प्रतिभूति बाजार की भूमिका

भारत में मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स के बारे में सब कुछ
मुद्रा बाजार व्यापार में एक अल्पकालिक ऋण निवेश है। इसमें संस्थानों और व्यापारियों के बीच बड़े पैमाने पर व्यापार शामिल है। मुद्रा बाजार के खुदरा स्तर में मुद्रा बाजार खातों और व्यक्तिगत निवेशकों द्वारा खरीदा गया म्युचुअल फंड व्यापार शामिल है। अल्पकालिक परिपक्वता वाले जारीकर्ता के वित्तीय साधनों का उपयोग पूंजी जुटाने के लिए किया जाता है। उन्हें मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स कहा जाता है। वे ऋण सुरक्षा के रूप में कार्य करते हैं जो निश्चित ब्याज दरों की पेशकश करता है और असुरक्षित है। मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में एक उच्च क्रेडिट रेटिंग होती है, जो यह सुनिश्चित करती है कि जारीकर्ता अपना पैसा अल्पावधि के लिए पार्क करें और निश्चित रिटर्न अर्जित करें।
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वित्तीय बाजार क्या है? वित्तीय बाजार के कार्य और प्रकार
वित्तीय बाजार वित्तीय सम्पत्तियों जैसे अंश, बांड के सृजन एवं विनिमय करने वाला बाजार होता है। यह बचतों को गतिशील बनाता है तथा उन्हें सर्वाधिक उत्पादक उपयोगों की ओर ले जाता है। यह बचतकर्ताओं तथा उधार प्राप्तकर्ताओं के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करता है तथा उनके बीच कोषों को प्रतिभूति बाजार की भूमिका गतिशील बनाता है। वह व्यक्ति/संस्था जिसके माध्यम से कोषों का आबंटन किया जाता है उसे वित्तीय मध्यस्थ कहते हैं। वित्तीय बाजार दो ऐसे समूहों के बीच एक मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं जो निवेश तथा बचत का कार्य करते हैं। वित्तीय बाजार सर्वाधिक उपयुक्त निवेश हेतु उपलब्ध कोषों का आबंटन करते हैं।
वित्तीय बाजार के कार्य
(1) बचतों को गतिशील बनाना तथा उन्हें उत्पादक उपयोग में सरणित करना:- वित्तीय बाजार बचतों को बचतकर्ता से निवेशकों तक अंतरित करने को सुविधापूर्ण बनाता है। अत: यह अधिशेष निधियों को सर्वाधिक उत्पादक उपयोग में सरणित करने में मदद करते हैं।
(2) कीमत निर्धारण में सहायक :- वित्तीय बाजार बचतकर्ता तथा निवेशकों को मिलता है। बचतकर्ता कोषों की पूर्ति करत हैं जबकि कोषों की मांग करते हैं जिसके प्रतिभूति बाजार की भूमिका आधार पर वित्तीय सम्पत्तियों को कीमत का निर्धारण होता है।
(3) वित्तीय सम्पत्तियों को तरलता प्रदान करना :- वित्तीय बाजार द्वारा वित्तीय सम्पत्तियों के क्रय-विक्रय को सरल बनाया जाता है। इसके माध्यम से वित्तीय सम्पत्तियों को कभी भी खरीदा या बेचा जा सकता है।
(4) लेन-देन की लागत को घटाना :- वित्तीय बाजार, प्रतिभूतियों के विषय में महत्वपूर्ण सूचनाएं उपलब्ध कराते हैं जिससे समय, प्रयासों एवं धन की बचत होती है। परिणामस्वरूप लेन-देन की लागत घट जाती है।
वित्तीय बाजार के प्रकार
- मुद्रा बाजार
- पूंजी बाजार ।
1. मुद्रा बाजार
अवधि एक वर्ष तक की होती है। इस बाजार के प्रमुख प्रतिभागी भारतीय रिजर्व बैंक, व्यापारिक बैंक, गैर बैंकिग, वित्त कम्पनियाँ, राज्य सरकारें, म्युचुअल फंड आदि हैं। मुद्रा बाजार के महत्वपूर्ण प्रलेख निम्नलिखित हैं।
1. याचना राशि-याचना राशि का प्रयोग मुख्यत: बैंकों द्वारा उनके अस्थायी नकदी की आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए प्रयोग किया जाता है ये दिन-प्रतिदिन के आधार पर एक दूसरे से ऋण लेते तथा देते है। इसका पुनभ्र्ाुगतान मांग पर देय होता है और इसकी परिपक्वता अवधि एक दिन से 15 दिन तक की होती है याचना राशि पर भुगतान किए जाने वाले ब्याज की दर को याचना दर कहते है।
2. ट्रेजरी बिल- इन्हें केन्द्रीय सरकार की तरफ से भारतीय रिजर्ब बैंक द्वारा जारी किया जाता है जिनकी परिपक्व अवधि एक वर्ष से कम होती है। इन्हें अंकित मूल्य से कम पर जारी किया जाता है परन्तु भुगतान के समय अंकित मूल्य दिया जाता है। राजकोष बिल 25000 रू. के न्यूनतम मूल्य और इसके बाद बहुगुणन में प्रतिभूति बाजार की भूमिका प्राप्त होते हैं। यह एक विनिमय साध्य प्रलेख होते हैं जिनका स्वतन्त्रतापूर्ण हस्तान्तरण किया जा सकता है। इन्हें सुरक्षित निवेश समझा जाता है, इन पर कोर्इ ब्याज नहीं दिया जाता बल्कि कटौती पर जारी किये जाते हैं।
3. वाणिज्यिक पत्र-कम्पनियों की कार्यशील पूजी की आवश्यकता की पूर्ति हेतु वाणिज्यिक पत्र एक लोकप्रिय प्रलेख है यह एक असुरिक्षित प्रलेख है जो प्रतिज्ञा पत्र के रूप में निर्गमित किया जाता है यह प्रलेख सन् 1990 में सर्वप्रथम जारी किया गया था जिससे कि इसके माध्यम से कंपनियां अपने अल्पकालीन कोषों को उधार ले सकें यह 15 दिन से एक साल के समय तक के लिए निर्गमित किया जा सकता।
4. जमा प्रमाण पत्र-जमा प्रमाण पत्र एक अल्पकालीन प्रलेख है जो वाणिज्यिक बैंकों द्वारा एवं विशिष्ट वित्तीय संस्थानों द्वारा निर्गमित किया जाता है और जो एक पक्ष से दूसरे पक्ष को स्वतंत्रतापूर्वक हस्तांतरणीय है बचत पत्र की परिपक्वता की अवधि 91 दिन से एक साल तक की होती है यह प्रपत्र व्यक्तियों को, सहकारी संस्थाओं और कम्पनियों को निर्गमित किए जा सकते है।
5. व्यापारिक विपत्र-: यह एक विनिमय प्रपत्र होता है जो व्यावसायिक फर्मों की कार्य पूंजी की आवश्यकता के लिए वित्तीयन में प्रयुक्त होता है। इनका प्रयोग उधार क्रय विक्रय की दशा में किया जाता है। इसे विक्रेता द्वारा क्रेता पर लिखा जाता है। जब क्रेता इसे स्वीकार करता है तो यह विपत्र विपणन योग्य विलेख बन जाता है तथा इसे व्यापारिक/वाणिज्यिक विपत्र कहते हैं इसे देय तिथि से पहले बट्टे पर बैंक से भुनाया जा सकता है।
2. पूंजी बाजार
- प्राथमिक बाजार,
- द्वितीयक बाजार ।
1. प्राथमिक बाजार- इसे नए निगर्मन बाजार के रूप में भी जाना जाता है। यहाँ केवल नर्इ प्रतिभूतियों को निर्गमित किया जाता है जिन्हें पहली बार जारी किया जाता है। इस बाजार में निवेश करने वालों में बैंक, वित्तीय संस्थाएँ, बीमा कम्पनियाँ, म्युचुअल फण्ड एवं व्यक्ति होते हैं। इस बाजार का कोर्इ निर्धारित भौगोलिक स्थान नहीं होता है।
2. द्वितीयक बाजार- इसे स्टॉक एक्सचेंज या स्टॉक बाजार के नाम से भी जाना जाता है। जहाँ विद्यमान प्रतिभूतियों का क्रय एवं विक्रय किया जाता है। यह बाजार निर्धारित स्थान पर स्थित होता है तथा यहाँ प्रतिभूतियों का क्रय प्रतिभूति बाजार की भूमिका एवं विक्रय किया जाता है। यह बाजार निर्धारित स्थान पर स्थित होता है तथा यहाँ प्रतिभूतियों की कीमत को उनकी मांग एवं पूर्ति के द्वारा तय किया जाता है।
प्राथमिक बाजार व द्वितीयक बाजार में अंतर
1. कार्य-प्राथमिक बाजार का मुख्य कार्य नवीन प्रतिभूतियो के निगर्मन द्वारा दीर्घकालीन कोष एकत्र करना है वहीं द्वितीयक बाजार विद्यमान प्रतिभूितयो को सतत एवं तात्कालिक बाजार उपलब्ध कराता है।
2. प्रतिभागी-प्राथमिक बाजार में मुख्य भाग लेने वाली वित्तीय संस्थाएं, म्यूच्यूअल फण्ड, प्रतिभूति बाजार की भूमिका अभिगोपक और व्यक्तिगत निवेशक हैं, जबकि द्वितीयक बाजार में भाग लेने वाले इन सभी के अतिरिक्त वे दलाल भी हैं जो शेयर बाजार (स्टाक एक्सचेंज) के सदस्य हैं।
3. सूचीबद्ध कराने की आवश्यकता-प्राथमिक बाजार की प्रतिभूतियों को सूचीबद्ध कराने की आवश्यकता नहीं पड़ती, जबकि द्वितीयक बाजार में केवल उन्हीं प्रतिभूतियों का लेन-देन हो सकता है जो सूचीबद्ध होती हैं।
4. मूल्यों को निर्धारण-प्राथमिक बाजार के सम्बन्ध मे प्रतिभूतियों का मूल्य निर्धारण प्रबंधन द्वारा सेबी के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए किया जाता है, जबकि द्वितीयक बाजार में प्रतिभूतियों का मूल्य बाजार में विद्यमान मांग व पूर्ति के समन्वय द्वारा निर्धारित किया जाता है, जो समय के अनुसार परिवर्तित होता रहता है।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ________ की निगरानी और विनियमन के लिए कार्य करता है।
Additional Information
- जब आप विदेशी मुद्रा बाजार में व्यापार करते हैं, तो आप मूल रूप से एक विशिष्ट देश की मुद्रा खरीद रहे हैं और साथ ही साथ दूसरे देश की मुद्रा बेच रहे हैं।
- निजी क्षेत्र कभी-कभी अर्थव्यवस्था का हिस्सा होता है क्योंकि नागरिक क्षेत्र, जो निजी समूहों के स्वामित्व में होता है, आमतौर पर सरकार के स्वामित्व के बजाय लाभ या गैर-लाभ के लिए बहुराष्ट्रीय के रूप में होता है।
- स्वास्थ्य देखभाल और सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को आतंकवाद, संचारी रोग के प्रकोप और प्राकृतिक आपदाओं जैसे खतरों से बचाते हैं।
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Last updated on Oct 20, 2022
BSSC CGL Exam Dates Revised! The exam will be now taking place on 23rd and 24th December 2022. The प्रतिभूति बाजार की भूमिका Bihar Staff Selection Commission (BSSC) had released the exam calendar for BSSC CGL (Competitive Graduate Level) advt no 01/2022. The last date for online application ended on 1st June 2022. The prelims exam is scheduled to be held on 26th & 27th November 2022 and the mains exam in February 2023. Meanwhile, serious aspirants can go through the BSSC CGL Previous Years’ Paper to have an idea of the level of questions asked and streamline their preparation in the right direction.
मोदी ने सरकारी प्रतिभूतियों में खुदरा निवेशकों की भागीदारी के लिए आरबीआई की योजना का शुभारंभ किया
नयी दिल्ली, 12 नवंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकारी प्रतिभूति बाजार में खुदरा निवेशकों को भागीदारी का अवसर देने तथा शिकायत निपटान प्रणाली में सुधार के लिए शुक्रवार को रिजर्व बैंक की दो उपभोक्ता-केंद्रित योजनाओं का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये शुभारंभ किया। इन योजनाओं से वित्तीय समावेशन भी मजबूत होगा। इस कार्यक्रम में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास भी मौजूद थे। भारतीय रिजर्व बैंक की दो अभिनव उपभोक्ता केंद्रित पहल. खुदरा प्रत्यक्ष योजना और केंद्रीय एकीकृत लोकपाल योजना की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इन योजनाओं से निवेश का
इस कार्यक्रम में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास भी मौजूद थे।
भारतीय रिजर्व बैंक की दो अभिनव उपभोक्ता केंद्रित पहल. खुदरा प्रत्यक्ष योजना और प्रतिभूति बाजार की भूमिका केंद्रीय एकीकृत लोकपाल योजना की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इन योजनाओं से निवेश का दायरा बढ़ेगा और ग्राहक शिकायत समाधान प्रणाली को बेहतर किया जा सकेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘खुदरा प्रत्यक्ष योजना से छोटे निवेशकों की पहुंच बढ़ेगी और वे प्रतिभूतियों में निवेश कर निश्चित प्रतिफल प्राप्त कर प्रतिभूति बाजार की भूमिका सकेंगे। इससे सरकार को भी राष्ट्र निर्माण के लिए कोष उपलब्ध होगा।’’
रिजर्व बैंक की एकीकृत लोकपाल योजना (आरबी-आईओएस) का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि इसका मकसद शिकायत समाधान प्रणाली को और बेहतर करना है। इससे केंद्रीय बैंक के नियमन के तहत आने वाली इकाइयों के खिलाफ ग्राहकों की शिकायतों का समाधान बेहतर तरीके से हो सकेगा।
एकीकृत लोकपाल योजना के तहत अन्य लोकपाल योजनाओं को इसमें समाहित किया जाएगा। इससे समूचे वित्तीय क्षेत्र के लिए एक लोकपाल प्रणाली होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘इस योजना से ‘एक राष्ट्र-एक लोकपाल’ की अवधारणा वास्तविकता बन गई है।’
मोदी ने कहा कि किसी भी लोकतंत्र में शिकायत समाधान प्रणाली मजबूत होनी चाहिए। एकीकृत लोकपाल योजना से दीर्घावधि में इस दिशा में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि इसी तरह खुदरा प्रत्यक्ष योजना से अर्थव्यवस्था में सभी का समावेशन हो सकेगा। ‘‘इससे मध्यम वर्ग, कर्मचारी, छोटे व्यापारी और वरिष्ठ नागरिक अपनी छोटी बचत को सीधे और सुरक्षित तरीके से सरकारी प्रतिभूतियों में लगा सकेंगे। सरकारी प्रतिभूतियों में गारंटी वाले समाधान का प्रावधान होता है। इससे छोटे निवेशकों को सुरक्षा का भरोसा दिया जा सकेगा।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक मजबूत बैंकिंग प्रणाली अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मोदी ने बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी सरकार के पिछले सात साल के कार्यकाल के दौरान बैंकों की गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की पहचान पारदर्शी तरीके से हो रही है और समाधान और वसूली (रिकवरी) पर ध्यान दिया जा रहा है।
उन्होंने पिछले वर्षों के दौरान वित्तीय क्षेत्र में समावेशन सहित प्रौद्योगिकी के एकीकरण का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘कोविड के मुश्किल समय में हमने उनकी ताकत देखी है। रिजर्व बैंक के फैसलों से सरकार द्वारा हाल के समय में लिए गए बड़े निर्णयों का प्रभाव बढ़ाने में भी मदद मिली है।’’
उन्होंने कहा कि बैंक, पेंशन और बीमा क्षेत्र छह-सात साल पहले भारत में लोगों की पहुंच से दूर होते थे। ‘‘ये सभी सुविधाएं देश के आम नागरिकों, गरीब परिवारों, किसानों, छोटे व्यापारियों, महिलाओं, दलितों और पिछड़े वर्ग के लोगों को सुलभ नहीं थीं।’’
पुरानी प्रणाली की आलोचना करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘जिन लोगों पर इन सुविधाओं को गरीबों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी थी, उन्होंने कभी इसपर ध्यान नहीं दिया। इसके उलट बहाने बनाए जाते रहे। उस समय बैंक शाखा नहीं होने, कर्मचारी नहीं होने, इंटरनेट नहीं प्रतिभूति बाजार की भूमिका प्रतिभूति बाजार की भूमिका होने, जागरूकता नहीं होने या विचार नहीं होने का हवाला दिया जाता था।’’
वित्तीय प्रौद्योगिकी के महत्व को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा कि ‘यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस’ यानी यूपीआई ने छोटे से समय में भारत को डिजिटल लेनदेन वाला अगुवा देश बना दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सात साल में भारत में डिजिटल लेनदेन 19 गुना बढ़ा है। ‘‘आज हमारी बैंकिंग प्रणाली चौबीसों घंटे, सातों दिन और 12 महीने देश में कहीं से भी किसी भी समय काम कर रही है।’’
महामारी के दौरान वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक जैसे संस्थानों के प्रयासों की सराहना करते हुए मोदी ने कहा, प्रतिभूति बाजार की भूमिका ‘‘अमृत महोत्सव की यह अवधि, 21वीं सदी का यह दशक देश के विकास की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। ऐसी स्थिति में रिजर्व बैंक की भूमिका और बढ़ जाती है। मुझे विश्वास है कि टीम आरबीआई देश की उम्मीदों पर खरा उतरेगी।’’
उन्होंने वित्तीय बाजारों में निवेशकों का भरोसा और विश्वास बढ़ाने पर भी जोर दिया।
इस मौके पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक के समन्वित प्रयासों की वजह से आज महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था पुनरुद्धार की राह पर है।
उन्होंने कहा कि इन्हीं प्रयासों की वजह से ही आज अर्थव्यवस्था में उम्मीद से अधिक तेजी से पुनरुद्धार हो रहा है।
सीतारमण ने कहा कि खुदरा प्रत्यक्ष योजना से खुदरा भागीदारी बढ़ेगी, बांड बाजार मजबूत होगा।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक अपनी सेवाओं की दक्षता को सुधारने के लिए प्रौद्योगिकी और नवोन्मेषण का उपयोग कर रहा है।
दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक वित्तीय समावेशन को और गहरा करने के लिए काम कर रहा है और जन केंद्रित कदम उठा रहा है।