ऑनलाइन निवेश शिक्षा

हेज फंड सभी के लिए नहीं हैं

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Google plans to lays off

राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल के बेटों की ‘फर्जी’ कंपनियों का जाल

विवेक डोभाल (बायें) की हेज फंड कंपनी अपने भाई शौर्य के कारोबार से जुड़ी है. शौर्य बीजेपी के नेता हैं जो इंडिया फाउंडेशन के प्रमुख हैं.

विवेक डोभाल (बायें) की हेज फंड कंपनी अपने भाई शौर्य के कारोबार से जुड़ी है. शौर्य बीजेपी के नेता हैं जो इंडिया फाउंडेशन के प्रमुख हैं.

कारवां को ब्रिटेन, अमेरिका, सिंगापुर और केमैन आइलैंड से प्राप्‍त व्यापार दस्तावेजों से पता चला है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के बेटे विवेक डोभाल केमैन आइलैंड में हेज फंड (निवेश निधि) चलाते हैं. केमैन आइलैंड टैक्स हेवन के रूप में जाना जाता है. यह हेज फंड 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नोटबंदी की घोषणा के महज 13 दिन बाद पंजीकृत किया गया था. विवेक का यह व्यवसाय उनके भाई शौर्य डोभाल के व्यवसाय से जुड़ा है. शौर्य भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं और मोदी सरकार के करीब माने जाने वाले थिंक टैंक इंडिया फाउंडेशन के प्रमुख हैं. विवेक डोभाल की यह कंपनी उनके पिता अजीत डोभाल की उस सार्वजनिक अभिव्यक्ति के खिलाफ जाती है जिसे उन्होंने 2011 में प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में व्यक्त किया था. रिपोर्ट में अजीत डोभाल ने टैक्स हेवन और विदेशी कंपनियों पर कड़ाई से रोक लगाने की वकालत की थी.

विवेक डोभाल चार्टर्ड वित्तीय विश्लेषक हैं. वे ब्रिटेन के नागरिक हैं और सिंगापुर में रहते हैं. विवेक जीएनवाई एशिया फंड नाम की हेज फंड के निदेशक हैं. 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार डॉन डब्लू. ईबैंक्‍स और मोहम्मद अल्ताफ मुस्लिअम वीतिल भी इसके निदेशक हैं. ईबैंक्‍स का नाम पेराडाइस पेपर्स में भी आया था. वे केमैन आइलैंड में रजिस्टर्ड दो कंपनियों के निदेशक हैं. ईबैंक्‍स पहले केमैन सरकार के साथ काम किया करते थे और उसके वित्त मंत्री और अन्‍य मंत्रियों को सलाह देते थे. मोहम्मद अल्ताफ लूलू ग्रुप इंटरनेशनल के क्षेत्रीय निदेशक हैं. यह कंपनी पश्चिम एशिया में तेजी के साथ विस्तार कर रही हाइपरमार्किट चेन है. जीएनवाई एशिया फंड के कानूनी पते के अनुसार, यह वॉर्क्‍स कारपोरेट लिमिटेड से संबंधित कंपनी है जिसका नाम पनामा पेपर्स में आया था.

कारवां को विवेक और बडे़ भाई शौर्य की कंपनियों के बीच प्रशासनिक संबंध का पता चला है. शौर्य के भारतीय व्यवसायों से संबंधित बहुत से कर्मचारी जीएनवाई एशिया और उसकी कंपनियों के साथ करीब से जुड़े हैं. दोनों भाइयों के कारोबार के तार सऊदी अरब के सत्तारूढ़ परिवार सऊद घराने से जुड़े हैं.

2011 में गुप्तचर विभाग के पूर्व निदेशक अजीत डोभाल ने भारतीय जनता पार्टी को विदेश में भारतीय काला धनः गुप्त बैंकों और टैक्‍स हेवन नाम की रिपोर्ट दी थी. यह रिपोर्ट डोभाल ने एस गुरुमूर्ति के साथ तैयार की थी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक गुरुमूर्ति फिलहाल भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक हैं. इस रिपोर्ट में टैक्‍स हेवनों पर कड़े कदम उठाने की बात है.

विवेक डोभाल की हेज फंड कंपनी जीएनवाई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नोटबंदी की घोषणा के 13 दिन बाद अस्तित्व में आई.

कौशल श्रॉफ स्वतंत्र पत्रकार हैं एवं कारवां के स्‍टाफ राइटर रहे हैं.

Twitter और Amazon के बाद अब Google भी करेगा कर्मचारियों की छंटनी, निकाले जा सकते हैं 10 हजार कर्मचारी

ग्रेडिंग प्लान के तहत गूगल कर्मचारियों को निकालने की योजना बना रही है. कर्मचारियों की ग्रेडिंग पर उन्हें बोनस और अन्य सुविधाएं देने से भी रोका जाएगा. इसका असर 10 हजार कर्मचारियों पर पड़ सकता है.

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gnttv.com

  • नई दिल्ली,
  • 23 नवंबर 2022,
  • (Updated 23 नवंबर 2022, 7:37 AM IST)

दिया जाएगा 60 दिन का समय

बनाया जाएगा ग्रेडिंग सिस्टम

ट्विटर और मेटा के बाद टेक कंपनियों में छंटनी का दौर चालू है. अब गूगल का नाम भी इस लिस्ट में शामिल हो गया है. जी हां, गूगल कम से कम 10 हजार लोगों को नौकरी से निकालने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए वो एक परफॉर्मेंस इंप्रूवमेंट प्लान भी लाया है. यह एक तरीके का रेटिंग सिस्टम होगा, जिसके अनुसार जिन कर्मचारियों की रेटिंग खराब होगी उन्हें कंपनी से निकाल दिया जाएगा.

बनाया जाएगा ग्रेडिंग सिस्टम
यह कदम एक्टिविस्ट हेज फंड सभी के लिए नहीं हैं हेज फंड के दबाव, बाजार की प्रतिकूल परिस्थितियों और खर्चों को कम करने की आवश्यकता के जवाब में है. गूगल की पैरेंट कंपनी Alphabet जल्द ही कर्मचारियों की छंटनी का आदेश जारी करने वाली है. इससे पहले Twitter,Amazon और Facebook-Meta जैसी दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनियों ने बड़ी मात्रा में कर्मचारियों की छंटनी की थी. नई प्रणाली के तहत, कंपनी ने प्रबंधकों से 6 फीसदी स्टाफ को निकालने जा रही है. इस योजना के तहत गूगल के प्रबंधक कर्मचारियों की ग्रेडिंग कर उन्हें बोनस व अन्य अनुदान देने से भी रोक सकेंगे. रिपोर्ट बताती है कि नई प्रणाली के तहत उन कर्मचारियों के प्रतिशत को भी कम करती है जो उच्च ग्रेड हासिल कर सकते हैं.

दिया जाएगा 60 दिन का समय
बता दें कि Alphabet में लगभग 1 लाख 87 हजार कर्मचारी काम कर रहे हैं. अल्फाबेट ने अभी तक इस रिपोर्ट पर टिप्पणी नहीं की है. इससे पहले आई रिपोर्ट में कहा गया था कि कंपनी स्टाफ को जॉब कट की दिशा में नई भूमिका के लिए आवेदन करने के लिए 60 दिन का समय देगी. हालांकि कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुंदर पिचाई ने कुछ महीने पहले इसका संकेत दिया था. उन्होंने कहा था कि Google एक कंपनी के रूप में मानता है कि "जब आपके पास पहले से कम संसाधन हैं, तो आप काम करने के लिए सभी सही चीजों को प्राथमिकता दे रहे हैं और आपके कर्मचारी वास्तव में प्रोडक्टिव हैं. "

हर तरफ छंटनी
अपनी रिपोर्ट में, The Information ने कहा कि सिस्टम पहले प्रबंधकों को बोनस का भुगतान नहीं करने का निर्णय लेने की अनुमति देगा. "चूंकि सिलिकॉन वैली में छंटनी हो रही है, Google अब तक कर्मचारियों को नहीं निकाला है. लेकिन जैसा कि बाहरी दबाव कंपनी पर अपने कर्मचारियों की उत्पादकता में सुधार करने के लिए बनाता है, एक नई प्रदर्शन प्रबंधन प्रणाली प्रबंधकों को अगले साल की शुरुआत में हजारों कम प्रदर्शन वाले कर्मचारियों को बाहर निकालने में मदद कर सकती है.

कई बड़ी टेक कंपनियों ने कोविड के दौरान ऑनलाइन गतिविधियों में उछाल पर दांव लगाया था, ताकि महामारी के कम होने पर भी यह जारी रहे. लेकिन वैसा नहीं हुआ. ट्विटर को खरीदने के बाद एलन मस्क ने हजारों कर्मचारियों को कंपनी से निकाल दिया. इसी महीने फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा ने भी ऐलान किया है कि 11,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जाएगा.

दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Bitcoin को लेकर आई बड़ी खबर! अब डिजिटल गोल्ड की तरह चलेगा क्रिप्टोकरंसी का धंधा

Bitcoin and Gold: हेज फंड के एक्सपर्ट का मानना है कि गोल्ड की तरह बिटकॉइन भी निवेश में चमक बना सकता है. जिस तरह डिजिटल गोल्ड से लोग कमाई करते हैं, उसी तरह डिजिटल करंसी से कमाई कर सकते हैं.

दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Bitcoin को लेकर आई बड़ी खबर! अब डिजिटल गोल्ड की तरह चलेगा क्रिप्टोकरंसी का धंधा

TV9 Bharatvarsh | Edited By: अंकित त्यागी

Updated on: Jun 07, 2021 | 4:57 PM

भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में बहस चल रही है कि सोने (gold) में निवेश करें या बिटकॉइन (bitcoin) जैसी क्रिप्टोकरंसी में. सोने को सदाबहार निवेश का जरिया मानते हैं. कुछ उतार-चढ़ाव को छोड़ दें तो इसमें हमेशा तेजी बनी रहती है. अभी हाल में इसकी कीमतों में गिरावट देखी गई थी, लेकिन अब फिर रौनक लौटने लगी है.

दूसरी ओर निवेश के नए साधन के रूप में बिटकॉइन जैसी आभासी मुद्रा (क्रिप्टोकरंसी) सामने आई है. इस साल की शुरुआत में एक बिटकॉइन की कीमत 65 हजार डॉलर पर गई थी. लेकिन कुछ कारणों से इसमें गिरावट आई और अब यह 34-35 हजार डॉलर पर चल रहा है. बड़े-बड़े निवेशक मानते हैं कि अगला जमाना बिटकॉइन का है. अभी भले गिरावट दिख रही हो, लेकिन आगे चल कर इसमें मुनाफे की गारंटी है.

हेज फंड में क्या होगा

शेयर बाजार आदि में बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरंसी को लगाने का अभी चलन नहीं है. देशों ने अभी इसे पूरी तरह से कानूनी मान्यता नहीं दी है. लेकिन इसके ट्रांजेक्शन को अवैध घोषित नहीं किया गया हेज फंड सभी के लिए नहीं हैं है. लोग इसकी खरीदारी कर सकते हैं, लेनदेन में इस्तेमाल कर सकते हैं. ऐसा हो भी रहा है. फंड में निवेश की जहां तक बात है तो लोग गोल्ड या पेपर करंसी के जरिये निवेश करते हैं. डिजिटल गोल्ड का भी चलन है. इन सभी माध्यमों के बावजूद एक्सपर्ट बिटकॉइन में निवेश का अच्छा भविष्य देख रहे हैं. 7.5 अरब डॉलर का हेज फंड भी बिटकॉइन में सुनहरा भविष्य देख रहा है.

डिजिटल करंसी से कमाई

हेज फंड के एक्सपर्ट का मानना है कि गोल्ड की तरह बिटकॉइन भी निवेश में चमक बना सकता है. जिस तरह डिजिटल गोल्ड से लोग कमाई करते हैं, उसी तरह डिजिटल करंसी से कमाई कर सकते हैं. पूरी दुनिया का ध्यान अमेरिका के फेडरल रिजर्व पर है. फेडरल रिजर्व क्रिप्टोकरंसी को लेकर क्या फैसला करता है, हेज फंड उसी हिसाब से अपनी चाल तय करेगा. अमेरिकी केंद्रीय बैंक बढ़ती महंगाई से परेशान है और इससे निजात पाने के तरीकों पर गौर किया जा रहा है.

कोरोना से पस्त अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बाजार में पूंजी झोंकने पर विचार हो रहा है. अमेरिका ने अभी हाल में कोरोना पैकेज का ऐलान किया है जिससे सरकारी खाते पर बड़ा दबाव देखा जा रहा है. कोरोना के चलते सरकारी खर्च भी बढ़ा है जिससे कर्ज का बोझ बढ़ गया है. इन दोनों फैक्टर का असर डॉलर की कीमतों पर दिख रहा है.

गोल्ड और बिटकॉइन साथ चलेंगे

दूसरी ओर, डॉलर या पेपर करंसी के अलावा सभी करंसी इस मुश्किल वक्त में भी चमक बनाए हुए है. बात चाहे सोने की हो या बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरंसी की. सोने में हालिया गिरावट और क्रिप्टोकरंसी में तेजी इस बहस को हवा दी है कि क्या लोग गोल्ड से पैसे निकाल कर क्रिप्टोकरंसी में लगा रहे हैं. हेज फंड की कुछ कंपनियां गोल्ड को क्रिप्टोकरंसी से अच्छा मानती हैं. कुछ हेज फंड सभी के लिए नहीं हैं का मानना है कि गोल्ड से बेहतर क्रिप्टोकरंसी है और इसमें निवेश का बड़ा जोखिम नहीं है. कुछ एक्सपर्ट मानते हैं कि दोनों की अपनी खासियतें हैं, और दोनों समय के साथ अपना अस्तित्व बनाए रखेंगे.

डिजिटल करंसी का भविष्य

हेज फंड में अगर क्रिप्टोकरंसी की बात चल रही है तो माना जा सकता है कि अगला समय बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करंसी का हो सकता है. हेज फंड में ज्यादा पैसे, पूंजी या हाई नेटवर्थ वाले लोग पैसा लगाते हैं. इसमें म्यूचुअल फंड से अधिक जोखिम है, लेकिन रिटर्न भी अधिक है. इसकी ट्रेडिंग के तौर-तरीके भी म्यूचुअल फंड से अलग हैं. शेयर बाजार की तरह यह नहीं है जहां गिरावट चल रही हो तो पूंजी डूबने का डर होता है. हेज हेज फंड सभी के लिए नहीं हैं फंड शेयर बाजार की गिरावट के बावजूद पैसे का प्रबंधन सटीक करते हुए निवेशकों को अच्छा रिटर्न दे सकता है. अब हेज फंड के एक्सपर्ट भी बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरंसी में अच्छा भविष्य देख रहे हैं. सोना के साथ-साथ बिटकॉइन निवेशकों को कमाई का अच्छा स्रोत दे सकता है.

CEO जैक डॉर्सी को हटाना चाहता है ट्विटर का एक शेयर होल्डर: सूत्र

CEO जैक डॉर्सी को हटाना चाहता है ट्विटर का एक शेयर होल्डर: सूत्र

हेज फंड एलियटमैनेजमेंट कॉर्प ने ट्विटर में बड़ी हिस्सेदारी जमा कर ली है. अब वो ट्विटर में बदलाव की आवाज उठा रहा है. इसके अलावा हेज फंड ट्विटर के सीईओ जैक डॉर्सी को हटाने की मांग भी कर रहा है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मामले से जुड़े 2 लोगों ने इसकी पुष्टि की है.

ट्विटर उन कुछ अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनियों में से है, जिन्हें उनके फाउंडर चला रहे हैं लेकिन कंट्रोल नहीं करते हैं. इससे शेयरहोल्डर को बराबर के वोटिंग अधिकार मिल जाते हैं. डॉर्सी ट्विटर में सिर्फ 2% के ही मालिक हैं.

एलियट की स्थापना करोड़पति पॉल सिंगर ने की थी. सूत्रों के मुताबिक, सिंगर ट्विटर के आठ-सदस्य बोर्ड में अपने लोग बैठाना चाहते हैं. बोर्ड के तीन डायरेक्टर आने वाली सालाना शेयरहोल्डर मीटिंग में चुनाव के लिए खड़े हो रहे हैं.

अभी तक ये पता नहीं चला है कि एलियट डॉर्सी की जगह किसे सीईओ के तौर पर चाहता है और कंपनी की ट्विटर में कितनी हिस्सेदारी है. न्यूयॉर्क स्थित इस कंपनी ने हाल के महीनों में eBay से लेकर सॉफ्टबैंक ग्रुप कॉर्प को टारगेट किया है.

कौन हैं जैक डॉर्सी?

43 वर्षीय जैक डॉर्सी सिलिकॉन वैली के प्रभावशाली एंटरप्रेन्योर में से एक हैं. डॉर्सी Square Inc भी चलाते हैं. ये एक मोबाइल पेमेंट कंपनी है और हेज फंड सभी के लिए नहीं हैं इसकी स्थापना डॉर्सी ने ही की थी.

निवेशकों ने इस व्यवस्था पर 2015 तक कोई सवाल नहीं उठाया. ये वो समय था जब डॉर्सी दोबारा ट्विटर के सीईओ बने थे. हालांकि, नवंबर में उन्होंने ऐलान किया कि वो छह महीने के लिए अफ्रीका जाना चाहते हैं. इस ऐलान पर कई एनालिस्ट ने उनके मैनेजमेंट पर सवाल उठाया था.

डॉर्सी ने हेज फंड सभी के लिए नहीं हैं 2006 में ट्विटर की स्थापना में मदद की थी. वो 2008 तक इसके सीईओ रहे थे. फिर उनकी जगह कंपनी के को-फाउंडर एव विलियम्स ने ले ली थी. विलियम्स ने डॉर्सी पर खराब मैनेजर और ट्विटर की प्रोफिटेबिलिटी पर ध्यान न देने का आरोप लगाया था.

डॉर्सी दो कंपनी चलाने वाले पहले सीईओ नहीं हैं. स्टीव जॉब्स ने एपल के साथ ही एनिमेटेड मूवी स्टूडियो पिक्सर भी चलाया था. वहीं, एलन मस्क टेस्ला मोटर्स के साथ ही SpaceX को भी चला रहे हैं.

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ब्रिटेन: किस्मत के ‘ऋषि’

भारतीय मूल के विदेशी नेताओं पर केंद्रित आउटलुक हिंदी के अंक के साथ ऋषि सुनक

अबकी दीपावली के मौके पर ब्रिटेन में कंजरवेटिव पार्टी के सांसद ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने की खबर ने भारत में अच्छा-खासा उत्साह पैदा किया। ऋषि सुनक की पारिवारिक जड़ें हिंदुस्तान में होना और उनका हिंदू धर्म का अनुयायी होना भारत में गर्वबोध का बायस बन कर आया। खुद ब्रिटेन के लिए हालांकि ऋषि सुनक एक स्थानापन्न से ज्यादा कुछ नहीं हैं, जिन्हें बीते 5 सितंबर को उनकी ही पार्टी के सांसदों ने लिज़ ट्रस के मुकाबले चौदह पर्सेंट वोट से हरा दिया था। इसके बाद सुनक का राजनीतिक कैरियर समाप्त माना जा रहा था। ऐसे में प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस का ‘विनाशक’ मिनीबजट सुनक के लिए एक अदृश्य वरदान बन के आया। सुनक को दूसरा लाभ यह मिला कि पार्टी के भीतर उनके दो प्रतिद्वंदियों, पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और पेनी मोरदौन ने प्रधानमंत्री पद की रेस से खुद को बाहर कर लिया। इस पृष्ठभूमि में 24 अक्टूबर को कंजरवेटिव पार्टी के 195 सांसदों ने भारतीय मूल के सांसद 42 वर्षीय ऋषि सुनक को अपना नेता चुन लिया।

राजनीति में प्रतीकों की अहमियत होते हुए भी उनकी कोई अपनी ताकत नहीं होती है। यह बात ध्यान देने योग्य है कि सांसद से प्रधानमंत्री पद की सबसे तेज यात्रा करने वाले ऋषि सुनक ने अब तक ब्रिटेन को आसन्न मंदी से उबारने का अपना सियासी नजरिया जाहिर नहीं किया है। उनकी राजनीति और आर्थिकी को उनकी नस्ल या धार्मिक मान्यताओं से नहीं बल्कि एक हेज फंड मैनेजर की उनकी पृष्ठभूमि और मौजूदा आर्थिक संकट के आईने में समझा जाना होगा।

बीते 23 सितंबर को यूके के वित्त मंत्री क्वासी क्वार्टेंग ने एक मिनीबजट जारी किया था। इसमें बीते 50 वर्षों में 45 अरब पाउंड की सबसे बड़ी कर कटौती की घोषणा की गई थी। इसके साथ बड़े पैमाने पर अतिरिक्त खर्च की भी बात की गई थी। इससे पहले ही सरकार ने घरेलू और व्यवसायिक ऊर्जा बिल के मद में 60 अरब पाउंड से अधिक राहत की योजना का ऐलान किया था। समस्या यह थी कि घोषित योजनाएं वित्तपोषित नहीं थीं या इनके लिए उधारी ली जानी थी। चूंकि मुद्रास्फीति पहले से ही रिकॉर्ड ऊंचाई पर थी, ऐसे में भारी उधारी की इस योजना ने सरकार के प्रति अविश्वास पैदा कर दिया।

ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री भारतीय मूल के ऋषि सुनक

संकट का नेतृत्वः 24 अक्टूबर को कंजरवेटिव पार्टी के 195 सांसदों ने भारतीय मूल के सांसद 42 वर्षीय ऋषि सुनक (बीच में) को अपना नेता चुन लिया

ब्रिटिश बॉन्ड बाजार 26 सितंबर को जब खुला तो प्रतिक्रिया में कीमतें भरभराकर नीचे गिरती चली गईं जिससे दशकों में गिल्ट की सबसे बड़ी बिकवाली शुरू हो गई। इसके बाद बॉन्ड यील्ड आसमान छू गया। जब गिल्ट की कीमत गिरी और यील्ड बढ़ी, तो पेंशन फंड की परिसंपत्तियों का मूल्य कम होने लगा। पेंशन फंडों ने जल्दी से नकदी जुटाने के लिए अपने गिल्ट बेचने शुरू कर दिए, जिससे गिल्ट की कीमतों में और गिरावट आई। ऐसे में वित्तीय तंत्र व पेंशन फंडों की सुरक्षा और बॉन्ड की कीमतों को स्थिर करने के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड को आपातकालीन बॉन्ड-खरीद कर के दखल देना पड़ा। इस संकट का अंतिम परिणाम यह हुआ हेज फंड सभी के लिए नहीं हैं कि लिज़ ट्रस को जाना पड़ा।

अब स्थिति यह है कि बॉन्ड यील्ड वापस लिज़ ट्रस के कार्यकाल से पहले के स्तर पर आ चुका है। इसलिए ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने से सबसे ज्यादा फायदा सरकारी बॉन्ड्स को होगा। इसका नतीजा यह होगा कि आम लोग कमखर्ची पर मजबूर होंगे। सुनक के पिछले बयानों को देखें तो पता लगता है कि जनता को आर्थिक बदहाली से बचाने से ज्यादा प्राथमिक काम राष्ट्रीय उधारी को कम करना है। इसीलिए अगले साल अप्रैल से सुनक ने घरेलू ऊर्जा सब्सिडी बंद करने का प्रस्ताव दिया है। वित्तीय एजेंसी मोर्गन स्टेनली का अनुमान है कि घरेलू बिल बढ़ने के साथ आवासीय ऋण 6 प्रतिशत तक जा सकता है। इसका सीधा असर देश के 40 प्रतिशत परिवारों की आजीविका पर पड़ेगा, जिनमें ज्यादातर मूल ब्रिटिश नहीं हैं। इसलिए सुनक का भारतीय मूल का होना उनकी राजनीतिक और आर्थिक सोच के हिसाब से विरोधाभासी बात है।

बहरहाल, ऋषि सुनक के लिए राहत की बात यह है कि वे इटली से लेकर स्वीडन तक दुनिया भर में मजबूत होते आर्थिक दक्षिणपंथ के स्वाभाविक पार्टनर हैं। वे आप्रवास विरोधी और ब्रेक्सिट समर्थक भी हैं। वे शीर्ष पद पर पहुंचे हैं तो उनकी किस्मत है, लेकिन सर्वे कंपनी इप्सोस के अनुसार ब्रिटेन के 62 प्रतिशत लोग इस साल आम चुनाव चाह रहे हैं जबकि अगले चुनाव जनवरी 2025 में होने हैं। इसके अलावा, एक और सर्वे के मुताबिक ब्रिटेन में हर छह में से मात्र एक नागरिक दक्षिणपंथी आर्थिकी का समर्थक है। लेबर पार्टी भी यह कह रही है कि सुनक बिना जनादेश पाए प्रधानमंत्री बने हैं, इसलिए चुनाव होने चाहिए। सभी ओपिनियन पोल में लेबर पार्टी कंजरवेटिव से काफी आगे चल रही है।

समय से पहले चुनाव करवाने का फैसला अंतिम तौर पर नए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के हाथ में ही होगा। इसलिए सुनक का प्रधानमंत्री बने रहना इस बात पर निर्भर करेगा कि उनकी प्राथमिकता क्या है- जनता की मांग पर वक्त से पहले चुनाव का जोखिम उठाना या बचे हुए पंद्रह महीनों में जनता को आर्थिक राहत पहुंचा कर अगले चुनाव के लिए अपने को योग्य प्रत्याशी साबित करना।

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