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पैसिव इंडेक्स फंड बेहतर क्यों हैं?

पैसिव इंडेक्स फंड बेहतर क्यों हैं?

इन्वेस्टर एजुकेशन समाचार

म्‍यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट शुरू करने के लिए यह जरूरी नहीं है कि आपको बड़ी रकम की जरूरत पड़ेगी। वहीं आप महज 100 रुपये की छोटी सैविंग से भी इन्वेस्टमेंट की शुरुआत कर सकते हैं। कई म्‍यूचुअल फंड स्‍कीम्‍स में आप100 रुपये मंथल.

अगर आप म्यूचुअल फंड के यूनिट रिडीम करना चाहते हैं तो इसकी प्रक्रिया से आप किसी भी कारोबारी दिन शुरू कर सकते हैं। वहीं अगर आप खुद से यह काम करना चाहते हैं तो आपको म्‍युचुअल फंड कंपनी की वेबसाइट से पहले ट्रांजैक्शन स्लिप डाउनलो.

SIP में इन्वेस्टमेंट शुरू करने की सही डेट चुनने का वैसे कोई विशेष टिप्स नहीं है। एक्सपर्ट का कहना है कि हर महीने की 10 तारीख से बाद की डेट का चुनाव करना ज्यादा अच्छा होगा जिससे आपको किसी तरह की कोई समस्या का सामना न करना पड़े.

Stock Market Investment Mutual Funds नाबालिग के नामांकन फॉर्म में माता-पिता या अभिभावक का ब्यौरा देना आवश्यक होता है। वहीं बैंक अकाउंट और इन्वेस्टर के बीच के रिश्ते को इस फॉर्म में दर्शाया जाता है। ये औपचारिकताएं जरूरी होती ह.

ऐसी कंपनियां जिनके शेयरों की कुल वैल्यू काफी कम है उन्हें हम स्मॉलकैप कंपनियां कहते हैं। हालांकि शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों के कारोबार में बेहतर ग्रोथ की तेज संभावनाओं का आकलन करने के बाद ही उनकी पहचान की जाती है।

प्राइमरी मार्केट वो जगह होती है जहां पर कंपनियों के शेयर्स व सिक्योरिटीज पहली बार जारी किए जाते हैं। IPO की प्रक्रिया प्राइमरी मार्केट में ही होती है। इस मार्केट में निवेशक सीधे कंपनी से उसकी सिक्योरिटीज खरीदते हैं।

पेनी स्टॉक्स में निवेश (investing in penny stocks) करने का रिस्क काफी ज्यादा रहता है। ऐसे शेयर में काफी कम समय में ही उतार-चढ़ाव होने लगता है। ऐसे में इन्वेस्टर काफी पैसिव इंडेक्स फंड बेहतर क्यों हैं? जल्दी मालामाल भी हो सकते हैं और उन्हें भारी नुकसान भी उठाना.

जब कंपनी को ग्रोथ के लिए या यूं कहें कंपनी के विस्तार के लिए ज्यादा पैसे की जरूरत होती है तब वह पहली बार स्टॉक मार्केट में इंटर करती है और पब्लिक से पैसा रेज करती है और बदले में शेयर जारी करती है।

Commodity Market शेयर मार्केट की तरह ही एक मार्केट होती है जिसमें आप शेयर की जगह पर विभिन्न कमोडिटी में निवेश करते हैं। इन कमोडिटी को दो भागों में बांटा जा सकता है पहला है हार्ड कमोडिटी और दूसरा होता है सॉफ्ट कमोडिटी।

Stock Market Investment फाइनेंशियल गोल को पाने के लिए आपके पोर्टफोलियो में सही एसेट एलोकेशन को होना जरूरी होता है। इक्विटी डेट रियल एस्टेट गोल्ड सहित अन्य एसेट क्लास में सही इन्वेस्टमेंट लॉन्ग टर्म में अच्छा रिटर्न दिला सकता .

जब स्टॉक के चुनाव (Stocks Selection) की बात आती है तो इससे निवेशकों को सही कंपनी में निवेश करने में मदद मिलती है। इसलिए स्टॉक में निवेश करने वाले निवेशकों को कहा जाता है कि उन्हें उन कंपनियों में निवेश करना चाहिए जिनके बिजनेस.

Stock Market Investment नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में 1900 से अधिक कंपनियां लिस्टेड हैं। शेयर बाजार में इन कंपनियों को 11 प्रमुख सेक्टर में बांटा गया है। तो आइए जानते है शेयर बाजार में विभिन्न सेक्टर्स कौन-कौन से हैं।

बच्चों के बेहतर भविष्य की प्लानिंग अभी से करें शुरू, Mutual Fund Scheme में निवेश कर मिलेगा तगड़ा रिटर्न

Mutual Fund Scheme अगर बच्‍चे के जन्‍म के बाद से ही इन म्‍यूचुअल फंड्स स्‍कीम (Mutual Fund Scheme) में इनवेस्टमेंट की शुरुआत की जाए तो 15 साल की उम्र होते-होते आपके बच्‍चे के नाम एक बड़ा फंड हो जाएगा।

जब आप किसी इंडेक्स फंड में पैसा निवेश करते हैं तो एसेट मैनेजमेंट कंपनी आपके फंड को अपने एयूएम में एड करती है और फिर बेंचमार्क के अनुरूप सिक्युरिटीज खरीदने का काम करती है। जब आप रिडीम करने जाते हैं तो ठीक इसके विपरीत होता है।

म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) एक ऐसा फंड है जो AMC यानी पैसिव इंडेक्स फंड बेहतर क्यों हैं? एसेट मैनेजमेंट कंपनीज ऑपरेट करती हैं। इन कंपनियों में कई लोग अपने पैसे इन्वेस्टमेंट करते हैं। म्यूचुअल फंड द्वारा पैसों को बॉन्ड शेयर मार्केट समेत कई जगहों पर इन्वेस्टमेंट.

प्राइसेज और एसेट वैल्यूज को वर्तमान परिस्थितियों में एलाइन करने के लिए सरकारों और संगठनों द्वारा उपयोग होने वाली तकनीक या सिस्टम ही इंडेक्सेशन है। ये सूचकांक इन्फ्लेशन कॉस्ट ऑफ लिविंग वेतन इनपुट प्राइसेज और दूसरे माइक्रोइकनॉम.

निफ्टी-50 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड भारत की टॉप 50 कंपनियों के भारित औसत का प्रतिनिधित्व करता है। वास्तव में निफ्टी-50 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज 50 की शॉर्ट फॉर्म है। निफ्टी-50 एक मार्केट इंडेक्स है। निफ्टी को नेशनल स्टॉक एक.

Mutual Fund Investment अगर आप भी कम रिस्क में अच्छा रिटर्न प्राप्त करना चाहते हैं साथ ही ऐसा इन्वेस्टमेंट प्लान ढूंढ रहे हैं जिसमें आपको टैक्स में भी छूट मिले तो ELSS आपके लिए एक आदर्श विकल्प है।

इंट्रा-डे ट्रेडिंग एक स्ट्रैटजी होती है जो किसी भी एसेट में एक सत्र के दौरान मूल्यों में आए तेज बदलाव का फायदा उठाने के लिए इस्तेमाल की जाती है। इसमें निवेशक का पैसा काफी कम समय के लिए बाजार में रहता है।

ईटीएफ में पैसे लगाने से पहले समझिए ईटीएफ की पूरी गणित, ईटीएफ और इंडेक्स फंड में फर्क क्या

पिछले कुछ समय से ईटीएफ काफी चलन में है और म्यूचुअल फंड (एमएफ) इंडस्ट्री ने भी कई एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) लॉन्च किए। इनमें विदेश में निवेश करने वालों से लेकर, कुछ अन्य जो सेक्टर या थीम में निवेश.

ईटीएफ में पैसे लगाने से पहले समझिए ईटीएफ की पूरी गणित, ईटीएफ और इंडेक्स फंड में फर्क क्या

पिछले कुछ समय से ईटीएफ काफी चलन में है और म्यूचुअल फंड (एमएफ) इंडस्ट्री ने भी कई एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) लॉन्च किए। इनमें विदेश में निवेश करने वालों से लेकर, कुछ अन्य जो सेक्टर या थीम में निवेश करते हैं, शामिल हैं। लेकिन क्या आपको पता है ईटीएफ क्या होते हैं और उन्हें कैसे चुनना चाहिए? ईटीएफ लेना चाहिए या इंडेक्स फंड ?

ईटीएफ इंडेक्स फंड से कैसे अलग हैं?
इंडेक्स फंड और ईटीएफ दोनों ही पैसिव फंड हैं। दोनों फंडों का लक्ष्य अपने बेंचमार्क इंडेक्स से बेहतर प्रदर्शन या अंडरपरफॉर्म नहीं करना है। ईटीएफ, एक इंडेक्स फंड की तरह, एक बेंचमार्क इंडेक्स चुनता है और फिर बेंचमार्क के रिटर्न को कॉपी करने की कोशिश करता है। ईटीएफ केवल स्टॉक एक्सचेंज में उपलब्ध है, जहां आप बाजार के कामकाज के दौरान खरीद और बिक्री कर सकते हैं। इंडेक्स फंड का भी लक्ष्य इंडेक्स के रिटर्न से मेल खाना है। लेकिन वे निवेशकों को इंट्राडे खरीद या बिक्री मूल्य की पेशकश नहीं करते हैं।

दिन के अंत में फंड का शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) जारी किया जाता है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के नए नियमों के अनुसार, निवेशक को उस दिन का एनएवी तभी मिल सकता है जब उसका निवेश फंड में जमा हो जाता है। आपके निवेश के तरीके और समय के आधार पर इसमें कुछ दिन या उससे भी अधिक समय लग सकता है। दूसरी ओर ईटीएफ शेयरों की तरह कारोबार किया जाता है, इसलिए निवेशक ईटीएफ को ऑर्डर देने के समय प्रचलित व्यापारिक मूल्य पर खरीद या बेच सकते हैं।

ईटीएफ और इंडेक्स फण्ड में बेहतर कौन?
एक ईटीएफ की संरचना को इंडेक्स फंड की तुलना में बेहतर माना जाता है। एक इंडेक्स फंड एक विशिष्ट एमएफ योजना की तरह काम करता है। जब निवेशक फंड में पैसा लगाते हैं, तो फंड सिक्योरिटीज ऐसे खरीदता है पैसिव इंडेक्स फंड बेहतर क्यों हैं? जिससे पोर्टफोलियो इंडेक्स जैसा दिखे। फंड मैनेजर फंड में कुछ कैश रखता है। कैश घटक जितना बड़ा होगा, स्कीम प्रदर्शन बेंचमार्क के प्रदर्शन से उतना ही अलग होगा।
इसके विपरीत एक ईटीएफ यूनिट केवल फंड हाउस के साथ सिक्योरिटी की बास्केट का आदान-प्रदान करके बनाई जाती है। बास्केट की एक इकाई के घटक स्थिर होते हैं और इन्हें बदला नहीं जा सकता। यह ईटीएफ के नकद घटक को मजबूती से नियंत्रण में रखता है और इसलिए, इसमें कम ट्रैकिंग त्रुटि रहती है।

क्या ईटीएफ पैसिव इंडेक्स फंड बेहतर क्यों हैं? बेहतर है?
ऐसा नहीं है। इंडेक्स फंड की तुलना में ईटीएफ महंगा हो सकता है। चूंकि ईटीएफ को केवल स्टॉक एक्सचेंजों पर खरीदा और बेचा जा सकता है, इसलिए आपको एक डीमैट खाते की आवश्यकता है (शुल्क 300-450 रुपये प्रति वर्ष है)। (सक्रिय निवेशकों या व्यापारियों के लिए, इन शुल्कों को कभी-कभी माफ कर दिया जाता है।) इसमें ब्रोकरेज शुल्क भी होता है और अधिकतर 0.5 प्रतिशत तक वसूलते हैं।
बाजार में कम मात्रा वाले ईटीएफ में लिक्विडिटी की कमी होती है, ऐसे में जब आप अपना स्टॉक बेचना चाहते हैं तो आपको पर्याप्त संख्या में खरीदार नहीं मिलते हैं। इसी तरह जब आप कुछ इकाइयां खरीदना चाहते हैं तो पर्याप्त विक्रेता नहीं मिलते हैं।

ईटीएफ के प्रदर्शन को कैसे मापा जाए?
पैसिव फंड को उनकी ट्रैकिंग त्रुटियों या उनके संबंधित बेंचमार्क इंडेक्स से उनके प्रदर्शन के आधार पर मापा जा सकता है। पिछले कुछ वर्षों में, जैसे-जैसे फंड हाउस और बाजार परिपक्व हुए हैं, पैसिव फंडों, विशेष रूप से इंडेक्स फंड्स की ट्रैकिंग त्रुटियों में कमी आई है। अंतर्निहित इंडेक्स में शेयरों में लिक्विडिटी की कमी भी ट्रैकिंग त्रुटि में योगदान करती है क्योंकि खरीदने और बेचने से लागत बढ़ती है। इसीलिए स्मॉल-कैप और मिड-कैप पैसिव फंड की ट्रैकिंग त्रुटि आमतौर पर लार्ज-कैप फंड की तुलना में अधिक होती है।

पैसिव इंडेक्स फंड बेहतर क्यों हैं?

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इंडेक्स फंड और ईटीएफ में कौन है बेहतर? [Index Fund vs ETF]

इंडेक्स फंड और ईटीएफ में क्या है बेहतर | Index Fund vs ETF

आइये जानते हैं कि Index Fund vs ETF की जंग में कौन जीतता है और आपको इन दोनों में से किस में निवेश करना चाहिए।

1. ट्रेडिंग – इंडेक्स फंड vs ईटीएफ

ईटीएफ और इंडेक्स फंड में सबसे बड़ा अंतर यह है कि जहां एक ओर इंडेक्स म्युचुअल फंड बाजार पर ट्रेड नहीं होते हैं वही ईटीएफ स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड होते हैं।

ट्रेडिंग का फायदा यह है कि जब भी आपका मन करें आप अपना इन्वेस्टमेंट शुरू कर सकते हैं और आपका निवेश करें बाजार भाव पर हो जाएगा।

2. इंडेक्स फंड या ईटीएफ में न्यूनतम निवेश राशि

अगर आप किसी ETF में अपनी पोजीशन बनाना चाहते हैं तो आपके लिए कोई मिनिमम अमाउंट यानी न्यूनतम राशि जैसा कुछ नहीं है जैसा कि आमतौर पर एक इंडेक्स म्युचुअल फंड में होता है।

किसी भी ईटीएफ को आप कितनी भी क्वांटिटी में चाहे तो buy कर सकते हैं |

आप चाहे तो एक etf यूनिट खरीदें या फिर 1000 यह आपके ऊपर निर्भर करता है और तत्काल बाजार भाव से आप उसे खरीद सकते हैं।

अब अगर अब आप एक इंडेक्स फंड की बात करें जैसे मान लें एचडीएफसी इंडेक्स निफ्टी 50 फंड तो इसके लिए आपको मिनिमम ₹5000 से इन्वेस्टमेंट को स्टार्ट करना होगा|

उसके बाद भी अगर आप आगे निवेश करना चाहते हैं तो फिर मिनिमम ₹1000 लगाना पड़ेगा |

3. NAV अपडेट

किसी भी इंडेक्स फंड का जो NAV होता है वह दिन के अंत में ही पता चलता है।

इसे होगा क्या कि मान लें अगर आपको कोई इंडेक्स फंड में इन्वेस्ट करना है और आपने देखा कि आज मार्केट तो डाउन है |

अगर आप आज इन्वेस्ट कर दें तो हो सकता है कि आपको आज के बाजार भाव पर आपका इन्वेस्टमेंट ना हो क्योंकि जो भी आपका ऑर्डर एग्जीक्यूट होगा वह अगले दिन के NAV पर होगा।

वहीं अगर ETF की बात करें तो उसकी प्राइस रियल टाइम पर अपडेट होती है क्योंकि वह एक स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड करता है तो इसके लिए उसे किसी भी समय खरीदना या बेचना बेहतर रहता है।

4. इंडेक्स फंड और ईटीएफ की लिक्विडिटी

अगर बात करें लिक्विडिटी या वॉल्यूम के बारे में तो आप पैसिव इंडेक्स फंड बेहतर क्यों हैं? देखेंगे कि इंडेक्स फंड में लिक्विडिटी का कोई झंझट ही नहीं है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि इंडेक्स फंड को खरीदने या बेचने के लिए आपको खुद जाकर के खरीददार या फिर बेचने वाले की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती है और सीधा आपको केवल एएमसी (AMC) से ही संपर्क करना पड़ता है।

वहीं अगर आप एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स लिक्विडिटी की बात करें तो आप देखेंगे कि लिक्विडिटी इसके प्राइस पर काफी असर डालती हैं और काफी सारे ईटीएफ में लिक्विडिटी की समस्या रहती है ।

ऐसा इसलिए है क्योंकि हाल फिलहाल में भी कुछ ईटीएफ का ट्रेडिंग वॉल्यूम काफी कम होता है।

5. एक्सपेंस रेश्यो

बात करेंगे एडिशनल चार्जेज की तो आप देखेंगे कि जो भी इंडेक्स फंड है उसमें हमें एक्सपेंस रेश्यो देना पड़ता है और अगर आपने उस फंड को तुरंत ही बेच दिया तो हो सकता है कि कुछ एग्जिट लोड भी देना पड़े।

पर कुल मिलाकर के इंडेक्स फंड का एक्सपेंस रेशों काफी कम होता है।

अब अगर ईटीएफ की बात करें तो उनका एक्सपेंस रेशों भी इंडेक्स फंड के आसपास या उससे कम हो सकता है पर हर बार जब भी भी आप किसी ईटीएफ को बाय या सेल करेंगे तो आपको अलग से ब्रोकरेज और अलग अलग चार्जेज़ जैसे जीएसटी, एसटीटी, स्टैंप ड्यूटी, एक्सचेंज फीस इत्यादि इत्यादि देने पड़ सकते हैं।

6. क्या Index fund या ETF में SIP कर सकते हैं?

अब बात करें अगर सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट यानी एसआईपी की तो फिर कुछ समय पहले तक तो ऐसा था कि आप किसी भी इंडेक्स फंड में बड़े आराम से ऐसा ही कर सकते थे और अभी भी कर सकते हैं पर यह चीज एक ईटीएफ में नहीं होती थी।

पर आजकल ईटीएफ में भी SIP करने के लिए कई सारे प्लेटफार्म हैं |

जैसे मैं आईसीआईसीआई डायरेक्ट का उपयोग करता हूं पैसिव इंडेक्स फंड बेहतर क्यों हैं? और उसमें स्टॉक्स या फिर ईटीएफ के लिए एक ऑप्शन आता है SEP यानी सिस्टमैटिक इक्विटी प्लान और उसके तहत मैं किसी भी ईटीएफ में एसआईपी मोड से इन्वेस्ट कर सकता हूं।

हो सकता है बाकी डीमेट या ट्रेडिंग अकाउंट में भी ऐसी फैसिलिटी बाकी कंपनियां भी दे रही हों।

7. इन्वेस्टमेंट फ्लेक्सिबिलिटी

इंडेक्स म्यूच्यूअल फंड की बात करें इसमें बहुत ज्यादा फ्लैक्सिबिलिटी नहीं है और आप इसमें बहुत कुछ नहीं कर सकते हैं।

यहां पर बहुत कुछ से मेरा मतलब है कि इंडेक्स फंड के लिए आप टेक्निकल या फंडामेंटल एनालिसिस करके कुछ पता नहीं कर सकते हैं ना ही उसका कोई फायदा होगा।

वहीं अगर ईटीएफ की बात करें तो इसमें काफी अधिक फ्लैक्सिबिलिटी है और इसमें बहुत कुछ किया जा सकता है।

क्योंकि एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स NSE और BSE पर ट्रेड होते हैं इसके लिए उसमें टेक्निकल एनालिसिस की जा सकती है।

इसके अलावा भी आप चाहे तो ईटीएफ ट्रेडिंग के दौरान लिमिट ऑर्डर या स्टॉप लॉस ऑर्डर लगा सकते हैं और मार्जिन ट्रेडिंग भी कर सकते हैं।

ऐसे बहुत सारे निवेशक हैं जो ईटीएफ में टेक्निकल चार्ट्स की मदद से ट्रेडिंग भी करते हैं और काफी अच्छा पैसा भी बनाते हैं।

8. ट्रैकिंग एरर

ट्रैकिंग एरर किसी फंड या ईटीएफ और उसके बेंचमार्क इंडेक्स के रिटर्न के बीच के अंतर को बताता है।

यह एरर दोनों में होता है चाहे वह इंडेक्स फंड हो या फिर एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स और इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए आप हमारा यह पोस्ट पढ़ें – ETF क्या है?

अगर मैं इन दोनों को कंपेयर करूं तो यह पता चलता है कि इंडेक्स फंड में ट्रैकिंग एरर अधिक होता है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि जो भी इंडेक्स फंड होते हैं वह बैकअप के लिए काफी ज्यादा कैश रखते हैं और ईटीएफ अपने पास अधिक कैश नहीं रखते हैं और वह सारा पैसा मार्केट में लगा देते हैं।

आपको इंडेक्स फंड या ईटीएफ में से कहाँ निवेश करना चाहिए? इंडेक्स फंड vs etf

इंडेक्स म्यूच्यूअल फंड और ईटीएफ किसी बेंचमार्क इंडेक्स को ही ट्रैक करता है तो लंबी अवधि में जो भी इंटेक्स का रिटर्न रहेगा उसी के आसपास का रिटर्न आपको इन फंड्स से मिलेगा।

जैसे देखिए, अगर हम Nifty50 इंडेक्स को ले लें तो पिछले 5 सालों में इस इंडेक्स ने लगभग 12 – 12.25% का रिटर्न दिया है।

अब हम क्या करते हैं कि एक इंडेक्स फंड लेते हैं जिसका नाम है एचडीएफसी निफ़्टी फिफ्टी इंडेक्स फंड।

तो आप देखेंगे कि इंडेक्स फंड ने भी पिछले 5 सालों में 12.50% का रिटर्न दिया है बिल्कुल निफ़्टी इंडेक्स के आसपास।

वहीं अगर आप एचडीएफसी के ईटीएफ की बात करेंगे जैसे एचडीएफसी निफ़्टी फिफ्टी ईटीएफ तो भी पिछले 5 सालों में इसका रिटर्न है 12.8%।

तो इस तरह से आप देखेंगे अगर आप लंबे समय तक किसी भी फंड में इन्वेस्ट रहते हैं तो आपको अच्छे रिटर्न्स मिलता है और वह रिटर्न आपका उतना ही होगा जो किसी इंडेक्स ने दिए हैं।

अगर आप मेरी राय पूछेंगे तो मैं तो कहूंगा कि दो ऐसी जरूरी चीजें हैं जिसे आपको जरूर ध्यान में रखना होगा अगर आप कोई इंडेक्स फंड या फिर ईटीएफ को खरीदना चाहते हैं।

यह दो चीजें हैं दाम और लिक्विडिटी ।

यह सही है कि हाल-फिलहाल में ETF में थोड़ा लिक्विडिटी की समस्या रहती है पर अगर आप सही ढंग से चुनेंगे तो आपको अच्छे लिक्विडिटी वाले ईटीएफ भी मिल जाएंगे।

अगर लिक्विडिटी आसानी से मिल रही है और उसमें ज्यादा रिस्क नहीं लग रहा है तो थोड़ा सा चार्जेज को दरकिनार करते हुए मेरे हिसाब से ईटीएफ में ही निवेश करना बेहतर है।

आपको बता दूं कि यह मेरी व्यक्तिगत राय है और कोई निवेश की राय नहीं है अगर आपको इन दोनों में से किसी भी जगह इन्वेस्ट करना है तो अपना रिसर्च जरूर करें या फिर अपने फाइनेंसियल एडवाइजर की राय ले लें |

कम खर्च और कम जोखिम, लेकिन रिटर्न मिलेगा हाई, जानें Index Fund में निवेश करने के 10 बड़े कारण

Index Fund: इंडेक्स फंड पैसिव फंड की कैटेगरी में आते है। यह निफ़्टी, सेंसेक्स के बेंचमार्क को ट्रैक करते है। इस फंड में निवेश करने के कई बड़े फायदें है। यहां ऐसे 10 कारण बताएं गए है कि आपको इंडेक्स म्यूच्यूअल फंड में निवेश क्यों करना चाहिए।

Index fund: इंडेक्स फंड को समझने के लिए, आपको सबसे पहले सक्रिय (Active) और निष्क्रिय (Passive) निवेश के बीच के अंतर को समझना होगा। एक डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड के फंड मैनेजर की कल्पना करें। यह एक एक्टिव फंड मैनेजर का उदाहरण है। फंड मैनेजर को फैसला करना होता है कि कौन से स्टॉक को खरीदना है, कौन से स्टॉक को लॉन्ग टर्म के लिए होल्ड करना है, कौन से स्टॉक को शॉर्ट टर्म के लिए ट्रेड करना है और कौन से स्टॉक को बेचना है।

एक एक्टिव फंड का फंड मैनेजर न केवल शेयरों को देखता है, बल्कि यह भी देखता है कि ये स्टॉक पोर्टफोलियो के रूप में कैसे जुड़ते हैं। डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड में एक पोर्टफोलियो होना चाहिए जो कि सेक्टोरल और थीमैटिक एक्सपोजर के मामले में डायवर्सिफाइड हो। संक्षेप में एक्टिव फंड मैनेजर एक व्यस्त व्यक्ति है और लगातार फंड की निगरानी पर है।

दूसरी ओर पैसिव फंड मैनेजर केवल एक इंडेक्स को ट्रैक करने पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है। सबसे पहले, फंड मैनेजर शेयरों का एक पोर्टफोलियो तैयार करेगा जो इंडेक्स (निफ्टी या सेंसेक्स) को बिल्कुल उसी अनुपात में प्रतिबिंबित करेगा। फंड मैनेजर को स्टॉक चयन पर किसी भी विवेक पैसिव इंडेक्स फंड बेहतर क्यों हैं? पैसिव इंडेक्स फंड बेहतर क्यों हैं? का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं है। जब इंडेक्स कंपोनेंट्स बदलते हैं, तो फंड मैनेजर इंडेक्स के साथ-साथ पोर्टफोलियो में भी बदलाव करता है। पैसिव फंड मैनेजर का काम बहुत आसान होता है। लेकिन आपको आश्चर्य हो सकता है कि क्या वास्तव में इंडेक्स फंड में निवेश करना उचित है? क्या आप फंड मैनेजर को ज्यादा रिटर्न देने के लिए फीस नहीं देते? यह हमें मूल प्रश्न पर लाता है। क्या मुझे इंडेक्स फंड में निवेश करना चाहिए? क्या इंडेक्स फंड सुरक्षित पैसिव इंडेक्स फंड बेहतर क्यों हैं? हैं और इंडेक्स फंड के फायदे और नुकसान क्या हैं? दरअसल, आपके लिए इंडेक्स फंड चुनने के 10 कारण नीचे दिए गए हैं।

निवेश करने के लिए इंडेक्स फंड चुनने के 10 कारण

1) ये इंडेक्स फंड पैसिव इंवेस्टिंग का अंतिम उदाहरण हैं। चूंकि इंडेक्स फंड सिर्फ इंडेक्स घटकों के लिए आंका जाता है, इसका पोर्टफोलियो मिश्रण बहुत आसान हो जाता है और बहुत अधिक अनुमान लगाया जा सकता है।

2) इंडेक्स फंड लंबे समय तक स्वस्थ रिटर्न उत्पन्न कर सकते हैं बशर्ते व्यक्ति में अनुशासन के साथ धैर्य हो। 1979 में सेंसेक्स का बेस वैल्यू 100 था और पिछले 39 सालों में इसने 36 गुना रिटर्न दिया है। एनएसई निफ्टी इंडेक्स का आधार वर्ष 1995 में है और इसने पिछले 23 वर्षों में 11 गुना रिटर्न दिया है। इसका मतलब यह है कि निफ्टी या सेंसेक्स पर एक इंडेक्स फंड ने भी पिछले कई सालों में अच्छा रिटर्न दिया होगा।

3) इंडेक्स फंड के मामले में जोखिम अधिक सीमित और पारदर्शी हो जाते हैं। निफ्टी और सेंसेक्स पहले से ही अच्छी तरह से ट्रैक किए जा रहे हैं और ऐतिहासिक डेटा के आधार पर मैक्रो व्यू लेना विशिष्ट शेयरों की तुलना में बहुत आसान है। ब्रह्मांड को ट्रैक करना और अनुमान लगाना आसान है।

4) इंडेक्स फंड विशुद्ध रूप से बीटा के बारे में हैं। इक्विटी डायवर्सिफाइड फंडों के लिए अल्फा एक बड़ी चुनौती है, जहां वे लगातार दबाव में हैं और इसलिए अपनी किताबों में अधिक जोखिम लेने के लिए मजबूर हैं। इंडेक्स फंड मैनेजर की ऐसी कोई आवश्यकता नहीं है। उसे केवल बीटा के रूप में बाजार जोखिम लेने की आवश्यकता है।

5) इंडेक्स फंड का एक बड़ा फायदा यह है कि वे मानवीय पूर्वाग्रहों को बड़े पैमाने पर दूर करते हैं। डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड के साथ समस्या फंड मैनेजरों को दिए गए विवेक का मजबूत तत्व है। नतीजतन, फंड मैनेजर की कंडीशनिंग, पूर्वाग्रह और पिछले अनुभव फंड की निवेश रणनीति पर फर्क डालते हैं। इंडेक्स फंड एक पैसिव फंड होने के कारण, केवल इंडेक्स को ट्रैक करता है।

6) इंडेक्स फंड में लागत बहुत कम होती है। बर्कशायर हैथवे की पिछली AGM में वॉरेन बफेट ने वैनगार्ड फंड्स के संस्थापक जॉन बोगल के प्रयासों की सराहना की थी। यह याद किया जा सकता है कि वेंगार्ड एयूएम में 4.30 ट्रिलियन डॉलर से अधिक के साथ दुनिया के सबसे बड़े एसेट मैनेजर में से एक है। बफेट ने बताया कि वेंगार्ड ने इंडेक्स आधारित स्ट्रेटेजी अपनाकर म्यूचुअल फंड निवेशकों की लागत में अरबों डॉलर की बचत की थी।

7)पैसिव इंडेक्स फंड बेहतर क्यों हैं? जब वारेन बफेट जैसे सक्रिय निवेशक, यह निश्चित रूप से एक एसेट क्लास के रूप में इंडेक्स फंड के बढ़ते महत्व की पुष्टि है। भारत में इसे अभी बड़े पैमाने पर आगे बढ़ना बाकी है क्योंकि फंड सक्रिय रणनीति का उपयोग करके उच्च रिटर्न अर्जित करने में सक्षम हैं। लेकिन इस प्रकार के अल्फा पठारों पर, इंडेक्स फंड का वास्तविक मूल्य अधिक स्पष्ट हो जाता है।

8) भारत में कुछ डायवर्सिफाइड फंड काफी हद तक इंडेक्स फंड्स का प्रतिबिंब हैं क्योंकि उनके पोर्टफोलियो का एक हिस्सा इंडेक्स हैवीवेट में निवेश किया जाता है। इसलिए आप सीमित लाभों के लिए टोटल एक्सपेंस रेश्यो (TER) का भुगतान करते हैं। कई मामलों में TER में अंतर 140-150 आधार अंकों तक होता है। इंडेक्स फंड आपको इस चुनौती से उबरने में मदद करते हैं।

9) भारत में 70-75% से अधिक फंड मैनेजर वास्तव में भारत में इंडेक्स को मात देते हैं जबकि अमेरिका में यह लगभग 10-15% है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारतीय बाजारों में अल्फा के लिए अभी भी पर्याप्त अवसर हैं। यह वास्तव में बहुत लंबे समय तक नहीं चल सकता है।

10) अंत में, किसी को इंडेक्स कार्यप्रणाली के सख्त होने और सूचना प्रवाह के अधिक कुशल होने की प्रतीक्षा करनी होगी, एक्टिव फंड और पैसिव फंड के बीच रिटर्न बहुत कम प्रसार तक कम हो जाएगा। यही वह समय है जब लागत अंतर वास्तव में महत्वपूर्ण साबित होगा और यह कि आपका सूचकांक बेहतर प्रदर्शन वास्तव में दिखाई देगा।

एक निवेशक को यह याद रखना होगा कि पहले इंडेक्स फंड का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि भारत में इंडेक्स फंड्स में ट्रैकिंग एरर ज्यादा होता है। हालांकि, यह निश्चित रूप से एक विचार है जो आने वाले वर्षों में और अधिक आकर्षक हो सकता है।

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