ऑप्शन का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव

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India VIX ने समझाया: India VIX क्या है और यह कैसे काम करता है?
शेयर बाजार को अस्थिर माना जाता है, जिसमें उच्च स्तर की अस्थिरता होती है, जिसका अर्थ है कि छोटी अवधि में शेयरों की कीमतों में भारी ऊपर और नीचे की गति हो सकती है। बाजार के निवेशकों को डर सूचकांक या अस्थिरता सूचकांक जैसे शब्दों का सामना करना पड़ सकता है। भारत VIX या भारत अस्थिरता सूचकांक के बारे में जानना महत्वपूर्ण है, जो भारत में निवेशकों और व्यापारियों को अस्थिरता-प्रेरित उतार-चढ़ाव को समझने में मदद करता है। इस लेख में, हम VIX इंडिया और इसके महत्व के बारे में चर्चा करेंगे जो आपको सूचित निवेश निर्णय लेने में मदद कर सकता है।
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फ्यूचर्स और ऑप्शंस में ऑप्शन का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव ओपन इंट्रेस्ट क्या होता है?
शेयर बाजार में दो तरह के सौदे हैं. पहला वह जिसमें शेयरों को खरीदने के बाद निवेशकों के खाते में शेयर आ जाते हैं.
प्रश्न: इसका कैलकुलेशन कैसै होता है?
उत्तर: मान लीजिए कि 'ए' नाम के एक कारोबारी ने रिलायंस के शेयर का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट खरीदा है. इस कॉन्टैक्ट की एक्सपायरी 25 अप्रैल को है. यह सौदा प्रति शेयर 1,310 रुपये में हुआ है. इस ऑप्शन का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव कॉन्ट्रैक्ट में 1,000 शेयर शामिल हैं. इस तरह ए ने एक कॉन्टैक्ट का ओपन इंट्रेस्ट (ओआई) बनाया है.
'बी' नाम का कारोबारी भी 1,370 रुपये की दर से 'बाय' ऑर्डर देता है. इस तरह ओआई एक से बढ़कर दो हो जाता है. 'सी' नाम का कारोबारी 1,370 रुपये ऑप्शन का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव का दो लॉट बेचना चाहता है. वह एक लॉट ऑप्शन का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव ए को और दूसरा बी को बेचता है.
Be Careful While Using MFT
Margin Trading with ETF, करते समय ध्यान दें कि आपके द्वारा MFT के लिए दिए गए ETF या स्टॉक की कीमत अगर कम हो जाती है तो आपको उतना अतिरिक्त अमाउंट ब्रोकर ऑप्शन का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव के पास जमा करवाना पड़ेगा।
उदाहरण के लिए आपने जो 1 लाख रूपये का ETF ब्रोकर के पास जमा करवाया। हेअरकट के बाद उसकी कीमत 92.5 हजार रूपये है। आपने 92.5 हजार रूपये का ETF ऑप्शन का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव और खरीद लिया। मान लीजिए की इस ETF की कीमत 20% कम हो जाती है यानि 80 हजार रूपये रह गई। आपको अतिरिक्त 20 हजार रूपये जमा करवाने होंगे।
List of ETFs for MFT
यह जानना भी जरूरी है कि कौन से ETF हैं, जो ‘Group I security’ की परिभाषा में आते हैं। दुर्भाग्यवश सिर्फ ऑप्शन का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव एक ETF है, जिस पर की Margin Trading with ETF संभव है। उस ETF का नाम है, Nippon India ETF Nifty 50 BeES (NIFTYBEES). इसके अतिरिक्त, कोई भी ETF इस श्रेणी में शामिल नहीं है। भविष्य में, हो सकता है कि कुछ और ETF इस श्रेणी में शामिल हों, जिन पर आप Margin Trading कर पाएं।
Margin trading with ETF से संबंधित अगर कोई अन्य जानकारी चाहिए तो कमेंट करके हमें बताएं।
ट्रेडिंग टाइमिंग बढ़ने से फायदा कम, पचड़ा ज्यादा
टैक्स जानकारों का मानना है कि ट्रेडिंग के घंटे बढ़ने से वॉल्यूम में नाटकीय बदलाव नहीं आएगा और साथ ही एसटीटी ऑप्शन का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव के तौर पर होने वाले टैक्स संग्रह पर भी ज्यादा असर नहीं होगा। एसटीटी संग्रह बीते वित्त ऑप्शन का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव वर्ष की तुलना में इस कारोबारी साल में अब तक 10 फीसदी बढ़कर 5,428 करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है। डिलीवरी आधारित टर्नओवर के मामले में खरीद-बिक्री, दोनों पर 0.125 फीसदी एसटीटी लगता है, जबकि इंट्रा-डे या गैर-डिलीवरी आधारित टर्नओवर में बिकवाली पक्ष पर 0.025 फीसदी एसटीटी वसूला जाता है।
इसी तरह एफऐंडओ सेग्मेंट में बिकवाली पक्ष पर फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट ऑप्शन का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव पर 0.017 फीसदी एसटीटी देना पड़ता है, जबकि खरीद पक्ष के लिए यह 0.125 फीसदी तय है। ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट में बिकवाली पक्ष को 0.017 फीसदी एसटीटी देना पड़ता है। काफी देर तक खुलने वाली दुकान का उदाहरण देते हुए इनकम टैक्स विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने कहा, 'बिक्री केवल इसलिए नहीं बढ़ेगी कि कोई संस्था ज्यादा घंटे के लिए काम कर रही है. इसलिए यह जरूरी नहीं है कि ट्रेडिंग का वक्त बढ़ने से आवश्यक रूप से लिक्विडिटी को मजबूती मिली और टैक्स कलेक्शन में ऑप्शन का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव इजाफा हो।'
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