मिनट की आवेग रणनीति

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Tik Tok बैन पर क्यों भड़कीं TMC सांसद नुसरत जहां ? बताया क्या होगी सबसे बड़ी मुश्किल
कोलकाता. तृणमूल कांग्रेस के सांसद नुसरत जहां कोलकाता में इस्कॉन रथ यात्रा समारोह में शामिल हुई। लेकिन इस दौरान उन्होंने भारत में टिक टॉक ऐप को बैन करने को लेकर जो बयान दिया, उससे उनकी आलोचना शुरू हो गई हई। नुसरत जहां ने कहा कि टिकटॉक एक मनोरंजक एप है। जो भी फैसला लिया गया वह गुस्से और आवेग में लिया गया। इसके पीछे क्या रणनीति है? आखिर उन लोगों का क्या होगा जो इस प्रतिबंध के चलते बेरोजगार हो गए हैं? लोग उसी तरह संघर्ष करेंगे जैसा नोटबंदी के बाद कर रहे थे? नुसरत ने कहा कि अगर ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए है तो मुझे इस प्रतिबंध से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन आखिर इन सवालों के जवाब कौन देगा?
भगवान जगन्नाथ यात्रा में अभिनेत्री नुसरत जहां और निखिल जैन ने की आरती।
नुसरत जहां बंगाली अभिनेत्री और सांसद हैं। उन्होंने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की ओर से बसीरहाट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
Things to Remember: क्या आप लेने जा रहे हैं पर्सनल लोन? तो इन बातों पर डाल लें पहले नजर
Surbhi Jain
Updated on: November 29, 2015 12:34 IST
Things to Remember: क्या आप लेने जा रहे हैं पर्सनल लोन? तो इन बातों पर डाल लें पहले नजर
नई दिल्ली। तुरंत पैसा हासिल करने का सबसे आसान रास्ता है पर्सनल लोन। पर्सनल लोन में अधिकतम 72 घंटे में आपको पैसा मिल जाता मिनट की आवेग रणनीति है और इसके लिए आपको किसी भी तरह की सिक्यूरिटी या कॉलेटरल की आवश्यकता भी नहीं होती। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि शॉर्ट टर्म पर्सनल लोन के लिए आपको अन्य लोन जैसे प्रॉपर्टी के बदले लोन, शेयर के बदले मिनट की आवेग रणनीति लोन और फिक्स्ड डिपॉजिट के बदले लोन पर ब्याज की तुलना में ज्यादा ब्याज देना पड़ता है। इसलिए लोन लेने से पहले एक्जिट कॉस्ट या प्री-क्लोजर चार्ज के बारे में जरूर पता कर लें। आप अपनी त्वरित आवश्यकताओं या सपनों को पूरा करने के लिए पर्सनल लोन के लिए आवदेन कर सकते हैं। यहां पर्सनल लोन पर निर्णय लेने का कोई शॉर्टकट रास्ता नहीं है, इसलिए आपको स्वयं ही पूरी तरह इसके प्रति जागरूक होना होगा और इसके लिए फंडामेंटल एप्रोच यही है कि आप वही चुने जो आपके लिए फिट हो। पर्सलन लोन लेने से पहले यहां हम कुछ तथ्य मिनट की आवेग रणनीति आपको बता रहे हैं, जिन पर आपको गौर जरूर करना चाहिए।
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मॉस्को । विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध को बातचीत के माध्यम से सुलझाए जाने की आवश्यकता पर विस्तार से चर्चा की और कहा कि इस बारे में कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा कि भारत युद्धरत देशों के बीच शांति कायम करने में भूमिका निभा सकता है। उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस संदेश को रेखांकित किया कि आज का युग युद्ध का नहीं है। उन्होंने कहा कि विकसित एवं विकासशील देश किसी निर्णय को प्रभावित करने की वास्तविक सामर्थ्य नहीं रखते, लेकिन वह युद्ध के नकारात्मक प्रभाव का खामियाजा भुगत रहा है।
जयशंकर ने कहा आपने पूछा है कि क्या यह उचित समय है या क्या अभी कुछ भी कहना या करना जल्दबाजी होगी? मुझे लगता है कि आपका प्रश्न उचित मिनट की आवेग रणनीति समय से पहले पूछा गया है। हम आज की समस्याओं को मॉडल या अनुभव के आधार पर नहीं देख सकते। हम आज जिस स्थिति में रह रहे हैं, यह एक बहुत ही अलग स्थिति है। जयशंकर से शांति स्थापित करने में भारत की भूमिका को लेकर बढ़ती अटकलों पर सवाल किया गया था। उनसे पूछा गया था कि क्या नई दिल्ली मिनट की आवेग रणनीति संघर्ष को समाप्त करने में भूमिका निभाने की इच्छुक है। इसके जवाब में मैं कहना चाहूंगा कि भारत हमेशा से ही युद्ध और विनाश मूलक गतिविधियों का विरोध करता रहा है। पीएम मोदी ने सितंबर में उज्बेकिस्तान के शहर समरकंद में एक बैठक के दौरान पुतिन से कहा था कि आज का युग युद्ध का नहीं है।
जयशंकर ने कहा जैसा कि प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘यह युद्ध का युग नहीं’ है। मेरी अपनी समझ है कि ऐसे देश हैं, जो यह नहीं मानते हैं कि इस तरह के मुद्दों को युद्ध के मैदान में सुलझाया जा सकता है, जो मानते हैं कि देशों को बातचीत की मेज पर लौटने की तत्काल आवश्यकता है, जो पीड़ा को देख सकते हैं। जयशंकर मिनट की आवेग रणनीति ने कहा जिन दूसरे देशों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, उनका इस मुद्दे से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि अगले सप्ताह बाली में होने वाला जी20 शिखर सम्मेलन यूक्रेन संघर्ष पर सदस्य देशों की भावनाओं की ओर संभवत: संकेत करेगा। जयशंकर ने कहा फिलहाल, यह बिल्कुल स्पष्ट है कि भावनाओं का आवेग है। मैं कहूंगा कि जो हो रहा है, उसे मजबूत विचार, ध्रुवीकरण के रूप में दर्शाया जा सकता है, लेकिन राजनीति, रणनीति या यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ में, एक तरह से, इसे पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण के रूप में लिया जाता है।
उन्होंने कहा लेकिन अगर आप इसके प्रभावों को देखते हैं, तो कुछ हद तक, यह उत्तर-दक्षिण ध्रुवीकरण बन गया है, क्योंकि दक्षिण (विकसित एवं विकासशील देश) वास्तव में किसी भी निर्णय को प्रभावित किए बिना इसके प्रभाव का खामियाजा भुगत रहे हैं। उन्होंने कहा दुनिया के हमारे हिस्से में अन्य भी कई मुद्दे हैं, उनमें से कुछ आर्थिक मुद्दे हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय कानून, नियमों, एवं मानदंडों का सम्मान, एक-दूसरे के साथ व्यवहार, एक-दूसरे की संप्रभुता का सम्मान भी अन्य मुद्दे हैं। जयशंकर ने कहा कि इनमें से कुछ जी20 को प्रभावित करेंगे, लेकिन यह इन मुद्दों को सुलझाने या इन मुद्दों पर खुलकर बहस करने का मंच नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने फरवरी में यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद से पुतिन के साथ-साथ यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से कई बार बात की है।