निवेश की अवधि

A, B और C एक व्यवसाय शुरू करते हैं। यदि उनके निवेश की अवधि का अनुपात 2 : 3 : 5 है और उनका लाभ 6 : 7 : 10 के अनुपात में है, तो उनकी पूंजी का अनुपात क्या है?
The RRB Group D Results are expected to be out soon! The Railway Recruitment Board released the RRB Group D Answer Key on 14th October 2022. The candidates will be able to raise objections from 15th to 19th October 2022. The exam was conducted from 17th August to 11th October 2022. The RRB (Railway Recruitment Board) is conducting the RRB Group D निवेश की अवधि exam to recruit various posts of Track Maintainer, Helper/Assistant in various technical departments like Electrical, Mechanical, S&T, etc. The selection process for these posts includes 4 phases- Computer Based Test Physical Efficiency Test, Document निवेश की अवधि Verification, and Medical Test.
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सोना बेचने से हुए प्रॉफिट पर भी लगता है टैक्स: निवेश की अवधि के हिसाब से होता है टैक्स का कैलकुलेशन, यहां समझें पूरा गणित
वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 31 जुलाई तक इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करना है। ITR फाइल करते समय सभी इनकम और केपिटल गेन्स की सही जानकारी देना जरूरी होता है। जब आप सोना बेचते हैं तो आपको इससे होने वाले कैपिटल गेन पर टैक्स देना होता है। अगर आप टैक्स नहीं चुकाते हैं तो ये टैक्स चोरी मानी जाएगी। हम आपको बता रहे हैं कि सोना बेचने से हुए कैपिटल गेन पर कितना टैक्स देना होता है।
किस तरह के गोल्ड पर कितना टैक्स?
फिजिकल गोल्ड
फिजिकल गोल्ड में जूलरी और सिक्कों के साथ अन्य सोने की चीजें शामिल होती हैं। अगर आपने सोना 3 साल के अंदर बेचा है तो इसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाता है। इस बिक्री से होने वाले फायदे पर आपके इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है। वहीं अगर सोने को 3 साल के बाद बेचा है तो इसे लॉग टर्म कैपिटल गेन माना जाता है। इस पर 20.8% टैक्स देना होता है।
गोल्ड म्यूचुअल फंड या गोल्ड ETF
गोल्ड ETF और गोल्ड म्यूचुअल फंड्स से मिलने वाले लाभ पर फिजिकल गोल्ड की तरह ही टैक्स लगता है। इसको लेकर इनकम टैक्स के कोई अलग से नियम नहीं है।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड
बॉन्ड का मेच्योरिटी पीरियड 8 साल का है, लेकिन निवेशकों को 5 साल के बाद बाहर निकलने का मौका मिलता है। यानी अगर आप इस स्कीम से पैसा निकालना चाहते हैं तो 5 साल के बाद निकाल सकते हैं। हालांकि, अगर आप रिडेम्पशन विंडो (खुलने के 5 साल बाद) के पहले या सेकेंड्री मार्केट के जरिए बाहर निकलते हैं तो फिजिकल गोल्ड या गोल्ड म्यूचुअल फंड या गोल्ड ETF पर लगने वाले कैपिटल गेन टैक्स लगेंगे।
गोल्ड बॉन्ड 2.50% की दर से ब्याज का भुगतान करते हैं और यह ब्याज आपके टैक्स स्लैब के अनुसार पूरी तरह से टैक्सेबल है। वहीं 8 साल पूरे होने पर इससे होने वाला कैपिटल गेन पूरी तरह टैक्स फ्री रहता है।
कैपिटल गेन क्या है?
मान लीजिए आपने कुछ साल पहले किसी प्रॉपर्टी या सोने में 1 लाख रुपए निवेश किया था। जो अब बढ़कर 2 लाख हो गया है तो इसमें 1 लाख रुपए को कैपिटल गेन माना जाएगा। इस पर ही आपसे टैक्स लिया जाएगा।
निवेश की अवधि
एक निश्चित अवधि (वर्षों की सम .
एक निश्चित अवधि (वर्षों की सम संख्या हो) के लिए किसी निश्चित दर पर निवेश की गई 60000 की राशि, जिसका ब्याज वार्षिक संयोजित होता है, बढ़कर 63,654 हो जाती है। यदि उसी दर पर, आधी अवधि के लिए उस राशि को निवेश किया जाता तो वह बढ़कर कितनी हो जाती?
आप छोटी अवधि का निवेश करना चाहते हैं तो ये हैं 6 विकल्प
छोटी अवधि के लिए पैसा कहां लगाना चाहिए, इस बारे में ज्यादा सलाह नहीं मिलती.
1. बैंक FD
अवधि: छोटी अवधि के निवेश के लिए यह बेहतर विकल्प है. आप यहां 7, 14, 30, 45 दिन से लेकर 10 साल तक के लिए निवेश कर सकते हैं. निवेश की अवधि बैंकों के हिसाब से बदल सकती है. डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन के नियमों के हिसाब से बैंक में जमा आपकी एक लाख रुपये की रकम पर ही बीमा की सुविधा निवेश की अवधि उपलब्ध है. आप ज्यादातर FD ऑनलाइन कर सकते हैं.
तरलता: कुछ बैंक फिक्स्ड अवधि से पहले FD को भुनाने की सुविधा नहीं देते. हालांकि, निवेश के इस विकल्प में तरलता की कोई समस्या नहीं है.
रिटर्न: बैंक FD में आप मासिक, तिमाही, छमाही या सालाना ब्याज की सुविधा चुन सकते हैं. इस पर ब्याज दरें RBI के रेपो रेट के मुताबिक ही ही रखी जाती है. इस समय 12 महीने की अवधि के लिए बैंक FD पर ब्याज 6.5% है. सीनियर सिटीजन के लिए 0.5% ब्याज अधिक मिलता है.
कर देनदारी: निवेश से मिलने वाले ब्याज को सीधे आपकी आमदनी में जोड़ दिया जाता है. इसके बाद आपकी आमदनी पर लगने वाले स्लैब के हिसाब से आपको इस कमाई पर इनकम टैक्स चुकाना होता है.
2. कंपनी FD
अवधि: निवेश के इस विकल्प में बैंक FD की तुलना में जोखिम अधिक होता है. अगर कंपनी डिफॉल्ट करती है तो निवेशक का हक उसकी संपत्ति पर बनता है. मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां और NBFC इस तरह की डिपॉजिट स्कीम पेश करती हैं.
तरलता: इस निवेश में समय से पहले रकम निकासी का विकल्प होता है, लेकिन कई बार यह कंपनी की मर्जी पर निर्भर करता है. अवधि के हिसाब निवेश की अवधि से इस तरह के जमा की समय से पहले निकासी पर पेनाल्टी भी लग सकती है.
रिटर्न: इस निवेश में आपको बैंक FD की तुलना में 1-2 फीसदी अधिक ब्याज मिलता है. इस तरह के निवेश विकल्प में हालांकि पूंजी के नुकसान का खतरा भी होता है. इसमें आप मासिक, तिमाही, छमाही या सालाना ब्याज की सुविधा चुन सकते हैं. इस समय 12 महीने की अवधि के लिए कंपनी FD पर ब्याज की दर 7.5% है.
कर देनदारी: निवेश से मिलने वाले ब्याज को सीधे आपकी आमदनी में जोड़ दिया जाता है. इसके बाद आपकी आमदनी पर लगने वाले स्लैब के हिसाब से आपको इस कमाई पर इनकम टैक्स चुकाना होता है. अगर ब्याज से आमदनी 5000 रुपये सालाना से अधिक है तो कंपनी उस पर TDS काटकर ही आपको रकम वापस देती है.
3.पोस्ट ऑफिस टर्म डिपाजिट
अवधि: आप इसमें एक, दो, तीन और पांच साल के लिए निवेश कर सकते हैं.
तरलता: यहां आपको सालाना ब्याज मिलता है और समय से पहले रकम निकासी की अनुमति नहीं है.
रिटर्न: रिटर्न के बाद ब्याज फिक्स्ड होते हैं और पूरे समय के लिए उस पर सॉवरेन गारंटी मिलती है. हर तिमाही में इस तरह के जमा पर सरकार ब्याज दरें तय करती है. अप्रैल-जून तिमाही 2018 के लिए ब्याज की दरें एक से पांच साल के जमा के लिए 6.6-7.4 फीसदी हैं.
कर देनदारी: निवेश से मिलने वाले ब्याज को सीधे आपकी आमदनी में जोड़ दिया जाता है. इसके बाद आपकी आमदनी पर लगने वाले स्लैब के हिसाब से आपको इस कमाई पर इनकम टैक्स चुकाना होता है.
4. रेकरिंग डिपाजिट
छोटी अवधि के सभी निवेश विकल्प में आप एक बार निवेश कर सकते हैं, लेकिन इसमें आप चाहें तो निर्धारित अवधि के लिए निश्चित अंतराल पर बार-बार निवेश कर सकते हैं.
अवधि: आप छह महीने से लेकर तीन महीने के गुणक में 10 साल के लिए भी रेकरिंग डिपाजिट खोल सकते हैं.
तरलता: इसमें आम तौर पर एक महीने का लॉक-इन होता है. अगर आप इससे पहले रकम निकाल लेते हैं तो आपको सिर्फ मूलधन वापस किया जाता है.
रिटर्न: इस पर भी आपको बैंक FD की तरह ही ब्याज मिलता है. इस समय 12 महीने या उससे अधिक के RD पर 6.5 फीसदी ब्याज है.
कर देनदारी: निवेश से मिलने वाले ब्याज को निवेश की अवधि सीधे आपकी आमदनी में जोड़ दिया जाता है. इसके बाद आपकी आमदनी पर लगने वाले स्लैब के हिसाब से आपको इस कमाई पर इनकम टैक्स चुकाना होता है.
5. स्वीप इन FD
छोटी अवधि के लिए लोग आम तौर पर बैंक के सेविंग अकाउंट में ही रकम रखते हैं. आप इसके लिए स्वीप इन FD शुरू कर सकते हैं. यह आप उसी बैंक में शुरू कर सकते हैं जहां आपका सेविंग अकाउंट है. यह आपके सेविंग अकाउंट से लिंक्ड होता है. जब आप अकाउंट से निवेश की अवधि इसे निकालना चाहें तभी रकम निकाल सकते हैं.
अवधि: अधिकतर बैंक यह सुविधा 12 महीने की अवधि के लिए देते हैं.
तरलता: आम तौर पर समय से पहले निकासी के मामले में आपको एक फीसदी तक कम ब्याज मिलता है.
रिटर्न: इस पर भी आपको बैंक FD की तरह ही ब्याज मिलता है. इस समय इस पर 12 महीने के लिए 6.5 फीसदी ब्याज मिलता है.
कर देनदारी: निवेश से मिलने वाले ब्याज को सीधे आपकी आमदनी में जोड़ दिया जाता है. इसके बाद आपकी आमदनी पर लगने वाले स्लैब के हिसाब से आपको इस कमाई पर इनकम टैक्स चुकाना होता है. अगर ब्याज से आमदनी 10000 रुपये सालाना से अधिक है तो निवेश की अवधि बैंक उस पर TDS काटकर ही आपको रकम वापस देता है.
6.डेट म्यूचुअल फंड
यहां हम आपको चार तरह के म्यूचुअल फंड के बारे में बता रहे हैं जहां आप छोटी अवधि के लिए फंड जमा कर सकते हैं.
अवधि
लिक्विड फंड: निवेश के इस विकल्प में आप 91 दिन तक की अवधि के लिए निवेश कर सकते हैं.
अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड: डेट और मनी मार्केट के इस निवेश विकल्प में तीन महीने से लेकर छह महीने की अवधि के लिए निवेश किया जा सकता है.
लो ड्यूरेशन फंड: इसमें आप छह महीने से लेकर 12 महीने के लिए निवेश कर सकते हैं.
मनी मार्केट फंड: इसमें आप एक साल तक की अवधि के लिए निवेश कर सकते हैं.
तरलता: इन फंड से आप तुरंत पैसे निकाल सकते हैं.
रिटर्न: निवेश के इस विकल्प में रिटर्न फिक्स्ड नहीं है. इसमें आप तकरीबन सात फीसदी सालाना रिटर्न कमा सकते हैं.
कर देनदारी: अगर निवेश की अवधि 36 महीने से कम है तो रिटर्न को आपकी आमदनी में जोड़कर उस हिसाब से टैक्स लगाया जायेगा. अगर निवेश इससे अधिक अवधि के लिए किया जाता है तो उस पर इंडेक्सेशन के लाभ के साथ 20% टैक्स चुकाना होता है.