शेयर बाजार के कार्य

सेबी ने नई व्यवस्था को वैकल्पिक (Optional) बनाया है। इसका मतलब है कि स्टॉक एक्सचेंज के लिए इस व्यवस्था को लागू करना अनिवार्य (Compulsory) नहीं है। अगर स्टॉक एक्सचेंज सेटलमेंट के T+2 सिस्टम को लागू करने का फैसला करता है तो उसे इसे कम से कम छह महीने तक जारी रखना होगा। इसके बाद अगर वह पुराने सिस्टम यानी सेटलमेंट T+2 को अपनाना चाहता शेयर बाजार के कार्य है तो वह मार्केट को एक महीना का एडवान्स नोटिस देकर ऐसा कर सकता है।
शेयर बाजार में आई गिरावट के बीच न करें ये गलतियां, उठाना पड़ेगा तगड़ा नुकसान
विदेशी बाजारों से मिले संकेतों की वजह से शेयर बाजार (Stock Market) में फिलहाल गिरावट देखने को मिल रही है. घरेलू बाजारों में महंगाई, कच्चे तेल और रूस यूक्रेन संकट (Russia Ukraine Crisis) का दबाव देखने को मिल रहा है. इससे निवेशकों खास तौर पर छोटे निवेशकों के बीच हलचल मच गई है. बाजार में नुकसान उठाने वाले निवेशकों के सामने सवाल है कि वो अपने निवेश का क्या करें. वहीं दूसरी तरफ बाजार में आई गिरावट का फायदा उठाने की कोशिश में जुटे छोटे निवेशक भी ‘क्या करें’ वाली स्थिति में हैं. अक्सर देखने को मिलता है कि ऐसी स्थिति में निवेशक (Small Investor) ये भूल जाते हैं कि उन्हें क्या नहीं करना चाहिए. Groww ने एक ब्लॉग के जरिए समझाया है कि छोटे निवेशकों को बाजार में गिरावट के समय क्या नहीं शेयर बाजार के कार्य करना चाहिए.
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Share Market Update : क्या है शेयरों का T+1 सेटलमेंट सिस्टम, यह निवेशकों के लिए कैसे फायदेमंद है?
- अभी शेयरों के खरीद-बिक्री के सेटलमेंट के लिए T+2 सिस्टम लागू है।
- नई व्यवस्था में ट्रेड (खरीद-बिक्री) का सेटलमेंट जल्द हो सकेगा।
- बाजार नियामक सेबी ने नई व्यवस्था को वैकल्पिक (Optional) बनाया है।
क्या है सेटलमेंट का T+1 सिस्टम?
इस व्यवस्था के लागू होने पर शेयर बेचने पर निवेशकों के अकाउंट में पैसा जल्द आ जाएगा। इसका मतलब है कि शेयर बेचने के एक दिन बाद आपके अकाउंट में पैसा आ जाएगा। शेयर खरीदने पर भी यही व्यवस्था लागू होगी। यह व्यवस्था पूरी तरह से पारदर्शी (Transparent) और सुरक्षित (Safe) होगी। अभी शेयरों के सेटलमेंट के लिए T+2 सिस्टम लागू है। नई व्यवस्था अगले साल 1 जनवारी से लागू होगी।
जानिए कैसे काम करती है सब्जी मंडी, शेयर बाजार की तरह वहां भी होती है इनसाइडर ट्रेडिंग!
आप अक्सर सोचते होंगे कि किसान अपनी फसल सड़क पर क्यों फेंक देते हैं? आखिर शेयर बाजार के कार्य क्यों उन्हें फसल की सही कीमत नहीं मिल पाती? अगर आप जान लेंगे कि सब्जी शेयर बाजार के कार्य मंडी कैसे काम करती है तो आपके सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे.
कृषि प्रधान देश भारत में किसान की हालत बेहद खराब है. सरकार से तमाम रियायतें मिलने के बावजूद यहां के किसानों को नुकसान होता है. कभी बारिश कम होने के चलते तो कभी ज्यादा बारिश की वजह से फसल बर्बाद हो जाती है. अगर सब कुछ अच्छा रहा और खेतों में भरपूर पैदावार हुई, तो मंडी में अच्छा रेट नहीं मिलता. अक्सर ऐसी खबरें आती ही रहती हैं कि कभी किसानों ने टमाटर सड़कों पर फेंक दिया तो कभी किसानों ने खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चला दिए. सभी की वजह सिर्फ यही है कि उन्हें सही कीमत नहीं मिल पाती. ऐसे में आपके लिए ये समझना जरूरी है कि सब्जी मंडी कैसे काम करती है.
सब्जी मंडी में भी होते हैं शेयर बाजार के ब्रोकर जैसे एजेंट
सब्जियों को सड़कों पर फेंकने की खबर सुनकर शेयर बाजार के कार्य अगर आप ये सोचते हैं कि पहली मंडी से रेट पता कर के किसान फसल क्यों नहीं बेचते, तो मुमकिन है कि आप सब्जी मंडी गए ही ना हों. गए भी हों तो शायद ही आपने देखा हो कि वहां किस तरह से किसानों की फसल को बेचा जाता है. मंडी में पहुंचते ही सबसे पहले किसानों को मिलते हैं बहुत सारे एजेंट, जो उनकी सब्जी बिकवाने का काम करते हैं. ये एजेंट ठीक शेयर बाजार के ब्रोकर जैसे होते हैं, जिनकी मदद से शेयर खरीदे या बेचे जाते हैं. इन एजेंट के बिना सब्जियां नहीं बेची जा सकतीं, शेयर बाजार के कार्य इन्हीं की मदद से सब्जी की बोली लगती है.
शेयर बाजार में अगर किसी शेयर की मांग ज्यादा बढ़ जाती है तो उसके दाम भी तेजी से ऊपर भागने लगते हैं. ठीक उसी तरह सब्जी मंडी में भी मांग बढ़ने पर दाम बढ़ते हैं और घटने पर गिरते हैं. सब्जी मंडी में एजेंट एक दाम तय करता है और उस पर बोली लगाना शुरू करता है. अगर मांग अधिक होती है तो बोली लगातार बढ़ती जाती है, लेकिन अगर मांग कम होती है तो बोली तेजी से गिरती जाती है. जिस दाम पर ग्राहक मिल जाता है, उसी दाम पर सामान बेच दिया जाता है. यही वजह है कि मंडी में किसी सब्जी या फल का क्या रेट है, इसका पता पहले से नहीं लगाया जा सकता.
शेयर बाजार की तरह ऐसे होती है इनसाइडर ट्रेडिंग
सबसे पहले तो ये समझना जरूरी है कि इनसाइडर ट्रेडिंग क्या होती है. जब कुछ लोग आपस में साठ-गांठ करके शेयरों को खरीदते-बेचते हैं और गलत तरीके से शेयर बाजार के कार्य उसके दाम चढ़ाते या गिराते हैं तो उसे इनसाइडर ट्रेडिंग कहा जाता है. सब्जी मंडी में भी ऐसा होता है, जिसमें एजेंट और व्यापारी मिलकर या कई बार व्यापारी आपस में मिलकर इनसाइडर ट्रेडिंग करते हैं. सब मिलकर कम बोली पर किसान का माल बिकवाने की कोशिश करते हैं और बाद में उस पर तगड़ा मुनाफा कमाते हैं. कई व्यापारी तो बोली लगने से पहले ही किसान को उसकी फसल की कुछ कीमत ऑफर कर देते हैं.
मान लेते हैं कि एक किसान 1 टन टमाटर लेकर सब्जी मंडी में उसे बेचने जाता है. वहां एजेंट उसके सामान की बोली लगवाते हैं और बेचने में मदद करते हैं. मान लीजिए 10 रुपये किलो यानी 10 हजार रुपये टन से बोली की शुरुआत होती है. अगर टमाटर की मांग ज्यादा होगी तो बोली बढ़ती जाएगी, वरना बोली गिरने लगेगी. हम मान लेते हैं कि 10 हजार रुपये टन के हिसाब से ही टमाटर बिक जाता है. अब जिस व्यापारी ने इसे खरीदा है वह इसे दिल्ली-गाजियाबाद की बड़ी मंडियों में ले जाकर बेचेगा और मुनाफा कमाएगा. वहीं किसान की फसल 10 हजार की बिकी जरूर थी, लेकिन उसे 10 हजार रुपये मिलेंगे नहीं. किसान को सबसे पहले तो मंडी टैक्स चुकाना होगा, उसके बाद एजेंट का कमीशन, अगर सामान उतारने-चढ़ाने की जरूरत पड़ती है तो पल्लेदारी, ये सब काटने के बाद जो पैसे बचेगा, वो किसान को मिलेगा. इसी तरह शेयर बाजार में ट्रांजेक्शन टैक्स, ब्रोकरेज चार्ज आदि लगता है, सब्जी मंडी में भी वैसे की कई चार्ज लगते हैं.
शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं, तो जरूरी है Demat Account होना, जानें कैसे खुलता है, क्या होता है चार्ज
Demat Account : शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने के लिए जरूरी है डीमैट अकाउंट. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
शेयर बाजार में ट्रेडिंग (Share Market Trading) कर पैसा बहुत से लोग बनाना चाहते हैं लेकिन शेयर्स खरीदने और बेचने के लिए जिस डीमैट अकाउंट की जरूरत होती है, उसके बारे में कम ही जानकारी होती है. डीमैट अकाउंट कैसे काम करता है, इस खाते को खोलने के लिए जरूरी कागजात कौन से होते हैं और कितनी फीस डीमैट खाते को खोलने के लिए खर्च करनी पड़ती है. ऐसे बहुत सारे सवालों के जवाब हम आपको इस खबर की मदद से दे रहे हैं क्योंकि शेयर ट्रेडिंग के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी है, इसके बिना ट्रेडिंग नहीं की जा सकती है.
तो आइए जानते हैं डीमैट खाते से जुड़ी हर जरूरी जानकारी.
जिस तरह से बैंक अकाउंट होता है. इसी तरह से डीमैट अकाउंट भी बैंक खाते की तरह काम करता है. शेयर बाजार को रेगुलेट करने वाली संस्था SEBI शेयर बाजार के कार्य के साफ निर्देश हैं कि बिना डीमैट खाते के शेयरों को किसी भी अन्य तरीके से खरीदा और बेचा नहीं जा सकता है.
डीमैट खाते की सबसे अच्छी बात होती है ये जीरो अकाउंट बैलेंस के साथ भी खोला जा सकता है. इसमें मिनिमम बैलेंस रखने की जरूरत नहीं होती है. शेयर बाजार में निवेश के लिए निवेशक के पास बैंक अकाउंट, ट्रेडिंग अकाउंट और डीमैट खाता होने चाहिए क्योंकि डीमैट खाते में आप शेयरों को डिजिटल रूप से अपने पास रख सकते है. तो वहीं ट्रेडिंग अकाउंट से मदद से शेयर, म्युचुअल फंड और गोल्ड में निवेश किया जा सकता है.
कैसे खोलें डीमैट खाता
- शेयरों में ऑनलाइन निवेश करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी डीमैट खाता होता है. आप इसे HDFC सिक्योरिटीज, ICICI डायरेक्ट, Axis डायरेक्ट जैसे किसी भी ब्रोकरेज के पास खुलवा सकते हैं.
- ब्रोकरेज फर्म का फैसला लेने के बाद आप उसकी वेबसाइट पर जाकर डीमैट अकाउंट ओपन करने का फॉर्म सावधानी से भरने के बाद उसकी KYC प्रोसेस को पूरा करें.
- KYC के लिए फोटो आईडी प्रूफ, एड्रेस प्रूफ के लिए डॉक्यूमेंट की जरूरत पड़ेगी. जब ये प्रोसेस पूरी हो जाएगा तो उसके बाद इन-पर्सन वेरिफिकेशन होगा. संभव है जिस फर्म से आप डीमैट अकाउंट खुलवा रहे हों, वो अपने सर्विस प्रोवाइडर के दफ्तर आपको बुलवाएं.
- इस प्रोसेस को पूरा होने के बाद आप ब्रोकरेज फर्म के साथ टर्म ऑफ एग्रीमेंट साइन करते है. ऐसा करने के बाद आपका डीमैट अकाउंट खुल जाता है.
- फिर आपको डीमैट नंबर और एक क्लाइंट आईडी दी जाएगी.
कौन खोलेगा डीमैट खाता
इंडिया में डीमैट खाता खोलने का काम दो संस्थाएं करती है. जिसमें पहली है NSDL (National Securities Depository Limited) और दूसरी है CDSL (central securities depository limited). 500 से अधिक एजेंट्स इन depositories के लिए काम करते है, जिनको आम भाषा में डीपी भी कहा जाता है. इनका काम डीमैट अकाउंट खोलना होता है.
डीमैट अकाउंट खोलने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी शर्त होती है कि जो व्यक्ति शेयर ट्रेडिंग के लिए डीमैट अकाउंट खुलवा रहा हो उसकी उम्र 18 साल से ज्यादा होनी चाहिए. साथ ही इसके लिए उस व्यक्ति के पास पैन कार्ड, बैंक अकाउंट आइडेंटिटी और एड्रेस प्रूफ होना जरूरी है.