बाइनरी ऑप्शंस

अमेरिकी मगरमच्छ

अमेरिकी मगरमच्छ
पशुचिकित्सक गुस्तावो सोसा जपाटा दलदल के पास पर्यटकों को अभी अभी अंडों से निकले मगरमच्छ दिखा रहे हैं. ये जब छोटे होते हैं तो बहुत प्यारे दिखाई देते हैं लेकिन जल्द ही खूंखार और भयभीत करने वाले परभक्षियों का रूप ले लेते हैं. ये वयस्क होने पर 11.5 फुट तक लंबे अमेरिकी मगरमच्छ हो सकते हैं.

आगरा में सोमवार की रात तीन जगह हुयी चोरी की वारदात के बाद बिखरा सामान।

अमेरिकी मगरमच्छ

क्यूबा के संकटग्रस्त मगरमच्छों को बचाने की रेस

हवाना से 150 किलोमीटर दक्षिणपूर्व की तरफ जपाटा दलदल में अंडे में से निकलता एक नवजात क्यूबन मगरमच्छ. यह प्रजाति कभी क्यूबा और आस पास के द्वीपों में दूर दूर तक फैली हुई थी, लेकिन वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अब सिर्फ करीब 4,000 मगरमच्छ बाकी रह गए हैं. इनका प्राकृतिक आवास दलदल के एक छोटे से इलाके और पास के द्वीप आइल ऑफ यूथ में सिमट कर गया है.

बड़ी जंग, छोटी जीत

जीवविज्ञानी एतियम पेरेज जपाटा दलदल में खुले में एक युवा मगरमच्छ को छोड़ रहे हैं. इन मगरमच्छों की आबादी पर प्राकृतिक वास के नष्ट होने के साथ साथ अवैध शिकार, जलवायु परिवर्तन और अमेरिकी मगरमच्छों के साथ संकरण का भी असर पड़ा है.

एतियम पेरेज जपाटा दलदल में छोड़े गए मगरमच्छों का पर्यवेक्षण कर रहे हैं. यह विशाल दलदली भूमि संरक्षित है लेकिन जरूरी नहीं कि इस प्रजाति को बचाने के लिए इतना पर्याप्त हो. ये मगरमच्छ इस दलदल के अंदर भी एक तुलनात्मक रूप से छोटे इलाके में रहते हैं और कोई भी प्राकृतिक आपदा इनमें से अधिकांश को एक झटके अमेरिकी मगरमच्छ में खत्म कर सकती है.

मुट्ठी भर उम्मीद

जलवायु परिवर्तन नवजात मगरमच्छों के लिंग पर भी असर डाल रहा है. सरीसृपों के लिंग पर तापमान का असर पड़ता है. तापमान बढ़ने से मादा के मुकाबले ज्यादा नर मगरमच्छ पैदा होते हैं, जिससे प्रजाति का आगे बढ़ना खतरे में पड़ जाता है. ये अभी अभी अंडों से निकले नवजात हैं जिन्हें जल्द दलदल में छोड़ दिया जाएगा.

क्यूबा के शोधकर्ताओं ने इन मगरमच्छों को बचाने का बीड़ा उठाया है और सरकार द्वारा वित्त-पोषित एक कार्यक्रम के तहत इनका प्रजनन कराया जा रहा है और फिर इन्हें छोड़ दिया जा रहा है. पेरेज ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "इस कार्यक्रम के तहत हम क्यूबा के मगरमच्छों की ऐतिहासिक रेंज को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं और साथ ही खुले में इनकी संख्या बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं."

मगरमच्छ का मांस

कड़े प्रतिबंधों के बावजूद कई मगरमच्छों का अंत बारबेक्यू पर होता है. क्यूबा में रेस्तराओं को सिर्फ उन्हीं मगरमच्छों का मांस परोसने की अनुमति है जिनका अमेरिकी मगरमच्छों से संकरण हुआ हो या जिनमें कोई शारीरिक अभाव हो. लेकिन मगरमच्छ के मांस का एक अवैध बाजार भी है.

पेरेज जैसे शोधकर्ता अवैध रूप से पकड़े गए मगरमच्छों को आजाद भी कराते हैं. इन बच्चों को तस्करों से बचाया गया है. इन्हें भी जपाटा दलदल में छोड़ दिया जाएगा जहां इनके फलने-फूलने की उम्मीद है.

वो दौर जब अश्वेत गुलामों के बच्चों को मगरमच्छ का चारा बनाया जाता था, अश्वेतों की खाल से बनते थे जूते

Black Children used as baits

इतिहास गवाह है कि दुनियाभर के लोगों पर श्वेत व्यक्तियों ने असंख्य ज़ुल्म ढाए. गुलामी की जंज़ीरों के निशान आज भी मौजूद हैं. अमेरिका में गुलामी के दौर के बारे में हम सब परिचित हैं. Fitchburg State University के एक लेख के अनुसार, 1525 से 1866 के बीच 1,25,00,000 करोड़ अफ़्रीकियों को अगवा कर अमेरिका भेजा गया. अमेरिका तक का सफ़र 1,07,00,000 ही झेल पाए. हालांकि अफ़्रीका से अगवा कर अमेरिका लाए गए लोगों की संख्या इससे कहीं ज़्यादा भी हो सकती है. अश्वेतों को रंग के आधार पर पहचानना आसान था और उन्हें छुड़ाकर घर भेजना भी कठिन था. यूरोप के कुछ लोग बाइबल का हवाला देकर भी अश्वेतों को गुलाम बनाते थे.

अश्वेत बच्चों के बनाते थे मगरमच्छ का चारा

African Archives नामक ट्विटर अकाउंट ने श्वेतों के अत्याचार पर एक हैरतअंगेज़ खुलासा किया. 1800-1900 के बीच मगरमच्छ का शिकार बेहद अमेरिकी मगरमच्छ लाभदायक बिज़नेस था. मगरमच्छ के चमड़े से जूते, बैग, बेल्ट जैसी चीज़ें बनाई जाती थी. ग़ौरतलब है कि श्वेत शिकारी, मगरमच्छ पकड़ते समय ज़ख़्मी होते और कई बार तो अपना हाथ तक गंवा देते. श्वेतों ने इस समस्या का बेहद क्रूर समाधान निकाला.

कुछ लोगों का कहना है कि फ़्लोरिडा और लुइज़ियाना और अमेरिकी मगरमच्छ अन्य दक्षिणी अमेरिकी राज्यों के लोग ऐसा करते थे. श्वेत व्यक्ति कई बार अश्वेतों के बच्चे दिन में चुरा ले जाते. बच्चों को पकड़ कर उस तालाब के पास ले जाया जाता जहां मगरमच्छ हों. तालाब के किनारे रात में बच्चों को बांध दिया जाता.

Black children used as baits for alligator hunting

'Whites' ने की थी क्रूरता की सारी हदें पार

Black Children used as baits

WNYC Studios

जब भी श्वेतों की क्रूरता के बारे में पढ़ते हैं, यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि मानव इतनी हैवानियत कैसे दिखा सकता है. श्वेत आज भी इससे इंकार करते हैं, स्वभाविक है. हकीकत यही है कि अश्वेतों को गोरे हमेशा खुद से ओछा ही समझते आए हैं, ये उनकी मानसिकता में अंदर तक घर कर चुका है. अश्वेतों की हालत दक्षिणी अमेरिका में बहुत ज़्यादा खराब थी.

Trove ऑनलाइन लाइब्रेरी से एक अखबार की क्लिपिंग मिली. इसमें तारीख लिखी थी 17 मार्च, 1888. इस लेख के मुताबिक, इस दौर में लोग अश्वेत व्यक्तियों की त्वचा से बने जूते पहनते थे. The New York Times के एक लेख के अनुसार, एक यूनिवर्सिटी छात्र ने अपने प्रोफ़ेसर को बताया कि उसके अमेरिकी मगरमच्छ घर पर एक पर्स है जो अश्वेत व्यक्ति की त्वचा से बना है.

human leather article proof

Agra News: तालाब से निकलकर घर के दरवाजे पहुंचा विशालकाय मगरमच्छ, गांव में मच गई खलबली

Agra News आगरा के एक गांव में मगरमच्छ निकलने से खलबली मच गई। लोगों ने वन विभाग को सूचना दी। मगरमच्छ तालाब में कहां से आया और कितने दिनों से रह रहा था ये ग्रामीणों को जानकारी नहीं है। अमेरिकी मगरमच्छ मगरमच्छ को पकड़कर चंबल नदी में छोड़ा गया है।

आगरा, जागरण टीम। आगरा में एक मगरमच्छ ने खलबली मचा दी। गांव में कौतूहल मच गया। लोगा मगरमच्छ देखने के लिए उमड़ पड़े। वन विभाग की टीम को सूचना दी गई। जिसके अमेरिकी मगरमच्छ बाद उसे पकड़कर चंबल नदी में छोड़ दिया गया।

दो वर्ष पूर्व भी निकला था मगरमच्छ

पिनाहट के गांव उटसाना के तालाब में दो वर्ष पूर्व भी एक मगरमच्छ अमेरिकी मगरमच्छ मिला था। जिसे वन विभाग ने चंबल मे छोड़ा था। गुरुवार सुबह भी एक करीब चार साल का मगरमच्छ निकल गया। बताया गया है कि इसकी लंबाई करीब पांच फीट थी। तालाब से निकलकर सुबह करीब पांच बजे चरन सिंह के दरवाजे पर पहुंच गया। दरवाजे पर बंधे पशुओं पर हमला करने से पहले मगरमच्छ को गांव वालों ने देख लिया।

Learn how to pronounce अमेरिकी मगरमच्छ

Record the pronunciation of this word in your own voice and play it to listen to how you have pronounced it.

Click the record button to pronounce Unfortunately, this browser does not support voice recording. We recommend you to try Safari. Unfortunately, this device does not support voice recording

Have you finished your recording?

Have you finished your recording?

Thank you for contributing Congrats! You've got the pronunciation of अमेरिकी मगरमच्छ right. Keep up. Oops! Seems like your pronunciation of अमेरिकी मगरमच्छ is not correct. You can try again.

Original audio

Original audio Your audio Congrats! You have earned > points Try again

बहराइच: धूप खिली तो चहके वन्यजीव, गेरुआ नदी के तट पर घड़ियाल और मगरमच्छ बने आकर्षण का केंद्र

बहराइच। जिले में दो दिन से मौसम सुहावना हो रहा है। तेज धूप जलीय जीवों के लिए वरदान साबित हो रही है। जंगल में बहने वाले नदी और नालों से जलीय जीव टापू पर बैठकर धूप सेंकते दिख रहे हैं। शुक्रवार को जंगल भ्रमण पर गए सदस्यों को जलीय जीवों के साथ विदेशी पक्षी भी …

बहराइच। जिले में दो दिन से मौसम सुहावना हो रहा है। तेज धूप जलीय जीवों के लिए वरदान साबित हो रही है। जंगल में बहने वाले नदी और नालों से जलीय जीव टापू पर बैठकर धूप सेंकते दिख रहे हैं। शुक्रवार को जंगल भ्रमण पर गए सदस्यों को जलीय जीवों के साथ विदेशी पक्षी भी दिखे।

जिले में स्थित कतर्नियाघाट वन्यजीव अमेरिकी मगरमच्छ प्रभाग सात वन रेंज में विभक्त है। 551 वर्ग किलोमीटर में कतर्नियाघाट वन्य जीव विहार फैला हुआ है। जंगल में 35 से अधिक की संख्या में बाघ, 75 तेंदुए, हिरण की प्रजाति में हजारों की संख्या में चीतल के अलावा पाढ़ा, काकड़, मोर, जंगली मुर्गे, बाजों में शहबाज, सिलेटी बाज, सांपमार बाज विचरण करते हैं।

रेटिंग: 4.33
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 428
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *