शासक रणनीति

चीन की सत्ताधारी पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी के आधिकारिक अख़बार पीपल्स डेली ने 27 मई की अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि चीन और अमेरिका के दोस्त एक ही गुट के हैं और आशियान देश दोनों शक्तियों में से किसी एक का पक्ष शासक रणनीति नहीं लेना चाहते हैं.
UP Board Solutions शासक रणनीति for Class 8 Hindi Chapter 4 चाणक्य (महान व्यक्तित्व)
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पाठ का सारांश
चाणक्य का पूरा नाम विष्णुगुप्त चाणक्य था। इन्हें कौटिल्य भी कहा जाता है। ये तक्षशिला के ब्राह्मण थे। इन्होंने तक्षशिला से ज्ञानार्जन और दर्शन का अध्ययन किया। पिता की मृत्यु के बाद इनकी माता ने इनका पालन पोषण किया। मगध के राजा घनानन्द ने इन्हें दानशाला का प्रबन्धक बनाया परन्तु बाद में क्रोधी होने के कारण इन्हें पदच्युत कर दिया। चाणक्य ने नन्द वंश के विनाश करने
की प्रतिज्ञा की। इनकी भेंट चन्द्रगुप्त मौर्य से हुई जो मगध राज्य में सेनानायक था। वह महत्त्वाकांक्षी थचन्द्रगुप्त में बल था और चाणक्य में बुद्धि। बल और बुद्धि के संयोगानुसार नवीन योजना के अनुसार (UPBoardSolutions.com) चन्द्रगुप्त ने मगध राज्य पर अधिकार कर लिया। 321 ई०पू० में उसका विधिवत राज्याभिषेक हुआ। चन्द्रगुप्त ने चाणक्य को महामंत्री और प्रमुख परामर्शदाता नियुक्त किया।
चाणक्य नीति: बुरे वक्त में याद रखें ये तीन बातें, बड़ी से बड़ी समस्या का भी होगा शासक रणनीति समाधान
आचार्य चाणक्य चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। उन्होंने शासक रणनीति ने ही अपनी सूझबूझ और कुशल रणनीति के बल पर चंद्रगुप्त को एक शासक के रूप में शासक रणनीति स्थापित होने में मदद की। आचार्य चाणक्य राजनीति और कूटनीति में कुशल थे। विषय परिस्थितियों में भी उन्होंने पराजय स्वीकार नहीं की और अपने शत्रु का नाश करके लक्ष्य को हासिल किया। यही कारण था कि उन्हें जीवन की हर परिस्थिति का भी बहुत अच्छा अनुभव था। उन्होंने अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर मनुष्य के जीवन को प्रभावित करने वाली महत्वपूर्ण बातें नीति शास्त्र में लिखी हैं। आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में तीन ऐसी बातों के बारे में जिक्र किया है, जिन्हें ध्यान में रखकर मनुष्य संकट और बुरा वक्त आने पर भी उसका समाना कर लेता है। बुरा वक्त आने पर इन बातों को ध्यान में रखना चाहिए।
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पाठ का सारांश
चाणक्य का पूरा नाम विष्णुगुप्त चाणक्य था। इन्हें कौटिल्य भी कहा जाता है। ये तक्षशिला के ब्राह्मण थे। इन्होंने तक्षशिला से ज्ञानार्जन और दर्शन का अध्ययन किया। पिता की मृत्यु के बाद इनकी माता ने इनका पालन पोषण किया। मगध के राजा घनानन्द ने इन्हें दानशाला का प्रबन्धक बनाया परन्तु बाद में क्रोधी होने के कारण इन्हें पदच्युत कर दिया। चाणक्य ने नन्द वंश के विनाश करने
की प्रतिज्ञा की। इनकी भेंट चन्द्रगुप्त मौर्य से हुई जो मगध राज्य में सेनानायक था। वह महत्त्वाकांक्षी थचन्द्रगुप्त में बल था और चाणक्य में बुद्धि। बल और बुद्धि के संयोगानुसार नवीन योजना के अनुसार (UPBoardSolutions.com) चन्द्रगुप्त ने मगध राज्य पर अधिकार कर लिया। 321 ई०पू० में उसका विधिवत राज्याभिषेक हुआ। चन्द्रगुप्त ने चाणक्य को महामंत्री और प्रमुख परामर्शदाता नियुक्त किया।
चीन ब्रिक, प्रशांत क्षेत्र के द्वीपों की रणनीति
बाइडन जब दक्षिण कोरिया और जापान के दौरे पर थे तब चीन ने ब्रिक देशों के साथ बैठक करते हुए इस गुट के अन्य उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के साथ विस्तार की मांग की थी. अर्जेंटीना के राष्ट्रपति अलबर्टो फ़र्नांडिस पहले ही इस गुट में शामिल होने में रुचि दिखा चुके हैं और इंडोनेशिया एक अन्य उम्मीदवार भी है.
चीन के विशेषज्ञों की मांग है कि ब्रिक देश व्यापार समझौतों को बढ़ाएं और अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता को कम करने के लिए राष्ट्रीय मुद्रा में तेज़ी लाएं.
26 मई से 4 जून तक वांग यी ने प्रशांत द्वीप के देशों का दौरा किया था. चीनी मीडिया ने इसे अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के अभियानों के ख़िलाफ़ चीन का अभियान बताया था.
ग्लोबल टाइम्स में विश्लेषकों ने कहा था, "अमेरिका अपनी 'भारत-प्रशांत रणनीति' के तहत चीन को सीमित करने की कोशिश कर रहा है लेकिन अब चीन के इस क्षेत्र में क़दम सर्वव्यापी हैं और यह साबित शासक रणनीति शासक रणनीति करता है कि अमेरिका की सीमित करने की रणनीति काम नहीं कर रही है."
पीएस-1 की रिलीज और चोल हिंदू राजा विवाद, रिसर्चर ने बताया शैव मत का हिंदू शासक
मणिरत्नम की हाल ही में रिलीज हुई पोन्नियिन सेल्वन यानी पीएस-1 लगातार चर्चा का विषय बनी हुई है। इस फिल्म में चोल वंश के शासक राज राजा की कहानी दिखाई गई है। वहीं फिल्म की रिलीज के बाद से इस बात को लेकर बहस छिड़ गई है कि राज राजा चोल हिंदू थे या नहीं? राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता तमिल फिल्ममेकर वेत्रिमारन ने हफ्ते भर पहले इसको लेकर बयान दिया था कि चोल शासन के दौरान हिंदू धर्म जैसी कोई चीज नहीं थी। इस बयान को लेकर विवाद शुरू हो गया है और शासक रणनीति यह बात तमिलनाडु में बहस का विषय बनी हुई है।