पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसिज़

आज इलेक्ट्रॉनिक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट के क्षेत्र में बहुत सी जॉब्स उपलब्ध हैं। किसी भी ऑर्गनाइजेशन में पोर्टपोलियो मैनेजर मूल रूप से कंपनी की ओर से चल रहे पोर्टफोलियो टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट्स को मैनेज करने का उत्तरदायित्व निभाता है। यूजर्स की जरूरतों और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसिज़ उन्हें पूरा क रने के डेवलपिंग प्रोग्राम्स और भविष्य की टेक्नोलॉजी को परिभाषित करते हुए इलेक्ट्रॉनिक पोर्टफोलियो और ओवरऑल ग्रोथ के प्रति भी जिम्मेदार होता है। आमतौर पर पोर्टफोलियो मैनेजर से उम्मीद की जाती है कि वह पोर्टफोलियो से संबंधित क्षेत्र के सब्जेक्ट मैटर का विशेषज्ञ हो। वह फर्म के कस्टमर रिलेशनशिप मैनेज करने वाले स्टाफ से को-आर्डिनेट करता है। यदि आप भी इसमें करियर बनाना चाहते हैं, तो इससे संबंधित संस्थानों से जुडकर बेहतर करियर संभावनाएं तलाश सकते हैं।
ई-पोर्टफोलियो मैनेजर
हाल ही में एकेडमिक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसिज़ डिग्रियों को ऑनलाइन करने की बात उठी थी। विशेषज्ञों के अनुसार, यह काम ई-पोर्टफोलियो का हिस्सा है। यही कारण है कि इन दिनों ई-पोर्टफोलियो मैनेजमेंट कोर्स काफी पॉपुलर हो रहे हैं। क्या है ई-पोर्टफोलियो मैनेजमेंट..
आजकल कम्प्यूटर पर निर्भरता बढती जा रही है। यही कारण है कि इससे संबंधित कोर्स काफी हॉट हो रहे हैं। कम्प्यूटर के ऑनलाइन प्रयोग के कारण इससे संबंधित नए-नए क्षेत्र सामने आ रहे हैं। ई-पोर्टफोलियो मैनेजमेंट भी एक नया कोर्स है और अब भारत में भी हॉट करियर ऑप्शन बन रहा है।
इलेक्ट्रॉनिक पोर्टफोलियो
ई-पोर्टफोलियो किसी व्यक्ति, कंपनी या किसी अन्य का डॉक्यूमेंट्स, इन्फॉरमेशंस, लिंक सोर्सेज, आडियो और वीडियो क्लिप्स का वेब-पब्लिश्ड कलेक्शन है, जिसमें उसके बारे में विस्तार से वर्णन होता है। मोटे शब्दों में कहा जा सकता है कि यह पुराने समय के क्लासरूम नोटबुक्स का नया डिजिटल वर्जन है, जिसमें हर चीज को अलग-अलग वर्गीकृत करके रखा जाता है। इन्हें वेबफोलियो भी कहा जाता है।
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निवेश
सभी करते हैं, लेकिन इसका मैक्सिमम फायदा वही लोग उठा पाते हैं, जो बेहतर समझबूझ के साथ निवेश करते हैं। बेहतर समझबूझ का मतलब है, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (पीएमएस) की मदद लेना। आइए इस बारे में विस्तार से बात करते हैं:
पैसे कमाना मुश्किल भरा काम है, लेकिन उनका इन्वेस्टमेंट करने में भी कम उलझन नहीं है। सही निवेश के जरिए आप अपने पैसे पर बेहतर रिटर्न पा सकते हैं। पर मेहनत की गाढ़ी कमाई का यदि गलत जगह पर निवेश हो जाए तो आपकी माली हालत पर बेहद बुरा असर पड़ सकता है। आज बाजार में कई तरह के इन्वेस्टमेंट प्रॉडक्ट्स मौजूद हैं। इनमें से सही प्रॉडक्ट की पहचान और अपने मनमाफिक निवेश करने की सहूलियत तलाशना जाहिर तौर पर टेढ़ी खीर है। आज की आपाधापी भरी जिंदगी में लोगों के पास वक्त की बेहद कमी रहती है। ऐसे में निवेश के गणित के लिए वक्त निकालना मुमकिन नहीं होता। इतना ही नहीं, एक आम निवेशक बाजार की बारीकियों को भी बखूबी नहीं समझता। लिहाजा उसे एक ऐसी सर्विस की दरकार है जो उसकी जरूरतों और सीमाओं को समझते हुए निवेश की बेहतर तरकीब बताए। इस मामले में म्यूचुअल फंड (एमएफ) एक हद तक निवेशकों की जरूरतों पर खरे उतरते हैं। एमएफ हाउसों के फाइनैंशल एक्सपर्ट निवेशकों के पैसे को बाजार के हालत के हिसाब से इनवेस्ट करते हैं। पर कई बार फंड हाउसों के इन्वेस्टमेंट ऑब्जेक्टिव और उनकी स्ट्रैटिजी बहुत अच्छी नहीं होती और यह इनवेस्टर को सूट नहीं करती। ऐसे में उनके लिए पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (पीएमएस) बेहद मददगार साबित हो सकती है।
क्या है पीएमएस
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निवेश
सभी करते हैं, लेकिन इसका मैक्सिमम फायदा वही लोग उठा पाते हैं, जो बेहतर समझबूझ के साथ निवेश करते हैं। बेहतर समझबूझ का मतलब है, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (पीएमएस) की मदद लेना। आइए इस बारे में विस्तार से बात करते हैं:
पैसे कमाना मुश्किल भरा काम है, लेकिन उनका इन्वेस्टमेंट करने में भी कम उलझन नहीं है। सही निवेश के जरिए आप अपने पैसे पर बेहतर रिटर्न पा सकते हैं। पर मेहनत की गाढ़ी कमाई का यदि गलत जगह पर निवेश हो जाए तो आपकी माली हालत पर बेहद बुरा असर पड़ सकता है। आज बाजार में कई तरह के इन्वेस्टमेंट प्रॉडक्ट्स मौजूद हैं। इनमें से सही प्रॉडक्ट की पहचान और अपने मनमाफिक निवेश करने की सहूलियत तलाशना जाहिर तौर पर टेढ़ी खीर है। आज की आपाधापी भरी जिंदगी में लोगों के पास वक्त की बेहद कमी रहती है। ऐसे में निवेश के गणित के लिए वक्त निकालना मुमकिन नहीं होता। इतना ही नहीं, एक आम निवेशक बाजार की बारीकियों को भी बखूबी नहीं समझता। लिहाजा उसे एक ऐसी सर्विस की दरकार है जो उसकी जरूरतों और सीमाओं को समझते हुए निवेश की बेहतर तरकीब बताए। इस मामले में म्यूचुअल फंड (एमएफ) एक हद तक निवेशकों की जरूरतों पर खरे उतरते हैं। एमएफ हाउसों के फाइनैंशल एक्सपर्ट निवेशकों के पैसे को बाजार के हालत के हिसाब से इनवेस्ट करते हैं। पर कई बार फंड हाउसों के इन्वेस्टमेंट ऑब्जेक्टिव और उनकी स्ट्रैटिजी बहुत अच्छी नहीं होती और यह इनवेस्टर को सूट नहीं करती। ऐसे में उनके लिए पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (पीएमएस) बेहद मददगार साबित हो सकती है।
क्या है पीएमएस
म्यूचुअल फंड्स, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (पीएमएस) स्कीम्स से कैसे अलग हैं?
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हालांकि म्यूचुअल फंड और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (पीएमएस) दोनों ही पेशेवर फंड मैनेजर्स के द्वारा प्रबंधित किए जाने वाले एक पूल्ड इंवेस्टमेंट व्हीकल के माध्यम से निवेशकों को शेयर और बॉन्ड्स में अपना पैसा निवेश करने की सुविधा देते हैं, लेकिन ये दोनों अलग-अलग निवेश विकल्प हैं और इनके उद्देश्य भिन्न हैं तथा ये दोनों दो अलग-अलग तरह के निवेशकों के लिए हैं।
म्यूचुअल फंड में कोई भी 500 रुपए प्रति माह की छोटी सी रकम से निवेश कर सकता है, लेकिन पीएमएस स्कीम्स में कम से कम 25 लाख का निवेश करना होता है क्योंकि ये मुख्यतः एचएनआई को लक्ष्य करने वाले वेल्थ मैनेजमेंट प्रोडक्ट्स हैं। म्यूचुअल फंड को सेबी द्वारा रेगुलेट किया जाता है जबकि पीएमएस स्कीम्स के लिए कोई सख्त डिस्क्लोजर मानदंड नहीं हैं। इसके अलावा, पीएमएस प्रोडक्ट्स उन एडवांस निवेशकों के लिए हैं जो इसमें निहित जोखिमों को समझ सकते हैं क्योंकि पीएमएस फंड्स उन सिक्योरिटीज में निवेश कर सकते हैं जिनको बाज़ार में आसानी से खरीदा-बेचा नहीं जा सकता है। म्यूचुअल फंड उन सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं जो कि लिक्विड (तरल) हैं। अच्छी तरह से डायवर्सिफ़ायड पोर्टफोलियो होने के कारण म्यूचुअल फंड, पीएमएस स्कीम्स की तुलना में कम जोखिम होते हैं। पीएमएस फंड्स में आम तौर पर 20-30 शेयरों का एक केंद्रित पोर्टफोलियो होता है। इस तरह, फंड का प्रदर्शन पूरी तरह फंड मैनेजर की शेयर को चुनने की क्षमता पर निर्भर करता है।
म्यूचुअल पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसिज़ फंड क्या है?
वह इन्वेस्टर्स जो शेयर मार्केट में खुद ट्रेडिंग नहीं करना चाहते हैं, वह म्यूचुअल फंड के जरिए सिस्टमैटिक तरीके से मार्केट में निवेश कर सकते हैं. MF में कई सारे इन्वेस्टर्स एक कॉमन गोल के साथ मिलकर किसी फंड हाउस की म्यूचुअल फंड स्कीम में इन्वेस्ट करते हैं. यह SIP या एकमुश्त निवेश का भी विकल्प साबित होता है. म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए आप किसी इन्वेटर एडवाइजर की सलाह ले सकते हैं या फिर खुद से भी फंड खरीद सकते हैं.
⚡️कैसे करें म्यूचुअल फंड में निवेश?
⚡️क्या है पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस?
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PMS क्या है?
पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस या PMS एक कस्टमाइज निवेश पोर्टफोलियो होता है, जिसमें बड़े निवेशक भाग लेते हैं. PMS में निवेश करने के लिए आपके पास 50 लाख रुपये तक की राशि होनी चाहिए. इसमें प्रोफेशनल मनी मैनेजर आपके टार्गेट के हिसाब से पोर्टफोलियो बनाते हैं. PMS में निवेश करने के लिए बैंक अकाउंट और डीमैट अकाउंट खुलवाना जरूरी होता है.
पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस तीन तरह के होते हैं- डिस्क्रीशनरी, नॉन-डिस्क्रीशनरी, एडवाइजरी. पीएमएस फंड को मैनेज करने के लिए आपको अपने फंड मैनेजर को पावर ऑफ अटार्नी देना होता है. इसमें आपके फंड मैनेजर को निश्चित रकम के अलावा रिटर्न पर आधारित कमीशन फीस भी मिलता है.
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म्यूचुअल फंड में कौन कर सकता है निवेश?
म्यूचुअल फंड में सभी इन्वेस्टर्स निवेश कर सकते हैं. इसके लिए आपको डीमैट अकाउंट की आवश्यकता नहीं होती है. MF में आप अपने लक्ष्य के हिसाब से निवेश कर सकते हैं. Mutual Funds में डेट और इक्विटी में डायरेक्ट या रेगुलर निवेश होता है.
पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस में सभी तरह के इन्वेस्टर्स निवेश को निवेश नहीं करना चाहिए. इसमें उन्हीं निवेशकों को भाग लेना चाहिए, जिनके पास कम से कम 50 लाख की राशि हो. इसके लिए आपको अपने इन्वेस्ट का अधिकार अपने पोर्टफोलियो मैनेजर को देना होता है. PMS उन्हीं इन्वेस्टर्स के लिए ज्यादा सही होता है, जिन्हें अपने फंड मैनेजर पर पूरा भरोसा हो. यह उन इन्वेस्टर्स के उपयुक्त होता है, जिनके पास निवेश पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसिज़ करने के लिए राशि तो हो, लेकिन उन्हें मैनेज करने के लिए कम समय हो.