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समर्थन क्या है

समर्थन क्या है
किसानों को दिवाली का तोहफा (प्रतीकात्मक तस्वीर)

एमएसपी 2023-24: रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि, जानें किस फसल पर कितनी हुई बढ़ोतरी

एमएसपी 2023-24: रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि, जानें किस फसल पर कितनी हुई बढ़ोतरी

गेहूं, चना, जौ, सरसों सहित कई अन्य रबी की फसलों का एमएसपी 500 रुपए तक बढ़ाया

दरअसल अभी अक्टूबर का महीना चल रहा हैं। देशभर में खरीफ फसलों का सीजन पीक पर है। किसान मंडियों में अपनी फसल बेचने के लिए पहुंच रहे हैं। बता दें कि अक्टूबर में खरीफ फसलों की कटाई और बाजार में आवक शुरू हो जाती है। ऐसे में केंद्र एवं राज्य की सरकारें किसानों से खरीफ फसलों की एमएसपी पर सरकारी खरीद कर रही है। जिनमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और तमिलनाडु राज्य में सरकारें किसानों से एमएसपी पर खरीफ फसलों की सरकारी खरीद कर रही है। इसी बीच केंद्र की मोदी सरकार ने किसानों को दिवाली का तोहफा देते हुए रबी की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी की मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में ये फैसला लिया गया है। सरकार ने रबी विपणन वर्ष 2023-24 के लिए रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर दिया है। इस बार रबी फसलों के एमएसपी में समर्थन क्या है 500 रुपए प्रति क्विंटल तक की बढ़ोतरी की गई है। गेहूं, और दालों के साथ-साथ केंद्र सरकार ने रबी की 6 अन्य फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी की है। केंद्र सरकार के इस फैसले से किसानों को लाभ होगा। जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले मोदी सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधि योजना की 12वीं किस्त के 2-2 हजार रुपए किसानों के खाते में ट्रांसफर भी किए है।

किस फसल पर कितनी एमएसपी बढ़ोतरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट में किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में लिए गए फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि समर्थन क्या है सरकार ने रबी विपणन वर्ष 2023-24 के लिए रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर दिया है। सरकार ने गेहूं, चना, जौ, सरसों सहित 6 फसलों की एमएसपी में 500 रुपये प्रति क्विंटल तक का इजाफा किया है। उन्होंने बताया कि सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 110 रुपए प्रति क्विंटल बढ़कर 2,125 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है।

जो का समर्थन मूल्य 100 रुपए प्रति क्विंटल बढ़कर 1,735 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है।

चना का समर्थन मूल्य 105 रुपए प्रति क्विंटल बढ़कर 5,335 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है।

मसूर का समर्थन मूल्य 500 रुपए प्रति क्विंटल बढ़कर 6,000 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है।

सरसों-कैनोला का समर्थन मूल्य 400 रुपए प्रति क्विंटल बढ़कर 5,450 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है।

इसी प्रकार कुसुम का समर्थन मूल्य 209 रुपए प्रति क्विंटल बढ़कर 5,650 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। सरकार की ओर से सभी रबी फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी की गई है ताकि किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य मिल सके।

रबी विपणन सीजन वर्ष 2018-19 की बजट घोषणा के अनुरूप बढ़ोत्तरी

कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि विपणन सीजन 2023-24 के लिए रबी फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है, जिसमें एमएसपी को अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के 1.5 गुना के स्तर पर तय किया गया है। सफेद सरसों और सरसों के लिए अधिकतम रिटर्न की दर 104 प्रतिशत है, इसके बाद गेहूं के लिए 100 प्रतिशत, मसूर के लिए 85 प्रतिशत है, चने के लिए 66 प्रतिशत, जौ के लिए 60 प्रतिशत और कुसुम के लिए 50 प्रतिशत है। मिली जानकारी के अनुसार सीसीईए ने फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) और मार्केटिंग सेशन 2023-24 में 6 रबी फसलों के लिए एमएसपी में बढ़ोतरी को मंजूरी दी है। उन्होंने कहा कि गेहूं की उत्पादन लागत 1,065 रुपये प्रति क्विंटल रहने का अनुमान है।

क्या होता है एमएसपी या मिनिमम सपोर्ट प्राइज?

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने अपने बयान में कहा कि एमएसपी या मिनिमम सपोर्ट प्राइज यानि न्यूनतम समर्थन मूल्य वह गारंटेड मूल्य है, जो किसानों को उनकी फसल पर मिलता है। फिर चाहे बाजार में उस फसल की कीमतें कम हो। यह सरकार द्वारा तय किया जाता है। सरकार हर फसल सीजन से पहले सीएसीपी यानी कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइजेस की सिफारिश पर एमएसपी तय करती है। यह एमएसपी पूरे देश में एक समान रूप से लागू होता है। यदि किसी फसल की बम्पर पैदावार हुई है तो उसकी बाजार में कीमतें कम होती हैं, तब एमएसपी उनके लिए फिक्स एश्योर्ड प्राइज का काम करती है। यह एक तरह से कीमतों में गिरने पर किसानों को बचाने वाली बीमा पॉलिसी की तरह काम करती है। इससे बाजार में फसलों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का किसानों पर असर न पड़े। उन्हें न्यूनतम कीमत मिलती रहे। किसान एमएसपी पर अपनी फसल बेचे या ना बेचे इसके लिए वे स्वतंत्र है।

किसी प्रकार तय किया जाता है एमएसपी या मिनिमम सपोर्ट प्राइज?

सरकार हर फसल सीजन से पहले सीएसीपी यानी कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइजेस की सिफारिश पर एमएसपी तय करती है। सरकार हर साल धान, गेहूं, मक्का, जौ, बाजरा, चना, तुअर (अरहर), मूंग, उड़द, मसूर, सरसों, सोयाबीन, सूरजमूखी, गन्ना, कपास, जूट आदि फसलों सहित रबी सीजन और खरीफ सीजन की कुल 23 फसलों का एमएसपी तय करती है। इसमें अनाज की 7, दलहन की 5, तिलहन की 7 और 4 कमर्शियल फसलों को शामिल किया गया है। इसके अलावा गन्ने की फसल का एमएसपी गन्ना आयोग द्वारा तय किया जाता है। सीएसीपी यानी कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइजेस फसलों की एमएसपी फसल की कुल लागत के आधार पर तय करती है। जिसमें फसल की कुल लागत जिसमें मजदूरी, बीज, उर्वरक, खाद, सिंचाई शुल्क, शामिल किया जाता है।

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केंद्र ने बढ़ाई रबी फसलों की MSP, तिलहन और सरसों में 400 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी

Cabinet Decision: केंद्र सरकार ने किसानों को दिवाली का तोहफा दिया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2022-23 के लिए रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को बढ़ाने का फैसला लिया गया है. इसकी जानकारी केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए दी है.

 किसानों को दिवाली का तोहफा (प्रतीकात्मक तस्वीर)

किसानों को दिवाली का तोहफा (प्रतीकात्मक तस्वीर)

gnttv.com

  • नई दिल्ली,
  • 18 अक्टूबर 2022,
  • (Updated 18 अक्टूबर 2022, 7:06 PM IST)

तिलहन और दलहन के उत्पादन में हुई है बढ़ोतरी

कृषि को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे हैं कई काम

केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) ने मंगलवार को 2022-23 के लिए रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) निर्धारित कर दिया है. इन फसलों में गेंहू, जौ, चना, मसूर, सफेद सरसों और सरसों, और कुसुंभ शामिल हैं. जहां गेंहू की एमएसपी में 110 रुपये की बढ़ोतरी की गई है, वहीं जौ में 100 रुपये की बढ़ोतरी की गई है. इससे विपणन सीजन 2023-24 में गेहूं की खरीद 2,125 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी के हिसाब से होगी और जौ की खरीद 1735 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी के हिसाब से.

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दी जानकारी

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि मंत्रिमंडल बैठक में 2023-24 के लिए 6 रबी फसलों की एमएसपी को मंजूरी दी गई है. इसमें गेहूं के लिए 110 रुपये, जौ में 100 रुपये, चना में 105 रुपये, मसूर में 500 रुपये, सरसों में 400 रुपये और कुसुंभ में 209 रुपये की वृद्धि की गई है. बता दें, सरकार ने रबी फसलों के विपणन सीजन 2023-24 के लिए एमएसपी में वृद्धि की है. इसकी मदद से उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किया जा सकेगा.

तिलहन और दलहन के उत्पादन में हुई है बढ़ोतरी

कृषि मंत्रालय के अनुसार, सफेद सरसों और सरसों के लिए अधिकतम रिटर्न की दर 104 प्रतिशत है, इसके बाद गेहूं के लिए 100 प्रतिशत, मसूर के लिए 85 प्रतिशत है, चने के लिए 66 प्रतिशत; जौ के लिए 60 प्रतिशत; और कुसुंभ के लिए 50 प्रतिशत है. पिछले कुछ साल में तिलहन और दलहन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए काम किया जा रहा है. तिलहन उत्पादन 2014-15 में 27.51 मिलियन टन से बढ़कर 2021-22 में 37.70 मिलियन टन. इतना ही नहीं बल्कि दलहन उत्पादन में भी इसी तरह की वृद्धि हुई है. दलहन के मामले में 2014-15 में जो उत्पादकता 728 किग्रा/हेक्टेयर थी वो बढ़कर समर्थन क्या है 892 किग्रा/हेक्टेयर हो गई है. यानि इसमें 22.53 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

कृषि को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे हैं कई काम

केंद्र सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार देश में कृषि क्षेत्र में स्मार्ट खेती के तरीकों को अपनाने के लिए बढ़ावा दे रही है. इसके लिए सरकार एक डिजिटल कृषि मिशन शुरू कर रही है. इसमें कृषि का डिजिटल इकोसिस्टम किसान डेटाबेस, एकीकृत किसान सेवा इंटरफेस (यूएफएसआई), मिट्टी की उर्वरता और प्रोफाइल मैपिंग में सुधार करना जैसी योजनाएं शामिल हैं. इसके अलावा, ड्रोन टेक्नोलॉजी को भी कृषि में अपनाने के लिए काम किए जा रहे हैं.

UP News: योगी सरकार पहली बार MSP पर खरीदेगी बाजरा, 18 जिले चिन्हित; यहां चेक करें समर्थन मूल्य

UP News यूपी सरकार इस साल एमएसपी पर मक्का के साथ पहली बार बाजरा भी खरीदेगी। मक्का और बाजरा की खरीद 15 अक्टूबर से 15 दिसंबर तक होगी। बाजरा की खरीद जिन 18 जिलों में होगी। बाजरा का समर्थन मूल्य 2350 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।

UP News: लखनऊ [राजीव दीक्षित]। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में पहली बार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर होने जा रही बाजरा की खरीद (Bajra Purchase) राज्य के 18 जिलों में होगी। यह वे जिले हैं जिनमें कृषि विभाग (Agriculture Department) ने बाजरा की बोआई 10 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में दर्शायी गई है। इसके लिए एमएसपी भी तय कर दी गई है। बाजरा का 2350 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है।

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यूपी सरकार इस साल एमएसपी पर मक्का के साथ पहली बार बाजरा भी खरीदेगी। मक्का और बाजरा की खरीद 15 अक्टूबर से 15 दिसंबर तक होगी। बाजरा की खरीद जिन 18 जिलों में होगी उनमें आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, मैनपुरी, अलीगढ़, कासगंज, हाथरस, एटा, बरेली, बदायूं, संभल, बुलंदशहर, कानपुर देहात, औरैया, इटावा, जालौन, प्रयागराज और गाजीपुर जिले शामिल हैं।

खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 के लिए बाजरा का समर्थन मूल्य 2350 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। इस वर्ष मक्का की खरीद प्रदेश के 23 जिलों में होगी। इनमें बुलंदशहर, हापुड़, बदायूं, हरदोई, उन्नाव, मैनपुरी, फिरोजाबाद, अलीगढ़, एटा, कासगंज, कानपुर नगर, कानपुर समर्थन क्या है देहात, इटावा, फर्रुखाबाद, कन्नौज, गोंडा, बहराइच, श्रावस्ती, बलिया, जौनपुर, सोनभद्र, देवरिया और ललितपुर जिले शामिल हैं।

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इस साल मक्का का समर्थन मूल्य 1962 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। प्रदेश मे बाजरा की खरीद जहां पहली बार होगी, वहीं मक्का खरीद का यह पांचवां वर्ष होगा। सामान्यत: मक्का का बाजार मूल्य एमएसपी से ज्यादा होने के कारण किसान इसे सरकारी क्रय केंद्रों की बजाय खुले बाजार में बेचने को प्राथमिकता देते हैं।

इस वजह से मक्का खरीद लक्ष्य से कम रहती है। पिछले साल प्रदेश में 2762.3 टन मक्का खरीदा गया था। अपवाद के तौर पर वर्ष 2020-21 था जब कोरोना महामारी के कारण मक्का का बाजार मूल्य एमएसपी से नीचे गिरा था। उस वर्ष प्रदेश मे लक्ष्य से ज्यादा 1.06 लाख टन मक्का खरीदा गया था।

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इस साल 70 लाख टन धान खरीदने का प्रस्ताव

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2021-22 की भांति 2022-23 में भी 70 लाख टन धान खरीदने का प्रस्ताव है। धान खरीद के लिए प्रदेश में 4000 क्रय केंद्र स्थापित किये जाएंगे। खाद्य एवं रसद विभाग इस साल प्रदेश के पश्चिमी हिस्से में पहली अक्टूबर और पूर्वी भाग में एक नवंबर से होने वाली धान खरीद की तैयारियों में जुट गया है।

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विभाग की ओर समर्थन क्या है से इस संबंध में शासन को भेजे गए प्रस्ताव में धान खरीदने के लिए छह एजेंसियां प्रस्तावित की गई हैं। इनमें खाद्य विभाग की विपणन शाखा, उप्र सहकारी संघ (पीसीएफ), उप्र कोआपरेटिव यूनियन (पीसीयू), उप्र उपभोक्ता सहकारी संघ (यूपीएसएस), उप्र राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद और भारतीय खाद्य निगम शामिल हैं।

इसके अलावा कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) और कृषक उत्पादक कंपनियों (एफपीसी) के माध्यम से भी धान खरीदने का इरादा है। वर्ष 2022-23 में धान खरीद के लिए एमएसपी 2040 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया गया है। पिछले वर्ष प्रदेश में 70 लाख टन खरीद के लक्ष्य के सापेक्ष 65.63 लाख टन धान खरीद हुई थी।

न्यूनतम समर्थन मूल्य से 1830 रुपये प्रति क्विंटल तक कम हो गया चने का दाम, अब क्या करेंगे किसान?

Gram Price: जहां एक तरफ महाराष्ट्र के बाजारों में सरसों, कॉटन और सरसों का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक चल रहा है, चने का अच्छा भाव मिलने के लिए किसान तरस रहे हैं. उन्हें एमएसपी से बहुत कम रेट पर चना बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

न्यूनतम समर्थन मूल्य से 1830 रुपये प्रति क्विंटल तक कम हो गया चने का दाम, अब क्या करेंगे किसान?

सरिता शर्मा | Edited By: ओम प्रकाश

Updated on: May 05, 2022 | 10:53 AM

फसल पैटर्न में बदलाव करके किसानों ने उत्पादन बढ़ाने की कोशिश की और यह सफल भी रहा. इस साल महाराष्ट्र में चने का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है. इसके बावजूद किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी नहीं हुई. क्योंकि उन्हें अच्छा भाव नहीं मिल रहा है. सोयाबीन, अरहर और चने की कीमतों (Gram Price) में पिछले आठ दिनों से गिरावट लगातार जारी है. जहां अधिक आवक होने पर प्रसंस्करण उद्योग में शामिल लोगों ने चने का स्टॉक कर लिया, वहीं अब चने की कीमत घटकर कई जगहों पर सिर्फ 4100 रुपये प्रति क्विंटल रह गई है. जबकि इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 5230 रुपये प्रति क्विंटल है. बीड जिले में आने वाली वाडवानी मंडी में तो एमएसपी से 1830 रुपये प्रति क्विंटल कम दाम पर किसान चना बेचने के लिए मजबूर हैं.

ऐसे में अब किसानों के पास सरकार द्वारा तय खरीदी केंद्र पर बेचने के अलावा कोई चारा नहीं है. गारंटी केंद्र और खुले बाजार के दाम में कहीं 1,130 रुपये प्रति क्विंटल का अंतर है तो कहीं 1800 रुपये का. पहले किसान ख़रीदी केंद्र के उलझन वाले नियमों के चलते खुले बाजार में उपज बेचना पसंद कर रहे थे. सरकार द्वारा तय खरीदी केंद्रों पर फसल बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. जिसमें लैंड रिकॉर्ड आदि देने की बाध्यता है.

आवक में हुई वृद्धि

महाराष्ट्र के बाजारों में चने की आवक बढ़ी है. क्योंकि इसका अभी सीजन चल रहा है. बाजार के जानकारों का कहना है कि दाम कम होने की एक वजह ये भी है. रबी सीजन के अंतिम चरण में सोयाबीन (Soybean) का भाव भी जमीन पर है. इसका समर्थन क्या है भी किसान भंडारण करने पर जोर दे रहे हैं. किसान कीमत का अंदाजा लगाकर उपज ला रहे हैं. लेकिन जिनके पास पैसे की कमी है वो लोग मजबूरी में एमएसपी से सस्ते दाम पर बेचने के लिए मजबूर हैं. अब कीमत की तस्वीर बदल गई है सोयाबीन की कीमतों में पिछले डेढ़ महीने से गिरावट जारी है. अब कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीदें धूमिल होती जा रही है.

किस मंडी में कितना है दाम

  • बीड जिले में आने वाली माजलगाव गांव मंडी में 4 मई को चने का मॉडल प्राइस 4200 रुपये प्रति क्विंटल रहा.
  • हिंगोली मार्केट में 4188 रुपये प्रति क्विंटल का मॉडल प्राइस रहा.
  • बीड जिले की परली समर्थन क्या है वैजनाथ मंडी में 4 मई को मॉडल प्राइस 4150 रुपये प्रति क्विंटल रहा.
  • बीड जिले में आने वाली वाडवानी मंडी में तो चने का मॉडल प्राइस सिर्फ 3400 रुपये क्विंटल रहा.

खरीदी केंद्र और खुले बाजार के दाम में भारी अंतर

जहां इस समय कपास, सरसों और गेहूं (Wheat) का रेट कई खुले बाजारों में एमएसपी से अधिक चल रहा है वहीं चने का भाव काफी नीचे है. नाफेड के माध्यम से प्रदेश में चने की खरीद शुरू हो गई है. फिर भी किसानों को फायदा नहीं हो रहा है. महाराष्ट्र चने का अच्छा उत्पादक है. सीजन की शुरुआत से ही ख़रीदी केंद्र पर खुले बाजार के मुकाबले रेट ज्यादा है.इसके बावजूद किसानों ने खुले बाजार में चना बेचने पर जोर दिया था. लेकिन पहले कीमत में सिर्फ 300 रुपये का अंतर था, लेकिन अब यह अंतर 1100 रुपये से समर्थन क्या है अधिक पहुंच गया है.

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लातूर मंडी में कितना है भाव

लातूर में सोयाबीन, चना और तुअर की आवक शुरू है. सीजन समर्थन क्या है के आखिरी चरण में सोयाबीन की कीमतों में गिरावट जारी है. लातूर बाजार में चना 4100 रुपये प्रति क्विंटल है. तुअर की कीमत में भी गिरावट शुरू हो गई है. तुअर की गारंटीकृत कीमत 6,300 रुपये है जबकि खुले बाजार की दर 6,100 रुपये है व्यापारी अशोक अग्रवाल ने कहा कि कुल मिलाकर सभी कृषि चीज़ो के दाम गिरने लगे हैं और किसानों को सलाह दी जाती है कि वे बाजार का अध्ययन कर ही उपज बेचें. हो सके तो भंडारण करें.

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