एक विदेशी मुद्रा ब्रोकर चुनना

ऑप्शन का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव

ऑप्शन का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव

Trade setup for today : बाजार खुलने के पहले इन आंकड़ों पर डालें एक नजर, मुनाफे वाले सौदे पकड़ने में होगी आसानी

निफ्टी के लिए पहला सपोर्ट 17622और उसके बाद दूसरा सपोर्ट 17547 पर स्थित है। अगर इंडेक्स ऊपर की तरफ रुख करता है तो 17749 फिर 17800 पर इसको रजिस्टेंस का सामना करना पड़ सकता है

12 अगस्त को भारतीय बाजारों में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 3,040.46 करोड़ रुपए की खरीदारी की। वहीं, इस दिन घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 839.45 करोड़ रुपए की बिकवाली की

12 अगस्त को बाजार में नया चार महीने का हाई देखने को मिला। पिछले कारोबारी दिन यानी 12 अगस्त को बाजार 17700 के करीब बंद हुआ था। इस दिन बाजार को मेटल, तेल-गैस, चुनिंदा बैंकिंग और फाइनेंशियल शेयरों से अच्छा सपोर्ट मिला था। सेंसेक्स 130 अंकों की बढ़त के साथ 59463 के स्तर पर बंद हुआ था। वहीं, निफ्टी 39 अंकों की तेजी के साथ 17698 के स्तर पर बंद हुआ था। निफ्टी ने डेली चार्ट पर एक छोटे आकार का बुलिश कैंडल बनाया था। पिछले पूरे हफ्ते के बाजार की चाल पर बात करें तो निफ्टी में 1.7 फीसदी की बढ़त देखने को मिली थी। निफ्टी ने लगातार चौथे हफ्ते हायर हाई और हायर लो फार्मेशन के साथ बुलिश कैंडलिस्टिक पैटर्न बनाया था।

Chartviewindia के मजहर मोहम्मद का कहना है कि निफ्टी शुक्रवार को 17720 के हाई पर पहुंचता दिखा। ऐसा लगता है कि निफ्टी ओवरबॉट जोन के साथ ही अपने अहम रजिस्टेंस लेवल पर पहुंच गया है। ऐसे में किसी नए ब्रेक आउट के लिए निफ्टी को 17800 के ऊपर बंद होना होगा। अगर ऐसा होता है तो फिर निफ्टी हमें 18114 के स्तर तक जाता दिख सकता है। वहीं, अगर निफ्टी पिछले कारोबारी दिन के लो 17597 के नीचे फिसलता है तो फिर इसमें हमें और कमजोरी देखने को मिल सकता है और निफ्टी हमें नीचे की तरफ 17359 के पहले लक्ष्य और उसके के भी नीचे जा सकता है।

ऐसे में ट्रेडर्स को तब तक फ्रेश लॉन्ग नहीं लेना चाहिए जब तक निफ्टी 17800 के ऊपर की क्लोजिंग नहीं देता। वहीं, अगर निफ्टी 17550 के नीचे जाता है तो फिर इसमें इंट्राडे में बिकावली के सौदे लिए जा सकते हैं।

फ्यूचर मार्केट में ओपन इंटरेस्ट की भूमिका क्या है?

जब हम ट्रेडिंग के लिए एक निश्चित स्टॉक को देखते हैं, तो निवेश करने से पहले हम कुछ पैरामीटर देखते हैं जैसे कि टेक्निकल पैरामीटर, फंडामेंटल पैरामीटर, फ्यूचर मार्केट और ऑप्शन पैरामीटर। सबसे महत्वपूर्ण फ्यूचर पैरामीटर्स में से एक है ओपन इंटरेस्ट की भूमिका।

जब हम फ्यूचर मार्केट के संदर्भ में ‘ओपन इंटरेस्ट’ के बारे में बात करते हैं, तो यह मूल रूप से फ्यूचर सेगमेंट में खुले अनुबंधों की कुल संख्या है। इस लेख में, हम फ्यूचर मार्केट में ओपन इंटरेस्ट की भूमिका के बारे में चर्चा करेंगे।

Table of Contents
Future Market में ओपन इंटरेस्ट क्या है?
RFuture Market में ओपन इंटरेस्ट की भूमिका
स्टॉकएज का उपयोग करके ओपन इंटरेस्ट का विश्लेषण करें
मूल्य बातें

फ्यूचर मार्केट में ओपन इंटरेस्ट क्या है?

फ्यूचर मार्केट में, एक खरीदार और विक्रेता होता है और एक साथ वे एक कॉन्ट्रैक्ट बनाते हैं। ओपन इंटरेस्ट को बाजार में ओपन कॉन्ट्रैक्ट्स की संख्या से परिभाषित किया गया है। बाजार के दौरान या दिन के अंत में,ओपन इंटरेस्ट में परिवर्तन दर्ज किए जाते हैं चाहे वो प्रत्येक शेयर के कॉन्ट्रैक्ट्स की संख्या में वृद्धि या कमी ही क्यों न हो।

यह सकारात्मक या नकारात्मक परिवर्तन द्वारा दिखाया जाता है। हम एनएसई की वेबसाइट पर ट्रेडिंग सेशन के अंत में ओपन इंटरेस्ट डेटा देख सकते हैं।

Future Market Chart

यह स्क्रीन हमें 9 जुलाई 2018 तक ओपन इंटरेस्ट में बदलाव के बारे में बताती है। हम देख सकते हैं कि स्टॉक आरोही(असेंडिंग) क्रम में सूचीबद्ध है जो की अधिक ओपन इंटरेस्ट में वृद्धि से ले कर सबसे कम ओपन इंटरेस्ट को दर्शाती है।

हम हेक्सावेयर टेक्नोलॉजीज, टीसीएस आदि जैसे शेयरों में अडिशनल उच्च ओपन इंटरेस्ट देख सकते हैं। जब एक विशेष स्टॉक की कीमत में वृद्धि के साथ ओपन इंटरेस्ट बढ़ता है तो यह कहा जाता है कि ओपन इंटरेस्ट अपट्रेंड की पुष्टि कर रहा है। इसी तरह जब उस विशेष स्टॉक की कीमत में कमी के साथ ओपन इंटरेस्ट बढ़ता है तो यह कहा जाता है कि यह डाउनट्रेंड की पुष्टि कर रहा है।

फ्यूचर मार्केट में ओपन इंटरेस्ट की भूमिका

फ्यूचर मार्किट में ओपन इंटरेस्ट की मुख्य भूमिका यह निर्धारित करना है कि बाजार कमजोर हो रहा है या मजबूत। आइए हम इसपर चर्चा करते हैं: –

यहां हम देख सकते हैं कि यदि ओपन इंटरेस्ट में वृद्धि के साथ मूल्य बढ़ता है तो यह एक बुलिश सिग्नल है क्योंकि अधिक खरीदार बाजार में प्रवेश कर रहे हैं और खरीदारी आक्रामक तरीके से की जा रही है।

फ्यूचर मार्केट की भूमिका

ओपन इंटरेस्ट में कमी के साथ मूल्य में वृद्धि एक बेयरिश सिग्नल के रूप में ली जा सकती है। यह स्थिति बाजार में होती है क्योंकि बाजार में एक शार्ट कवरिंग होता है। यह स्थिति तब पैदा होती है जब बाजार से पैसा बाहर जा रहा होता है।

शॉर्ट कवरिंग के बाद आखिरकार कीमतों में गिरावट आएगी। यदि ओपन इंटरेस्ट में वृद्धि के साथ कीमतें घटती हैं तो यह इंगित करता है कि नए छोटे पोसिशन्स बन रहे हैं। मूल्य और ओपन इंटरेस्ट दोनों में गिरावट बेयरिश का संकेत देती है।

एक उदाहरण लेते हैं:

एनएसई की वेबसाइट पर, हमने देखा है कि 6 जुलाई 2018 को 37,794 कॉन्ट्रैक्ट्स की तुलना में 9 जुलाई 2018 तक टीसीएस में ओपन इंटरेस्ट बढ़कर 49,181 हो गया है। 30.13% के ओपन इंटरेस्ट के% परिवर्तन के साथ 11,387 कॉन्ट्रैक्ट में बढ़ोतरी हुई है। हम देख सकते हैं कि 6 जुलाई 2018 की तुलना में 9 जुलाई 2018 को इसकी मात्रा में वृद्धि हुई थी। इसे टीसीएस में एक बुलिश संकेत के रूप में लिया जा सकता था।

Future market tcs chart

जैसा कि हम टीसीएस के दैनिक चार्ट में देख सकते हैं कि यह वॉल्यूम, ओपन इंटरेस्ट और कीमत में वृद्धि के साथ पहले से ही अपट्रेंड में है और हम यह व्याख्या कर सकते हैं कि टीसीएस बुलिश बना रह सकता है। बीच में कुछ करेक्शंस हुए लेकिन टीसीएस अभी भी बुलिश है और ओपन इंटरेस्ट भी इस बात की पुष्टि करती है।

स्टॉकएज का उपयोग करके ओपन इंटरेस्ट का विश्लेषण करें

हम स्टॉकएज का उपयोग करके यह ओपन इंटरेस्ट विश्लेषण भी कर सकते हैं। स्टॉकएज में फ्यूचर के स्कैन मौजूद हैं। इसमें ओपन इंटरेस्ट स्कैन, लॉन्ग पोजीशन स्कैन और शॉर्ट पोजीशन स्कैन जैसे स्कैन हैं। ओपन इंटरेस्ट स्कैन में, हम उन कंपनियों को देख सकते हैं जिनमें ओपन इंटरेस्ट में उच्च वृद्धि या कमी है। यह स्वचालित रूप से हमें उच्च या निम्न ओपन इंटरेस्ट वाली कंपनियों की सूची देता है।

हम देख सकते हैं कि टीसीएस ओपन इंटरेस्ट में वृद्धि की सूची में आया है। जब हम टीसीएस पर क्लिक करते हैं तो हम वर्तमान, निकट या भविष्य के महीने के ओपन इंटरेस्ट के साथ-साथ इन तीन महीनों के ओपन इंटरेस्ट को संचयी रूप में देख सकते हैं।

मूल्य बातें:

जैसा कि चर्चा किया गया है, ओपन इंटरेस्ट फ्यूचर मार्केट में ट्रेडर्स को यह समझने में मदद करता है कि बाजार कमजोर हो रहा है या मजबूत। फ्यूचर मार्केट में ओपन इंटरेस्ट की यह मुख्य भूमिका है।

हमें फ्यूचर मार्केट में सिर्फ ओपन इंटरेस्ट की संख्या का विश्लेषण करके नहीं फंसना चाहिए, बल्कि हमें कीमतों और वोलुमस के संबंध में इसका विश्लेषण करना चाहिए। यह सबसे आम गलती है जो व्यापारी ओपन इंटरेस्ट का विश्लेषण करते समय करते हैं।

Subscribe To Updates On Telegram Subscribe To Updates On Telegram Subscribe To Updates On Telegram

ओपन इंटरेस्ट एनालिसिस से मार्केट ट्रेंड की पहचान करने में कैसे मदद मिलती है?

গ্রোথ ইনভেস্টিংয়ের ৭ টি মূলমন্ত্র

Elearnmarkets

Elearnmarkets (ELM) is a complete financial market portal where the market experts have taken the onus to spread financial education. ELM constantly experiments with new education methodologies and technologies to make financial education effective, affordable and accessible to all. You can connect with us on Twitter @elearnmarkets.

derivatives meaning in hindi डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग 2022

derivatives meaning in hindi डेरिवेटिव्स शेयर मार्केट मैं उपलब्ध अलग अलग अंडरलेयिंग एसेट्स के मूल्य पर आधारित, एक निश्चित समय अवधि के लिए किये जाने वाले फाइनेंसियल इंस्ट्रूमेंट ट्रेडिंग कॉन्ट्रैक्ट्स है. दोस्तों जिसे आप फ्यूचर एंड ऑप्शन के नाम से जानते है वो एक डेरिवेटिव्स का ही प्रकार है.

डेरिवेटिव्स मैं अंडरलेयिंग एसेट्स किसी भी शेयर, या इंडेक्स जैसे की निफ्टी, बैंक निफ्टी आदि के प्राइस को दर्शाता है. फाइनेंसियल इंस्ट्रूमेंट का मतलब ट्रेडिंग किये जाने वाले अलग अलग वितीय साधनों है. derivatives meaning in hindi आर्टिकल मैं आप जानने वाले है की derivatives का आप कैसे ट्रेडिंग के लिए उपयोग कर सकते है.

दोस्तों डेरिवेटिव्स को आसान शब्दों मैं बताये तो किसी भी शेयर, या इंडेक्स जैसे की निफ्टी, बैंक निफ्टी के ऐसे कॉन्ट्रैक्ट जिनकी एक निश्चित समय अवधि होती है. मतलब की जब आप फ्यूचर एंड आप्शन मैं ट्रेडिंग करते है तो आपको एक निश्चित समय अवधि के लिए किसी शेयर, निफ्टी, बैंक निफ्टी के ऑप्शन को खरीदना होता है और निश्चित समय अवधि मैं उसे बेच देना होता है.फ्यूचर एंड ऑप्शन मतलब की डेरिवेटिव्स, मैं ट्रेडिंग की समय अवधि एक दिन से लेकर ज्यादा से ज्यादा ९० दिन की होती है.

आप फ्यूचर एंड ऑप्शन मैं जब कोई शेयर, या ऑप्शन खरीद करते है तो आप उसमे एक दिन से लेकर ९० दिन तक ट्रेडिंग पोजीशन बना सकते है. जैसे जैसे समय कम होता जाता है वैसे वैसे इन कॉन्ट्रैक्ट की uderleying एसेट्स के मूल्यों मैं बाजार के रुख के अनुसार तेजी या गिरावट देखने को मिलती है. darivatives ऑप्शन का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव ka hindi या darivatives hindi meaning व्युत्पन्न होता है.

डेरिवेटिव्स अलग अलग underleying एसेट्स के मूल्यों को दर्शाते है. जैसे जैसे underleying assets (शेयर, निफ्टी, बैंक निफ्टी) के मूल्यों मैं बदलाव होता है वैसे वैसे डेरिवेटिव्स के मूल्यों मैं बदलाव होता है. derivatives meaning in hindi आर्टिकल मैं अब मैं आपको डेरिवेटिव्स को एक examaple के साथ समजाता हु.

derivatives meaning in hindi with example

दोस्तों मैं आपको यंहा पर एक उदाहरण के साथ समजाता हु की डेरिवेटिव्स कैसे काम करते है. मान लीजिये की आपको लगता है की एस.बी.आई के शेयर मै शोर्ट टाइम मैं तेजी आ सकती है तो आप फ्यूचर के किसी मंथ मैं एस.बी.आई का शेयर ४०० रुपये मैं खरीदते है.

इसके बाद इस शेयर का भाव 450 हो गया और आप इसे बेच देना चाहते है तो आप 50 पॉइंट के मुनाफे के साथ कभी भी ट्रेडिंग कॉन्ट्रैक्ट को पूरा कर सकते है. लेकिन ये ट्रेडिंग कॉन्ट्रैक्ट आपको आपने तय की हुई समय अवधि में पूरा करना होता है.

इस ट्रेडिंग कॉन्ट्रैक्ट की समय अवधि मैं अगर इस शेयर के प्राइस मैं अगर गिरावट आ जाती है तब भी आपको इस कॉन्ट्रैक्ट को निश्चित समय अवधि में पूरा करना होगा. मतलब की आपको अपनी ट्रेडिंग पोजीशन कॉन्ट्रैक्ट की समय अवधि मैं क्लोज कर देनी होगी.

डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट की समय अवधि ज्यादा से ज्यादा ९० दिन मतलब की तिन महीने तक की होती है. अभी वर्त्तमान मैं आपको एक सप्ताह, दो सप्ताह, तिन सप्ताह, एक महीने, दो महीने और तिन महीने की समय अवधि के लिए डेरीवेटिव कॉन्ट्रैक्ट मिलते है. आप जिस भी कॉन्ट्रैक्ट पसंद करेंगे उसके हिसाब से आपको अपनी ट्रेडिंग पोजीशन क्लोज करनी होगी.

एक अगर आप एक सप्ताह की समय अवधि के लिए कोई ट्रेडिंग पोजीशन बनाते है तो आपको एक सप्ताह का समय दिया जाएगा. मतलब की आप किसी भी शेयर, ऑप्शन, इंडेक्स की पोजीशन एक सप्ताह के लिए रख सकते है.

उसी प्रकार आप दो सप्ताह, तिन सप्ताह, एक महीने, दो महीने,और तिन महीने की एक्सपायरी चुन सकते है. derivatives meaning in hindi आर्टिकल मैं अब मैं आपको डेरिवेटिव्स के बारे मैं और जानकारी देने वाला हु.

डेरिवेटिव्स की खासियत

दोस्तों derivatives meaning in hindi आर्टिकल मैं आपकी जानकारी के लिए बता दू की derivatives इंट्राडे ट्रेडिंग, स्विंग ट्रेडिंग और positional Trading से थोडा अलग है. डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग दुसरे ट्रेडिंग प्रकार से कैसे अलग है इनके बारे मैं अब मैं आपको जानकारी देता हु.

दोस्तों दुसरे ट्रेडिंग के प्रकार मैं आप किसी भी संख्या मैं शेयर की खरीदी कर सकते है. लेकिन डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग मैं शेयर, ऑप्शन या दूसरी अंडरलेयिंग एसेट्स की खरीदी करने के लिए आपको एक निश्चित संख्या मैं शेयर या ऑप्शन की खरीदी करनी पड़ती है जिसे लोट के नाम से जाना जाता है.

अगर आप डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग कर रहे है तो आपको पता ही होगा. लेकिन अगर आपको पता नहीं है तो आपको बता दू की अलग अलग शेयर के लोट की संख्या अलग अलग होती है. कंपनी के हिसाब से शेयर के लोटस की संख्या भिन्न भिन्न हो सकती है.

जब की निफ्टी फ्यूचर एंड निफ्टी ऑप्शन के लिए ये संख्या वर्तमान मैं ५० की और बैंक निफ्टी और बैंक निफ्टी ऑप्शन के लोटस की संख्या वर्तमान मैं २५ की है. मतलब की आपको कमसे कम एक लोट की खरीदी तो करनी ही पड़ती है. अब आपको derivatives definition in hindi के बारे मैं जानकारी मिल चुकी होगी.

डेरिवेटिव्स के फायदे- benefits of derivatives

derivatives definition in hindi आर्टिकल मैं आपकी जानकारी के लिए बता दू की दोस्तों डेरिवेटिव्स एक ऐसे फाइनेंसियल इंस्ट्रूमेंट है जिनके कई फायदे है जो की इस प्रकार है. derivatives के उपयोग से आप अपनी ट्रेडिंग पोजीशन को हेज कर सकते है.

ट्रेडिंग पोजीशन को हेज करने का मतलब है पोजीशन को सुरक्षित करना. फ्यूचर एंड ऑप्शन मतलब की डेरिवेटिव्स से आप अपनी पोजीशन को हेज कर सकते है.

ये पोजीशन आप कैसे हेज कर सकते है इसके बारे मैं मैंने अपने आर्टिकल option trading strategies in hindi आर्टिकल मैं डिटेल मैं समजाया है. अगर आपको कॉल और पुट के बारे मैं ज्यादा जानकारी नहीं है तो आप मेरा आर्टिकल कॉल और पुट क्या है भी पढ़ सकते है जिससे आपको इसके बारे मैं डिटेल मैं जानकारी मिल जायेगी.

डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग से आप बहुत कम धनराशी से भी बहुत बड़ी धनराशी प्राप्त कर सकते है. अगर आपको डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग के बारे मैं ज्यादा जानकारी है.

कम कीमत मैं आप किसी भी शेयर को फ्यूचर के लिए खरीद या बेच सकते है जिसके लिए आपको सिर्फ उस शेयर या इंडेक्स ऑप्शन का प्रीमियम देना होता है. इस प्रकार से आप कम कीमत मैं किसी भी शेयर या दुसरे अंडरलेयिंग (निफ्टी, बैंक निफ्टी) मैं आ रही तेजी या गिरावट का फायदा उठा सकते है. मतलब की आप डेरिवेटिव्स का उपयोग लीवरेज के लिए भी कर सकते है.

डेरिवेटिव्स के नुकशान

डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग बहुत ही जोखमी ट्रेडिंग होती है. अगर आपको डेरिवेटिव्स के सारे पहेलुओ के बार्रे मैं जानकारी है तब ही आपको डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग करनी चाहिए. अगर आपको डेरिवेटिव्स के बारे मैं ज्यादा जानकारी नहीं है तो आपको इसमें बहुत बड़े लोस का भी सामना करना पड़ सकता है.

डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग मैं एक निश्चित समय अवधि आपके पास होती है जिनके कारण आपको सही निर्णय लेना बहुत आवश्यक होता है. अगर आप सही समय पे सही निर्णय नहीं ले सके तो आपको बहुत बड़े लोस का सामना करना पड़ सकता है.

Derivatives trading करने के लिए आपको ऑप्शन ग्रीक्स, जैसे की डेल्टा, गामा, थीटा, वेगा आदि के ऑप्शन का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव बारे मैं भी जानकारी होनी चाहिए. ऑप्शन ग्रीक्स को समजने के लिए आप मेरा आर्टिकल option Greeks in hindi पढ़ सकते है.

निष्कर्ष:

derivatives meaning in hindi आर्टिकल मैं अब आपको जानकारी मिल चुकी होगी की derivatives ka hindi क्या है. what is derivatives और ये दुसरे ट्रेडिंग से कैसे अलग है इनके बारे मैं भी अब आप जान चुके है. अगर आपको derivatives meaning in hindi आर्टिकल के बारे मैं कोई प्रश्न है तो आप मुझे कमेंट करके पूछ सकते है. अब अगले आर्टिकल मैं मिलते है. धन्यवाद.

Margin Rule To Change From Today: आज से 100 फीसदी मार्जिन रूल लागू, जानिए- सेबी ने क्यों किया बदलाव?

Margin Rule To Change From Today: शेयर बाजार में इंट्रा डे ट्रेडिंग और फ्यूचर एंड ऑप्शन में ट्रेडिंग करने के लिए आज से 100 फीसदी मार्जिन रूल लागू हो गया है.

Published: September 1, 2021 9:54 AM IST

share market today

Margin Rule To Change From Today: सेबी ने 1 सितंबर यानी आज से पीक मार्जिन के नियमों में बदलाव कर दिया है. आज से ट्रेडिंग ऑप्शन का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव के लिए 100 फीसदी मार्जिन अपफ्रंट रखने की जरूरत होगी. पहले यह सिर्फ 75 फीसदी था. यानी शेयर खरीदने या बेचने के लिए 75 फीसदी अपफ्रंट मार्जिन की जरूरत थी. आज से इंट्राडे पोजीशन में भी 100 फीसदी मार्जिन की जरूरत होगी.

Also Read:

जानिए – 100 फीसदी मार्जिन रूल का ट्रेडर्स पर क्या होगा असर?

फ्यूचर एंड ऑप्शन (F&O) में ट्रेडिंग करने वालों को अब मार्जिन के तौर पर ज्यादा फंड रखना होगा. अब पीक मार्जिन के तौर पर 100 फीसदी मार्जिन अपफ्रंट रखना होगा. एक ही दिन में शेयर खरीदकर बेचने वाले यानी इंट्राडे करने वालों को भी 100 फीसदी मार्जिन की जरूरत होगी. पहले 75 फीसदी मार्जिन अपफ्रंट की जरूरत होती थी.

आसान शब्दों में कहें तो अगर कोई ट्रेडर 10 लाख रुपये का निफ्टी कॉन्ट्रैक्ट खरीदना चाहता है तो अब उसे बतौर 20 फीसदी मार्जिन 2 लाख रुपये रखना होगा. लेकिन पहले सिर्फ 1.50 लाख रुपये मार्जिन रखने की जरूरत होती थी.

जानिए- क्या है पीक मार्जिन?

पिछले साल तक कारोबारी सत्र के अंत में मार्जिन वसूला जाता था. उदाहरण के तौर पर अगर आपने कल एक करोड़ रुपये F&O में निवेश किया तो आज के मार्केट सत्र में भी अतिरिक्त 1 करोड़ रुपये का निवेश कर सकते थे. पुराने सिस्टम में एक करोड़ रुपये के अतिरिक्त निवेश पर अलग से कोई मार्जिन नहीं चुकाना पड़ता था. यानी कल के मार्केट सत्र से लेकर आज के मार्केट सत्र के बीच सिर्फ एक करोड़ रुपये के मार्जिन पर आप 2 करोड़ रुपये F&O में निवेश कर सकते थे. लेकिन नए नियम के मुताबिक, आपको अतिरिक्त एक करोड़ रुपये पर भी मार्जिन देना होगा.

सेबी ने पीक मार्जिन सिस्टम पिछले साल लागू किया था. इसे चार चरणों में लागू किया गया है. पहले चरण में अतिरिक्त एक करोड़ रुपये पर 25% मार्जिन वसूला गया. दूसरे चरण में 50 फीसदी, तीसरे चरण में 75 फीसदी और चौथा चरण 1 सितंबर से लागू हो गया. इसमें 100 फीसदी अपफ्रंट मार्जिन चुकाना होगा.

सेबी ने क्यों किया बदलाव?

बाजार के बदलते पहलुओं को देखते हुए सेबी ने ये रिस्क मैनेजमेंट फ्रेमवर्क बनाया है. इसे फ्रेमवर्क को बनाने के लिए सेबी ने रिस्क मैनेजमेंट रिव्यू कमिटी (RMRC) के साथ मशविरा किया था. हालांकि ब्रोकर्स संगठन ANMI इस बदलाव से खुश नहीं है और इसमें कई बदलाव की मांग कर रहे हैं.

ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें व्यापार की और अन्य ताजा-तरीन खबरें

How to analyse Open Interest For Trading | वॉल्यूम और ओपन इंटरेस्ट क्या होता है ?

OPEN INTEREST AND SHORT SELLING

Volume (वॉल्यूम) – जब भी स्टॉक मार्केट में स्टॉक ,ऑप्शन या फ्यूचर में ट्रेडिंग होती है , मतलब स्टॉक या ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट या फ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट को ख़रीदा और बेचा जाता है तब वॉल्यूम बनता है , जैसे जैसे ट्रेडिंग बढ़ता है वैसे वॉल्यूम भी बढ़ता जाता है | Volume कब बढ़ता है – जब buyer या Seller ट्रेडिंग करते है , तब तब वॉल्यूम बढ़ता , दिन भर जैसे ट्रेड होते रहेंगे वैसे वॉल्यूम बढ़ता रहेगा

Open interest (ओपन इंटरेस्ट) – ओपन इंटरेस्ट वॉल्यूम से अलग होता है ,कोई भी ट्रेड पूरा होने के लिए आपको options and futures contracts पहले खरदीना पड़ता है , और मुनाफा या घाटा होने पर आपको उसे बेचना पड़ता है, जब ख़रीद कर उसेही बेचते हो तो एक ट्रेड पूरा होता है |
लेकिन आपने options या futures contracts ख़रीदा है और आपने उसे अभी बेचा नहीं है मतलब आपका ट्रेड अभी ओपन है ,आपके जैसे बहोत लोग होंगे जिन्होंने अभी ख़रीदा है मगर उसे बेचा नहीं है , जितने लोगोने बस खरीदा है मतलब उनकी पोजीशन अभी ओपन है ,इसीको ही ओपन इंटरेस्ट (Open Interest ) कहते है |ओपन इंटरेस्ट” उन कॉन्ट्रेक्ट या ट्रेड की संख्या को दर्शाता है जो सक्रिय (active ) हैं |

ओपन इंटरेस्ट (Open Interest ) के बारेमे अधिक जानकारी

In Derivative Market Buyer of options aur futures contracts must have to Sell contracts till expiry and options aur futures contracts seller must have to buy contracts till expiry at the end of month on last day of expiry all open intersr will be Zero .

डेरीवेटिव मार्केट में ऑप्शन या फ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट खरीदने वालो को बेचना पड़ता है और बेचने वालो को खरीदना पड़ता है , महीने के आखरी गुरुवार सब कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायर हो जाते है और ओपन इंटरेस्ट शुन्य हो जाता है | और अगले महीने के कॉन्ट्रेक्ट में खरेदी और बिकवाली शुरू होती है | डेरीवेटिव मार्केट में वॉल्यूम से कही ज्यादा ओपन इंटरेस्ट का महत्व होता है |

How to calculate open interest in future and options contracts ?

मार्किट में जब treding hours में कॉन्ट्रैक्ट की खरेदी ,बिकवाली होती है , उसका असर ओपन इंटरेस्ट पर पड़ता है , और इसकी जानकारी हमें मार्केट बंद होने के बाद जो NSE से डाटा मिलता है उससे पता चलता है की ओपन इंटरेस्ट कहा ज्यादा और कहा काम हुवा है |

यह आपको मार्किट बंद होने के बाद कुछ घंटो के बाद अपडेट की जाती है उसे आप निचे दी गयी लिंक से रोज देख सकते है और अपना अनुमान लगा सकते है |

रेटिंग: 4.84
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 729
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *