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क्या है एक्सचेंज ट्रेडेड फंड

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एक्सचेंज ट्रेडेड फंड या ईटीएफ आमतौर पर म्यूचुअल फंड के समान ही होते हैं। म्यूचुअल फंड की तरह ही यह कई शेयरों का बंडल होता है जिनमें निवेशक निवेश करता है। यह निवेशकों को विविधता भरा पोर्टफोलियो उपलब्ध कराता है। इसके बावजूद दोनों में काफी अंतर है। क्या है एक्सचेंज ट्रेडेड फंड ईटीएफ का कारोबार शेयर बाजार पर दिन भर उसी तरह होता है जैसे कि

एक्सचेंज ट्रेडेड फंड या ईटीएफ आमतौर पर म्यूचुअल फंड के समान ही होते हैं। म्यूचुअल फंड की तरह ही यह कई शेयरों का बंडल होता है जिनमें निवेशक निवेश करता है। यह निवेशकों को विविधता भरा पोर्टफोलियो उपलब्ध कराता है। इसके बावजूद दोनों में काफी अंतर है।

ईटीएफ का कारोबार शेयर बाजार पर दिन भर उसी तरह होता है जैसे किसी शेयर में। जबकि म्यूचुअल फंड में खरीद-फरोख्त दिन के अंत में प्राप्त उसके नेट एसेट वैल्यू के आधार पर ही क्या है एक्सचेंज ट्रेडेड फंड की जा सकती है। ज्यादातर ईटीएफ किसी खास इंडेक्स के पीछे चलते हैं और इसकी वजह से उसके परिचालन क्या है एक्सचेंज ट्रेडेड फंड संबंधी खर्च कम हो जाते हैं। जबकि सक्रिय निवेश वाले म्यूचुअल फंडों के मामले में ऐसा नहीं है। इस लिहाज से ईटीएफ में आपके निवेश पर रिटर्न की दर बढ़ती है। इसके अतिरिक्त ईटीएफ में निवेश की कोई न्यूनतम सीमा नहीं होती और न ही बिक्री पर किसी तरह का चार्ज। जबकि पारंपरिक म्यूचुअल फंड में दोनों तरह की बाध्यताएं होती हैं। हां, ज्यादातर इंडेक्स म्यूचुअल फंडों में सेल्स लोड नहीं होता।

ईटीएफ में शेयरों का सृजन वस्तु के रूप में हुए सौदे की तरह होता है जो सामान्य बिक्री नियमों के दायरे में नहीं आते। इसलिए ये टैक्स दायरे से बाहर रहते हैं। मगर म्यूचुअल फंड में जब आप अपनी यूनिट बेचकर लाभ अर्जित करते हैं तो वह टैक्स दायरे में आते हैं। इस लिहाज से ईटीएफ का गठन टैक्स बचत के तौर पर अधिक बेहतर तरीके से किया गया है।

क्या है एक्सचेंज ट्रेडेड फंड? निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान

क्या है एक्सचेंज ट्रेडेड फंड? निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान

अगर आप कम पैसों से निवेश करना शुरू करना चाहते हैं तो आप एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) में निवेश कर सकते हैं। ETF के जरिए निवेशकों का पैसा शेयरों के एक सेट में निवेश किया जाता है, जिसमें इक्विटी, बॉन्‍ड या गोल्‍ड जैसे एसेट शामिल होते हैं। स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड की वजह से इनका कारोबार भी शेयर मार्केट की तरह होता है। अगर आप भी ETF में निवेश करने जा रहे हैं तो कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें।

एसेट्स के बास्केट को ETF कहते हैं, जिसकी बिक्री और खरीद स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से होती है। ETF का मूल्य शुद्ध संपत्ति मूल्य (NAV) पर निर्भर करता है। NAV की कीमत म्यूचुअल फंड की तरह बाजार बंद होने के बाद निर्धारित की जाती है। देश की मार्केट में मुख्यत: पांच प्रकार के ETFs में निवेश कर सकते हैं, जिसमें गोल्ड ETF, इंडेक्स ETF, बॉन्ड ETF, सिल्वर ETF और इंटरनेशनल ETF शामिल हैं।

यह निवेश का एक सरल माध्यम है, इसकी खरीद-फरोख्त भी स्टॉक एक्सचेंज से होती है। ETF में निवेश करने के लिए लोगों को ऑनलाइन स्टॉक ब्रोकर और डीमैट खाते से ट्रेडिंग क्या है एक्सचेंज ट्रेडेड फंड अकाउंट की जरूरत होती है। वहीं ETF को खरीदने और बेचने की प्रक्रिया भी काफी आसान है। बता दें क्या है एक्सचेंज ट्रेडेड फंड कि शेयर मार्केट की तरह पूरे दिन के कारोबार में ETF की कीमतों में भी उतार चढ़ाव देखने को मिलता है।

ETF को चुनने समय L4U स्ट्रेटजी पर काम करना चाहिए- लिक्विडिटी के साथ लो एक्सपेंश रेशियो, लो इंपैक्ट कॉस्ट, लो ट्रैकिंग एरर और अंडरलाइंग सिक्योरिटीज हो। लिक्विडिटी का मतलब है कि एक्सचेंजों पर ETF की पर्याप्त ट्रेडिंग वॉल्यूम होनी चाहिए, ताकि खरीद-फरोख्त में आसानी हो। एक्टिव फंड्स की तुलना में ETF के एक्सपेंस रेशियो कम होते हैं, लेकिन फिर भी निवेशकों को विभिन्न ETF के एक्सपेंस रेशियो की तुलना जरूर करनी चाहिए।

इंपैक्ट कॉस्ट एक्सचेंज पर ट्रांजैक्शन को लेकर इनडायरेक्ट कॉस्ट है। अगर लिक्विडिटी अधिक हुई तो इंपैक्ट कॉस्ट कम होगी। जिसकी वजह से इनडायरेक्ट टैक्स कम चुकाना पड़ेगा। ट्रैकिंग एरर की वजह से इंडेक्स की तुलना में मिलने वाले रिटर्न के अंतर को स्पष्ट करती है। अंडरलाइंग सिक्योरिटीज के मुताबिक, 0.2 फीसदी का ट्रैकिंग एरर आदर्श माना जाता है। सबसे महत्वपूर्ण पैरामीटर अंडरलाइंग सिक्योरिटीज है क्योंकि रिटर्न इसी के परफॉरमेंस पर निर्भर करता है।

निवेश के दौरान आपके सामने कुछ ऐसे ETFs होंगे, जिनकी बोली अधिक होगी। वहीं ऐसे ETFs को बेचने के दौरान पर्याप्त लिक्विडिटी नहीं मिलती है। अगर आप ETF यूनिटों का बहुत कम हिस्‍सा खरीदते-बेचते हैं, तो ब्रोकरेज और डीमैट चार्ज ज्‍यादा बैठ सकता हैं।

क्या है एक्सचेंज ट्रेडेड फंड

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ईटीएफ में पैसे लगाने से पहले समझिए ईटीएफ की पूरी गणित, ईटीएफ और इंडेक्स फंड में फर्क क्या

पिछले कुछ समय से ईटीएफ काफी चलन में है और म्यूचुअल फंड (एमएफ) इंडस्ट्री ने भी कई एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) लॉन्च किए। इनमें विदेश में निवेश करने वालों से लेकर, कुछ अन्य जो सेक्टर या थीम में निवेश.

ईटीएफ में पैसे लगाने से पहले समझिए ईटीएफ की पूरी गणित, ईटीएफ और इंडेक्स फंड में फर्क क्या

पिछले कुछ समय से ईटीएफ काफी चलन में है और म्यूचुअल फंड (एमएफ) इंडस्ट्री ने भी कई एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) लॉन्च किए। इनमें विदेश में निवेश करने वालों से लेकर, कुछ अन्य जो सेक्टर या थीम में निवेश करते हैं, शामिल हैं। लेकिन क्या आपको पता है ईटीएफ क्या होते हैं और उन्हें कैसे चुनना चाहिए? ईटीएफ लेना चाहिए या इंडेक्स फंड ?

ईटीएफ इंडेक्स फंड से कैसे अलग हैं?
इंडेक्स फंड और ईटीएफ दोनों ही पैसिव फंड हैं। दोनों फंडों का लक्ष्य अपने बेंचमार्क इंडेक्स से बेहतर प्रदर्शन या अंडरपरफॉर्म नहीं करना है। ईटीएफ, एक इंडेक्स फंड की तरह, एक बेंचमार्क इंडेक्स चुनता है और फिर बेंचमार्क के रिटर्न को कॉपी करने की कोशिश करता है। ईटीएफ केवल स्टॉक एक्सचेंज में उपलब्ध है, जहां आप बाजार के कामकाज के दौरान खरीद और बिक्री कर सकते हैं। इंडेक्स फंड का भी लक्ष्य इंडेक्स के रिटर्न से मेल खाना है। लेकिन वे निवेशकों को इंट्राडे खरीद या बिक्री मूल्य की पेशकश नहीं करते हैं।

दिन के अंत में फंड का शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) जारी किया जाता है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के नए नियमों के अनुसार, निवेशक को उस दिन का एनएवी तभी मिल सकता है जब उसका निवेश फंड में जमा हो जाता है। आपके निवेश के तरीके और समय के आधार पर इसमें कुछ दिन या उससे भी अधिक समय लग सकता है। दूसरी ओर ईटीएफ शेयरों की तरह कारोबार किया जाता है, इसलिए निवेशक ईटीएफ को ऑर्डर देने के समय प्रचलित व्यापारिक मूल्य पर खरीद या बेच सकते हैं।

ईटीएफ और इंडेक्स फण्ड में बेहतर कौन?
एक ईटीएफ की संरचना को इंडेक्स फंड की तुलना में बेहतर माना जाता है। एक इंडेक्स फंड एक विशिष्ट एमएफ योजना की तरह काम करता है। जब निवेशक फंड में पैसा लगाते हैं, तो फंड सिक्योरिटीज ऐसे खरीदता है जिससे पोर्टफोलियो इंडेक्स जैसा दिखे। फंड मैनेजर फंड में कुछ कैश रखता है। कैश घटक जितना बड़ा होगा, स्कीम प्रदर्शन बेंचमार्क के प्रदर्शन से उतना ही अलग होगा।
इसके विपरीत एक ईटीएफ यूनिट केवल फंड हाउस के साथ सिक्योरिटी की बास्केट का आदान-प्रदान करके बनाई जाती है। बास्केट की एक इकाई के घटक स्थिर होते हैं और इन्हें बदला नहीं जा सकता। यह ईटीएफ के नकद घटक को मजबूती से नियंत्रण में रखता है और इसलिए, इसमें कम ट्रैकिंग त्रुटि रहती है।

क्या ईटीएफ बेहतर है?
ऐसा नहीं है। इंडेक्स फंड की तुलना में ईटीएफ महंगा हो सकता है। चूंकि ईटीएफ को केवल स्टॉक एक्सचेंजों पर खरीदा और बेचा जा सकता क्या है एक्सचेंज ट्रेडेड फंड है, इसलिए आपको एक डीमैट खाते की आवश्यकता है (शुल्क 300-450 रुपये प्रति वर्ष है)। (सक्रिय निवेशकों या व्यापारियों के लिए, इन शुल्कों को कभी-कभी माफ कर दिया जाता है।) इसमें ब्रोकरेज शुल्क भी होता है और अधिकतर 0.5 प्रतिशत तक वसूलते हैं।
बाजार में कम मात्रा वाले ईटीएफ में लिक्विडिटी की कमी होती है, ऐसे में जब आप अपना स्टॉक बेचना चाहते हैं तो आपको पर्याप्त संख्या में खरीदार नहीं मिलते हैं। इसी तरह जब आप कुछ इकाइयां खरीदना चाहते हैं तो पर्याप्त विक्रेता नहीं मिलते हैं।

ईटीएफ के प्रदर्शन को कैसे मापा जाए?
पैसिव फंड को उनकी ट्रैकिंग त्रुटियों या उनके संबंधित बेंचमार्क इंडेक्स से उनके प्रदर्शन के आधार पर मापा जा सकता है। पिछले कुछ वर्षों में, जैसे-जैसे फंड हाउस और बाजार परिपक्व हुए हैं, पैसिव फंडों, विशेष रूप से इंडेक्स फंड्स की ट्रैकिंग त्रुटियों में कमी आई है। अंतर्निहित इंडेक्स में शेयरों में लिक्विडिटी की कमी भी ट्रैकिंग त्रुटि में योगदान करती है क्योंकि खरीदने और बेचने से लागत बढ़ती है। इसीलिए स्मॉल-कैप और मिड-कैप पैसिव फंड की ट्रैकिंग त्रुटि आमतौर पर लार्ज-कैप फंड की तुलना में अधिक होती है।

What is Silver Exchange traded fund | सिल्वर एक्सचेंज ट्रेडेड फंड क्या है | Investment Adda

मेरा नाम अंकित सचान है और मूलतः मैं कानपुर उत्तर प्रदेश जिले के घाटमपुर तहसील से सम्बन्ध रखता हूँ मैंने B.tech Electrical Engineering की शिक्षा उत्तर प्रदेश के सरकारी Engineering कॉलेज (Bundelkhand Institute of Engineering & Technology Jhansi ) ली है तदुपरांत मैंने प्राइवेट सेक्टर को चुना और अपनी नौकरी शुरू की अब तक मैँने २ कंपनियों में नौकरी की है मैंने Ramky Enviro Engineers Ltd में 8 वर्ष तथा PI Industries में 2 साल से काम कर रहा हूँ

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