एक विदेशी मुद्रा ब्रोकर चुनना

अधीर व्यापारियों के लिए

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पृष्ठ : दुखी भारत.pdf/८२

अधीर पाठक पूछेंगे कि शूद्रों के लिए क्या विधान है? रेवरेंड 'की' इसके उत्तर में लिखते हैं कि 'अधीर व्यापारियों के लिए ब्राह्मण की शिक्षा से शूद्रों को सदा दूर रखा जाता था। पर अधीर व्यापारियों के लिए शूद्रों ने अपने बच्चों के शिक्षा के लिए अपनी खास पद्धति का निर्माण कर लिया था। सर्वसाधारण की जिन आवश्यकताओं की पूर्ति ब्राह्मणों के स्कूलों की शिक्षा से नहीं हो सकती थी उनके लिए सर्वप्रिय शिक्षा-प्रणाली का जन्म हुआ [२] '। अपने में बहुत से दोषों के होते हुए भी वर्णाश्रम-धर्म कला-कौशल को उच्च कोटि का बनाये रखने में बड़ा सहायक हुआ था। 'एबे डुबोइस' ने भी इसकी प्रशंसा की थी। 'की' महाशय कहते हैं—'भारतवर्ष में सुन्दर कला और दस्तकारी की अधीर व्यापारियों के लिए ओर शताब्दियों से जन-प्रवृत्ति थी। और भविष्य में इनकी और भी उन्नति होने की आशा है।' प्रत्येक व्यापारी या दूकानदार के बालकों को घर पर ही शिक्षा मिलती थी। प्रायः वे अपने पिता के से ही कार्य करने के लिए शिक्षित किये जाते थे।' 'बालकों के हाथ में वास्तविक वस्तुएँ दी जाती थीं उन्हीं पर प्रयोग करते करते उन्हें अनुभव होता था और वे शिक्षित होते थे। उनकी शिक्षा में स्कूल अधीर व्यापारियों के लिए के कमरों की कृत्रिमता न थी।' अपना गुण अपने पुत्र को सौंपने में पिता को बड़ा आनन्द आता था। 'भारतीय संग्रहालय के नक्क़ाशी के पत्थरों में एक हौदा है जिस पर नाक्क़शी का काम करने के लिए दिल्ली के मुगल बादशाहों ने एक कुटुम्ब को उसकी तीन अधीर व्यापारियों के लिए पीढ़ियों तक नौकर रखा था।' कारीगरी के कई एक कामों के लिए बालकों को एक खास सीमा तक नियमित रूप से ड्राइङ्ग की शिक्षा दी जाती थी। 'भारतवर्ष में दस्तकारी की शिक्षा एक-मात्र व्यापारिक उद्देश से दी जाती थी। और इसलिए वह संकुचित रूप में भी थी।' 'बहुत से कामों में लिखने-पढ़ने के ज्ञान की सीधी आवश्यकता न पड़ती थी इसलिए उन कामों को

पृष्ठ : दुखी भारत.pdf/८२

अधीर पाठक पूछेंगे कि शूद्रों के लिए क्या विधान है? रेवरेंड 'की' इसके उत्तर में लिखते हैं कि 'ब्राह्मण की शिक्षा से शूद्रों को सदा दूर रखा जाता था। पर शूद्रों ने अपने बच्चों के शिक्षा के लिए अपनी खास पद्धति का निर्माण कर लिया था। सर्वसाधारण की जिन आवश्यकताओं की पूर्ति ब्राह्मणों के स्कूलों की शिक्षा से नहीं हो सकती थी उनके लिए सर्वप्रिय शिक्षा-प्रणाली का जन्म हुआ [२] '। अपने में बहुत से दोषों के होते हुए भी वर्णाश्रम-धर्म कला-कौशल को उच्च कोटि का बनाये रखने में बड़ा सहायक हुआ था। 'एबे डुबोइस' ने भी इसकी प्रशंसा अधीर व्यापारियों के लिए की थी। 'की' महाशय कहते हैं—'भारतवर्ष में सुन्दर कला और दस्तकारी की ओर शताब्दियों से जन-प्रवृत्ति थी। और भविष्य में इनकी और भी उन्नति होने की आशा है।' प्रत्येक व्यापारी या दूकानदार के बालकों को घर पर ही शिक्षा मिलती थी। प्रायः वे अपने पिता के से ही कार्य करने के लिए शिक्षित किये जाते थे।' 'बालकों के हाथ में वास्तविक वस्तुएँ दी जाती थीं उन्हीं पर प्रयोग करते करते उन्हें अनुभव होता था और वे शिक्षित होते थे। उनकी शिक्षा में स्कूल के कमरों की कृत्रिमता न थी।' अपना गुण अपने पुत्र को सौंपने में पिता को बड़ा आनन्द आता था। 'भारतीय संग्रहालय के नक्क़ाशी के पत्थरों में एक हौदा है जिस पर नाक्क़शी का काम करने के लिए दिल्ली के मुगल बादशाहों ने एक कुटुम्ब को उसकी तीन पीढ़ियों तक नौकर रखा था।' कारीगरी के कई एक कामों के लिए बालकों को एक खास सीमा तक नियमित रूप से ड्राइङ्ग की शिक्षा दी जाती थी। 'भारतवर्ष में दस्तकारी की शिक्षा एक-मात्र व्यापारिक उद्देश से दी जाती थी। और इसलिए वह संकुचित रूप में भी थी।' 'बहुत से कामों में लिखने-पढ़ने के ज्ञान की सीधी आवश्यकता न पड़ती थी इसलिए उन कामों को

अधीर रंजन की टिप्पणी आदिवासी समाज और राष्ट्रपति का अपमान है: मुख्यमंत्री

उत्तराखंड, पुष्कर सिंह धामी, अधीर रंजन चौधरी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कांग्रेस की मानसिकता को अधीर रंजन का बयान दर्शाता है। कांग्रेस हमेशा दलित, गरीब और आदिवासी,जनजाति, समाज को वोट बैंक समझा। आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए ने इस समाज से जुड़े लोगों को अधीर व्यापारियों के लिए राष्ट्रपति बनाया है। कांग्रेस को यह बात पच नहीं पा रही है जो अधीर रंजन के शब्दों से परिलक्षित हो रही है।

कांग्रेस नेता अधीर व्यापारियों के लिए अधिर रंजन की अभद्र टिप्पणी को देश के संविधान, जनजाति समाज, आदिवासी समाज और मातृशक्ति का अपमान बताया है। उन्होंने इसे राष्ट्रपति एवं देश का अपमान बताते हुए कहा कि यह कृत्य घोर निंदनीय है। इसकी अधीर व्यापारियों के लिए जितनी निंदा की जाय कम है।

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License छोटे खाद्य व्यापारी ले सकेंगे 5 वर्ष का लाईसेस, सह आयुक्त शरद कोलते की जानकारी

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अमरावती. अधीर व्यापारियों के लिए किसी भी खाद्य वस्तुओं से जुड़े व्यवसाय को शुरू करने अन्न व औषधि प्रशासन का फूड लाइसेन्स लेना जरूरी होता है. इस लाइसेन्स अधीर व्यापारियों के लिए के लिए संबंधित व्यापारी को ऑनलाइन आवेदन करना अनिवार्य है. व्यापारी वर्ग द्वारा आवेदन तो किये जाते हैं, किंतु इन आवेदनों की खामियां दूर करने अनदेखी करते हैं. जिसके फलस्वरुप उन व्यापारियों को फूड लाइसेन्स नहीं मिल पाता. लेकिन अब अन्न व औषधि प्रशासन स्वयं व्यापारी संगठनों से मिलकर उन्हें मार्गदर्शन देने के साथ ही उन्हें लाइसेन्स आवेदन में रहने वाली खामियों को दूर करने का मौका दे रहा है.

जिसका व्यापारी वर्ग ने लाभ लेने का आवाहन अन्न व औषधि प्रशासन के सह आयुक्त शरद कोलते ने किया.स्थानीय रुक्मिणी नगर स्थित सुयोग मंगल कार्यालय में शुक्रवार को दोपहर 2.30 बजे अन्न व औषधि प्रशासन तथा रिटेल किराना एसो. की ओर से मार्गदर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस अवसर पर मार्गदर्शन करते हुए वे बोल रहे थे. कार्यक्रम में अन्न सुरक्षा अधिकारी भाऊराव चव्हाण, संदीप सूर्यवंशी, गजानन गोरे, सीमा सुरकर, रिटेल किराना एसो. के अध्यक्ष आत्माराम पुरसवानी प्रमुखता से उपस्थित थे.

हर व्यवसायी को पंजीयन के साथ लाइसेन्स लेना अनिवार्य

अन्न सुरक्षा अधिकारी भाऊराव चव्हाण तथा संदीप सूर्यवंशी ने बताया कि अन्न व औषधि प्रशासन अंतर्गत अन्न सुरक्षा व मानद कानून के तहत अन्न व्यवसाय करने वाले हर व्यवसायी को पंजीयन के साथ लाइसेन्स लेना अनिवार्य है. संदर्भ में व्यवसायी को ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता है. जिसमें अब मोबाइल नंबर अधीर व्यापारियों के लिए तथा ईमेल आयडी भी दर्ज करना अनिवार्य है, ताकि आवेदन में किसी भी प्रकार की खामी रहने पर उन्हें मोबाइल नंबर व ईमेल के माध्यम से जानकारी दी जा सकती है. विशेष यह कि अन्न व औषधि प्रशासन 12 लाख से कम आमदनी वाले फूड व्यवसायियों को 1 साल से लेकर 5 साल तक का फूड पंजीयन प्रमाणपत्र उपलब्ध करवाते हैं.

12 लाख से अधिक आमदनी

इसके लिए मात्र 100 से 400 रु. शुल्क अदा करना पड़ता है. जबकि 12 लाख से अधिक आमदनी वाले व्यापारियों को 2 हजार रुपये में लाइसेन्स दिया जाता है. जिन फूड व्यवसायी तथा व्यापारियों ने अब तक पंजीयन नहीं किया है. उन व्यापारियों को पंजीयन कर प्रमाणपत्र तथा लाइसेन्स लेने का आह्वान किया है. साथ ही व्यापारियों को एफओएससीओएस डाट एफएसएसएआई डाट जीओवी डॉट इन पर आवेदन करने का सुझाव दिया है. इस मार्गदर्शन कार्यक्रम में सचिन जोशी, मोहन अग्रवाल, श्रीराम तायडे, अमित अग्रवाल, दिलीप निस्ताने, अधीर त्रिवेदी, संतोष मालवीय, राहुल लढ्ढा, प्रभाकर वऱ्हाडे, निलेश धनोकार, श्रीधर डाहाले, श्याम खत्री, महेश खासबागे, दिलीप आदमनी, डॉ. किराना एसो. के 45 सदस्य उपस्थित थे.

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