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क्रिप्टोकरेंसी खरीद और संग्रह करना

क्रिप्टोकरेंसी खरीद और संग्रह करना

ई-कॉमर्स की श्रेणी में क्रिप्टो!

सरकार क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों के रूप में वर्गीकृत करने की संभावना पर विचार कर रही है और यह भी देख रही है कि उन पर वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली (जीएसटी) के तहत स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) किया जा सकता है या नहीं। इस कदम का मकसद यह है कि अगर सरकार इस क्षेत्र को विनियमित करने का फैसला क्रिप्टोकरेंसी खरीद और संग्रह करना लेती है तो वर्चुअल करेंसी के लेनदेन पर नियंत्रण रखा जा सके।

क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों को तीन श्रेणियों में बांटने का प्रस्ताव है, जो सुविधा, ब्रोकरेज और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के रूप में काम करेंगे। ब्रोकरेज खरीद एवं बिक्री की सेवा देंगी। ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म कारोबार के लिए इंटरफेस मुहैया कराएंगे। इन्हें जीएसटी प्रणाली के तहत पंजीकरण कराना पड़ सकता है और अपने प्लेटफॉर्म के जरिये क्रिप्टोकरेंसी खरीदने तथा बेचने वालों से टीसीएस संग्रह करना पड़ सकता है।

अधिकारियों की इस बारे में चर्चा हुई है कि मौजूदा कर व्यवस्था- प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों में ऐसी परिसंपत्तियों के उचित वर्गीकरण और उसके अनुसार कर लगाने का प्रावधान है। आयकर विभाग के आंकड़ों का इस्तेमाल कर और एक्सचेंजों से जानकारी लेकर क्रिप्टोकरेंसी की बिक्री, खरीद, माइनिंग और लेनदेन पर वर्ष 2017 से कर लगाए जाने के आसार हैं।

वित्त मंत्रालय में क्रिप्टोकरेंसी की खरीद, बिक्री, विनिमय, हस्तांतरण, आपूर्ति, भंडारण पर 18 फीसदी जीएसटी लगाने के संबंध में चर्चा हुई है। इसकी वसूली निवेशकों से की जाएगी। क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफॉर्मों द्वारा काटे गए टीसीएस को निवेशक की कर देनदारी से समायोजित किया जा सकता है। टीसीएस का प्रावधान जीएसटी प्रणाली के तहत शुरू किया गया था ताकि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों के विक्रेताओं के बीच कर अनुपालन में सुधार लाया जा सके। इसी तरीके को क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफॉर्म पर क्रिप्टोकरेंसी खरीद और संग्रह करना नियंत्रण रखने के लिए इस्तेमाल किए जाने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।

वित्त मंत्रालय की चर्चा में क्रिप्टोकरेंसी के सीमा पार कारोबार को सेवाओं का निर्यात और आयात मानना भी शामिल है। अधिकारी ने कहा कि बहुत से क्षेत्रों में ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल बढ़ रहा है। ऐसे में इसे निर्यात माना जाना चाहिए और कुछ अन्य देशों के अनुभवों से सीखकर कर की दर को धीरे-धीरे कम किया जा सकता है।

अगर वर्चुअल करेंसी में लेनदेन और जीएसटी लगने वाली अन्य कारोबारी आय 20 लाख रुपये से अधिक है तो 18 फीसदी जीएसटी लगेगा। इस योजना को अंतिम रूप मिलने के बाद इन मुद्दों को बेहतर बनाया जाएगा। हालांकि अगर लेनदेन सीमा पार के हैं तो 20 लाख रुपये की सीमा लागू नहीं होगी क्योंकि आईजीएसटी प्रावधानों में ऐसी कोई सीमा नहीं है।

यह चर्चा हुई है कि क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन अन्य किसी आपूर्ति से अलग नहीं हैं, इसलिए वे जीएसटी के पंजीकरण के लिए सीमा से संबंधित प्रावधानों के दायरे में आएंगे। राजस्व विभाग ने कराधान को लेकर एक प्रारूप योजना तैयार की है।

डेली अपडेट्स

यह एडिटोरियल दिनांक 31/05/2021 को द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित लेख “Catching the New Tech Wave” पर आधारित है। इस एडिटोरियल में दुनिया भर में क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते महत्व के बारे में चर्चा की गई है। साथ ही इस बात पर भी चर्चा की गई है कि डिजिटल क्रांति के आगामी चरण में दुनिया के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलने के लिये भारत को इसे स्वीकार करने की आवश्यकता क्यों है?

संदर्भ

वर्ष 2008 में बिटकॉइन के निर्माण के साथ आज की तारीख तक क्रिप्टोकरेंसी ने दुनिया भर में अपनी जगह बनाई है। जनवरी 2020 में कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से इस क्षेत्र में लाभ आश्चर्यजनक हैं। ज्ञातव्य है कि "क्रिप्टोमार्केट" में 500% से अधिक की वृद्धि हुई।

  • हालाॅंकि 2018-19 के बजट भाषण में वित्त मंत्री ने बताया कि क्रिप्टोकरेंसी सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है।
  • इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि भारत डिजिटल क्रांति के अब तक सभी चरणों को देर से अपनाने वाला रहा है चाहे वो अर्द्धचालक या इंटरनेट या फिर स्मार्टफोन।
  • अतः अब इन आभासी मुद्राओं पर विचारों को बदलने एवं उन्हें स्वीकृति देने की आवश्यकता है क्योंकि ये भारत की डिजिटल क्रांति के नए चरण में प्रवेश करने की दिशा में भारत का पहला कदम होगा।

क्रिप्टोकरेंसी का उदय: पहली क्रिप्टोक्यूरेंसी, बिटकॉइन, का वर्ष 2010 में केवल $ 0.0008 का कारोबार किया था और अप्रैल 2021 में इसका बाज़ार मूल्य लगभग $ 65,000 था।

  • बिटकॉइन के लॉन्च के बाद से कई नए क्रिप्टोकरेंसी भी बाज़ार में आए एवं मई 2021 तक उनका कुल बाज़ार मूल्य 2.5 ट्रिलियन डॉलर हो गया है।

क्रिप्टोकरेंसी का महत्त्व:

  • भ्रष्टाचार की रोकथाम: चूंकि क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन प्रणाली अर्थात् पीयर-टू-पीयर नेटवर्क पर कार्य करती हैं, यह धन के प्रवाह और लेनदेन को ट्रैक करके भ्रष्टाचार को रोकने में मदद करता है।
  • समय प्रभावी : क्रिप्टोकरेंसी धन के प्रेषक और रिसीवर के लिये पर्याप्त समय बचाने में मदद कर सकती है क्योंकि यह पूरी तरह से इंटरनेट पर संचालित होता है। यह एक ऐसे तंत्र पर चलता है जिसमें बहुत कम लेनदेन शुल्क शामिल होता है और यह लगभग तात्कालिक होता है।
  • लागत प्रभावी: बैंक, क्रेडिट कार्ड और पेमेंट गेटवे जैसे बिचौलिये अपनी सेवाओं के लिये $ 100 ट्रिलियन की पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था से लगभग 3% शुल्क के रूप में लेते हैं।
    • इन क्षेत्रों में ब्लॉकचेन को एकीकृत करने से सैकड़ों अरबों डॉलर की बचत हो सकती है।
    • हाल ही में सरकार ने एक संप्रभु डिजिटल मुद्रा बनाने और साथ ही, सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने के लिये "क्रिप्टोकरेंसी और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक, 2021" पेश करने की घोषणा की है।
    • भारत में भारतीय ब्लॉकचेन स्टार्ट-अप्स में जाने वाली धनराशि वैश्विक स्तर पर इस क्षेत्र द्वारा जुटाई गई राशि का 0.2% से भी कम है।
    • क्रिप्टोकरेंसी के प्रति वर्तमान दृष्टिकोण के कारण ब्लॉकचेन उद्यमियों और निवेशकों के लिये बहुत अधिक आर्थिक लाभ प्राप्त करना लगभग असंभव है।

    विकेंद्रीकृत क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने से जुड़े मुद्दे

    • पूर्ण प्रतिबंध: "क्रिप्टोकरेंसी और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक, 2021" भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने का प्रयास करता है।
      • हालाँकि क्रिप्टोकरेंसी को सार्वजनिक (सरकार समर्थित) या निजी (एक व्यक्ति के स्वामित्व वाली) के रूप में वर्गीकृत करना गलत है क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी विकेंद्रीकृत हैं लेकिन निजी नहीं हैं।
      • बिटकॉइन जैसी विकेंद्रीकृत क्रिप्टोकरेंसी को निजी या सार्वजनिक किसी भी संस्था द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।
      • उस समय ब्लॉकचेन विशेषज्ञ स्विट्जरलैंड, सिंगापुर, एस्टोनिया और यू.एस. जैसे देशों में चले गए जहाॅं क्रिप्टो को विनियमित किया गया था।
      • पूर्ण प्रतिबंध के कारण नवाचार, शासन, डेटा अर्थव्यवस्था और ऊर्जा के क्षेत्रों में ब्लॉकचेन के उपयोग में अवरोध उत्पन्न होगा।
      • निजी क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से केवल समानांतर अर्थव्यवस्था का निर्माण होगा, अवैध उपयोग को बढ़ावा मिलेगा जो प्रतिबंध के मूल उद्देश्य को विफल कर देगा। प्रतिबंध संभव नहीं है क्योंकि कोई भी व्यक्ति इंटरनेट पर क्रिप्टोकरेंसी खरीद सकता है।

      विरोधाभासी नीतियाॅं: क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाना इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) के ब्लॉकचैन, 2021 पर राष्ट्रीय रणनीति के मसौदे के साथ असंगत है, जिसने ब्लॉकचेन तकनीक को पारदर्शी, सुरक्षित और कुशल तकनीक के रूप में स्वीकार किया।

      आगे की राह

      • विनियमन ही समाधान: गंभीर समस्याओं को रोकने के लिये एवं यह सुनिश्चित करने के लिये कि क्रिप्टोकरेंसी का दुरुपयोग न हो तथा निवेशकों को अत्यधिक बाजार अस्थिरता और संभावित घोटालों से बचाने के लिये विनियमन की आवश्यकता है।
        • विनियमन को स्पष्ट, पारदर्शी, सुसंगत और इस दृष्टि से अनुप्राणित होने की आवश्यकता है कि उसका उद्देश्य क्या है।
        • मजबूत केवाईसी मानदंड: क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध के बजाय सरकार कड़े केवाईसी (Know Your Customer) मानदंडों, रिपोर्टिंग और कर योग्यता को शामिल करके क्रिप्टोकरेंसी के व्यापार को विनियमित करेगी।

        निष्कर्ष

        भारत वर्तमान में डिजिटल क्रांति के अगले चरण के शिखर पर है और अपनी मानव पूंजी, विशेषज्ञता और संसाधनों को इस क्रांति में शामिल कर इसके नेतृत्वकर्ता के रूप में उभर सकता है। इसके लिये केवल नीति निर्धारण को ठीक करने की आवश्यकता है।

        ब्लॉकचैन और क्रिप्टो संपत्ति चौथी औद्योगिक क्रांति का एक अभिन्न अंग होगी भारतीयों को इसे बायपास नहीं करना चाहिये।

        अभ्यास प्रश्न: “भारत के लिये अपने प्रमुख भुगतान प्रणालियों से आगामी डिजिटल क्रांति के सबसे सक्रिय भुगतान प्रणाली की तरफ बढ़ने का समय है।क्रिप्टोकरेंसी इस धारणा को पूरा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।" इससे जुड़े सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलुओं पर चर्चा करें।

        क्रिप्टोकरेंसी खरीद और संग्रह करना

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        Ethereum is a system that supports smart contract technologies to invest in the ICOs of new start-up companies. The more start-ups are interested in Ethereum, the more expensive it becomes. Technical analysis figures work well with Ethereum.

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        बिटकॉइन के बारे में
        बिटकॉइन डिजिटल धनराशि है जिसका उपयोग विश्व में कहीं भी मूल्य को सुरक्षित और तुरंत स्थानांतरण के लिए किया जाता है। स्टॉक या संपत्ति के समान ही, बिटकॉइन का मूल्य खुले बाजार में खरीद तथा बिक्री द्वारा सुनिश्चित किया जाता है। बिटकॉइन अर्जित करने के कई तरीके हैं, जैसे बिटकॉइन माइनिंग, बिटकॉइन गेम अथवा बिटकॉइन ट्रेडिंग।

        बिटकॉइन कीमत के बारे में
        बिटकॉइन की कीमत वह कीमत होती है जिस पर आप अपनी स्थानीय मुद्रा में बिटकॉइन खरीद सकते हैं। बिटकॉइन कीमत बिटकॉइन की आपूर्ति तथा मांग के आधार पर परिवर्तित होती है। कॉइनबेस 100 से अधिक मुद्राओं में बिटकॉइन की कीमत दर्शाती है, तथा आप बिटकॉइन की कीमत मात्र एक क्लिक करके देख सकते हैं।

        बिटकॉइन माइनिंग के बारे में
        बिटकॉइन माइनिंग दर्शाती है कि कैसे नयी बिटकॉइन को परिचालन में लाया जाता है। कोई भी इंटरनेट कनेक्शन तथा उचित हार्डवेयर की मदद से बिटकॉइन माइनिंग में भाग ले सकता है। बिटकॉइन माइनिंग की कठिनाई यह है कि यह बिटकॉइन नेटवर्क द्वारा स्वतः ही समायोजित होती है।

        ब्लॉकचेन के बारे में
        ब्लॉकचेन बिटकॉइन लेन-देनों को रिकॉर्ड करता है तथा यह बिटकॉइन प्रणाली का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। ब्लॉकचेन ही एकमात्र वह स्थान है जिसे लेन-देन के खर्च न किए गए आउटपुट के रूप में बिटकॉइन को मौजूद रहने के लिए कहा जा सकता है।

        बिटकॉइन वालेट्स के बारे में
        आपकी बिटकॉइन माइनिंग, बिटकॉइन गेम या बिटकॉइन ट्रेडिंग के संबंध में पहला चरण बिटकॉइन वालेट प्राप्त करना है। बिटकॉइन पब्लिक-की-क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करता है, जिसमें दो क्रिप्टोग्राफिक कीज, एक पब्लिक तथा एक प्राइवेट, सृजित होती हैं। बिटकॉइन वालेट इन कीज (कुंजियों) का संग्रह है।

        प्राइवेट Cryptocurrency पर भारत में लगेगी रोक, खरीद-फरोख्त करने वालों को मिलेगी ये सजा

        प्राइवेट Cryptocurrency पर भारत में लगेगी रोक, खरीद-फरोख्त करने वालों को मिलेगी ये सजा

        नई दिल्ली, हरिकिशन शर्मा। सरकार बिटकॉयन जैसी Cryptocurrency पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक कानून बनाने की तैयारी कर रही है। यह कानून बनने पर प्राइवेट Cryptocurrency में किसी भी तरीके का लेन-देन या निवेश अपराध होगा और दोषी व्यक्ति को दस साल के कारावास की सजा और 50 करोड़ रुपये तक का जुर्माना देना होगा। हालांकि सरकार अत्याधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए आधिकारिक तौर पर डिजिटल रुपया जारी कर सकती है जो लेन-देन के लिए पूरी तरह वैध होगा। डिजिटल रुपया करेंसी नोट की तरह लीगल टेंडर होगा।

        डिजिटल करेंसी जारी करने की सिफारिश
        सरकार की एक अंतर-मंत्रालयी समिति ने प्राइवेट Cryptocurrency पर प्रतिबंध लगाने और आधिकारिक तौर पर डिजिटल करेंसी जारी करने की सिफारिश की है। सरकार ने दो नवंबर 2017 को वर्चुअल करेंसी से जुड़े मुद्दों का अध्ययन करने के लिए वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग की अध्यक्षता में इस समिति का गठन किया था। इसमें रिजर्व बैंक, सेबी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी शामिल थे।

        समिति का कहना है कि निजी Cryptocurrency को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। किसी भी देश में Cryptocurrency को लीगल टेंडर यानी वैध दर्जा प्राप्त नहीं है। इसलिए सरकार द्वारा जारी Cryptocurrency को छोड़कर अन्य सभी प्रकार की Cryptocurrency को भारत में प्रतिबंधित कर देना चाहिए।

        यही वजह है कि समिति ने Cryptocurrency पर प्रतिबंध लगाने और भारत में Cryptocurrency से संबंधित गतिविधियों को अपराध घोषित करने के लिए एक कानून बनाने की सिफारिश की है। समिति ने Cryptocurrency प्रौद्योगिकी के विकास के मद्देनजर एक स्थायी समिति के गठन की सिफारिश भी की है, ताकि जरूरत पड़ने पर इस मुद्दे पर कार्रवाई की जा सके।

        समिति ने Cryptocurrency पर प्रतिबंध लगाने के लिए 'बैनिंग क्रिप्टोकरेंसी एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2019' शीर्षक से विधेयक का एक मसौदा भी तैयार किया है। सरकार ने सोमवार को समिति की रिपोर्ट और विधेयक का मसौदा आम लोगों की टिप्पणी के लिए वित्त मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी किए।

        प्रस्तावित विधेयक में इस बात का प्रावधान है कि किसी भी व्यक्ति को क्रिप्टोकरेंसी खरीदने या बेचने, निवेश करने या इसे फंड के रूप में जुटाने की अनुमति नहीं होगी। साथ ही सरकार भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के सेंट्रल बोर्ड के साथ परामर्श कर डिजिटल रुपया जारी कर सकती है। साथ ही RBI किसी भी विदेशी डिजिटल मुद्रा को भी वैध विदेशी मुद्रा की मान्यता प्रदान कर सकती है। डिजिटल रुपया DLT यानी डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा। Cryptocurrency को प्रतिबंधित करने वाले कानून का उल्लंघन करने पर दोषी व्यक्ति को दस साल तक की सजा और 50 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

        Cryptocurrency का भारत में कारोबार
        भारत में क्रिप्टोकरेंसी का कारोबार कितना है, इस बारे में कोई अनुमान नहीं है। लेकिन समिति ने एक न्यूज पोर्टल की खबर का हवाला देते हुए कहा है कि फरवरी 2018 में देश के 24 एक्सचेंज में 50 लाख ट्रेडर थे, जो हर दिन करीब 1,500 बिटकॉइन यानी लगभग एक अरब रुपये के बराबर लेन-देन कर रहे थे।

        हालांकि जिस खबर का हवाला दिया गया है उसमें यह बात स्पष्ट रूप से कही गई है कि उसने इन आंकड़ों की सत्यता की जांच नहीं की है।

        समिति की प्रमुख सिफारिशें

        • Cryptocurrency पर प्रतिबंध लगाने के लिए 'बैनिंग क्रिप्टोकरेंसी एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2019' लाने की सिफारिश
        • क्रिप्टोकरेंसी के मुद्दे पर एक स्थायी समिति बनाने की सिफारिश
        • वित्तीय क्षेत्र में डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नॉलाजी के इस्तेमाल पर विचार करे वित्त मंत्रालय
        • आधिकारिक रूप से जारी की जाने वाली डिजिटल करेंसी का नियामक हो आरबीआइ
        • आइपीओ और एफपीओ जारी करने के लिए डीएलटी का इस्तेमाल करने पर विचार कर सकता है सेबी
        • स्टांप ड्यूटी संग्रह करने के लिए भी किया जा सकता है डीएलटी का इस्तेमाल

        क्या है DLT?
        डीएलटी का मतलब है डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नॉलाजी। इसमें ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल करते हुए ट्रांजेक्शन और डाटा एक स्वतंत्र कंप्यूटर में रिकार्ड या स्टोर किया जाता है, जबकि परंपरागत लेजर में डाटा एक जगह केंद्रीयकृत रूप से स्टोर किया जाता है।

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