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रूस दलालों

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अमेरिका ने रूसी सेना को प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करने वाले नेटवर्क का पर्दाफाश किया

अमेरिकी निर्माताओं से सैन्य प्रौद्योगिकी खरीदकर उसे यूक्रेन में जारी युद्ध के लिए रूस को उसकी आपूर्ति करने वालों पर अमेरिका में जो बाइडन प्रशासन ने कई आरोप और प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। अमेरिकी न्याय मंत्रालय के अनुसार, यूक्रेन में युद्ध के मैदान से कुछ उपकरण मिले हैं।

इसके अलावा, लातविया से भी अन्य परमाणु प्रसार तकनीकी उपकरण मिले हैं, जिन्हें रूस भेजा जाना था। न्याय मंत्रालय ने न्यूयॉर्क और कनेक्टिकट में अलग-अलग मामलों में नौ लोगों और वेनेजुएला के दो तेल दलालों पर आरोप लगाए हैं।

इन लोगों पर अमेरिकी कंपनियों से सैन्य प्रौद्योगिकी प्राप्त करने और फिर उसे करोड़़ो डॉलर में रूसी व्यापारियों व अन्य स्वीकृत संस्थाओं को बेचने का आरोप है।

कुछ आरोपियों पर वेनेजुएला की सरकारी तेल कंपनी के लिए अवैध तेल सौदों में दलाली करने का भी आरोप है। अटॉर्नी जनरल मेरिक गारलैंड ने एक बयान में कहा, ‘‘जैसा कि मैंने कहा है, हमारे जांचकर्ता और अभियोजक उन लोगों की पहचान करने, उनका पता लगाने और उन्हें पकड़ने के प्रयास जारी रखेंगे, जिनके अवैध कार्यों से कानून का शासन कमजोर हो रहा है और जिनसे रूसी शासन को यूक्रेन में जारी युद्ध में मदद मिल रही है।

Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध 142 DAYS, रूस के हमले जारी

Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध 142 DAYS, रूस के हमले जारी

शुभांकर म‍िश्रा

शुभांकर म‍िश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 16 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 7:57 AM IST

Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध का आज 142वां दिन है. पिछले करीब 5 महीनों से रूस यूक्रेन पर ताबड़तोड़ हमले कर रहा है. रूस ने यूक्रेन के विनित्सिया शहर पर मिसाइल से हमला किया. मिसाइल हमले में 23 लोगों की मौत जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है. यूक्रेन की स्टेट इमरजेंसी सर्विस (एसईएस) ने हमले की पुष्टि की है.देखिए Russia Ukraine War Update.

पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयर से रेल टिकट की कालाबाजारी, RPF ने 6 दलालों को दबोचा

भारत में बैठे दलाल पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयरों की मदद से रेल टिकटों की कालाबाजारी कर रहे हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

रेलवे के सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयर के जरिए आईआरसीटीसी के 24 यूजर्स की आईडी को एक साथ इस्तेमाल किया जा सकता है. इस प्रकार एक बार में 144 सीटों की बुकिंग की जा सकती है. आम यात्री जब तक रिजर्वेशन फॉर्म भरता है और बैंक से भुगतान की प्रक्रिया पूरी करता है तब तक इन ताकतवर विदेशी सॉफ्टवेयरों की मदद से दलाल आईआरसीटीसी वेबसाइट पर ट्रेन में खाली दिखा रहीं सीटें बुक कर लेते हैं.

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 06, 2022, 14:33 IST

हाइलाइट्स

इन सॉफ्टवेयरों से IRCTC साइट में लॉगइन के लिए कैप्चा की जरूरत नहीं पड़ती
पाकिस्तान और रूस के सॉफ्टवेयर से एक साथ IRCTC की 24 IDs का इस्तेमाल
इन साॅफ्टवेयरों की मदद से दलाल एक बार में 144 सीटों की बुकिंग कर सकते हैं

मुंबईः भारत में बैठे दलाल पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयरों की मदद से रेल टिकटों की कालाबाजारी कर रहे हैं. ये विदेशी सॉफ्टवेयर को किराये पर चलाते हैं, इसके एवज में डेवलपर्स को सालाना लाखों का भुगतान क्रिप्टोकरंसी में करते हैं. विदेशी सॉफ्टवेयर इतने ताकतवर होते हैं कि आईआरसीटीसी वेबसाइट की सिक्योरिटी को चंद सेकेंड में तोड़कर कन्फर्म टिकट बुक कर लेते हैं. वहीं, रेलवे की टिकट बुकिंग साइट पर विजिट करने वाले आम आदमी को वेटिंग टिकट से संतोष करना पड़ता है. रेलवे सुरक्षा बल ने अभियान चलाकर 8 मई, 2022 को राजकोट के मन्नान बाघेला को टिकट की कालाबाजारी करने के मामले में गिरफ्तार किया था.

इसके बाद कन्हैया गिरी को 17 जुलाई, 2022 को मुंबई से गिरफ्तार किया. इन दोनों के पास से कोविड एक्स, एएनएमएस बैंक, ब्लैक टाइगर नामक अवैध सॉफ्टवेयर बरामद किए गए थे. आरपीएफ ने देश भर के अलग अलग शहरों से पाकिस्तानी और रूसी साॅफटवेयरों की मदद से रेल टिकट की कालाबाजारी करने वाले 6 दलालों को गिरफ्तार किया है. सूत्रों के मुताबिक आरपीएफ ने 2019 से लेकर जुलाई 2022 तक 375 अवैध सॉफ्टवेयर बंद कराए हैं, लेकिन कन्फर्म टिकटों की भारी मांग के चलते मार्केट में फिर नए सॉफ्टवेयर आ जाते हैं.

एक साथ 144 बर्थ की बुकिंग
रेलवे के सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयर के जरिए आईआरसीटीसी के 24 यूजर्स की आईडी को एक साथ इस्तेमाल किया जा सकता है. इस प्रकार एक बार में 144 सीटों की बुकिंग की जा सकती है. आम यात्री जब तक रिजर्वेशन फॉर्म भरता है और बैंक से भुगतान की प्रक्रिया पूरी करता है तब तक इन ताकतवर विदेशी सॉफ्टवेयरों की मदद से दलाल आईआरसीटीसी वेबसाइट पर ट्रेन में खाली दिखा रहीं सीटें बुक कर लेते हैं.

लॉगइन के लिए कैप्चा की जरूरत नहीं
इन सॉफ्टवेयरों से आईआरसीटीसी वेबसाइट में लॉगइन करने के लिए कैप्चा डालने की जरूरत नहीं होती. डायरेक्ट लॉगइन हो जाता है. इसके बाद पहले से भरे रिजर्वेशन फॉर्म में यात्रियों के नाम, पता, ट्रेन नंबर, तारीख, मोबाइल नंबर आदि जानकारी को जमा कर देता है. बैंक से भुगतान करने पर ओटीपी मोबाइल पर आता है, लेकिन विदेशी सॉफ्टवेयर इस ओटीपी को डायरेक्ट रीड कर लेते हैं. इससे दलाल टिकट बुकिंग की प्रक्रिया तेजी से पूरी कर लेते हैं.

प्रति माह 10 हजार किराया
सूत्रों की मानें तो 24 यूजर आईडी वाले पाकिस्तानी और रूसी सॉफ्टवेयरों का प्रतिमाह किराया 10 हजार रुपये होता है. हर माह सॉफ्टवेयर किराए का पैसा क्रिप्टोकरंसी के माध्यम से भेजा जाता है. सालाना सॉफ्टवेयर लेने पर डेवलपर्स छूट भी देते हैं. वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पाकिस्तानी और रूसी साॅफ्टवेयर डेवलवपर्स आईआरसीटीसी वेसाइइट से जुड़े शॉर्टकट्स दलालों को सिखाए जाते हैं.

क्या कहता है रेल मंत्रालय
इस बारे में रेल मंत्रालय का कहना है कि आईआरसीटीसी (IRCTC), आरपीएफ (Railway Protection Force) और क्रिस (Centre for Railway Information Systems) संयुक्त रूप से अवैध सॉफ्टवेयर से टिकटों की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं. बीते सात साल में 37 लाख से अधिक संदिग्ध निजी यूजर आईडी को बंद किया गया है. प्रतिदिन होने वाली टिकट बुकिंग की निगरानी भी की जाती है.

एक नजर भारतीय रूस दलालों रेल से जुड़े आंकड़ों पर
भारतीय रेलवे की ट्रेनों में प्रतिदिन 16 लाख से अधिक आरक्षित बर्थ की बुकिंग होती है. आईआरसीटीसी में 10 करोड़ यूजर आईडी पंजीकृत हैं, इनमें 7.50 करोड़ एक्टिव हैं. करीब 5 करोड़ लोग हर रोज आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर विजिट करते हैं, आईआरसीटीसी की वेबसाइट से हर मिनट 25 हजार से अधिक टिकट बुक किए जा सकते हैं. टिकट बुकिंग से प्रतिदिन 10 करोड़ रुपये का लेन.देन होता है, देश में 13 हजार यात्री ट्रेनें रोज चलती हैं, जिनमें 2.30 करोड़ यात्री सफर करते हैं.

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ये देश भी कर रहे रूस की मदद, यूक्रेन युद्ध के 8 महीने बाद खोज पाया अमेरिका? बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश

यूक्रेन के मददगार अमेरिका ने ऐसे ही एक नेटवर्क का पर्दाफाश किया है जो रूस की चोरी छिपे मदद कर रहा था। अमेरिका ने बुधवार को पांच रूसी नागरिकों पर प्रतिबंधों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।

ये देश भी कर रहे रूस की मदद, यूक्रेन युद्ध के 8 महीने बाद खोज पाया अमेरिका? बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश

यूक्रेन युद्ध को 8 महीनों से भी ज्यादा का वक्त हो गया है। युद्ध के बाद से पूरी दुनिया में हलचल है। जहां कुछ देश यूक्रेन की खुलकर मदद कर रहे हैं तो वहीं कुछ देश रूस की चुपचाप तरीके से सहायता कर रहे हैं। यूक्रेन के मददगार अमेरिका ने ऐसे ही एक नेटवर्क का पर्दाफाश किया है जो रूस की चोरी छिपे मदद कर रहा था। अमेरिका ने बुधवार को पांच रूसी नागरिकों पर प्रतिबंधों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। इस मामले में लातविया और वेनेजुएला के लोगों का नाम खुलकर सामने आया है।

ये लोग अमेरिकी निर्माताओं से सैन्य टेक्नोलॉजी खरीदकर उसे यूक्रेन में जारी युद्ध के लिए रूस को दे रहे थे। इन लोगों पर अमेरिका में जो बाइडन प्रशासन ने कई आरोप और प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। अमेरिकी न्याय मंत्रालय के अनुसार, यूक्रेन में युद्ध के मैदान से कुछ डिवाइस मिली हैं। इसके अलावा, लातविया से भी अन्य परमाणु प्रसार तकनीकी डिवाइस मिली हैं, जिन्हें रूस भेजा जाना था। लातविया रूस का पड़ोसी देश है और अब अमेरिका का मानना है कि वहां से रूस को मदद की जा रही है।

अमेरिकी न्याय मंत्रालय ने न्यूयॉर्क और कनेक्टिकट में अलग-अलग मामलों में नौ लोगों और वेनेजुएला के दो तेल दलालों पर आरोप लगाए हैं। इन लोगों पर अमेरिकी कंपनियों से सैन्य प्रौद्योगिकी प्राप्त करने और फिर उसे करोड़़ो डॉलर में रूसी व्यापारियों व अन्य स्वीकृत संस्थाओं को बेचने का आरोप है। कुछ आरोपियों पर वेनेजुएला की सरकारी तेल कंपनी के लिए अवैध तेल सौदों में दलाली करने का भी आरोप है।

अटॉर्नी जनरल मेरिक गारलैंड ने एक बयान में कहा, ‘‘जैसा कि मैंने कहा है, हमारे जांचकर्ता और अभियोजक उन लोगों की पहचान करने, उनका पता लगाने और उन्हें पकड़ने के प्रयास जारी रखेंगे, जिनके अवैध कार्यों से कानून का शासन कमजोर हो रहा है और जिनसे रूसी शासन को यूक्रेन में जारी युद्ध में मदद मिल रही है।

कुछ ही देश हैं जो खुलकर यूक्रेन युद्ध में रूस का समर्थन कर रहे हैं। बेलारूस रूस का सबसे बड़ा समर्थक है और उसने रूसी सैनिकों को अपने क्षेत्र से रूस दलालों यूक्रेन में प्रवेश करने की अनुमति दी है। यूक्रेन के साथ युद्ध में अन्य रूसी सहायक देश क्यूबा, निकारागुआ, वेनेजुएला और किर्गिस्तान हैं। कुछ देश चोरी छिपे भी रूसी आक्रमण के समर्थन में हैं। सीरिया, ईरान, यूएई और सऊदी अरब के बारे में कहा जाता है कि वह रूस का समर्थन कर रहे हैं।

JEE-Main Paper Leak Case: सीबीआई ने रूसी नागरिक को कोर्ट में किया पेश, दो दिनों की मिली न्यायिक हिरासत

मंगवालर को दिल्ली की एक अदालत में आरोपी को पेश किया गया। जहां से उसे दो दिनों की सीबीआई हिरासत में भेज दिया गया है।

सांकेतिक तस्वीर

संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) मेन 2021 पेपर लीक मामले में रूसी नागरिक मिखाइल शार्गिन को मंगलवार को अदालत ने दो दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया। केंद्रीय एजेंसी ने सोमवार को रूसी नागरिक को पूछताछ के लिए कजाकिस्तान से आने पर दिल्ली के आईजीआई हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया था।

द्वारका अदालत स्थित मजिस्ट्रेट ने सीबीआई के उस आग्रह को स्वीकार कर लिया कि आरोपी से पूछताछ कर मामले का पूरा खुलासा करना है। अदालत ने आग्रह स्वीकार कर आरोपी की रिमांड को मंजूर कर लिया। सीबीआई ने परीक्षा में कथित हेराफेरी के आरोप में मुख्य हैकर होने के संदेह में विदेशी नागरिक के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किया था। आरोपी मिखाइल शार्गिन ने जेईई मेन्स परीक्षा आयोजित करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज रूस दलालों के प्लेटफॉर्म, आईलियोन सॉफ्टवेयर के साथ छेड़छाड़ करने में मदद की थी।

पिछले साल सितंबर में एजेंसी ने एफिनिटी एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड और उसके तीन निदेशकों, सिद्धार्थ कृष्णा, विश्वंभर मणि त्रिपाठी और गोविंद वार्ष्णेय के अलावा अन्य दलालों और सहयोगियों के खिलाफ परीक्षा में कथित हेरफेर के लिए मामला दर्ज किया था।

यह आरोप लगाया गया था कि तीनों निदेशक व अन्य सहयोगियों और दलालों के साथ साजिश में जेईई (मेन्स) की ऑनलाइन परीक्षा में हेरफेर की। आरोपी सोनीपत (हरियाणा) में एक चुने हुए परीक्षा केंद्र से रिमोट एक्सेस के माध्यम से इच्छुक छात्रों के प्रश्न को हल करके बड़ी मात्रा में शीर्ष राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में प्रवेश पाने की सुविधा प्रदान कर रहे थे।

प्रत्येक छात्रों से लिए गए थे 12 से 15 लाख
सितंबर 2021 में सीबीआई ने एफिनिटी एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड और उसके तीन निदेशकों सिद्धार्थ कृष्णा, विश्वंभर मणि त्रिपाठी और गोविंद वार्ष्णेय के अलावा अन्य सहयोगियों के खिलाफ परीक्षा में कथित हेरफेर के लिए मामला दर्ज किया था। एजेंसी ने आरोप लगाया गया था कि हरियाणा के सोनीपत परीक्षा केंद्र पर इस कंपनी और उसके निदेशकों ने परीक्षा में रिमोट एक्सेस के माध्यम से आवेदकों के प्रश्न पत्र को हल किया था। इसके लिए सभी छात्रों से 12 से 15 लाख रुपये लिए गए थे।

विस्तार

संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) मेन 2021 पेपर लीक मामले में रूसी नागरिक मिखाइल शार्गिन को मंगलवार को अदालत ने दो दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया। केंद्रीय एजेंसी ने सोमवार को रूसी नागरिक को पूछताछ के लिए कजाकिस्तान से आने पर दिल्ली के आईजीआई हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया था।

द्वारका अदालत स्थित मजिस्ट्रेट ने सीबीआई के उस आग्रह को स्वीकार कर लिया कि आरोपी से पूछताछ कर मामले का पूरा खुलासा करना है। अदालत ने आग्रह स्वीकार कर आरोपी की रिमांड को मंजूर कर लिया। सीबीआई ने परीक्षा में कथित हेराफेरी के आरोप में मुख्य हैकर होने के संदेह में विदेशी नागरिक के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किया था। आरोपी मिखाइल शार्गिन ने जेईई मेन्स परीक्षा आयोजित करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के प्लेटफॉर्म, आईलियोन सॉफ्टवेयर के साथ छेड़छाड़ करने में मदद की थी।

पिछले साल सितंबर में एजेंसी ने एफिनिटी एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड और उसके तीन निदेशकों, सिद्धार्थ कृष्णा, विश्वंभर मणि त्रिपाठी और गोविंद वार्ष्णेय के अलावा अन्य दलालों और सहयोगियों के खिलाफ परीक्षा में कथित हेरफेर के लिए मामला दर्ज किया था।

यह आरोप लगाया गया था कि तीनों निदेशक व अन्य सहयोगियों और दलालों के साथ साजिश में जेईई (मेन्स) की ऑनलाइन परीक्षा में हेरफेर की। आरोपी सोनीपत (हरियाणा) में एक चुने हुए परीक्षा केंद्र से रिमोट एक्सेस के माध्यम से इच्छुक छात्रों के प्रश्न को हल करके बड़ी मात्रा में शीर्ष राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में प्रवेश पाने की सुविधा प्रदान कर रहे थे।

प्रत्येक छात्रों से लिए गए थे 12 से 15 लाख
सितंबर 2021 में सीबीआई ने एफिनिटी एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड और उसके तीन निदेशकों सिद्धार्थ कृष्णा, विश्वंभर मणि त्रिपाठी और गोविंद वार्ष्णेय के अलावा अन्य सहयोगियों के खिलाफ परीक्षा में कथित हेरफेर के लिए मामला दर्ज किया था। एजेंसी ने आरोप लगाया गया था कि हरियाणा के सोनीपत परीक्षा केंद्र पर इस कंपनी और उसके निदेशकों ने परीक्षा में रिमोट एक्सेस के माध्यम से आवेदकों के प्रश्न पत्र को हल किया था। इसके लिए सभी छात्रों से 12 से 15 लाख रुपये लिए गए थे।

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