बेयर मार्केट क्या है

बेयर मार्केट क्या है
अभी तक हमने बाजार के बारे में जाना की शेयर बाजार क्या है, निफ्टी और सेंसेक्स क्या है।अब हम आगे बढ़ते है आज हम शेयर बाजार के बेसिक टर्म की बात करेंगे।
शेयर मार्केट में इन्वेस्टर उन्हे समझा जाता है जिसके पास किसी शेयर के इन्वेस्टमेंट के लिए एक लॉन्ग टर्म का व्यू होता है ,जो किसी शेयर में मुनाफे और डिविडेंड के लिए इन्वेस्टमेंट करते है।
1 .वैल्यू इंवेस्टर (Value Investor):- वैल्यू इन्वेस्टर मार्केट में लिस्टेड अच्छी कम्पनियो को ढूढ़ने की कोशिश करते है और उसमे निवेश करते है ,और उनके लिए ये मायने नहीं करता की कंपनी अभी लिस्ट हुई है या काफी पुरानी है अगर उन्हें उस कंपनी में अपने रिटर्न की वैल्यू दिखती है तो वो उसमे निवेश करते है।
ग्रोथ इंवेस्टर (Growth Investor):- ग्रोथ इन्वेस्टर हमेशा ऐसे कंपनियों की तलाश करते है जिसकी मौजूदा हालात की वजह से ग्रोथ होने की संभावना दिखती है और वो ऐसी कम्पनियो में निवेश करते है।
शेयर बाजार में ट्रेडर उन्हे समझा जाता है जो शेयर बाजार में दिन के सौदे में ही मुनाफा कमाते है या कुछ दिन के लिए पोजीशन बनाते है और मुनाफा होते ही मुनाफा वसूली करके पोजीशन से निकल जाते है इसमें इंट्राडे ट्रेडर और फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडर इस कैटेगरी में मुख्य है।
जब आप शेयर मार्केट में किसी दिन किसी शेयर में पोजीशन लेते हो और उसी दिन ही पोजीशन से एग्जिट हो जाते हो तो उस ट्रेड को इंट्राडे ट्रेड कहते है।
उदाहरण से समझते है जैसे आज बाजार खुलने के बाद आपने रिलायंस इंडस्ट्रीज के 100 शेयर्स 10 बजे 2250 रुपये में ख़रीदे और दिन के उतर चढ़ाव के बाद आपने उन 100 शेयर्स को 12 बजे 2260 रुपये में बेचे ,तो आपका आज का ये ट्रेड इंट्राडे कहलायेगा।
जब आप किसी शेयर को एक दिन से ज्यादा होल्ड करते हो तो शेयर डिलीवरी शेयर कहलाता है। इस शेयर को आपने जिस दिन ख़रीदा है उसके बाद किसी भी दिन बेच सकते है ,अगर कहा जाय तो जब आप कोई डिलीवरी शेयर लेते हो इसका एक साफ मतलब ये भी निकलता है कि एक तरह से आपके पास उस कंपनी की एक हिस्सेदारी है।
उदाहरण से समझते है जैसे आज मार्केट के समय में आपने रिलायंस इंडस्ट्रीज के 100 शेयर डिलीवरी में ख़रीदे और आपने उन शेयर्स को होल्ड कर दिया है तो अब ये शेयर डिलीवरी के शेयर्स है। अब आपका इन शेयर्स पर पूरा हक़ है आप जब चाहे इन्हे बेच सकते है।
डिलीवरी शेयर खरीदते समय ये ध्यान देना है कि जब आप अपने एप्प में आर्डर प्लेस करते हो तो वहाँ पर प्रोडक्ट टाइप डिलीवरी ही चुनना है।
जब बाजार में तेजी का माहौल होता है तो इसी को बुल मार्केट कहते है ,इस तरह के बाजार में अधिकतर शेयर्स में खरीददारी देखने को मिलती है।
जब बाजार में मंदी का माहौल यानि गिरावट देखने को मिलती है तो ऐसे में मार्केट को बेयर मार्केट कहा जाता है ,इस तरह के बाजार में अदिकतर शेयर्स में गिरावट देखने को मिलती है।
जब बाजार, बुल या बेयर में से किसी एक तरफ जाता हुआ दिखाई देता है तो इसी को ट्रेंड कहते है। उदाहरण से समझते है अगर बाजार में आज बुल की पकड़ है और बाजार आगे बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है तो ऐसे में बाजार में ट्रेंड तेजी का है।
हर कंपनी अपने शेयर का एक वैल्यू तय करती है जिसके आधार पर कम्पनी अपने कॉर्पोरेट निर्णय लेती है जैसे स्टॉक स्प्लिट और डिविडेंड और यही वैल्यू कंपनी की फेस वैल्यू कहलाती बेयर मार्केट क्या है बेयर मार्केट क्या है है।
हर ट्रेडिंग डे के लिए स्टॉक एक्सचेंज हर कंपनी का एक टारगेट प्राइस सेट करके रखती है जिसके ऊपर या नीचे कंपनी के शेयर्स का वैल्यू नहीं जा सकता ये टारगेट प्राइस उस शेयर्स के पिछले दिन के क्लोजिंग प्राइस का 5%, 10%, या 20% में से कुछ भी हो सकता है ,नीचे की तरफ सेट किये गए टारगेट प्राइस को लोअर सर्किट कहते है और ऊपर की तरफ सेट किये गए प्राइस को अपर सर्किट कहते है।
बेयर मार्केट क्या है
यह खंड स्टॉक ट्रेडिंग शिक्षा के लिए समर्पित है। यहां, आपको स्टॉक तकनीकी विश्लेषण, स्टॉक चार्ट अध्ययन, और स्टॉक ट्रेडिंग मूलभूत बातों के बारे में सब कुछ मिलेगा।
स्टॉक्स के बारे में अधिक जानकारी
शेयर बाजार ट्रेडर के लिए छान-बीन करने और मुनाफा कमाने का एक शानदार क्षेत्र है। दिन-रात, हम दुनिया भर में घटित होने वाली विभिन्न घटनाओं की प्रतिक्रिया में वैश्विक टेक कंपनियों के शेयरों में वृद्धि या गिरावट के बारे में सुनते रहते हैं। क्या आप कभी स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग के इस विज्ञान को समझना चाहते हैं, स्टॉक मार्केट की मूलभूत बातें सीखना चाहते हैं, और जल्दी से उन फिल्मों में दिखाए गए गुरु की तरह बनना चाहते हैं जिन्हें हम सभी जानते हैं? ठीक यही Olymp Trade आधिकारिक ब्लॉग का यह भाग आपको सीखने में मदद करता है।
वास्तव में, यह नौसिखिए और मध्यम-स्तर के ट्रेडर के लिए शेयर बाजार का एक व्यापक गाइड है, जिसे Olymp Trade विशेषज्ञों द्वारा संकलित और नियमित रूप से अपडेट किया जाता है। यह आपको सिखाता है कि आप यथोचित तरीके से स्टॉक ट्रेडिंग कैसे शुरू कर सकते हैं, निवेश करने के लिए सही स्टॉक चुन सकते हैं, स्टॉक मूल्य चार्ट पढ़ सकते हैं और आम तौर पर समझ सकते हैं कि अच्छा निवेश कैसे किया जाता है।
इस खंड की सामग्री का उपयोग करके, आप सीखेंगे:
- शेयर बाजार कैसे काम करता है
- चार्ट को कैसे पढ़ना है और बाजार के आंकड़ों की व्याख्या कैसे करना है
- कुशल स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग के लिए रणनीतियाँ और सुझाव
- फिलहाल निवेश करने के लिए सबसे अच्छे स्टॉक, और यथोचित अधिक लाभ कैसे प्राप्त करें
Olymp Trade के साथ स्टॉक मार्केट बेयर मार्केट क्या है ट्रेडिंग की दुनिया में अपनी यात्रा का आनंद लें।
शेयर मार्केट में अभी-अभी एंट्री की है, तो इन बेसिक शब्दों का मतलब जान लें, जो मार्केट में रोज बोले जाते हैं…
शेयर बाजार की मंदी, तेजी और तमाम गतिविधियों के लिए अलग शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है. अगर आप शेयर बाजार में नए-नए निवेशक बने हैं तो आपको शेयर मार्केट में इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ बेसिक शब्दों के बारे में जरूर जानना चाहिए.
शेयर मार्केट में अभी-अभी एंट्री की है, तो इन बेसिक शब्दों का मतलब जान लें, जो मार्केट में रोज बोले जाते हैं…(Zee Biz)
पिछले कुछ समय से शेयर मार्केट में लोगों की दिलचस्पी तेजी से बढ़ी है. खासकर कोरोना काल के बाद तमाम डीमेट अकाउंट खोले गए हैं और शेयर मार्केट में नए निवेशक बढ़े हैं. अगर आप भी शेयर मार्केट में इंट्रेस्टेड हैं और इसमें पैसा लगाने के बारे में सोच रहे हैं, तो आपको शेयर बाजार में अधिकतर इस्तेमाल होने वाले कुछ शब्दों को अच्छी तरह से समझना होगा. शेयर बाजार की मंदी, तेजी और तमाम गतिविधियों के लिए अलग शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है. यहां जानिए ऐसे ही कुछ बेसिक शब्दों का मतलब.
शेयर की फेस वैल्यू
किसी भी स्टॉक की शुरुआती कीमत के लिए फेस वैल्यू शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. शेयर की फेस वैल्यू कंपनी तय करती है. फेस वैल्यू को ही आधार बनाकर डिविडेंड देने या स्टॉक स्प्लिट किया जाता है.
52 हफ्तों का हाई/लो
किसी स्टॉक के भाव जब पिछले 52 हफ्तों में सबसे ऊंची कीमत होते हैं तो इसके लिए 52 हफ्ते हाई शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं 52 हफ्तों में स्टॉक की सबसे निचली यानी कम कीमत को 52 हफ्ते का लो कहा जाता है. ये दोनों टर्म्स इसलिए जरूरी हैं क्योंकि इन दोनों की मदद से किसी शेयर की कीमत का दायरा पता चलता है.
ट्रेंड
इस शब्द को भी आपको अच्छे से समझ लेना चाहिए क्योंकि शेयर मार्केट में इसका बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. ये बाजार की दिशा की ओर इशारा करता है. अगर बाजार तेजी से नीचे जा रहा है तो कहा जाता है कि बाजार में गिरावट का ट्रेंड है. वहीं अगर बाजार न नीचे जाए और न ही ऊपर जाए, तो इसे साइडवेज ट्रेंड कहा जाता है.
बुल मार्केट और बेयर मार्केट
जब बाजार एक निश्चित समय में बहुत तेजी से ऊपर की ओर बढ़ता है तो इसे बुल मार्केट कहा जाता है. इसमें शेयर के रेट्स भी बढ़ते हैं. लेकिन जब बाजार तेजी से नीचे की ओर आता है तो कहा जाता है कि बाजार बेयर मार्केट में है.
स्टॉक मार्केट क्रैश
जब शेयर बाजार के ज्यादातर शेयर एक साथ बहुत ही कम समय में बहुत ज्यादा गिर जाते है, उस स्थिति को स्टॉक मार्केट क्रैश कहा जाता है. ये स्टॉक मार्केट में आयी मंदी है. ऐसे में ज्यादातर लोग शेयर ज्यादा गिरने के डर से इसे फटाफट बेचने लगते हैं.
Crypto Trading : मार्केट गिर रहा हो तो इन टिप्स को रखें याद, बनेंगे स्मार्ट निवेशक
अगर आप बेयर मार्केट में भी सही चाल चलें तो बेयर मार्केट क्या है आगे चलकर आपके क्रिप्टोकरेंसी पोर्टफोलियो को फायदा होगा. हम यहां कुछ चीजें बता रहे हैं तो बेयर मार्केट में बेयर मार्केट क्या है क्रिप्टोकरेंसी निवेशक ध्यान में रख सकते हैं.
Crypto Trading : क्रिप्टो में ट्रेडिंग के वक्त हेल्प करेंगे ये टिप्स. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
किसी भी बाजार की तरह क्रिप्टोकरेंसी बाजार में भी उतार-चढ़ाव होता है. बाजार में वॉलेटिलिटी साल में कभी भी रह सकती है, ऐसे वक्त में फुलप्रूफ सुरक्षित फैसले लेना मुश्किल हो सकता है, खासकर अगर आप क्रिप्टो निवेशक हैं, तो आपके लिए मुश्किल और बढ़ जाती है.चूंकि क्रिप्टो मार्केट बहुत ज्यादा वॉलेटाइल होता है, ऐसे में हम अभी यह नहीं कह सकते हैं कि हम बेयर मार्केट में हैं या बेयर मार्केट से बाहर निकल रहे हैं. सामान्यतया, गिरावट में चल रहे बाजार को बेयर मार्केट तब कहते हैं, जब स्टॉक/कमोडिटी की कीमतें उनकी पिछली ऊंचाई से 20 फीसदी से ज्यादा गिर जाती हैं, शेयरों पर निगेटिव रिटर्न मिलने लगते हैं.
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हालांकि, ये तो है कि अगर आप बेयर मार्केट में भी सही चाल चलें तो आगे चलकर आपके क्रिप्टोकरेंसी पोर्टफोलियो को फायदा होगा. हम यहां कुछ चीजें बता रहे हैं तो बेयर मार्केट में क्रिप्टोकरेंसी निवेशक ध्यान में रख सकते हैं.
सही वक्त पर सही निवेश
मार्केट में जब गिरावट चल रही हो तो उस टाइम आप कुछ निवेश कर सकते हैं, जो लॉन्ग टर्म में आपकी मदद कर सकता है. बेयर मार्केट के साथ दिक्कत ये होती है कि आपको नहीं पता होता है कि गिरावट कब तक रहेगी या फिर कीमतें कहां तक गिरेंगी. इसके चलते या तो आप कभी सही वक्त से पहले निवेश कर बैठते हैं या फिर और इंतजार करने के चक्कर में सही मौका हाथ से निकल जाता है.
चूंकि ये अनुमानों का खेल है, आपको थोड़ा धैर्य रखना होगा. हालांकि, इसका एक सॉल्यूशन ये हो सकता है कि आप एक प्लान बना लें, जिसके तहत बेयर मार्केट क्या है आप नियमित तौर पर एक तय रकम निवेश करते हैं, चाहे मार्केट की दिशा किधर भी जा रही हो. इसे डॉलर-कॉस्ट एवरेजिंग स्ट्रेटजी कहते हैं.
अपना क्रिप्टोकरेंसी प्रोफाइल डाइवर्स रखिए
अगर आप अब तक एक ही करेंसी में निवेश करते आए हैं, तो बेयर मार्केट में एक्सपेरिमेंट करने का अच्छा मौका मिल सकता है. जरूरी नहीं है कि हर क्रिप्टोकरेंसी की कीमत गिर रही हो. ऐसे में जब बाजार में गिरावट चल रही हो तो आप अच्छी रिसर्च करके ध्यान से अपना पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई कर सकते हैं.
लॉन्ग टर्म की सोचिए
बेयर मार्केट में आप लॉन्ग टर्म की सोचकर निवेश के कुछ बढ़िया फैसले ले सकते हैं. ऐसे वक्त में जब कीमतें कम हैं और आप उनमें निवेश करते हैं, तो आपको लॉन्ग टर्म में इसका फायदा होगा. ऐसे वक्त में शॉर्ट टर्म के लिए निवेश करना बहुत समझदारी नहीं होगी. अब चूंकि ये भी है कि क्रिप्टोकरेंसी की वॉलेटिलिटी को देखते हुए लॉन्ग टर्म के बारे में सोचना थोड़ा मुश्किल लगता है, लेकिन अगर समझदारी से फैसले लें तो फायदा उठा सकते हैं.
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