थम नहीं रही विदेशी मुद्रा भंडार की गिरावट

सुधार के बाद फिर लुढ़का रुपया, ईरान पर USA का बैन बना कारण
पिछले हफ्ते रुपये में सुधार की स्थिति नए हफ्ते की शुरुआत में एक बार फिर से इसमें गिरावट दर्ज हुई. ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध के कारण क्रूड ऑयल के बढ़ते दामों को इसकी वजह मानी जा रही है.
सुरेंद्र कुमार वर्मा
- नई दिल्ली,
- 24 सितंबर 2018,
- (अपडेटेड 24 सितंबर 2018, 9:14 PM IST)
पिछले हफ्ते सुधार के साथ अपनी स्थिति थोड़ी ठीक करने के बाद अब नए हफ्ते में भारतीय रुपया फिर से डॉलर के मुकाबले कमजोर हो गया. 43 पैसे की गिरावट के साथ सोमवार को रुपये की कीमत घटकर 72.63 तक पहुंच गई.
भारतीय रुपये की गिरावट के पीछे अहम वजह अमेरिका की ओर से ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण क्रूड ऑयल की कीमतों में वृद्धि माना जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतें बढ़ने लगी हैं, इस कारण लोगों ने अचानक बिकवाली शुरू कर दी. ब्रेंट क्रूड सोमवार को 80 डॉलर प्रति बैरल के पार चला गया. नवंबर 2014 के बाद यह सबसे ज्यादा महंगा हुआ है.
रिकवरी की स्थिति के बीच रुपया सोमवार को पिछले हफ्ते के मुकाबले 72.47 की गिरावट के साथ खुला. पिछले हफ्ते इंटर-बैंक फॉरेन एक्सचेंज (फोरेक्स) बाजार में रुपये की कीमत प्रति डॉलर 72.20 रुपये थी. पिछले हफ्ते ऐतिहासिक 72.99 अंकों तक गिरावट के बाद रुपये ने पिछले 2 सत्रों में सुधार किया और 78 पैसे का सुधार कर लिया था.
पिछले कारोबारी हफ्ते के आखिरी दिन रुपये ने मजबूत शुरुआत की. शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 52 पैसे मजबूत हुआ और इस मजबूती के साथ यह 71.85 प्रति डॉलर के स्तर पर खुला. इससे पहले बुधवार को रुपया 72.37 के स्तर पर बंद हुआ था. गुरुवार को बाजार बंद रहा था.
ईरान पर प्रतिबंध का असर
ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू होने से पहले अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम बढ़ने से सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 43 पैसे की भारी गिरावट के साथ 72.63 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ. इससे पहले 2 कारोबारी दिनों में रुपये में मजबूती आई थी.
इंटरबैंक फॉरेन एक्सचेंज (फोरेक्स) बाजार में सोमवार कारोबार की शुरुआत में रुपये में सुधार का रुख पलटता दिखा और यह 72.47 रुपये पर कमजोर खुला जो पिछले हफ्ते 72.20 रुपये पर बंद हुआ था. आज दोपहर के कारोबार तक यह 72.73 रुपये तक लुढ़क गया और अंत में पिछले बंद भाव के मुकाबले 43 पैसे यानी 0.60 फीसदी की गिरावट के साथ 72.63 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ.
अमेरिका के साथ व्यापार शुल्क मुद्दे पर चीन के बातचीत से पीछे हटने के समाचारों से बाजार धारणा प्रभावित हुई. इससे एक बार फिर व्यापार युद्ध और भड़कने की आशंका बढ़ गई. बाजार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि कच्चे तेल मूल्य के बढ़ते दाम के मद्देनजर मुख्यत: तेल आयातक कंपनियों की महीने के अंत तक डॉलर मांग और पूंजी निकासी से घरेलू मुद्रा प्रभावित हुई.
विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि
इस बीच रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में वृद्धि के कारण 14 सितंबर को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1.207 अरब अमेरिकी डॉलर बढ़कर 400.489 अरब डॉलर हो गया. पिछले सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार 81.95 करोड़ डॉलर घटकर 399.282 अरब डॉलर रह गया था.
विदेशी निधियों और विदेशी निवेशकों ने सितंबर में अभी तक पूंजी बाजार से 15,365 करोड़ रुपये (2.1 अरब डॉलर) की भारी पूंजी निकासी की है. इस बीच फाइनेंशल बेंचमार्क्स इंडिया प्रा लि (एफबीआईएल) ने सोमवार के कारोबार की संदर्भ दर अमेरिकी मुद्रा के लिए 72.6927 रुपये प्रति डॉलर और यूरो के लिये 85.2535 रुपये प्रति यूरो निर्धारित की थी. फोरेक्स कारोबार में पौंड, यूरो और जापानी येन के मुकाबले रुपये में गिरावट दर्ज हुई.
हाथ से फिसला रुपया, बेबस सरकार
सरकार और रिजर्व बैंक द्वारा उठाए जा रहे कदमों से बेअसर रुपया बृहस्पतिवार को 65.56 रुपये प्रति डॉलर के रिकार्ड निचले स्तर तक पहुंचने के बाद पिछले कारोबारी सत्र के मुकाबले 44 पैसे गिरकर 64.55 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने रिजर्व बैंक के गवर्नर और मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक कर जो मशक्कत की उसका कोई असर मुद्रा बाजार पर नहीं दिख रहा है।
भले ही शाम को एक संवाददाता सम्मेलन में वित्त मंत्री ने किसी तरह की चिंताजनक स्थिति से इंकार किया हो लेकिन जिस तरह से वह लगातार बैठकें कर रहे हैं उससे सरकार की चिंता साफ झलक रही है।
जिस तरह से रुपया गिर रहा है और रिजर्व बैंक द्वारा उठाए गए मौद्रिक कदमों के चलते बैंकों ने ब्याज दरें बढ़ाना शुरू किया है उससे यूपीए सरकार को इसके राजनीतिक खामियाजे की चिंता भी सताने लगी है।
देर सबेर पेट्रोल, डीजल और गैस की कीमतों में बढ़ोतरी सरकार की मजबूरी बन जाएगी। वहीं कुछ अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान रुपये के 70 रुपये प्रति डॉलर तक पहुंचने का अनुमान लगा रहे हैं।
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार द्वारा अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाने से नतीजे सामने नहीं आ रहे हैं।
बृहस्पतिवार को भी वित्त मंत्री ने अर्थव्यवस्था में जल्दी सुधार होने और चालू खाता घाटा के 70 अरब डॉलर पर रहने की बात कहकर सांत्वना देने की कोशिश की लेकिन कोई बड़ा कदम उठाने से परहेज बरता।
वहीं रिजर्व बैंक गवर्नर ने ढांचागत बदलाव करने की जरूरत पर जोर दिया जिसमें बचत को प्रोत्साहन देना प्रमुख है।
अप्रैल से अगस्त के पहले सप्ताह तक देश का विदेशी मुद्रा भंडार 14 अरब डॉलर घट चुका है। वहीं शार्ट टर्म कर्ज जैसे भुगतान के लिए साल भर में करीब 170 अरब डॉलर की जरूरत है।
ऐसे में बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक सरकार एनआरआई बांड या सॉवरेन बांड जैसे कदमों के जरिये करीब 20 अरब डॉलर जुटाने की कवायद नहीं करती तब तक मौजूदा कदमों से रुपये में स्थिरता की संभावना काफी कम है। इसके पहले सरकार 2001 में एनआरआई बांड के जरिये डॉलर जुटा चुकी है।
रुपया कमजोर होने का क्या होगा असर --
आम आदमी परः-
जरूरी सामानों की कीमतें बढ़ेंगी।
तेल का आयात महंगा होगा।
महंगे पेट्रोल-डीजल से सफर का बजट बढ़ेगा।
महंगे डॉलर से विदेश यात्रा के लिए ज्यादा रुपयों की जरूरत।
विदेशी में पढ़ाई पर भी ज्यादा खर्च करना होगा।
सरकार परः-
परेशानी से घिरी अर्थव्यवस्था की मुश्किलें और बढ़ीं।
इकोनॉमी को पटरी पर लाने की कोशिश में अड़चन।
कमजोर रुपये से महंगाई को हवा मिलने की आशंका।
बढ़ती महंगाई वोटरों को करेगी नाराज।
लगातार कोशिश के बावजूद थम नहीं रही रुपये में गिरावट।
अर्थव्यवस्था परः-
आर्थिक विकास दर, दस साल के निचले स्तर पर।
औद्योगिक उत्पादन में गिरावट से विकास दर को झटका।
कमजोर रुपया और चालू खाते का बढ़ता घाटा बड़ा सिरदर्द।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की ओर से भारत की निवेश रेटिंग घटाने का डर।
लगातार कमजोर होता रुपया केंद्र की यूपीए सरकार के लिए एक बड़ा सिरदर्द बनता जा है।
सरकार और रिजर्व बैंक द्वारा उठाए जा रहे कदमों से बेअसर रुपया बृहस्पतिवार को 65.56 रुपये प्रति डॉलर के रिकार्ड निचले स्तर तक पहुंचने के बाद पिछले कारोबारी सत्र के मुकाबले 44 पैसे गिरकर 64.55 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने रिजर्व बैंक के गवर्नर और मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक कर जो मशक्कत की उसका कोई असर मुद्रा बाजार पर नहीं दिख रहा है।
भले ही शाम को एक संवाददाता सम्मेलन में वित्त मंत्री ने किसी तरह की चिंताजनक स्थिति से इंकार किया हो लेकिन जिस तरह से वह लगातार बैठकें कर रहे हैं उससे सरकार की चिंता साफ झलक रही है।
जिस तरह से रुपया गिर रहा है और रिजर्व बैंक द्वारा उठाए गए मौद्रिक कदमों के चलते बैंकों ने ब्याज दरें बढ़ाना शुरू किया है उससे यूपीए सरकार को इसके राजनीतिक खामियाजे की चिंता भी सताने लगी है।
देर सबेर पेट्रोल, डीजल और गैस की कीमतों में बढ़ोतरी सरकार की मजबूरी बन जाएगी। वहीं कुछ अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान रुपये के 70 रुपये प्रति डॉलर तक पहुंचने का अनुमान लगा रहे हैं।
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार द्वारा अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाने से नतीजे सामने नहीं आ रहे हैं।
बृहस्पतिवार को भी वित्त मंत्री ने अर्थव्यवस्था में जल्दी सुधार होने और चालू खाता घाटा के 70 अरब डॉलर पर रहने की बात कहकर सांत्वना देने की कोशिश की लेकिन कोई बड़ा कदम उठाने से परहेज बरता।
वहीं रिजर्व बैंक गवर्नर ने ढांचागत बदलाव करने की जरूरत पर जोर दिया जिसमें बचत को प्रोत्साहन देना प्रमुख है।
अप्रैल से अगस्त के पहले सप्ताह तक देश का विदेशी मुद्रा भंडार 14 अरब डॉलर घट चुका है। वहीं शार्ट टर्म कर्ज जैसे भुगतान के लिए साल भर में करीब 170 अरब डॉलर की जरूरत है।
ऐसे में बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक सरकार एनआरआई बांड या सॉवरेन बांड जैसे कदमों के जरिये करीब 20 अरब डॉलर जुटाने की कवायद नहीं करती तब तक मौजूदा कदमों से रुपये में स्थिरता की संभावना काफी कम है। इसके पहले सरकार 2001 में एनआरआई बांड के जरिये डॉलर जुटा चुकी है।
रुपया कमजोर होने का क्या होगा असर --
आम आदमी परः-
जरूरी सामानों की कीमतें बढ़ेंगी।
तेल का आयात महंगा होगा।
महंगे पेट्रोल-डीजल से सफर का बजट बढ़ेगा।
महंगे डॉलर से विदेश यात्रा के लिए ज्यादा रुपयों की जरूरत।
विदेशी में पढ़ाई पर भी ज्यादा खर्च करना होगा।
सरकार परः-
परेशानी से घिरी अर्थव्यवस्था की मुश्किलें और बढ़ीं।
इकोनॉमी को पटरी पर लाने की कोशिश में अड़चन।
कमजोर रुपये से महंगाई को हवा मिलने की आशंका।
बढ़ती महंगाई वोटरों को करेगी नाराज।
लगातार कोशिश के बावजूद थम नहीं रही रुपये में गिरावट।
अर्थव्यवस्था परः-
आर्थिक विकास दर, दस साल के निचले स्तर पर।
औद्योगिक उत्पादन में गिरावट से विकास दर को झटका।
कमजोर रुपया और चालू खाते का बढ़ता घाटा बड़ा सिरदर्द।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की ओर से भारत की निवेश रेटिंग घटाने का डर।
रिकॉर्ड उंचाई पर पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार, जानिए कितना हुआ इजाफा
नई दिल्ली। आयात कम करने, निर्यात ज्यादा करने और विदशी निवेश में ज्यादा बढ़ोतरी होने से देश के विदेशी मुद्रा भंडार ( Forex Resrve at Record Level ) में जबरदस्त इजाफा देखने को मिला है। लगातार दूसरे सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा होने से रिकॉर्ड स्तर को पार कर गया है। वहीं दूसरी ओर स्वर्ण भंडार और विदेशी परिसंपत्ति में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है। आपको बता दें कि देश में लगातार कोरोना वायरस का कहर है। साथ ही चीन के साथ संबंध खराब होने के कारण आयात में काफी गिरावट देखने को मिल रही है। जिसकी वजह से देश में विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी देखने को मिली है। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर रिजर्व बैंक की ओर से किस तरह के आंकड़े जारी किए गए हैं।
रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा विदेश मुद्रा भंडार
विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों के पांच अरब डॉलर से अधिक बढऩे से 09 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार 550 अरब डॉलर के पार पहुंच गया। रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 09 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा का भंडार 5.87 अरब डॉलर बढ़कर 551.51 अरब डॉलर पर पहुंच गया। यह लगातार दूसरा सप्ताह है जब इसमें वृद्धि हुई है। इससे पहले 02 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में यह 3.62 अरब डॉलर बढ़कर 545.64 अरब डॉलर पर रहा था।
परिसंपत्ति और स्वर्ण भंडार में भी इजाफा
केंद्रीय बैंक ने बताया कि 09 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 5.74 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 508.78 अबर डॉलर पर पहुँच गया। स्वर्ण भंडार भी 11.3 करोड़ डॉलर बढ़कर 36.60 अरब डॉलर हो गया। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पास आरक्षित निधि 1.3 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.64 अरब डॉलर पर और विशेष आहरण अधिकार 40 लाख डॉलर की वृद्धि के साथ 1.48 अरब डॉलर पर रहा।
सुधार के बाद फिर लुढ़का रुपया, ईरान पर USA का बैन बना कारण
पिछले हफ्ते रुपये में सुधार की स्थिति नए हफ्ते की शुरुआत में एक बार फिर से इसमें गिरावट दर्ज हुई. ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध के कारण क्रूड ऑयल के बढ़ते दामों को इसकी वजह मानी जा रही है.
सुरेंद्र कुमार वर्मा
- नई दिल्ली,
- 24 सितंबर 2018,
- (अपडेटेड 24 सितंबर 2018, 9:14 PM IST)
पिछले हफ्ते सुधार के साथ अपनी स्थिति थोड़ी ठीक करने के बाद अब नए हफ्ते में भारतीय रुपया फिर से डॉलर के मुकाबले कमजोर हो गया. 43 पैसे की गिरावट के साथ सोमवार को रुपये की कीमत घटकर 72.63 तक पहुंच गई.
भारतीय रुपये की गिरावट के पीछे अहम वजह अमेरिका की ओर से ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण क्रूड ऑयल की कीमतों में वृद्धि माना जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतें बढ़ने लगी हैं, इस कारण लोगों ने अचानक बिकवाली शुरू कर दी. ब्रेंट क्रूड सोमवार को 80 डॉलर प्रति बैरल के पार चला गया. नवंबर 2014 के बाद यह सबसे ज्यादा महंगा हुआ है.
रिकवरी की स्थिति के बीच रुपया सोमवार को पिछले हफ्ते के मुकाबले 72.47 की गिरावट के साथ खुला. पिछले हफ्ते इंटर-बैंक फॉरेन एक्सचेंज (फोरेक्स) बाजार में रुपये की कीमत प्रति डॉलर 72.20 रुपये थी. पिछले हफ्ते ऐतिहासिक 72.99 अंकों तक गिरावट के बाद रुपये ने पिछले 2 सत्रों में सुधार किया और 78 पैसे का सुधार कर लिया था.
पिछले कारोबारी हफ्ते के आखिरी दिन रुपये ने मजबूत शुरुआत की. शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 52 पैसे मजबूत हुआ और इस मजबूती के साथ यह 71.85 प्रति डॉलर के स्तर पर खुला. इससे पहले बुधवार को रुपया 72.37 के स्तर पर बंद हुआ था. गुरुवार को बाजार बंद रहा था.
ईरान पर प्रतिबंध का असर
ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू होने से पहले अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम बढ़ने से सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 43 पैसे की भारी गिरावट के साथ 72.63 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ. इससे पहले 2 कारोबारी दिनों में रुपये में मजबूती आई थी.
इंटरबैंक फॉरेन एक्सचेंज (फोरेक्स) बाजार में सोमवार कारोबार की शुरुआत में रुपये में सुधार का रुख पलटता दिखा और यह 72.47 रुपये पर कमजोर खुला जो पिछले हफ्ते 72.20 रुपये पर बंद हुआ था. आज दोपहर के कारोबार तक यह 72.73 रुपये तक लुढ़क गया और अंत में पिछले बंद भाव के मुकाबले 43 पैसे यानी 0.60 फीसदी की गिरावट के साथ 72.63 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ.
अमेरिका के साथ व्यापार शुल्क मुद्दे पर चीन के बातचीत से पीछे हटने के समाचारों से बाजार धारणा प्रभावित हुई. इससे एक बार फिर व्यापार युद्ध और भड़कने की आशंका बढ़ गई. बाजार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि कच्चे तेल मूल्य के बढ़ते दाम के मद्देनजर मुख्यत: तेल आयातक कंपनियों की महीने के अंत तक डॉलर मांग और पूंजी निकासी से घरेलू मुद्रा प्रभावित हुई.
विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि
इस बीच थम नहीं रही विदेशी मुद्रा भंडार की गिरावट रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में वृद्धि के कारण 14 सितंबर को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1.207 अरब अमेरिकी डॉलर बढ़कर 400.489 अरब डॉलर हो गया. पिछले सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार 81.95 करोड़ डॉलर घटकर 399.282 अरब डॉलर रह गया था.
विदेशी निधियों और विदेशी निवेशकों ने सितंबर में अभी तक पूंजी बाजार से 15,365 करोड़ रुपये (2.1 अरब डॉलर) की भारी पूंजी निकासी की है. इस बीच फाइनेंशल बेंचमार्क्स इंडिया प्रा लि (एफबीआईएल) ने सोमवार के कारोबार की संदर्भ दर अमेरिकी मुद्रा के लिए 72.6927 रुपये प्रति डॉलर और यूरो के लिये 85.2535 रुपये प्रति यूरो निर्धारित की थी. फोरेक्स कारोबार में पौंड, यूरो और जापानी येन के मुकाबले रुपये में गिरावट दर्ज हुई.
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