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Mutual Funds: म्यूचुअल फंड से पैसे निकालते वक्त न करें ये गलतियां, इन बातों का रखें ध्यान

By: ABP Live | Updated at : 27 Dec 2021 06:57 PM (IST)

Mutual Funds: एक निवेश ऑप्शन के तौर पर म्यूचुअल फंड तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. खासकर म्यूचुअल फंड में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिए लोग निवेश करना अधिक पसंद कर रहे हैं. अक्सर देखा गया है कि जब अच्छा रिटर्न मिलता है तो निवेशक प्रोफिट बुकिंग (मुनाफा निकालना) और बाजार से बाहर निकलने के बारे में सोचने लगते हैं. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि अगर आप म्यूचुअल फंड से पैसा निकालना चाहते हैं तो आपको किन बातों पर ध्यान देना चाहिए.

वित्तीय लक्ष्य
म्यूचुअल फंड से पैसा निकालते वक्त इस बात का आंकलन जरूर करें कि आपने जिस वित्तीय लक्ष्य के लिए पैसा लगाया था वह पूरा हुआ या नहीं. अगर आपका वित्तीय लक्ष्य पूरा नहीं हुआ है तो आपको म्यूचुअल फंड से पैसा निकालने से बचना चाहिए.

ब्याज दरों में वृद्धि के बीच म्यूचुअल फंड से सितंबर में 65,372 करोड़ रुपये की निकासी

मॉर्निंगस्टार इंडिया की वरिष्ठ विश्लेषक-प्रबंधक शोध कविता कृष्णन ने कहा, ‘‘मई, 2022 से बढ़ते ब्याज दर के माहौल के कारण निवेशकों ने म्यूचुअल फंड से शेयर में निवेश करने के पक्ष में कदम रखना पसंद किया है।’’

दूसरी तरफ इक्विटी म्यूचुअल फंड में सितंबर के दौरान 14,100 करोड़ रुपये का निवेश आया है।

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

संस्थागत बनाम। गैर-संस्थागत मुद्रा बाजार

मनी मार्केट फंड म्युचुअल फंड मुद्रा बाजार म्यूचुअल फंड हैं जो एक वर्ष के भीतर परिपक्व होने वाली प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं। म्यूचुअल फंड निवेशक के पैसे का पूल हैं जो प्रतिभूतियों और अन्य परिसंपत्तियों को खरीदते हैं। मनी मार्केट फंड का लक्ष्य $ 1 का शेयर मूल्य बनाए रखना और ब्याज आय प्रदान करना है। संस्थागत और गैर-संस्थागत मुद्रा बाजार फंडों के बीच मूल अंतर न्यूनतम निवेश है।

संस्थागत मुद्रा बाजार

संस्थागत धन बाजार फंड्स वित्तीय दुनिया के संस्थागत निवेशकों - एक्सएनयूएमएक्स-पाउंड गोरिल्ला को पूरा करते हैं। निवेश के इन बीमोथ में हेज फंड, पेंशन फंड, बीमा कंपनियां और निवेश सलाहकार शामिल हैं। संस्थागत मुद्रा बाजार फंड उच्च प्रारंभिक निवेश राशि निर्धारित करते हैं, जैसे $ 800 मिलियन। इन बड़े निवेशों के लिए प्रतिस्पर्धा करने के लिए, फंड कंपनियां कम शुल्क लेती हैं। उदाहरण के लिए, प्रकाशन के समय, एक संस्थागत निधि ने निवेश की गई राशि का 5 प्रतिशत वार्षिक शुल्क लिया। यदि वे न्यूनतम निवेश कर सकते हैं तो धनवान व्यक्ति संस्थागत मुद्रा बाजार फंड में निवेश कर सकते हैं।

गैर-संस्थागत, या "खुदरा," मनी मार्केट फंड औसत निवेशक के लिए हैं। फंड कंपनी द्वारा न्यूनतम निवेश अलग-अलग होते हैं। उदाहरण के लिए, प्रकाशन के समय, एक गैर-संस्थागत फंड को $ 3,000 प्रारंभिक जमा की आवश्यकता थी, जबकि दूसरे को $ 2,500 की आवश्यकता थी। गैर-संस्थागत मुद्रा बाजार फंडों में उनके संस्थागत भाइयों की तुलना में अधिक शुल्क है। वही दो रिटेल मनी मार्केट फंड क्रमशः प्रति वर्ष 0.16 प्रतिशत और 0.38 मुद्रा बाजार म्यूचुअल फंड प्रतिशत चार्ज कर रहे थे।

इंटरमीडिएट-क्लास मनी मार्केट

कई म्यूचुअल फंड कंपनियां मुद्रा बाजार फंडों के गैर-संस्थागत मध्यवर्ती वर्ग की पेशकश करती हैं जिन्हें खुदरा और संस्थागत फंडों के बीच न्यूनतम निवेश राशि की आवश्यकता होती है। प्रकाशन की तारीख तक, एक फंड कंपनी ने एक मनी मार्केट अकाउंट की पेशकश की, जिसे $ 25,000 प्रारंभिक निवेश की आवश्यकता थी, जबकि दूसरे में $ 100,000 न्यूनतम निवेश था। भ्रमित करने वाली बात यह है कि एक मामले में इंटरमीडिएट-क्लास मनी मार्केट फंड अपने रिटेल मनी मार्केट चचेरे भाई की तुलना में प्रति वर्ष 0.04 प्रतिशत अधिक चार्ज कर रहा था।

प्रकाशन के समय, मुद्रा बाजार निधि व्यय के बाद प्रति वर्ष 0.01 प्रतिशत के बारे में उपज दे रहे थे। यह निवेश किए गए प्रत्येक $ 100 के लिए वार्षिक आय का एक पैसा है। अक्टूबर 1.0 के रूप में 2013 प्रतिशत की वार्षिक मुद्रास्फीति के साथ, मनी मार्केट फंड प्रति वर्ष बिजली खरीदने के 0.मुद्रा बाजार म्यूचुअल फंड 99 प्रतिशत खो रहे थे। जबकि मुद्रा बाजार की धनराशि मुद्रास्फीति के बाद धन की कमी हो सकती है, वे अन्य निवेशों के बीच धन के लिए एक सुविधाजनक आराम स्टॉप प्रदान करते हैं। इसके अलावा, आप म्यूचुअल फंड डिविडेंड और ब्याज आय को मनी मार्केट फंड में बदल सकते हैं यदि आप अतिरिक्त शेयरों में आय को फिर से बनाना नहीं चाहते हैं।

Mutual Funds 2020: इस साल स्मालकैप फंड ने दिए सबसे ज्यादा रिटर्न, कैसा रहा म्यूचुअल मुद्रा बाजार म्यूचुअल फंड फंड बाजार का हाल

Mutual Funds 2020: इस साल स्मालकैप फंड ने दिए सबसे ज्यादा रिटर्न, कैसा रहा म्यूचुअल फंड बाजार का हाल

Mutual Funds Market in 2020: म्यूचुअल फंड बाजार में स्मालकैप फंड कटेगिरी का रिटर्न लॉर्जेकैप से ज्यादा रहा.

Year-end 2020 Mutual Fund: मौजूदा साल कैपिटल मार्केट के लिए बेहद उतार चढ़ाव भरा रहा है. साल के पहले 2 महीनों में जहां म्यूचुअल फंड बाजार में जमकर रिटर्न मिल रहा था, कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन की वजह से साल के मिड तक ज्यादातर फंड का 1 से 3 साल का रिटर्न निगेटिव में चला गया. हालांकि बाजार में जुलाई के बाद से जो रैली शुरू हुई, वह नवंबर तक आते आते पीक पर चली गई. इक्विटी मार्केट में तेजी आई तो डेट फंडों के इक्विटी सेग्मेंट में एक दो को छोड़कर हर कटेगिरी का रिटर्न डबल डिजिट में चला गया. लॉर्जकैप के मुकाबले स्मालकैप फंड ने इस साल आउटपरफॉर्म किया. वहीं सेक्टोरल बात करें तो फार्मा और टेक्नोलॉजी फंडों ने निवेशकों की जेब भर दी.

किस कटेगिरी में कितना रिटर्न

इक्विटी स्मालकैप फंड: 30 फीसदी
इक्विटी मिडकैप फंड: 25 फीसदी
इक्विटी लॉर्जकैप फंड: 14 फीसदी
इक्विटी मल्टीकैप फंड: 14 फीसदी
इक्विटी लॉर्ज एंड मिडकैप फंड: 16 फीसदी
इक्विटी वैल्यू ओरिएंटेड फंड: 16 फीसदी
इक्विटी ELSS: 15 फीसदी

इक्विटी फार्मा: 65 फीसदी
इक्विटी टेक्नोलॉजी: 50 फीसदी
इक्विटी बैंकिंग: -6 फीसदी
सेक्टोरल इंफ्रा: 9 फीसदी
सेक्टोरल थीमैटिक: 19 फीसदी
सेक्टोरल एनर्जी: 22 फीसदी
सेक्टोरल पीएसयू: -2 फीसदी
सेक्टोरल कंजम्पशन: 19 फीसदी
सेक्टोरल इंटरनेशनल: 20 फीसदी

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सबसे ज्यादा रिटर्न देने वाले फंड

DSP हेल्थकेयर फंड: 81 फीसदी
PGIM इंडिया ग्लोबल इक्विटी फंड: 76 फीसदी
क्वांट स्मालकैप फंड: 76 फीसदी
मिराए एसेट हेल्थकेयर फंड: 75 फीसदी
ICICI प्रू फार्मा हेल्थकेयर फंड: 72 फीसदी
BOI AXA स्मालकैप फंड: 57 फीसदी
फ्रैंकलिन टेक्नोलॉजी फंड: 54 फीसदी
ABSL डिजिटल इंडिया फंड: 53 फीसदी
PGIM इंडिया मिडकैप Opp: 52 फीसदी
क्वांट कंजम्पशन फंड: 48 फीसदी

जोखिम की अच्छे से पहचान: निवेशक म्यूचुअल फंड के जोखिम को ठीक तरह से पहचान सकें इसके लिए बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने बाजार नियामक सेबी ने निवेशकों को चेतावनी देने के लिए “very high risk” कटेगिरी की शुरुआत की है. सभी म्यूचुअल फंड्स को अब रिस्क-ओ-मीटर में 5 के बदले 6 संकेत दिखाने होंगे. यह बदलाव 1 जनवरी 2021 से लागू होगा.

मल्टीकैप फंड में निवेश के नियम: सेबी ने मल्टीकैप म्यूचुअल फंड के लिए एसेट अलोकेशन के नियमों में बदलाव किया है. नए नियमों के मुताबिक अब फंड्स का 75 फीसदी हिस्सा इक्विटी में निवेश करना जरूरी होगा, जो कि अभी न्यूनतम 65 फीसदी है. फंडों को लॉर्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप में 25-25 फीसदी निवेश करना जरूरी होगा. पहले फंड मैनेजर्स अपनी मनमर्जी के हिसाब से आवंटन करते थे.

म्यूचुअल फंड का निवेश और निकासी समय बदला

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) ने म्यूचुअल में निवेश और निकासी मुद्रा बाजार म्यूचुअल फंड के लिए कटऑफ टाइमिंग में बदलाव किया है। यह बदलाव 7 अप्रैल से 17 अप्रैल, 2020 तक प्रभावी रहेगा। इसके तहत बीएसई के आधिकारिक प्लेटफॉर्म स्टारएमएफ पर लिक्विड और ओवरनाइट स्कीम के अलावा अन्य म्यूचुअल योजनाएं भी आएंगी।

बीएसई के अनुसार, निवेशकों को एल0 ट्रांजेक्शन यानी लिक्विड म्यूचुअल फंड और ओवरनाइट फंड में निवेश दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक करना होगा। यह समय निकासी पर भी लागू होगा। इसके अलावा एल1 ट्रांजेक्शन जिसमें नॉन लिक्विड म्यूचुअल फंड में 2 लाख रुपये से ज्यादा का निवेश होता है, उनका समय अब दोपहर 12.30 बजे तक होगा।

पहले यह दोपहर 2.30 बजे तक था। वहीं, नॉर्मल म्यूचुअल फंड (डेट, इक्विटी, हाइब्रिड) योजनाओं में निवेश और निकासी का समय अब 1 बजे कर दिया गया है, जो पहले 3 बजे तक था। इसके अलावा 7 अप्रैल से मुद्रा बाजार में भी कारोबार का समय घट गया है।

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