लाभदायक व्यापार रणनीतियों

रणनीति 10 में से 10
बाइनरी विकल्प के साथ व्यापार समाप्त करके, कोई भी अदला बदली व्यापारी लाभ प्राप्त करना चाहता है। लेकिन सिर्फ दलाल कंपनी का अंतिम खोलना ही काफी नहीं है, व्यापार रणनीति चुनना जरूरी है। यह वित्तीय बाजार में परिवर्तन के बारे में विश्वसनीय संकेत प्रदान करना चाहिए। 10 बाइनरी विकल्प रणनीति में से 10 हमें किसी भी वित्तीय साधन का मानचित्र बनाने की अनुमति देता है और सबसे अधिक लेनदेन को लाभदायक बनाने की अनुमति देता है। इस तरह की रणनीति बुनियादी वित्तीय साधनों के साथ काम करती है, जो अत्यधिक अस्थिर हैं। यहां तक कि एक शुरुआती व्यापारी संकेत को नोटिस और समझ सकता है।
व्यापार सुविधाएँ
दलाली कंपनी की भागीदारी से इस टीसी का निर्माण संभव है, जो विभिन्न तकनीकी विश्लेषण संकेतकों के साथ एक व्यापार मंच प्रदान करता है। वे एक मानक के रूप में बाइनरी विकल्प व्यापार में भी काम करते हैं। इस रणनीति में निम्नलिखित संकेतकों का उपयोग शामिल है:
- 100 की अनुशंसित अवधि के साथ घातीय MA;
- चूक समायोजन के साथ एक एलीगेटर संकेतक;
- 24/52/9 मापदंडों के साथ औसत अभिसरण/विचलन प्रवृत्ति संकेतक चल रहा है।
10 लाभदायक व्यापार रणनीतियों में से 10 रणनीति के बाइनरी विकल्प मुख्य रूप से एलीगेटर संकेतक मूल्यों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। वे वर्तमान अवधि के लिए बाजार की स्थिति को दिखाते हैं और एक स्थिति खोलने के लिए सही समय के बारे में संकेत देते हैं। इसके अलावा, एक ही समय में 100 कार्यों की अवधि के साथ एक घातीय गतिमान औसत है, जो लंबे समय में देखने की अनुमति देता है कि बाजार की घटनाएं कैसे विकसित होती हैं।
एक निश्चित दिशा में चलती घातीय औसत के माध्यम से एलीगेटर संकेतक लाइनों को तोड़ने के परिणामस्वरूप एक तेजी को बल संभव है। इस TC में मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस/डाइवरग्नेस ऑसिलेटर बाजार में प्रवेश का संकेत देने वाले झूठे आवेगों को छोड़कर व्यापार संकेतों को फिल्टर करता है। चलती औसत अभिसरण/विचलन संकेत संकेतकों के संयोजन को पूरा करता है।
स्थितियां कैसे खुलते हैं?
संकेतक के इस तरह के संकेत इस तथ्य की गवाही देते हैं कि प्रवृत्ति घूमी है और विकास के लिए जा रही है:
- पार करने और संकेतक लाइनों के बाद की सफलता पर नीले EMA एलीगेटर लाइन नीचे से ऊपर की दिशा में चलता है;
- जब MACD संकेतक नीचे से ऊपर तक अपनी चलती औसत लाइनों द्वारा शून्य रेखा को तोड़ने की नवजात लंबी प्रवृत्ति की पुष्टि करता है।
- सौदा है, जो परिसंपत्ति मूल्य के विकास की भविष्यवाणी की है, के बाद संकेत चलती औसत अभिसरण द्वारा पुष्टि की है प्रदर्शन किया है।
जब संकेतक संकेत देता है कि कीमत गिरावट लाभदायक व्यापार रणनीतियों की ओर मुड़ गई है, तो निम्नलिखित होता है:
- एलीगेटर लाइनों को पार कर रहे है और नीले MA लाइन के माध्यम से ऊपर नीचे की दिशा में टूट गया है;
- जब MACD संकेतक ऊपर से नीचे तक अपनी चलती औसत लाइनों के साथ शून्य रेखा को तोड़कर नवजात लंबी प्रवृत्ति की पुष्टि करता है।
- एक सौदा है कि परिसंपत्ति मूल्य में गिरावट की भविष्यवाणी के बाद संकेत चलती औसत अभिसरण द्वारा पुष्टि की है निष्पादित किया जाता है।
उपयुक्त विकल्प और समाप्ति
यह रणनीति मानक बाइनरी विकल्पों के साथ व्यापार के लिए एकदम सही है, और खुले व्यापारों की समाप्ति अवधि को 10 मिनट के लिए सेट किया जाना चाहिए, जिससे परिसंपत्ति के मूल्य को सी की लाभदायक व्यापार रणनीतियों समाप्ति के दौरान लाभ क्षेत्र में होने के लिए काफी लंबे समय तक पूर्वानुमानित दिशा में स्थानांतरित करने की अनुमति दी गई है। इस रणनीति का उपयोग तभी इष्टतम है जब एक मजबूत प्रवृत्ति हो।
धन प्रबंधन
धन प्रबंधन के बुनियादी नियमों का ज्ञान बाइनरी विकल्प रणनीति के जोखिमों को कम करने में मदद करेगा। यह नियम इस प्रकार है: खोले गए व्यापार की राशि व्यापारी को स्वतंत्र रूप से उपलब्ध व्यापार पूंजी के 5% से अधिक नहीं होनी चाहिए। एक मामूली संचालन पूंजी होने, व्यापार दरों के माध्यम से किया जाना चाहिए कि एक छोटी मात्रा है। जोखिम प्रबंधन की यह विधि कई घाटे में चल रहे विकल्पों को प्राप्त करने के मामले में गिरावट को रोकने में मदद करती है, साथ ही स्थिर लाभ कमाने के कारण पूंजी का टिकाऊ विकास भी करती है।
डेली अपडेट्स
मुक्त व्यापार संधि के संबंध में प्रायः कहा जाता है कि यह सभी के लिये लाभदायक है, लेकिन यदि इसके इतिहास से कुछ सबक लें तो हम यह पाते हैं कि मुक्त व्यापार सन्धियाँ भी हाथी के दांत की तरह दिखाने के और खाने के कुछ और जैसी ही हैं। आज अमेरिका मुक्त व्यापार संधियों से स्वयं को मुक्त कर रहा, जो कभी मुक्त बाज़ारों का झंडाबरदार माना जाता था। हाल के घटनाक्रमों से यह ज़ाहिर है कि भारत आरसीईपी पर वार्ता को आगे बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्ध नज़र आ रहा है। ऐसे में यह उपयुक्त समय है मुक्त व्यापार संधि के सिद्धांतों और उनकी वास्तविकता में अंतर करने का।
निर्यात, घरेलू विनिर्माण को बढ़ाने की गारंटी नहीं है मुक्त व्यापार करार : रिपोर्ट
नयी दिल्ली, 20 नवंबर (भाषा) शोध एवं रणनीति परामर्श कंपनी ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) ने एक रिपोर्ट में कहा है कि मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर वार्ता कर रहे देशों को इनसे जुड़े कुछ मिथकों के बारे में जानकारी होना जरूरी है। इनमें, एफटीए से निर्यात में तेजी से वृद्धि होती है और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलता है जैसे मिथक शामिल हैं। जीटीआरआई की रिपोर्ट में इन मिथक लाभदायक व्यापार रणनीतियों को दूर करने का दावा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक ये मिथक हैं: एफटीए से विश्व व्यापार संगठन कमजोर होता है, दुनियाभर के देश एफटीए करने को बेताब हैं और
जीटीआरआई की रिपोर्ट में इन मिथक को दूर करने का दावा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक ये मिथक हैं: एफटीए से विश्व व्यापार संगठन कमजोर होता है, दुनियाभर के देश एफटीए करने को बेताब हैं और इन समझौतों से निवेश बढ़ता है और दाम घटते हैं।
‘एफटीए: शानदार, बेकार या खामियों से भरा’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसा मानना गलत है कि विश्व का ज्यादातर व्यापार एफटीए मार्ग के जरिये होता है, जबकि वास्तविकता यह है कि 20 प्रतिशत से भी कम विश्व व्यापार इस रास्ते से होता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि इस बात में कोई सचाई नहीं है कि दुनियाभर के देश एफटीए करने को उत्सुक हैं बल्कि वास्तविकता में इन समझौतों में मुख्य रूप से पूर्वी-एशियाई देशों की अधिक दिलचस्पी है जिन्होंने उत्पाद शुल्क में कमी की है या यह शुल्क खत्म ही कर दिया है।
इसके मुताबिक, ‘‘प्रमुख औद्योगिक देश या क्षेत्र एफटीए बहुत ही चुनिंदा तरीके से करते हैं। मसलन अमेरिका ने यूरोपीय संघ, चीन, जापान, आसियान या भारत जैसी महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं के साथ ऐसा कोई समझौता नहीं किया है। यूरोपीय संघ ने 41 व्यापार समझौते किए हैं लेकिन इनमें से ज्यादातर छोटे देशों और कच्ची सामग्री के आपूर्तिकर्ताओं के साथ है।’’
विश्व व्यापार में 83-85 प्रतिशत इन समझौतों से हटकर और डब्ल्यूटीओ के नियमों के मुताबिक होता है।
एक मिथक यह है कि एफटीए से निर्यात में वृद्धि होती है। रिपोर्ट के मुताबिक, चूंकि 20 प्रतिश्त से भी कम विश्व व्यापार रियायती उत्पाद शुल्क पर हो रहा है ऐसे में भारत को 80 प्रतिशत व्यापार को इस मार्ग से हटकर बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त रणनीति की जरूरत होगी।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘एफटीए पर हस्ताक्षर करने भर से निर्यात में वृद्धि की गारंटी नहीं मिल जाती। एफटीए के जरिये निर्यात में वृद्धि की संभावना तब कम हो जाती है जब साझेदार देश में आयात शुल्क कम होता है। इस लिहाज से देखा जाए तो सिंगापुर या हांगकांग में निर्यात बढ़ाने के लिए एफटीए विशेष लाभदायक नहीं होगा क्योंकि वहां आयात शुल्क है ही नहीं।
वहीं मलेशिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और ब्रुनेई के साथ व्यापार समझौते का लाभ चुनिंदा उत्पाद समूहों को ही मिलेगा क्योंकि इन देशों में ज्यादातर आयात पर शुल्क नहीं लगता।
निर्यात, घरेलू विनिर्माण को बढ़ाने की गारंटी नहीं है मुक्त व्यापार करार : रिपोर्ट
नयी दिल्ली, 20 नवंबर (भाषा) शोध एवं रणनीति परामर्श कंपनी ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) ने एक रिपोर्ट में कहा है कि मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर वार्ता कर रहे देशों को इनसे जुड़े कुछ मिथकों के बारे में जानकारी होना जरूरी है। इनमें, एफटीए से निर्यात में तेजी से वृद्धि होती है और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलता है जैसे मिथक शामिल हैं।
जीटीआरआई की रिपोर्ट में इन मिथक को दूर करने का दावा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक ये मिथक हैं: एफटीए से विश्व व्यापार संगठन कमजोर होता है, दुनियाभर के देश एफटीए करने को बेताब हैं और इन समझौतों से निवेश बढ़ता है और दाम घटते हैं।
‘एफटीए: शानदार, बेकार या खामियों से भरा’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसा मानना गलत है कि विश्व का ज्यादातर व्यापार एफटीए मार्ग के जरिये होता है, जबकि वास्तविकता यह है कि 20 प्रतिशत से भी कम विश्व व्यापार इस रास्ते से होता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि इस बात में कोई सचाई नहीं है कि दुनियाभर के देश एफटीए करने को उत्सुक हैं बल्कि वास्तविकता में इन समझौतों में मुख्य रूप से पूर्वी-एशियाई देशों की अधिक दिलचस्पी है जिन्होंने उत्पाद शुल्क में कमी की है या यह शुल्क खत्म ही कर दिया है।
इसके मुताबिक, ‘‘प्रमुख औद्योगिक देश या क्षेत्र एफटीए बहुत ही चुनिंदा तरीके से करते हैं। मसलन अमेरिका ने यूरोपीय संघ, चीन, जापान, आसियान या भारत जैसी महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं के साथ ऐसा कोई समझौता नहीं किया है। यूरोपीय संघ ने 41 व्यापार समझौते किए हैं लेकिन इनमें से ज्यादातर छोटे देशों और कच्ची सामग्री के आपूर्तिकर्ताओं के साथ है।’’
विश्व व्यापार में 83-85 प्रतिशत इन समझौतों से हटकर और डब्ल्यूटीओ के नियमों के मुताबिक होता है।
एक मिथक यह है कि एफटीए से निर्यात में वृद्धि होती है। रिपोर्ट के मुताबिक, चूंकि 20 प्रतिश्त से भी कम विश्व व्यापार रियायती उत्पाद शुल्क पर हो रहा है ऐसे में भारत को 80 प्रतिशत व्यापार को इस मार्ग से हटकर बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त रणनीति की जरूरत होगी।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘एफटीए पर हस्ताक्षर करने भर से निर्यात में वृद्धि की गारंटी नहीं मिल जाती। एफटीए के जरिये निर्यात में वृद्धि की संभावना तब कम हो जाती है जब साझेदार देश में आयात शुल्क कम होता है। इस लिहाज से देखा जाए तो सिंगापुर या हांगकांग में निर्यात बढ़ाने के लिए एफटीए विशेष लाभदायक नहीं होगा क्योंकि वहां आयात शुल्क है ही नहीं।
वहीं मलेशिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और ब्रुनेई के साथ व्यापार समझौते का लाभ चुनिंदा उत्पाद समूहों को ही मिलेगा क्योंकि इन देशों में ज्यादातर आयात पर शुल्क नहीं लगता।
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.