरुपयोग है। इसकी संपत्ति के स्त्रोतों की जांच अनुबंध पत्र और कंपनी तथा आयकर दस्तावेजों से इसका झूठ पकड़ा जा सकता है। केवल किराएदारी के अनुबंध के आधार पर छोड़ देना संदेहास्पद है। - मनोहर दलाल, वरिष्ठ अधिवक्ता इंदौर

छात्रवृत्ति घोटाला: हाईकोर्ट के चाबुक का दिखा असर, संयुक्त निदेशक को भेजा गया जेल

राज्य के समाज कल्याण विभाग अफसर, कर्मचारियों और दलालों द्वारा करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति हेराफेरी में हाईकोर्ट के चाबुक ने असर दिखाना शुरू कर दिया.

Published: November 2, 2019 11:58 AM IST

छात्रवृत्ति घोटाला: हाईकोर्ट के चाबुक का दिखा असर, संयुक्त निदेशक को भेजा गया जेल

देहरादून: राज्य के समाज कल्याण विभाग अफसर, कर्मचारियों और दलालों द्वारा करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति हेराफेरी में हाईकोर्ट के चाबुक ने असर दिखाना शुरू कर दिया. हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही इस घोटाले की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई थी. एसआईटी ने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा सहित कई राज्यों से इस घोटाले के तार जुड़े पाए थे. एसआईटी की जांच के बाद उत्तराखंड राज्य भर में ताबड़तोड़ मामले भी दर्ज हुए. फिलहाल विद्यार्थियों के धन से अपनी जेब भरने के काले-कारोबार में गिरफ्तार समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक को जेल भेज दिया गया है.

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जेल भेजे गए समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक का नाम गीताराम नौटियाल है. गीताराम नौटियाल को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है. जेल भेजने का आदेश अपर जिला जज श्रीकांत पांडेय की अदालत द्वारा सुनाया गया. इस मामले में जेल से बचने के लिए आरोपी द्वारा शुक्रवार को जमानत अर्जी भी दाखिल की गई थी. इस अर्जी पर अब 4 नवंबर को सुनवाई होगी.

संयुक्त निदेशक को जेल भेजे जाने की पुष्टि शासकीय अधिवक्ता राजीव गुप्ता ने भी मीडिया से बातचीत में की. जेल भेजा गया संयुक्त निदेशक गिरफ्तारी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट भी गया था. वहां से जब उसे कोई राहत नहीं मिली तो उसने गुरुवार को सिडकुल थाने जाकर खुद को पुलिस के सामने पेश कर दिया. पुलिस ने शुक्रवार को आरोपी को विशेष सतर्कता जज की अदालत में पेश किया था. फिलहाल अदालत के आदेश के मुताबिक आरोपी 14 नवंबर तक जेल में ही रहेगा.

गौरतलब है कि इस छात्रवृत्ति घोटाले में यूं तो अब तक 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. मगर संयुक्त निदेशक की गिरफ्तारी उन सबमें सबसे अहम और बड़ी मानी जा रही है. इस घोटाले में कई और रहीस घोटालेबाजों की गिरफ्तारी के लिए एसआईटी द्वारा छापेमारी बदस्तूर जारी है.

एसआईटी के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने शनिवार को बताया कि इस घोटाले में जो कुछ अब तक सामने निकल कर आया है, उससे लगता है कि यह घोटाला तमाम शिक्षण संस्थानों के मालिकों की भी मिली भगत से किया गया है. ऐसे में कई नामी गिरामी शिक्षण संस्थानों को संचालित करने वाली कई बड़ी मछलियां भी गिरफ्तार होकर जेल जाएंगी. इसमें संदेह नहीं है.

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क्या बिटकॉइन एक घोटाला है? जानिए बिटकॉइन ट्रेडिंग बॉट के बारे में पूरी सच्चाई

बिटकॉइन धन घोटाला

ट्रेडिंग क्रिप्टोकरेंसी b हैig व्यापार। और जहां पैसा है, आप हमेशा घोटाले करने वाले कलाकारों को ढूंढने की उम्मीद कर सकते हैं और अनिश्चित निवेशकों पर ध्यान केंद्रित करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

नवीनतम क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग घोटाला बिटकॉइन धन है। यह एक स्वचालित द्विआधारी विकल्प ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर के रूप में विपणन किया जा रहा है जो आपको प्रति दिन हजारों मुनाफे में लाएगा।

सितंबर के अंत में इसकी शुरुआत के बाद से, इसमें कोई संदेह नहीं है कि इसे बहुत अधिक ब्याज मिला है। लेकिन हर सावधान व्यापारी एक सवाल पूछ रहा है। क्या बिटकॉइन धन एक घोटाला है? यह बिटकॉइन धन घोटाला समीक्षा उन सभी विवरणों को उजागर करेगी जो इस प्रणाली को बनाते हैं जिन्हें आपको पूरी तरह से बचना चाहिए।

इसके "मुक्त" बहुत कम विकल्प व्यापारियों को पैसा बनाने के लिए एक मुक्त अवसर की अनदेखी कर सकते हैं। बिटकॉइन धन को सिस्टम में शामिल होने के लिए एक स्वतंत्र के रूप में विपणन किया जाता है।

हालांकि, यह एक कीमत पर आता है। आपसे अपेक्षा की जाएगी कि आप इस प्रणाली के साथ आने वाले लाभों का आनंद लेने के लिए अपने द्वारा प्रदत्त ब्रोकर के साथ कम से कम $ 250 जमा करें। और यह मुझे अगले लाल झंडे की ओर ले जाता है बिटकॉइन धन केवल अनियमित दलालों से लिंक करेगा।

इसका मतलब है कि आपका पैसा एक व्यवसाय के पास घोटाले के दलालों से बचना होगा जो गायब होने का फैसला कर सकता है और जिसके पास जवाब देने वाला कोई नहीं है। जब यह घोटाला आखिरकार उजागर हो जाता है और इसके तहत कोई भी जाता है, तो जिसने भी नकद निवेश किया है, वह इसे खो देगा।

दो दलालों इस सॉफ्टवेयर के साथ जुड़े हुए हैं ArgusFX और शुद्ध बाजार। सॉफ्टवेयर को एक विनियमित ब्रोकर खाते से जोड़ने की कोशिश करना बस विफल हो जाएगा।

किए गए घोटाले के दलालों से बचना दावे अवास्तविक हैं

प्रोमो वीडियो एक साहसिक दावा करता है कि आप ऑटोपायलट पर प्रति दिन न्यूनतम 0.3 बिटकॉइन कमा सकते हैं। वर्तमान बिटकॉइन मूल्य के आधार पर गणना, वह प्रति दिन कम से कम $ 1000 है।

यह दावा सॉफ्टवेयर की प्रोग्रामिंग पर आधारित है। इसके निर्माता के अनुसार, यह कृत्रिम बुद्धि एल्गोरिदम का उपयोग करता है जो एक व्यापार पर खोना लगभग असंभव बना देता है।

बिटकॉइन की समीक्षा

भले ही किसी भी विकल्प ट्रेडिंग बॉट को प्रोग्राम किया गया हो, ट्रेडों पर खोने की संभावना हमेशा रहती है।

आप यह नहीं देख सकते कि यह सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है

एक अनियमित ब्रोकर के साथ कई सौ डॉलर बाहर करने के बाद, घोटाले के दलालों से बचना आप ऑटोपायलट पर प्रति दिन हजारों डॉलर कमाने की उम्मीद कर सकते हैं। बिना यह जाने कि यह सॉफ्टवेयर कैसे करता है।

जब मैं इस तरह से पैसा कमाने का मन नहीं बनाऊंगा, मुझे विश्वास नहीं होता कि बिटकॉइन धन ऐप ऐसा करने का तरीका है। इसमें बहुत अधिक जोखिम शामिल है और यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि किसी भी ट्रेड में आईटीएम या ओटीएम समाप्त हो गया है या नहीं।

नकली मालिक और प्रशंसापत्र

घोटाले की समीक्षा बिटकॉइन धन काम करता है या नहीं

बिटकॉइन धन घोटाले को मैक्स कार्नी द्वारा जानबूझकर बनाया गया था। कुछ शोध करने के बाद, मैंने उसी व्यक्ति को क्रिप्टो वेल्थ नामक एक समान क्रिप्टोक्यूरेंसी स्कैम सिस्टम का निर्माता पाया। दोनों सिस्टम के रचनाकारों के समान नाम होने के अलावा, वे डिजाइन में काफी समान हैं।

सिस्टम के विपणन में वीडियो प्रशंसापत्र का उपयोग शामिल है। उनमें से कोई भी आश्वस्त नहीं है। वास्तव में, मुझे संदेह है कि ये भुगतान किए गए अभिनेता हैं जो स्क्रिप्ट को पढ़ रहे हैं, जिसका मतलब है कि इस घोटाले के बारे में एक गुलाबी तस्वीर चित्रित करना।

वह सब कुछ नहीं हैं। प्रोमो वीडियो में इस्तेमाल की गई कमाई का खुलासा यह बताता है कि सभी संदेश यह प्रदर्शित करने के लिए हैं कि ऐप क्या कर सकता है। आपको वास्तव में ट्रेडों को रखने या किसी उपयोगकर्ता को कुछ पैसे कमाने वाले सॉफ़्टवेयर की एक क्लिप नहीं मिलेगी।

अंतिम फैसले

इसमें कोई संदेह नहीं है कि बिटकॉइन धन एक घोटाला है। यह सिस्टम में शामिल होने के लिए एक मुफ्त के रूप में पैक किया जा रहा द्वारा व्यापारियों को अनसुना करने का लालच दिया गया है। एक बार जब आप अपने पैसे को उनके अनियमित दलालों में से किसी एक के साथ निवेश करते हैं, तो आपसे एक बॉट पर भरोसा करने की उम्मीद की जाएगी जिसका काम आप प्रत्येक दिन हजारों डॉलर बनाने के लिए नहीं समझ सकते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि व्यापार करने के लिए बहुत पैसा है cryptocurrencies। हालांकि, बिटकॉइन धन घोटाले के साथ अपना समय या पैसा लगाने के लिए इसके लायक नहीं है।

छत्तीसगढ़ में अडानी और कोयला दलालों को फायदा पहुंचाने के लिए जनता को महंगी बिजली क्यों सरकार ? CSEB में फिर बड़े घोटाले का टेंडर, अफसरों की अनोखी शर्ते चर्चा में, घटिया कोयला सप्लाई को लेकर अडानी की कम्पनी पर कार्यवाही और पेनाल्टी वसूली भी हो गई मैनेज.

रायपुर : छत्तीगढ़ में कोयले की कालिख से बिजली विभाग के अफसरों, माफिया कारोबारी और कुछ नेताओं की बल्ले – बल्ले है। भले ही बिजली के दाम में बढ़ोत्तरी का दावा कर छत्तीसगढ़ सरकार आम जनता पर आर्थिक बोझ डाल रही हो लेकिन सूर्यकान्त तिवारी को उपकृत करने के लिए उसने CSEB की ओर से अपनी नजरे फेर ली है। इस विभाग में कोयले की सप्लाई मोटी कीमतों पर सूर्यकान्त तिवारी एंड कम्पनी कर रही है।

टेंडर की शर्तो की धज्जियाँ उड़ा कर वो एक ओर रोजाना करोड़ो की कमाई कर रहा है। वही दूसरी ओर महंगी बिजली का हवाला देकर मुख्यमंत्री आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ाते नजर आ रहे है। ताजा मामला CSEB के इसी टेंडर का है। ऊंची कीमतों और भ्रष्टाचार के लिए इस टेंडर को दुबारा सूर्यकान्त को सौंपने के लिए CSEB हाथ पर थाल लिए खड़ी नजर आ रही है।

ऊर्जा विभाग की कमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हाथो में है। लिहाजा अब की बार महंगी बिजली से बचने के लिए लोग CSEB के मैनेज हो रहे इस टेंडर को पारदर्शी बनाने पर जोर दे रहे है। उनकी मांग है कि अब की बार CSEB को भारी भरकम भ्रष्टाचार से बचाओ सरकार। जरा गौर करे, CSEB में भ्रष्टाचार की शर्तों पर।

न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने खुलासा किया था कि कोयला दलाल सूर्यकान्त छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल में रोजाना करोड़ो का घोटाला कर रहा है। उसने अपनी सहयोगी जय अम्बे नामक कंपनी के साथ मिलकर कोयले के ट्रांसपोर्ट का ठेका भारी भरकम कीमतों पर हथिया लिया था। इस ठेके के जरिये रोजाना सरकारी तिजोरी पर हाथ साफ़ करने के लिए CSEB के कुछ चुनिंदा अफसर भी लूट पाट में शामिल हो घोटाले के दलालों से बचना घोटाले के दलालों से बचना गए थे।

इन अफसरों ने पहले तो सूर्यकान्त की कम्पनी को मात्र 6 माह की अवधि के लिए गैर क़ानूनी रूप से CSEB के पावर प्लांट में कोयले की सप्लाई के लिए ट्रांसपोर्ट ठेका दिया था। फिर कभी कोरोना और तो कभी अन्य कारणों का हवाला देकर उस ठेके को साल दर साल बढ़ाते रहे। यही नहीं घटिया कोल सप्लाई के लिए अडानी की कम्पनी को ब्लैक लिस्ट करने के मामले में भी अफसरों ने अपने फायदे के लिए हीला – हवाली की। सूत्रों के मुताबिक अडानी एंड कम्पनी और सूर्यकान्त गिरोह के जरिये सरकार से गठजोड़ के चलते छत्तीसगढ़ शासन की तिजोरी पर जहा चूना लग रहा है वही जनता महंगी बिजली खरीदने पर मजबूर है।

जानकारों के मुताबिक कोल ट्रांसपोटिंग का यह ठेका बाजार भाव से लगभग तीन गुनी अधिक दरो पर दिया गया था। इस ठेके के जरिये सूर्यकान्त एंड कम्पनी हर माह 25 से 30 करोड़ रूपए अकेले CSEB से मुनाफा कमा रही थी। उसका भ्रष्टाचार यही नहीं थमा। उसने खदान से निकलने वाले कोयले में मिलावट कर घटिया कोयला CSEB को सप्लाई करना शुरू कर दिया। नतीजतन सरकारी बिजली घर में कोयले की खपत बढ़ गयी। जबकि विद्युत उत्त्पादन घट गया। इसके चलते CSEB को रोजाना करोडो का नुकसान उठाना पड़ा।

सूत्र बताते है कि सूर्यकान्त एंड कम्पनी ने अपने ठेको में लूटपाट और चोरी के जरिये एक हजार करोड़ से ज्यादा का चूना CSEB को लगाया है। इसके चलते प्रदेश में प्रति यूनिट बिजली के दाम बढ़ा दिए गए। जबकि सूर्यकान्त को दिए गए गैर क़ानूनी ठेके से रोजाना करोड़ो घोटाले के दलालों से बचना के नुकसान को रोकने के कोई प्रबंध नहीं किये गए।

जानकारों के मुताबिक सूर्यकान्त को फायदा पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार ने उसकी ओर से नजरे ही फेर ली है। CSEB ने घटिया कोयले की वजह से उत्पादन घटने के कारणों का हवाला देते हुए पहले तो MDO अडानी कम्पनी पर लगभग 50 करोड़ की पेनाल्टी ठोकी। लेकिन चंद महीनो बाद कुछ अफसरों ने पेनाल्टी की वसूली और कोयले से जुडी जाँच रिपोर्ट की फाइल ही दफ्तर से नदारत कर दी। बताया जाता है कि इस मामले में चीफ़ इंजिनियर की कार्यप्रणाली संदिग्ध है। उनपर सूर्यकान्त के साथ मिलकर कोयले की दलाली के आरोप लग रहे है।

बताया जाता है कि सूर्यकान्त को दिए गए अनधिकृत ठेके और घटिया कोयले की सप्लाई में चीफ इंजिनियर की महत्वपूर्ण भूमिका है। कांग्रेस के एक बड़े नेता से करीबी संबंधो के चलते इस अफसर पर वैधानिक कार्यवाही करने के बजाय सरकार की ओर से उसे मिल रहा सरंक्षण सुर्खियों में है। जानकारों के मुताबिक इस अफसर ने एक बार फिर CSEB को चूना लगाकर सूर्यकान्त एंड कम्पनी को फायदा पहुंचाने के लिए नए सिरे से कोयले के ट्रांसपोर्ट का टेंडर जारी किया है। इस टेंडर में कोयला माफियाओं को फायदा पहुंचाने के लिए एक खास शर्त जोड़ दी गई है। टेंडर फार्म की कंडिका 2 और 3 में टेंडर मैनेज किये जाने की बू आ रही है।

सूत्रों के मुताबिक इन शर्तो को खास तौर पर इसलिए लागू कराया गया है, ताकि सिर्फ सूर्यकान्त से जुडी कम्पनी को ही एक बार फिर लूटपाट का ठेका हासिल हो सके। जरा गौर से देखिये इस शर्त को। प्रतियोगी कम्पनी को टेंडर प्रक्रिया से बाहर का रास्ता दिखाने के लिए टेंडर में ” कोल परिवाहन” शब्द का इस्तेमाल किया गया है। इसमें दुरी का भी उल्लेख है, यही नहीं बड़ी चालाकी से अफसरों ने टेंडर की इस शर्त को शामिल किया है ताकि सूर्यकान्त से जुडी कम्पनी के आलावा इस इलाके में अन्य कोई प्रतियोगी कम्पनी योग्यता के पैमाने में ही खरा ना उतर पाए।

बताया जाता है कि न्यूज़ टुडे पर सूर्यकान्त के भ्रष्टाचारों की फेहरिस्त का खुलासा किये जाने के बाद CSEB के अफसरों को अपनी पोल खुलती नजर आने लगी। लिहाजा सालो बाद उन्होंने टेंडर प्रक्रिया शुरू की। घोटाले के दलालों से बचना लेकिन इस बार भी सूर्यकान्त को दोबारा ठेका सौंपने के लिए गैर क़ानूनी तरीको से शर्तो का पेंच फंसाया। चीफ इंजिनियर और उनकी टोली ने रातो रात नए ठेकों की विवादित शर्तेों को हरी झंडी देकर घोटाले के दलालों से बचना नया टेंडर जारी कर दिया। अब इस टेंडर को लेकर भी विवाद गहराते नजर आ रहा है।

हरियाणा में वीवीआईपी घोटाला, अफसरों की आईडी से किए गाड़ियों के नंबर अलॉट

पानीपत । हरियाणा के पानीपत जिले से घोटाले का एक अजीबो-गरीब मामला देखने को मिला है. यहां जालसाजों ने पानीपत और समालखा के एसडीएम की यूजर आईडी के इस्तेमाल के जरिए वीवीआईपी नंबर जारी कर दिए. ये नंबर गाड़ियों को अलॉट किए गए हैं. आमतौर पर वीवीआईपी नंबर लेने के लिए बड़ी राशि खर्च करनी पड़ती है लेकिन भुगतान से बचने के लिए दलालों ने मिलीभगत करके अफसरों के कम्प्यूटर की यूजर आईडी का प्रयोग कर नंबर अलॉट करवा लिएं.

ghotala

नंबर 0003,0005,0006,0009 है. एसपी शशांक सावन की निगरानी में जब मामले की जांच की गई तो घोटाले का पर्दाफाश हुआ. हालांकि अभी तक उन सरकारी कर्मचारियों के नाम सामने नहीं आएं हैं जो इस मिलीभगत में शामिल हैं. जाहिर है जांच को आगे बढ़ाया गया तो कर्मचारी सस्पेंड हो सकतें हैं.

प्राप्त जानकारी के अनुसार पानीपत और समालखा एसडीएम की यूजर आईडी से सात वीवीआईपी नंबर जारी कर दिए घोटाले के दलालों से बचना गए हैं. आमतौर पर एक नंबर की कीमत 50 हजार रुपए से डेढ़-दो लाख तक होती है. ये वीवीआईपी नंबर जारी करने का अधिकार सिर्फ ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को होता है.

धोखाधड़ी का केस दर्ज

थाना शहर पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करते हुए जांच शुरू कर दी है. जो कर्मचारी इस घोटाले में शामिल पाया जाता है ,उसका नाम इस मामले में जोड़ा जाएगा. इस पूरे प्रकरण के बाद पानीपत और समालखा एसडीएम के कार्यालयों में तैनात कर्मचारियों में दहशत का माहौल बना हुआ है. लेकिन अब बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या दलाल इतने एक्टिवेट हो गए हैं कि एसडीएम की यूजर आईडी तक इस्तेमाल करने लगे हैं.

एनआईसी ने की जांच

एनआईसी की जांच में सामने आया है कि एक यूजर आईडी पानीपत एसडीएम और दूसरी समालखा एसडीएम के नाम है. जाहिर सी बात है इतने बड़े स्तर पर घोटाले को अंजाम बिना सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत के नहीं दिया जा सकता है.

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