संकेतक मानक

Updated Tue, 29 Nov 2022 05:30 AM IST
G3412 C18 C32 कैट 2W3681 इंजन ऑयल प्रेशर संकेतक
गुआंगज़ौ TengYuan जनरेटर सह।, लिमिटेड एक विशेष इंजीनियरिंग मशीनरी, जनरेटर सेट, समुद्री इंजन, औद्योगिक इंजन रखरखाव और स्पेयर पार्ट्स की बिक्री कंपनियों में लगी हुई है, कमला रखरखाव और स्पेयर पार्ट्स की बिक्री कारोबार संचालित करने वाली कंपनियों का लगभग 36 वर्षों का इतिहास है, प्रचुर मात्रा में है। तकनीकी बल, रखरखाव में समृद्ध अनुभव और स्पेयर पार्ट्स की बिक्री का अनुभव।
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YIELDMAT फ़ंक्शन
YIELDMAT फ़ंक्शन, परिपक्वता पर ब्याज देने वाली सिक्योरिटी के संकेतक मानक लिए, कीमत के मुताबिक सालाना लाभ की गणना करता है.
YIELDMAT फ़ार्मूला के हिस्से
YIELDMAT फ़ार्मूला को =YIELDMAT(settlement, maturity, issue, rate, price, [day_count_convention]) के रूप में लिखा जाता है.
- ज़रूरी नहीं - डिफ़ॉल्ट रूप से 0.
- 0, यू.एस. (NASD) 30/360 का संंकेतक - यह नैशनल एसोसिएशन ऑफ़ सिक्योरिटीज़ डीलर मानक के अनुसार मानता है कि एक महीने में 30 दिन और एक साल में 360 दिन हैंं. साथ ही, यह डाली गई उन तारीखों के लिए खास समायोजन करता है जो महीनों के आखिर में आती हैं.
- 1, वास्तविक/वास्तविक का संकेतक - यह तय तारीखों के बीच दिनों की वास्तविक संख्या और बीच के सालों में दिनों की वास्तविक संख्या के आधार पर हिसाब करता है. इसका इस्तेमाल यू.एस. ट्रेजरी बॉन्ड और बिल के लिए किया जाता है, लेकिन यह गैर-वित्तीय इस्तेमाल के लिए भी बहुत काम का है.
- 2, वास्तविक/360 का संकेतक - यह तय तारीखों के बीच दिनों की वास्तविक संख्या के आधार पर हिसाब करता है, लेकिन मानता है कि एक साल में 360 दिन हैं.
- 3, वास्तविक/365 का संकेतक - यह तय तारीखों के बीच दिनों की वास्तविक संख्या के आधार पर हिसाब करता है, लेकिन मानता है कि एक साल में 365 दिन हैं.
- 4 यूरोपीय 30/360 का संकेतक - 0 की तरह, यह 30 दिन के महीने और 360 दिन के साल के आधार पर हिसाब करता है, लेकिन यूरोपीय वित्तीय परंपराओं के मुताबिक महीने की आखिरी तारीखों को समायोजित करता है.
फ़ॉर्मूला के नमूने
- settlement , maturityऔर issue में टेक्स्ट डालने के बजाय, उन्हें DATE, TO_DATE या दूसरे तारीख पार्स करने वाले फ़ंक्शन का इस्तेमाल करके दर्ज करना चाहिए.
उदाहरण
मिलते-जुलते फ़ंक्शन
PRICEMAT : अपेक्षित फ़ायदे के आधार पर, परिपक्वता पर ब्याज का भुगतान करने वाली सिक्योरिटी के मूल्य की गणना करता है.
YIELDDISC : कीमत के आधार पर किसी छूट (बिना ब्याज वाली) सिक्योरिटी के सालाना फ़ायदे की गणना संकेतक मानक करता है.
Road Safety Campaign : हाइवे पर संकेतक व दिशा सूचक न होने से हो रहे हादसे
Road Safety Campaign : सागर जिले की सड़कों पर सड़क सुरक्षा के मानकों की अनदेखी की जा रही है। नेशनल हाइवे के साथ-साथ स्टेट हाइवे पर भी जगह-जगह संकेतक व दिशा सूचक बोर्ड क्षतिग्रस्त पड़े हैं। इससे हादसे नहीं रुक रहे है।
Road Safety Campaign : सागर (नवदुनिया प्रतिनिधि)। सागर जिले की सड़कों पर सड़क सुरक्षा के मानकों की अनदेखी की जा रही है। नेशनल हाइवे के साथ-साथ स्टेट हाइवे पर भी जगह-जगह संकेतक व दिशा सूचक बोर्ड क्षतिग्रस्त पड़े हैं। इससे हादसे नहीं रुक रहे है। यदि हम नेशनल हाइवे 44 की बात करें तो यहां हर साल कई हादसे संकेतकों के अभाव में होते हैं। नेशनल हाइवे पर कई जगह संकेतक गायब हैं। इससे रात के समय ज्यादा हादसे होते हैं। एनएच के प्राविधान के अनुसार तिराहे पर 20 मीटर पहले संकेतक लगा होना चाहिए। संकेतक ऐसा हो जो चालकों को दूर से नजर आ जाए, लेकिन यहां ऐसा नहीं है। एनएच 44 पर सागर जिले के रानीपुरा व गढ़पहरा के बीच बने तिराहे पर न तो किसी तरह का संकेतक बोर्ड लगा है। न ही रिफ्लेक्टर व स्पीड लिमिट बोर्ड लगाए गए हैं। यही हाल देवरी की ओर जाने वाले केसली तिराहे का है। यहां संकेतकों पर ध्यान नहीं दिया गया। कई जगह संकेतक क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिससे लोगों को मोड़ पर लोग भ्रमित हो जाते हैं।
स्टेट हाइवे पर यही हाल
सागर-सिलवानी मार्ग स्टेट हाइवे पर भी यही स्थिति है। यहां अंधे मोड़ों तक से संकेतक व दिशा सूचक गायब हो चुके हैं। सागर से जाते हुए राजघाट के आगे बरौदा के पास, सोठिया, हिनौता के पास आए दिन हादसे होते हैं, लेकिन यहां न तो किसी तरह का संकेतक लगा है न दिशा सूचक। कई हादसे के बाद भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। वहीं जैसीनगर के आगे डुंगरिया के पास अंधे मोड़ पर भी संकेतक नहीं है। यहां खतरनाक मोड़ होने की वजह से डंपर सहित अन्य वाहनों को काटने में परेशानी होती है, आए दिन हादसे होते हैं, लेकिन दिशा सूचक आदि पर ध्यान नहीं दिया जाता। इसी तरह सियमरऊ से सिलवानी के बीच न केवल संकेतक गायब हैं, बल्कि सड़क भी उखड़ी पड़ी हैं। बीना से बीना से सिरोंज को जाने वाले स्टेट हाइवे 14 पर भी कई जगह अनदेखी की गई हैं। इस मार्ग पर कर्व ज्यादा हैं, लेकिन वहां भी संकेतक व दिशा सूचक गायब हैं। रिफाइनरी तिराहा, माडल रोड, भौंरासा रोड, रुसिया के पास जहां ट्रक ले बाय बना हुआ है, वहीं संकेतकों का अभाव है। वहीं मोड पर थर्मोप्लास्ट वर्क के साथ सेंटर लाइन, एज लाइन नहीं है। इससे हादसे होते हैं। स्टेट हाइवे बीना से कंजिया मार्ग पर भी एक्सीडेंटल प्वाइंटों पर भी संकेतकों का अभाव है। यहां सड़क के दोनों ओर सोल्डर, संकेतक व रेडियम पट्टी का अभाव है। इंजीनियर आशीष गुरु के मुताबिक स्टेट हाइवे बीना से कंजिया पर आवासीय क्षेत्रों में भी संकतकों की अनदेखी है। इससे हादसे होते हैं
Sonebhadra News: नियमों का नहीं है ध्यान, बेमानक ब्रेकर ले रहे जान
वाराणसी ब्यूरो
Updated Tue, 29 Nov 2022 05:30 AM IST
सोनभद्र। जिले के विभिन्न सड़कों पर बिना मानक बने स्पीड संकेतक मानक ब्रेकर हादसों का सबब बन रहे हैं। ब्रेकर पर संकेतक और अधिक ऊंचाई होने के कारण जिले में पिछले कुछ वर्षों में दर्जनों मौतें हो चुकी हैं। बावजूद जिम्मेदार अधिकारी और संबंधित विभाग घटनाओं से सबक लेने की बजाय चुप्पी साधे हैं। सदर ब्लॉक क्षेत्र, चोपन, म्योरपुर, मधुपुर, तिलौली, पन्नूगंज-रामगढ़, दुद्धी, शक्तिनगर, कोन सहित जिले के विभिन्न नगरीय इलाकों के साथ ही ग्रामीण अंचलों में भी मनमाने ढंग से स्पीड ब्रेकर बने हैं। इनमें से कुछ ब्रेकर लोक निर्माण विभाग ने बनवाएं हैं तो कई स्थानों पर स्थानीय लोगों ने अवैध रूम से मानक विहीन ब्रेकर बना रखा है। इनकी ऊंचाई काफी अधिक होने और ढलान न होने से ब्रेक लगाते ही बाइक सवारों की जान पर बन आती है। अक्सर वाहन पलटने या फिर बाइक से उछल कर गिरने से लोग घायल और असमय मौत का शिकार हो जाते हैं। शासन की ओर से पिछले दिनों खतरे वाले ब्रेकर हटाने के निर्देश दिए थे। मगर कुछ स्थानों को छोड़ जिम्मेदार आदेश की अवहेलना कर रहे हैं। इससे निर्देशों का असर धरातल पर देखने को नहीं मिल रहा है। ग्रामीण इलाकों में तो ऐसे ब्रेकरों की भरमार है। पीडब्लूडी प्रांतीय खंड के सहायक अभियंता मनीष यादव ने बताया कि राजमार्गो पर स्पीड ब्रेकर बनाने का प्रावधान नहीं है। स्कूलों के पास अगर ब्रेकर बनते भी है तो जिला प्रशासन से अनुमति लेनी होती है। ऐसे में जागरूकता की जरूरत है।
सोनभद्र। जिले के विभिन्न सड़कों पर बिना मानक बने स्पीड ब्रेकर हादसों संकेतक मानक का सबब बन रहे हैं। ब्रेकर पर संकेतक और अधिक ऊंचाई होने के कारण जिले में पिछले कुछ वर्षों में दर्जनों मौतें हो चुकी हैं। बावजूद जिम्मेदार अधिकारी और संबंधित विभाग घटनाओं से सबक लेने की बजाय चुप्पी साधे हैं। सदर ब्लॉक क्षेत्र, चोपन, म्योरपुर, मधुपुर, तिलौली, पन्नूगंज-रामगढ़, दुद्धी, शक्तिनगर, कोन सहित जिले के विभिन्न नगरीय इलाकों के साथ ही ग्रामीण अंचलों में भी मनमाने ढंग से स्पीड ब्रेकर बने हैं। इनमें से कुछ ब्रेकर लोक निर्माण विभाग ने बनवाएं हैं तो कई स्थानों पर स्थानीय लोगों ने अवैध रूम से मानक विहीन ब्रेकर बना रखा है। इनकी ऊंचाई काफी अधिक होने और ढलान न होने से ब्रेक लगाते ही बाइक सवारों की जान पर बन आती है। अक्सर वाहन पलटने या फिर बाइक से उछल कर गिरने से लोग घायल और असमय मौत का शिकार हो जाते हैं। शासन की ओर से पिछले दिनों खतरे वाले ब्रेकर हटाने के निर्देश दिए थे। मगर कुछ स्थानों को छोड़ जिम्मेदार आदेश की अवहेलना कर रहे हैं। इससे निर्देशों का असर धरातल पर देखने को नहीं मिल रहा है। ग्रामीण इलाकों में तो ऐसे ब्रेकरों की भरमार है। पीडब्लूडी प्रांतीय खंड के सहायक अभियंता मनीष यादव ने बताया कि राजमार्गो पर स्पीड ब्रेकर बनाने का प्रावधान नहीं है। स्कूलों के पास अगर ब्रेकर बनते भी है तो जिला प्रशासन से अनुमति लेनी होती है। ऐसे में जागरूकता की जरूरत है।