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समाजवादी नेता मधु लिमये का जन्मशताब्दी वर्ष धूम-धाम से मनाने की तैयारी

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अपने उद्देश्य की सही दिशा में सफलता से आगे बढ़ रही है ‘भारत जोड़ो यात्रा’

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स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, गोवा मुक्ति आंदोलन के सिपाही, पुणे से बांका (बिहार) जाकर चुनाव जीतने की ताकत रखने वाले, 128 किताबों के रचनाकार प्रख्यात संसद विद मधु लिमये जी का यह जन्म शताब्दी वर्ष है। इसे मनाने की पहल समाजवादी समागम ने की है। जिसके तहत दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में 30 अप्रैल को तथा पटना के एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट में जन्मदिवस 1 मई 22 पर कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है। इस अवसर पर मधु लिमये के जीवन और विचार को लेकर एक स्मारिका प्रकाशित की जाएगी। स्मारिका का संपादन प्रो. आनंद कुमार करेंगे। इस अवसर पर एक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया जाएगा। देशभर के कार्यक्रमों का संयोजन करने के लिए मधु लिमये के निकटस्थ प्रो. राजकुमार जैन को जन्म शताब्दी समारोह का संयोजक बनाया गया है तथा मुझे सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

मधु लिमये जी की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि उनकी याददाश्त बेमिसाल थी। उन्हें अपने जीवन के हर पल में घटित सब कुछ जस का तस याद रहता था। इसका प्रमाण मधु लिमये जी की भारतीय दूसरा स्वर्ण खंड प्रकाशन संस्थान द्वारा प्रकाशित 506 पेज की आत्मकथा है, जो उन्होंने 26 जून 1975 को तत्कालीन मध्य प्रदेश (दूसरा स्वर्ण खंड अब छत्तीसगढ़) के महासमुंद जिले में गिरफ्तार होने के बाद नरसिंहगढ़ जिले की जेल में लिखी थी। जेल में हर दिन वे 2 घंटे लिखा करते थे। उन्होंने इस आत्मकथा में केवल 15 अगस्त 1947 तक का जिक्र किया है। मधु जी के शब्दों में 15 अगस्त 1947 को युग परिवर्तन हुआ था, उनकी पीढ़ी दूसरा स्वर्ण खंड के एक ध्येय की पूर्ति हुई थी। वे इसे आंदोलनों का स्वर्ण कहते थे। 1947 से 1964 तक समाजवादी दल के विस्तार, पार्टी की उथल-पुथल, गोवा मुक्ति संग्राम, संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन को वे दूसरा तथा 1964 दूसरा स्वर्ण खंड के बाद का तीसरा खंड मानते थे ,जब उन्होंने लोकसभा में पहुंचकर देश और दुनिया में ख्याति प्राप्त की थी ।

मधु लिमये जी ने आत्मकथा को तीन खंडों में लिखने की योजना बनाई थी। पहला खंड 24 दिसंबर 1994 के दिन पूरा हुआ था। मधु लिमये जी इसका अंग्रेजी अनुवाद स्वयं कर रहे थे तथा द्वितीय खंड के कागजात जुटा रहे थे लेकिन उसी बीच 8 जनवरी 1995 को अल्पकालीन बीमारी के बाद उनका अचानक निधन हो गया।

चंपा लिमये जी, जो मधु लिमए जी की जीवनसंगिनी (पत्नी) थीं, ने ही प्रथम खंड का सारा मजनून लिपिकार के तौर पर लिखने का काम पूरा किया था। चंपा जी बार-बार यह कहती थी कि दूसरा खंड भी आप मुझे लिखाइए लेकिन मधु जी परफेक्शनिस्ट थे। वे कहते थे कि दूसरा स्वर्ण खंड जब तक पहला खंड मन मुताबिक तैयार नहीं होगा, तब तक दूसरा और तीसरा खंड तैयार नहीं करूंगा।

चंपा जी के अनुसार मधु जी को लिखने के लिए प्रो. केलावाला ने युवा अवस्था में प्रेरित किया था। ‘ग्रीक संस्कृति का यूरोपीय संस्कृति पर प्रभाव’ विषय पर अंग्रेजी में विस्तृत निबंध लिखने का सफल प्रयोग होने के बाद प्रो केलावाला ने ‘1935 के संविधान का कानून’ पर दूसरा पेपर लिखने का आदेश दिया था, इसी क्रम में मधु जी की मुलाकात कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के नेता एसएम जोशी से हुई। जिनके त्यागमयी जीवन ने मधु जी के पूरे जीवन को परिवर्तित कर दिया। बाद में धुलिया की जेल में 1940 – 41 में उनकी साने गुरुजी से भेंट हुई। चंपा जी के शब्दों में महाराष्ट्र के इन दो वरिष्ठ नेताओं ने मधु जी पर माता के प्यार की जो वर्षा की, उसकी कोई तुलना नहीं हो सकती।

मधु जी दूसरा स्वर्ण खंड की आत्मकथा का अनुवाद श्रीमती सुलभा कोरे ने हिंदी में किया है । आत्मकथा में बचपन, प्राथमिक शिक्षा, दूसरा स्वर्ण खंड समाजवादी परिधि में प्रवेश, महाराष्ट्र में कांग्रेस के नेतृत्व का दर्शन, वामपंथी आंदोलन, सक्रिय राजनीति में प्रवेश, खानदेश और युद्ध विरोधी मुहिम, जेल की जिंदगी, साने गुरुजी के साथ परिचय ,भारत छोड़ो आंदोलन, अगस्त क्रांति और भूमिगत आंदोलन, क्रांतिकारी मासिक का प्रकाशन, वर्ली -यरवडा-बिसापुर जेल यात्रा, महा युद्ध की समाप्ति और मेरी रिहाई, चुनाव में प्रचार कार्य,1946 के राजनीतिक परिवर्तन, कोलकाता का एटक सम्मेलन और समाजवादी पार्टी का कानपुर सम्मेलन, विट्ठल मंदिर प्रवेश पर साने गुरुजी का अनशन, उंबरगांव शिविर, आजादी तथा बंटवारे के दर्द को लेकर विस्तृत तौर पर लिखा है।

देश के विभाजन को लेकर उन्होंने लिखा है कि 14-15 अगस्त की आधी रात को भारत की संविधान सभा की बैठक में स्वतंत्रता संग्राम दिवस मनाया गया तथा मुझे और मेरे युवा सहयोगियों को यह देश विभाजन का निर्णय दिल के दो टुकड़े करने जैसा लगा। उन्होंने लिखा है कि 15 अगस्त को पुणे में स्वतंत्रता उत्सव मनाया जा रहा था, उस भीड़ का अंग होने के बावजूद मैं उस भीड़ में पूरी तरह से एक नहीं हो पाया। आखिर आजादी मिली। कितने सालों का अथक परिश्रम का फल हाथ में तो आया लेकिन देश के विभाजन और दंगों से उस फल के मिलने के कारण हुई खुशी पर घड़ों पानी फिर गया था।

मधु जी की इस आत्मकथा को पढ़कर यह जाना जा सकता है कि वे प्राथमिक शाला से लेकर देश के विभाजन तक किस-किस से कब-कब मिले, मिलते समय वे क्या सोच रहे थे, क्या कह रहे थे तथा क्या कर रहे थे। हर बैठक में हुई चर्चा का सारांश भी तथा बहस का एक-एक वाक्य उन्हें जस का तस याद रहा। कौन से दोस्तों के साथ किस दिन आंदोलन किया, किस दिन फिल्म देखी, किस दोस्त का मूड किस दिन कैसा था आदि का ब्योरा तो आत्मकथा में मिलता ही है, साथ ही जिन स्थानों पर वे गए, उन स्थानों का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का उल्लेख भी वे करते हैं।

इससे समाजवादी आंदोलन के महानायक मधु लिमये जी की सम्वेदनशीलता, राष्ट्रवादी चिंतन, आज़ादी के आंदोलन के लिए समर्पण, अंतरराष्ट्रीय मामलों पर उनकी समझ, त्यागमयी और संघर्षमयी जीवन का पता चलता है।

केवी के बारे में ओट्टापलम, पालप्पुरम

G20

केरल में पलक्कड़ जिले के तीन केन्द्रीय विद्यालयों में से एक है। यह ग्रामीण क्षेत्र में एकल पारी का 3 खंड का विद्यालय है। विद्यालय छात्रों के सीखने को प्रोत्साहित करने के लिए एक शांत जगह पर स्थित है, जो शहर के शोर और गड़बड़ियों से काफी हद तक दूर है, साथ ही यह श्योराणुर पलक्कड़ रोड से केवल 2 किलोमीटर दूर है, जो नदी के करीब है।

वर्तमान उपलब्धियां: -

विज्ञान स्ट्रीम में एरनाकुलम क्षेत्र में विद्यालय को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनकारी विद्यालय के रूप में आंका जाता है। विद्यालय के 8 टीजीटी और 9 पीजीटी ने एक्स और बारहवीं में उत्कृष्ट परिणाम के लिए आरओ ईकेएम से योग्यता प्रमाण पत्र प्राप्त किया। बारहवीं कक्षा के 13 छात्रों को कुल 1,30000 / - रुपये की राशि की प्रत्येक 10000 रुपये की राशि प्राप्त हुई और दसवीं कक्षा के 7 छात्रों को उनके मेधावी प्रदर्शन के लिए 5000 रुपये की राशि कुल 35,000 / - प्राप्त हुई। AISSE, दूसरा स्वर्ण खंड AISSCE 2017-18 में उत्कृष्ट परिणाम लाने की दिशा में हमारे योगदान के लिए KVS RO एर्नाकुलम द्वारा हमारे दूसरा स्वर्ण खंड कई TGT'S और PGT को सम्मानित किया गया। श्रीमती जया बी, पीजीटी (रसायन) ने एर्नाकुलम क्षेत्र में रसायन विज्ञान में उच्चतम पीआई के लिए पुरस्कार प्राप्त किया।

विद्यालय ने क्षेत्र में हरित विद्यालय का स्थान प्राप्त किया है, इस क्षेत्र में स्वैच विद्यालय का स्थान और हरित विद्यालय कार्यक्रम के तहत विज्ञान और पर्यावरण केंद्र दूसरा स्वर्ण खंड से सर्वश्रेष्ठ परिवर्तन निर्माता पुरस्कार 2018-20 प्राप्त किया है।

विद्यालय ने स्काउटिंग और गाइडिंग में उत्कृष्ट उपलब्धियों का उत्पादन किया है। दो स्काउट्स और एक गाइड ने राष्ट्रपति पुरस्कार जीते। 6 स्काउट्स और 5 गाइड्स ने राज्य पुरस्कार पुरस्कार ।11 स्काउट्स जीते और 15 गाइड टी.एस.टी.

टीम के.वी.ओतापलाम ने डाक सप्ताह समारोह के सिलसिले में ओट्टापलम प्रमुख डाकघर में आयोजित फली क्विज़ में दूसरा पुरस्कार जीता।

कक्षा 12 वीं के मास्टर श्रीराम के। ने केवीएस नेशनल एथलेटिक मीट 2018 में 200 मीटर और 400 मीटर की दौड़ में स्वर्ण पदक जीता और एसजीएफआई के लिए चुने गए।

विदेशी मुद्रा भंडार के मोर्चे पर मिली अच्छी खबर, एक साल में सबसे तेज गति से बढ़ा

नई दिल्ली: विदेशी मुद्रा भंडार के मोर्चे पर अच्छी खबर मिली है। बीते 11 नवंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान देश के विदेशी मुद्रा भंडार में एक साल से ज्यादा की सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई है। इसके साथ ही अपना विदेशी मुद्रा भंडार 544 अरब डॉलर दूसरा स्वर्ण खंड के पार चला गया।

भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, 11 नवंबर 2022 को समाप्त सप्ताह के दौरान देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 14.73 अरब डॅालर की वृद्धि रही है। इसके साथ ही अब देश का विदेशी मुद्रा भंडार 544.72 अरब डॅालर पर पहुंच गया है। विदेशी मुद्रा भंडार में अगस्त 2021 के बाद यह सबसे ज्यादा वृद्धि रही है। बीते चार नवंबर को समाप्त दूसरा स्वर्ण खंड सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 529.99 अरब डॅालर था। 2022 की शुरुआत में देश का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 630 अरब डॅालर था। तब से रुपये में गिरावट का माहौल है।

इस साल की शुरूआत में अपना विदेशी मुद्रा भंडार संतोषजनक स्तर पर था। लेकिन इसी साल रुपये के मूल्य में गिरावट भी देखने को मिली। इसी गिरावट को रोकने के लिए रिजर्व बैंक को डॉलर खुले बाजार में बेचना पड़ रहा है। इसका असर दिखा और बीते सितंबर के मध्य के बाद रुपया पहली बार डॅालर के मुकाबले 80 के स्तर के करीब पहुंचा।

रिजर्व बैंक के अनुसार, आलोच्य सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा आस्तियों (FCA) में 11.8 अरब डॅालर की वृद्धि हुई है। अब यह 482.53 अरब डॅालर पर पहुंच गई हैं। विदेशी मुद्रा भंडार में एफसीए की सबसे बड़ी हिस्सेदारी होती है।

आरबीआई के मुताबिक बीते 11 नवंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान देश के स्वर्ण भंडार में भी बढ़ोतरी हुई। इस सप्ताह यह 2.64 अरब डॅालर बढ़कर 39.70 अरब डॅालर पर पहुंच गया। दरअसल, विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक में रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, ताकि आवश्यकता पड़ने पर वह अपनी देनदारियों का भुगतान कर सकें। विदेशी मुद्रा भंडार को एक या एक से अधिक मुद्राओं में रखा जाता है। अधिकांशत: डॉलर और बहुत बा यूरो में विदेशी मुद्रा भंडार रखा जाता है।

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