सामूहिक निवेश क्या है

ठगी के खिलाफ
जनसत्ता 24 सितंबर, 2014: अपने ढाई दशक के इतिहास में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानी सेबी को कई तरह की वित्तीय अनियमितताओं से जूझना पड़ा है और इन अनुभवों के कारण उसके अधिकार बढ़ाए गए हैं। अब एक बार फिर इस नियामक संस्था की ताकत में इजाफा किया गया है ताकि लाखों छोटे निवेशकों […]
जनसत्ता 24 सितंबर, 2014: अपने ढाई दशक के इतिहास में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानी सेबी को कई तरह की वित्तीय अनियमितताओं से जूझना पड़ा है और इन अनुभवों के कारण उसके अधिकार बढ़ाए गए हैं। अब एक बार फिर इस नियामक संस्था की ताकत में इजाफा किया गया है ताकि लाखों छोटे निवेशकों को धोखाधड़ी से बचाया जा सके। इस मकसद से लाए गए विधेयक को संसद की मंजूरी मिल गई है। सेबी को नए अधिकार देने का कानूनी उपाय और पहले हो जाना चाहिए था। अब देर से ही सही, एक जरूरी कदम उठाया गया है। संशोधित कानून के जरिए सामूहिक निवेश वाली विभिन्न स्कीमों को सेबी के नियमन के दायरे में लाया गया है। सेबी को संदिग्ध निकाय या कंपनी से देश और देश के बाहर सूचना मांगने और तलाशी लेने की शक्ति दी गई है। उसे जांच के सिलसिले में कॉल डाटा रिकार्ड मंगाने का अधिकार दिया गया है। अलबत्ता फोन टैप करने का अधिकार उसे नहीं होगा, यह केवल टेलीग्राफ कानून के प्रावधानों के मुताबिक ही हो सकता है। सेबी कोई भी तलाशी मुंबई स्थित निर्धारित अदालत से मंजूरी के बाद ही कर सकेगा।
इस विधेयक पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान कई सदस्यों ने सवाल उठाया कि केवल मुंबई में निर्धारित अदालत रखे जाने का क्या औचित्य है। इस पर वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि देश के अनेक हिस्सों में एक साथ छापा मारने की जरूरत महसूस होने पर सेबी को सभी संबद्ध जगहों की अदालतों से मंजूरी लेनी होती है और यह व्यावहारिक नहीं होता। यह भी अंदेशा रहता कि इस बीच सबूत कहीं नष्ट न कर दिए जाएं। लेकिन इसकी थोड़ी-बहुत आशंका अब भी रहेगी। इसे सामूहिक निवेश क्या है निर्मूल करने की खातिरकेवल संपत्ति की जब्ती के लिए अदालत की मंजूरी अनिवार्य करने का प्रावधान किया जा सकता था।
संशोधित कानून ऐसे समय बना है जब निवेशकों को ठगे जाने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। इनमें शारदा ग्रुप और सहारा के मामले सर्वाधिक चर्चित रहे हैं। पश्चिम बंगाल के कई राजनीतिकों परभी शारदा ग्रुप को संरक्षण देने के आरोप लगे। तमाम सामूहिक निवेश योजनाओं में ऊंची लाभ दर का प्रलोभन दिया जाता है। यह वास्तविकता से परे होता है, पर भोलेभाले लोग अक्सर इसके झांसे में आ जाते हैं। कई कंपनियां मामूली पैसा जमा कराने के लिए दूरदराज के इलाकों तक में निवेशकर्ता के दरवाजे पहुंच जाती हैं। ऐसी अतिरंजित सुविधा कारोबार के लिहाज से संगत कैसे हो सकती है जिसमें लागत का हमेशा खयाल रखा जाता है। पर जिनकी मंशा लोगों की बचत हड़प कर जाने की हो, वे एजेंटों को आकर्षक कमीशन से लेकर निवेशकों को ज्यादा से ज्यादा मुनाफे का सब्जबाग दिखाने से बाज नहीं आते। सेबी को और सशक्त बनाने की पहल यूपीए सरकार के समय ही हो गई थी। उसने पिछले साल जुलाई में अध्यादेश लाकर सेबी को कपटपूर्ण निवेश योजनाओं से निपटने का अधिकार दिया था। लेकिन तब विधेयक पारित नहीं हो सका। अब संशोधन विधेयक ने उसी कमी को पूरा किया है। पहचान छिपा कर शेयर बाजार में निवेश करने के खतरों को लेकर कई बार सवाल उठाए गए हैं। पर अभी तक इसे नजरअंदाज किया जाता रहा है। जाहिर है, सेबी को और सशक्त करने की जरूरत इस विधेयक के बाद भी बनी हुई है।
अनिल धीमान, नंदनगरी, दिल्ली
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एनआरएलएम गरीबों को सस्ती लागत प्रभावी विश्वसनीय वित्तीय सेवाओं के लिए सार्वभौमिक पहुँच की सुविधा। इन वित्तीय सेवाओं पर वित्तीय साक्षरता, बैंक खाते, बचत, ऋण, बीमा, प्रेषण, पेंशन और परामर्श में शामिल हैं। एनआरएलएम वित्तीय समावेशन और निवेश की रणनीति की कोर बैंकिंग प्रणाली के “गरीब पसंदीदा ग्राहकों को बनाने और बैंक ऋण जुटाने है
गरीब के संस्थानों पूंजी में परिरात करना
एनआरएलएम उनके संस्थागत और वित्तीय प्रबंधन क्षमता को मजबूत बनाने सामूहिक निवेश क्या है और मुख्यधारा के बैंक वित्त आकर्षित करने के लिए उनके ट्रैक रिकॉर्ड के निर्माण के लिए, गरीबों की संस्थाओं को शाश्वत फंड और संसाधन के रूप में समुदाय निवेश फंड (सीआईएफ) परिक्रामी प्रदान करता है।
- एनआरएलएम के सदस्यों को 'क्रेडिट पूरा करने के लिए कोष के रूप में Rs.10,000-15,000 के स्वयं सहायता समूहों को रिवाल्विंग फण्ड (आरएफ) प्रदान करता है दोहराने बैंक वित्त लाभ के लिए सीधे और के रूप में उत्प्रेरक पूंजी की जरूरत है। आरएफ अभ्यास 'Panchasutra' कर दिया गया है कि स्वयं सहायता समूहों को दिया जाता है (; नियमित बचत, नियमित रूप से अंतर-उधार लिया हुआ धन, समय पर भुगतान, नियमित रूप से बैठकों और खातों की अप-टू-डेट किताबें)।
- एनआरएलएम एसएचजी / ग्राम संगठनों के माध्यम से सदस्यों की ऋण जरूरतों को पूरा करने और विभिन्न स्तरों पर सामूहिक गतिविधियों की कार्यशील पूंजी जरूरतों को पूरा करने के लिए क्लस्टर स्तर पर एसएचजी फेडरेशन को बीज पूंजी के रूप में समुदाय निवेश कोष प्रदान करता है।
- स्वयं सहायता समूह फेडरेशन के लिए जोखिम न्यूनीकरण फंड (VRF) प्रदान करता है।
ऋण के लिए उपयोग
यही नहीं, स्वयं सहायता समूहों माइक्रो निवेश योजना के माध्यम से जाने के लिए अगले पांच years.For अधिक दोहराने खुराकों में हर घर के लिए सुलभ (- एनआरएलएम गरीब के संस्थानों में निवेश कम से कम 1,00,000 / के बैंक ऋण का लाभ उठाने होगा कि उम्मीद एमआईपी) समय-समय पर प्रक्रिया। एमआईपी घरेलू और एसएचजी स्तरों पर योजना और मूल्यांकन की एक भागीदारी की प्रक्रिया है। सदस्यों / स्वयं सहायता समूहों के लिए धन के प्रवाह एमआईपी के खिलाफ है। सभी पात्र स्वयं सहायता समूहों को मुख्यधारा वित्तीय संस्थाओं से प्रतिवर्ष 7% पर ऋण प्राप्त करने के लिए एनआरएलएम ब्याज दर में छूट प्रदान की है। इसके अलावा, अतिरिक्त 3% ब्याज दर में छूट केवल सबसे पिछड़े 250 जिलों में स्वयं सहायता समूहों द्वारा शीघ्र भुगतान पर उपलब्ध है।
एसएचजी क्रेडिट लिंकेज
मिशन समुदाय संस्थानों को केवल उत्प्रेरक पूंजी सहायता प्रदान करता है, यह बैंकों के ग्रामीण गरीब परिवारों के लिए ऋण की जरूरत के पूरे सरगम पूरा करने के लिए आवश्यक धन का बड़ा हिस्सा है कि उपलब्ध कराने की उम्मीद है। मिशन इसलिए एसएचजी बैंक ऋण की महत्वपूर्ण राशि का लाभ उठाने कि उम्मीद है।
- मिशन की अवधि पांच साल से अधिक है, प्रत्येक एसएचजी रुपये का संचयी बैंक ऋण का लाभ उठाने में सक्षम होगा रखती है। 10,00,000 / - दोहराने खुराकों में, औसतन प्रत्येक सदस्य घरेलू रुपये का संचयी राशि ऐसे तक पहुँचता है। 100,000 / -।
- बैंक लिंकेज की सुविधा के लिए आदेश में, राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति(एसएलबीसी) एसएचजी बैंक लिंकेज और एनआरएलएम गतिविधियों में वित्तीय समावेशन के लिए विशेष उप समितियों का गठन होगा। इसी प्रकार, जिला स्तरीय समन्वय समितियों तथा प्रखंड स्तर समन्वय समितियों एसएचजी-बैंक लिंकेज और एनआरएलएम की समीक्षा करेंगे।
- मिशन इकाइयों को भी इस तरह के बैंक मित्रा / सखी, के रूप में क्षेत्र स्तर ग्राहक संबंध प्रबंधकों की सेवाओं का उपयोग करने की उम्मीद कर रहे हैं।
- इसके अलावा, उम्मीद कर रहे हैं गरीब के संस्थानों (बैंक लिंकेज और ऋणों की वसूली पर उप-समितियां) समुदाय आधारित वसूली तंत्र का गठन करने के लिए निर्देशित किया जाएगा।
एनआरएलएम सीधे या विभिन्न संस्थागत तंत्र और प्रौद्योगिकी का उपयोग कर मुख्यधारा वित्तीय संस्थानों के साथ साझेदारी में गरीबों की संस्थाओं के माध्यम से बचत, ऋण, बीमा (जीवन, स्वास्थ्य और संपत्ति) और प्रेषण के उत्पादों के पोर्टफोलियो बढ़ाने की दिशा में काम करता है।
6 करोड़ नौकरीपेशा लोगों के लिए बड़ी खबर, PF अकाउंट में आ सकता है ज्यादा पैसा
Employees Provident Fund Organization-EPFO: नौकरीपेशा लोगों के प्रॉविडेंट फंड (Provident Fund-PF) से जुड़ी नई अपडेट सामने आ रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कर्मचारी भविष्य निधि संगठन जल्द ही इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्ट्स (InvITs) में अपनी जमा का एक हिस्सा निवेश के तौर पर शुरू कर सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देश में इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के लिए निवेश को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती है. इसके अलावा EPFO की ओर से किए जाने वाले निवेश के दायरे में भी बढ़ोतरी हो सकती है. बता दें कि मौजूदा समय में EPFO गवर्नमेंट सिक्योरिटीज, बॉन्ड्स और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) में निवेश करता है.
InvITs क्या है
गौरतलब है कि इनविट (InvITs) एक सामूहिक निवेश स्कीम है जो कि म्यूचुअल फंड की तरह होती है. किसी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में व्यक्तिगत संस्थागत निवेशक के द्वारा सीधा निवेश किया जा सकता है. साथ ही उस प्रोजेक्ट से मिलने वाली आय से रिटर्न के तौर पर कमाई की जा सकती है. InvITs के जरिए कंपनियों के इंफ्रास्ट्रक्चर एसेट्स या प्रोजेक्ट्स को एक जगह पर रखते हैं. इसके जरिए निवेशक को लगातार नियमित इनकम मिलती रहती है. दरअसल, यह एक अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड (AIF) है जो कि म्यूचुअल फंड की तरह काम करता है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मार्केट रेग्युलेटर सेबी (SEBI) InvITs को रेग्यूलेट करती है. मीडिया सामूहिक निवेश क्या है रिपोर्ट्स के मुताबिक InvITs के तहत वितरण किए जाने वाले नेट कैश फ्लो का 90 फीसदी यूनिट इन्वेस्टर्स को दिया जाना अनिवार्य है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अंडर कंस्ट्रक्शन एसेट्स में निवेश की सीमा को तय किया गया है. इसके अलावा संपत्तियों के मॉनेटाइजशन के लिए InvITs एक अच्छा जरिया माना जाता है.
'स्वास्थ्य में निवेश करना अकलमंदी का काम'
डब्ल्यूएचओ प्रमुख के बयान के हवाले से कहा, "महामारी ने एक बार फिर मजबूत तरीके से यह साबित कर दिया कि स्वास्थ्य में निवेश करना सिर्फ उचित ही नहीं बल्कि एक अकलमंदी का कार्य है। स्वास्थ्य, हमारे सामूहिक भविष्य में एक निवेश है।"
जिनेवा । विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख ट्रेडोस एडहनॉम गिब्रयेसॉस ने सभी लोगों के लिए मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली और स्वास्थ्य में निवेश के महत्व पर प्रकाश डाला। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने जिनेवा में शुक्रवार को हुई एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में डब्ल्यूएचओ प्रमुख के बयान के हवाले से कहा, "महामारी ने एक बार फिर मजबूत तरीके से यह साबित कर दिया कि स्वास्थ्य में निवेश करना सिर्फ उचित ही नहीं बल्कि एक अकलमंदी का कार्य है। स्वास्थ्य, हमारे सामूहिक भविष्य में एक निवेश है।"
गिब्रयेसॉस ने जोर देकर कहा कि सभी के लिए गुणवत्ता वाला स्वास्थ्य सिर्फ जीवन की रक्षा नहीं करता, बल्कि इसका मतलब है कि बच्चे स्वस्थ हैं और स्कूल जा सकते हैं, लोग जीवन यापन करने के लिए काम पर जा सकते हैं और समाज व अर्थव्यवस्था दोनों अधिक मजबूत एवं टिकाऊ हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख ने आगे कहा, "दुनिया भर में पिछले कुछ महीनों में हमने देखा है कि असरदार तरीके से वायरस के प्रसार को रोकने के लिए देश जीवन और आजीविका पर प्रभाव को कम करने वाली व्यापक रणनीति को लागू कर रहे हैं।" उन्होंने आगे कहा, "कोविड-19 संक्रमण से निपटने के लिए अपनाए जा रहे उपायों का सबसे प्रभावी उपयोग हो और मजबूत हेल्थ सिस्टम बने, मैं यह सुनिश्चित करने के लिए दुनिया भर के नेताओं के साथ काम करने को लेकर उत्सुक हूं।"
PACL के 12 लाख निवेशकों को वापस मिला पैसा, 429 करोड़ रुपए से अधिक का हुआ भुगतान
सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के इस दौर में कंपनियों को 2019- 20 वित्त वर्ष की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) करने के लिए 31 दिसंबर 2020 तक का समय दे दिया।
Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: September 09, 2020 9:27 IST
Photo:ZEE BUSINESS
Over 12 lakh PACL investors get their money back: Sebi
नई दिल्ली। बाजार विनियामक सेबी ने मंगलवार को कहा कि घोटालों में घिरी निवेश कंपनी पीएसीएल के 12 लाख निवेशकों को 429 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किया जा चुका है। इनमें ज्यादातर छोटे निवेशक हैं, जिनका कंपनी पर दस हजार रुपए तक का दावा था। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जांच में पाया है कि पीएसीएल लिमिटेड ने कृषि और अचल संपत्ति परियोजनाओं में निवेश के नाम पर निवेशकों से गैर-कानूनी सामूहिक निवेश योजनाओं के जरिये 60,000 करोड़ रुपए जुटाए थे।
पीएसीएल के निवेशकों के समूह ने सेबी प्रमुख से की मुलाकात, धन वापसी प्रक्रिया में तेजी लाने का किया आग्रह
Sebi ने पीएसीएल समूह की संपत्तियों के लिए जवाबी बोलियां मांगीं, 60000 करोड़ रुपए की वसूली का है ये मामला
PACL Case : निवेशकों की पैसों की वसूली के लिए पर्ल्स ग्रुप के लग्जरी वाहनों की नीलामी करेगा सेबी
कंपनी का यह गोरखधंधा 18 वर्ष तक चलता रहा था। सेबी ने एक बयान में कहा कि आज की तिथि तक 12,48,344 पात्र आवेदकों के दावों के निस्तारण के तहत कुल 429.13 करोड़ रुपए लौटाए गए हैं। इन आवेदकों के दावे अधिकतम दस हजार रुपए तक के थे। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आरएम लोढा की आध्यक्षता में बिठाई गई एक समिति ने निवेशकों के धन-वापसी के आवेदनों को चरणबद्ध तरीके से निपटने की प्रक्रिया शुरू की है।
कंपनियों को वार्षिक आम बैठक करने के लिए दिसंबर तक का समय
सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के इस दौर में कंपनियों को 2019- 20 वित्त वर्ष की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) करने के लिए 31 दिसंबर 2020 तक का समय दे दिया। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय की विज्ञप्ति के मुताबिक मंत्रालय ने इस सामूहिक निवेश क्या है बारे में कंपनी रजिस्ट्रार (आरओसी) को आदेश जारी करने को कहा है। आरओसी से कहा गया है कि वह इस संबंध में औपचारिक तौर पर आवेदन करने और फीस का भुगतान किए बिना ही एजीएम करने की समय सीमा विस्तार का आदेश जारी करे।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस संबंध में चाहे आवेदन पहले दिया जा चुका है और उसे मंजूरी नहीं मिली है अथवा खारिज किया गया है, ऐसे आवेदन भी राहत पाने के दायरे में होंगे। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय का काम कंपनी कानून के अमल पर ध्यान देना है। मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है, करीब 12 लाख कंपनियों को बड़ी राहत दी गई है। कंपनियों को उनकी वार्षिक आम बैठक आयोजित करने की समय सीमा को 30 सितंबर से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2020 कर दिया गया है। कंपनियों को यह राहत कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए दी गई है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि विभिन्न संघों और संगठनों ने कंपनियों के लिए एजीएम करने की समयसीमा बढ़ाने की मांग की थी।