शुरुआती लोगों के लिए अवसर

इक्विटी शेयर के प्रकार

इक्विटी शेयर के प्रकार

इक्विटी शेयर के प्रकार

जबकि जूरी अभी भी बाहर है कि सबसे खराब हमारे पीछे है या नहीं, मैं आपको कई कारकों के साथ पेश करूंगा जो हमारे आगे क्या है इसका मूल्यांकन करने में मदद कर सकते हैं। स्पॉइलर: तेजी के संकेतकों की संख्या बढ़ रही है।

आइए इक्विटी शेयर के प्रकार देखें कि आप क्या सोचते हैं।

1. शुक्रवार का यू.एस. रोजगार डेटा अच्छा था, लेकिन निश्चित रूप से, साथ ही, यह एक दोधारी तलवार है क्योंकि यह फेडरल रिजर्व को अनुमति देता है, अगर यह फिट दिखता है, तो सख्त बनाए रखने के लिए लंबे समय तक मौद्रिक नीति।

फेड के नवीनतम बयानों को देखते हुए, दर वृद्धि की तीव्रता समान रहने की संभावना है। फिर भी, अधिक लचीली अर्थव्यवस्था के साथ, हम एक इक्विटी शेयर के प्रकार धुरी के बजाय एक ठहराव देख सकते हैं, जिसका अर्थ है कि उच्च दर वाले वातावरण को लंबे समय तक रखा जाएगा।

2. इक्विटी के लिए निवेशक भावना का यह नवीनतम पुनरुत्थान अगस्त की शुरुआत में अनुभव किए गए अनुभव के कुछ तरीकों की याद दिलाता है जब फंड और हेज-फंड प्रबंधकों ने शेयर बाजार में अपनी खरीद और जोखिम बढ़ा दिया। यह अच्छी तरह से समाप्त नहीं हुआ, क्योंकि S&P 500 8 सप्ताह में -15% से अधिक गिर गया।

3. एसएंडपी 500 इस वर्ष अपने सर्वकालिक उच्च स्तर से -25.2% तक गिर गया है, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से मंदी में सूचकांक में दर्ज औसत -28% की गिरावट से थोड़ा कम है।

4. जब अमेरिकी मध्यावधि चुनाव वाले वर्ष के दौरान S&P 500 गिरता है (जैसा कि 2022 में होता है), अगला वर्ष हर बार मजबूत रहा है। ऐसा परिदृश्य 1950 के बाद से आठ बार हुआ है, और बेंचमार्क इंडेक्स अगले वर्ष सभी आठ बार बढ़ा है, औसत वार्षिक रिटर्न +24.6% के साथ।

5. 2024 में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होंगे, इसलिए 2023 चुनाव से पहले का साल होगा। स्टॉक के लिए चुनाव-पूर्व के वर्ष ऐतिहासिक रूप से बहुत मजबूत होते हैं, जिसमें S&P 500 औसतन +16.8% बढ़ रहा है।

6. साथ ही, क्रिसमस के एक हफ्ते पहले और बाद के बाजारों पर नजर रखें। द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद से, क्रिसमस से पहले सप्ताह में S&P 500 के लिए औसत रिटर्न +0.5% है। 23 मौकों पर (30% बार) +1% से अधिक का रिटर्न मिला है। ऐसे 14 अवसर थे जब S&P 500 +2% से अधिक ऊपर था, आखिरी उदाहरण 2014 में था। दिसंबर की पहली छमाही आम तौर पर बहुत मजबूत नहीं होती है; हालाँकि, यह बदल जाता है क्योंकि हम वर्ष के अंत तक पहुँचते हैं।

7. इस सप्ताह की शुरुआत में, S&P 500 अपने 200-दिवसीय मूविंग एवरेज से थोड़ा ऊपर एक सत्र को बंद करने में कामयाब रहा, ऐसा कुछ जो 7 महीनों में नहीं हुआ था। पिछले 13 अवसरों में जब सूचकांक कम से कम छह महीने के लिए 200-दिवसीय मूविंग एवरेज से नीचे रहा और फिर उच्च स्तर पर बंद हुआ, यह केवल एक बार नए निचले स्तर पर गिरा, और अगले वर्ष औसत वृद्धि इक्विटी शेयर के प्रकार इक्विटी शेयर के प्रकार +18.8% थी।

© hi.investing.com द्वारा प्रदत्त S&P 500 Daily Chart

8. वॉल स्ट्रीट की तुलना में सामान्य तौर पर यूरोपीय शेयर बाजारों की इक्विटी शेयर के प्रकार अधिक ताकत 2 कारणों में निहित है:

  • पुराने महाद्वीप में बैंकिंग क्षेत्र का अच्छा प्रदर्शन
  • प्रौद्योगिकी क्षेत्र का यू.एस. की तुलना में यूरोपीय शेयर बाजारों में बहुत कम जोखिम है

9. यूरोप में, दो स्टॉक एक्सचेंज दूसरों की तुलना में अपनी ताकत के लिए सबसे अलग हैं। वे ब्रिटिश (FTSE 100) और पुर्तगाली (PSI 20) हैं। पूर्व 2022 में +2.32% ऊपर है, और बाद वाला +6.4% है। इसका कारण यह है कि उनका कमोडिटी क्षेत्र में अधिक जोखिम है, जिसमें रूस और यूक्रेन में युद्ध के कारण इस वर्ष मजबूत वृद्धि हुई है।

बुलिश सेंटीमेंट (अगले छह महीनों में स्टॉक की कीमतों में वृद्धि की उम्मीद) 4.4 प्रतिशत अंक गिरकर 24.5% हो गया और अपने ऐतिहासिक औसत 37.5% से नीचे बना हुआ है।

मंदी की भावना (अगले छह महीनों में शेयर की कीमतों में गिरावट की उम्मीद) 0.2 प्रतिशत अंक बढ़कर 40.4% हो गई और 31% के ऐतिहासिक औसत से ऊपर रही।

© hi.investing.com द्वारा प्रदत्त Investor Sentiment AAII

क्या 2023 में चमकेगा सोना?

गोल्ड जोखिम भरे माहौल के कारण फल-फूल रहा है। फेड के कम आक्रामक रुख, डॉलर में गिरावट, और कर्ज पर ब्याज दरों में गिरावट ने सोने की तेजी को $1,800 के स्तर तक पहुंचा दिया है, जो पिछले जुलाई से रिकॉर्ड उच्च स्तर है।

© hi.investing.com द्वारा प्रदत्त Gold Futures Daily Chart

संक्षेप में, पीली धातु 2023 में फेड, डॉलर और सहयोगी के रूप में ऋण ब्याज दरों के साथ आगे बढ़ सकती है। यहां तक कि आर्थिक मंदी का खतरा भी एक सुरक्षित-संपत्ति के रूप में इसके आकर्षण को बढ़ा सकता है। इन कारकों के संयोजन के परिणामस्वरूप 2,000 डॉलर प्रति औंस के मनोवैज्ञानिक अवरोध पर विजय प्राप्त हो सकती है।

फिलहाल, यह सिर्फ प्रतिरोध तक पहुंच गया है, और न तो गुरुवार और न ही शुक्रवार को इसे तोड़ने में सक्षम था।

वैश्विक शेयर बाजार का प्रदर्शन

मुख्य शेयर बाजारों की वर्ष-दर-वर्ष रैंकिंग इस प्रकार है:

  • Brazilian iBovespa +6%
  • British FTSE 100 +2.32%
  • Japanese Nikkei -3.52%
  • Spanish IBEX 35 -3.80%
  • Dow Jones Industrial Average -5.25%
  • French CAC 40 -5.74%
  • Euro Stoxx 50 -7.46
  • German Dax -8.53%
  • Italian MIB -9.26
  • S&P 500 -14.57%
  • Chinese CSI -21.65%
  • NASDAQ Composite -26.74%

प्रकटीकरण: लेखक इस लेख में उल्लिखित किसी भी प्रतिभूति का स्वामी नहीं है।

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What is Equity Share

तो चलिए आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि Equity Share क्या होता है। इसके क्या फायदे और क्या नुकसान हैं?

भारतीय स्टॉक मार्केट में शेयर के प्रकार

भारत के स्टॉक मार्केट (Stock Market) में शेयर को मुख्यत तीन भागों में बांटा गया है।

  • इक्विटी शेयर (Equity Share)
  • प्रेफरेंस शेयर (Preferance Share)
  • डीवीआर शेयर (DVR Share)

इन तीनों शेयर में से सबसे ज्यादा विख्यात शेयर Equity share है। सरल शब्दों में इसे केवल शेयर से ही जाना जाता है।

Equity Share

इक्विटी शेयर (Equity Share)

इक्विटी शेयर वह डिजिटल या फिजिकल एसेट होता है, जोकि उस कंपनी इक्विटी शेयर के प्रकार के स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करती है। इक्विटी शेयर धारक जो होते हैं, वह कंपनी के मुख्य फैसलों के हकदार होते हैं। कंपनी के लाभ होने पर कंपनी द्वारा आपको एक प्रॉफिट दिया जाता है। इसे आप बाजार में खरीद अथवा बेच सकते हैं।

प्रेफरेंस शेयर (Preferance Share)

प्रेफरेंस शेयर आपको कंपनी के दिवालिया होने की स्तिथि में आपको सुरक्षा प्रधान करता है। प्रेफरेंस शेयर धारकों को आम शेयर धारकों की तुलना में पहले लाभांंश का भुगतान किया जाता है।

डीवीआर शेयर (DVR Share)

डीवीआर शेयर धारकों का प्रयोग शेयर धारक और कंपनी के अधिकार के मध्य अंतर के लिए करते हैं। जहां की वोटिंग पावर का अंतर होता है। सरल शब्दों में कहा जाए तो डीवीआर शेयरधारक के पास इक्विटी शेयर रखने वाले शेयरधारकों की तुलना में कम या फिर ज्यादा वोटिंग राइट्स होते हैं।

इक्विटी शेयर क्या होता है, यह कैसे काम करता है?

इक्विटी शेयर (Equity Share) एक प्रकार की सुरक्षा होती है, जोकि कंपनी के स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करती है। इक्विटी शेयर धारक जो होते हैं, वह कंपनी के लाभांश का हिस्सा होते हैं। और कंपनी को कैसे चलाया जाता है। इसमें बोलना उनका पूरा पूरा हक होता है। Equity share में कोई भी लाभांश तय नहीं होता है।

इक्विटी शेयर को किसी भी समय स्थानांतरित या फिर किसी भी समय बेचा जा सकता है। Equity share को कभी भी खुले बाजार से खरीदा जा सकता है, या फिर कारोबार किया जा सकता है।

इक्विटी शेयर (Equity Share) के फायदे

  • इक्विटी शेयर लाभांश इक्विटी शेयर के प्रकार की एक निश्चित राशि का भुगतान करने के लिए कोई भी नियम नहीं बनाती है। यह आप अपनी मर्जी के हिसाब से कम या फिर ज्यादा शेयर खरीद सकते हैं।
  • कंपनी के कैपिटल में बिना शुल्क लगाए बिना इक्विटी शेयर (Equity share) जारी किए जा सकते हैं।
  • कम से कम 4 इक्विटी शेयर धारक कंपनी के वास्तविक मालिक हैं, जिनके पास कि मतदान का अधिकार है।
  • यह पूंजी का स्थायी श्रोत होता है। और इसे कंपनी के परिसमापन के अलावा चुकाना होता है।

इक्विटी शेयर के नुकसान

  • कंपनी द्वारा इक्विटी शेयर जारी करने पर कंपनी इक्विटी पर ट्रेडिंग (Trading) का लाभ नहीं ले सकती है।
  • इक्विटी शेयर में कैपिटलाइजेशन का खतरा रहता है।
  • इक्विटी शेयर होल्डर खुद को व्यवस्थित करके या फिर जोड़ तोड़ करके अवरोध डाल सकता है।
  • परिपक्व अवधि होने पर बाजार में उच्च लाभांश का भुगतान करना पड़ता है। जोकि बाद में मुसीबत खड़ी कर सकता है।

भारत में इक्विटी शेयर कैसे खरीदा जाता है।

इक्विटी शेयर को आप प्राइमरी और सेकेंडरी मार्केट से खरीद सकते हैं। आईपीओ (IPO) और एफपीओ (FPO) को प्राइमरी मार्केट कहते हैं। और जो मान्यता प्राप्त ब्रोकर होते हैं, उन्हे सेकेंडरी मार्केट कहते हैं।

यदि आप भारत के निवासी है, और इक्विटी शेयर खरीदना चाहते हैं, तो आपको एक रजिस्टर्ड डिपोजिटरी पार्टिसिपेंट (DP) के साथ एक डीमैट अकाउंट (Demat Account) खोलना चाहिए। और उसे अपने बैंक अकाउंट से लिंक करना है। खाता सेट होने के बाद आप अपने ब्रोकर को ऑर्डर देकर अपने DP के माध्यम से शेयर को खरीद सकते हैं।

आयातित तेल के दाम टूटना जारी, तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट

विदेशी बाजारों में तेल-तिलहनों के दाम टूटना जारी रहने के कारण इक्विटी शेयर के प्रकार में देशी तेल तिलहनों के भाव प्रभावित हुए, जिससे दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ), बिनौला और पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट देखने को मिली।

देशी तेल तिलहनों की पेराई महंगा बैठने और सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले इन तेलों के भाव बेपड़ता होने के बीच सरसों और मूंगफली तेल-तिलहन तथा सोयाबीन तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे। बाजार सूत्रों ने कहा, ‘‘विदेशी तेलों में आई गिरावट हमारे देशी तेल तिलहनों पर कड़ा प्रहार कर रहा है जिससे समय रहते नहीं निपटा गया तो स्थिति संकटपूर्ण होने की संभावना है।

विदेशी तेलों के इक्विटी शेयर के प्रकार दाम धराशायी हो गये हैं और हमारे देशी तेलों के उत्पादन की लागत अधिक बैठती है। अगर स्थिति को संभाला नहीं गया तो देश में तेल तिलहन उद्योग और इसकी खेती गंभीर रूप से प्रभावित होगी। सस्ते आयातित तेलों पर आयात कर अधिकतम करते हुए स्थिति को संभाला नहीं इक्विटी शेयर के प्रकार गया तो किसान तिलहन उत्पादन बढ़ाने के बजाय तिलहन खेती से विमुख हो सकते हैं क्योंकि देशी तेलों के उत्पादन की लागत अधिक होगी।

देश के आयात पर पूर्ण निर्भरता होने के कारण भारी मात्रा में विदेशीमुद्रा का अपव्यय बढ़ सकता है।’’ सूत्रों ने कहा कि सरसों, मूंगफली, सोयाबीन और बिनौला जैसे देशी तेल तिलहन की हमें बिजाई हर साल करनी होती है। इसके अलावा खाद, पानी, बिजली, डीजल, मजदूरी जैसी लागत हर साल वहन करना होता है लेकिन पाम और पामोलीन के मामले में यह स्थिति भिन्न है क्योंकि एक बार इनके पेड़ लगाने के बाद मामूली देखरेख खर्च के साथ बगैर बड़ी लागत के अगले लगभग कई सालों तक ऊपज प्राप्त होती रहती है।

सूत्रों ने कहा कि कई तेल तिलहन विशेषज्ञ, पूर्वोत्तर राज्यों सहित देश के कुछ अन्य भागों में पाम की खेती बढ़ाने की सलाह देते हैं और इस दिशा में सरकार ने प्रयास भी किये हैं। ऐसा करना एक हद तक सही है लेकिन यदि हमें पशुचारे, डीआयल्ड केक (डीओसी) और मुर्गीदाने की पर्याप्त उपलब्धता और आत्मनिर्भरता चाहिये तो वह सरसों, मूंगफली, सोयाबीन और बिनौला जैसे देशी फसलों से ही प्राप्त हो सकता है। निजी उपयोग के अलावा इसका निर्यात कर देश के लिए विदेशीमुद्रा भी अर्जित किया जा सकता है। तेल तिलहन के संदर्भ में इन वास्तविकताओं को ध्यान में रखकर ही कोई फैसला लिया जाना चाहिये। सूत्रों ने कहा कि देश के प्रमुख तेल संगठनों को सरकार को जमीनी हकीकत भी बताना चाहिये कि सस्ते खाद्यतेलों के आयात से देश के तेल तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर होने का लक्ष्य गंभीर रूप से प्रभावित होगा और इस स्थिति को बदलने के लिए इन सस्ते आयातित तेलों पर पहले की तरह और हो सके तो अधिकतम सीमा तक आयात शुल्क लगा दिया जाना चाहिये। अगर खाद्य तेलों के दाम कम रहे तो खल की भी उपलब्धता कम हो जायेगी।

सस्ते आयात के मद्देनजर सीपीओ, पामतेल, बिनौला और सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट आई। जबकि शादी विवाह के मौसम की मांग के बीच देशी तेलों का भाव बेपड़ता बैठने के कारण सरसों और मूंगफली तेल तिलहन और सोयाबीन दाना एवं सोयाबीन लूज (तिलहन) के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे। शनिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे: सरसों तिलहन - 7,100-7,150 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली - 6,360-6,420 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 14,800 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली रिफाइंड तेल 2,390-2,655 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 14,000 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 2,120-2,250 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 2,180-2,305 रुपये प्रति टिन। तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,400 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,250 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,इक्विटी शेयर के प्रकार 500 रुपये प्रति क्विंटल। सीपीओ एक्स-कांडला- 8,450 रुपये प्रति क्विंटल। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,450 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,950 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन एक्स- कांडला- 9,000 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। सोयाबीन दाना - 5,450-5,550 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज 5,260-5,310 रुपये प्रति क्विंटल। मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

NDTV ने आरआरपीआर निदेशक प्रणय रॉय और राधिका रॉय के इस्तीफे मंजूर किए !

NDTV ने आरआरपीआर निदेशक प्रणय रॉय और राधिका रॉय के इस्तीफे मंजूर किए !

दिल्ली न्यूज डेस्क !! एनडीटीवी के नए बोर्ड ने मंगलवार देर रात एक नाटकीय घटनाक्रम में प्रणय रॉय और राधिका रॉय के आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड (आरआरपीआर) के निदेशक पद से इस्तीफे को मंजूरी दे दी। आरआरपीआर नई दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड (एनडीटीवी) का प्रमोटर ग्रुप व्हीकल है। इस्तीफे के बाद ये दोनों एनडीटीवी के मौजूदा और लंबे समय से प्रवर्तक और प्रबंधन कंपनी से बाहर हो गए हैं। इस प्रकार अदाणी समूह का अधिग्रहण पूरा हो गया। बोर्ड ने तत्काल प्रभाव से आरआरपीआरएच बोर्ड में संजय पुगलिया और सेंथिल चेंगलवारायण को निदेशक नियुक्त किया।

उल्लेखीय है कि एनडीटीवी की प्रवर्तक फर्म आरआरपीआर होल्डिंग ने सोमवार को कहा था कि उसने अदाणी समूह के स्वामित्व वाले विश्वप्रधान कमर्शियल (वीसीपीएल) को अपनी इक्विटी पूंजी के 99.5 प्रतिशत शेयरों को स्थानांतरित कर दिया था, इस प्रकार अदानी समूह द्वारा एनडीटीवी के आधिकारिक अधिग्रहण को पूरा किया। आंकड़े के मुताबिक, शेयरों के हस्तांतरण से अदाणी समूह को एनडीटीवीमें 29.18 प्रतिशत हिस्सेदारी का नियंत्रण मिल जाएगा। डायवर्सिफाइड समूह भी मीडिया फर्म में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए एक खुली पेशकश कर रहा है। 22 नवंबर को शुरू हुई खुली पेशकश में शेयरधारकों ने अब तक 53 लाख शेयर या 1.67 करोड़ शेयरों के निर्गम आकार का 31.78 फीसदी हिस्सा देखा है। ओपन ऑफर 5 दिसंबर को बंद होगा।

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